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    Thursday, March 22, 2018

    राजा बासिक और राजा परिक की कहानी


    बैन बादशाह शहजादी की कहानी पार्ट - 1 
    हेल्लो दोस्तों मेरा नाम मोहन सिंह है में राजस्थान से हु दोस्तों मुझे कहानी लिखने का बड़ा शौक है इसलिए में रोजाना कुछ न कुछ लिखता रहता हूं |
    क्या आप सांप से जुड़े रहस्यों के बारे में जानते हो नहीं जानते तो में आपको इस कहानी के माध्यम से बताऊंगा |
    लेकिन आज जो कहानी लिखने जा रहा हूँ वो मेने सिर्फ लिखी है लेकिन ये कहानी मेरे दादाजी कहा करते थे जिसे मेंने  आप लोगो तक पहुचाई है ये कहानी सुनने के लिए रोजाना अपने दादाजी के बिस्तर पर उनके आने से पहले जाकर सो जाता था जब दादाजी आते तो में उनसे ये कहानी सुनाने को कहता था ये कहानी मुझे बहुत अच्छी लगती थी | 
    दोस्तों अब कहानी की तरफ चलते है 
      बात पुराने ज़माने की है जब राजाओ का राज हुआ करता था | एक राजा का नाम बासिक था तथा दुसरे राजा का नाम पारिक था  | दोनों राजाओ के एक भी संतान नहीं थी वे आपस में बहुत बैर रखते थे उनकी लड़ाई बहुत दिन से चल रही थी | कुछ न कुछ बात को लेकर उनकी लड़ाई हो जाती थी  एक दिन इधर से राजा बासिक चल दिया और उधर से राजा पारिक चल दिया | दोनों एक बियाबान जंगल में पहुच गए और एक दुसरे की तरफ देखकर दोनों ने लड़ने के लिए अपने बाण साध लिए आपस में दोनों कहने लगे लड़ाई लड़नी है तो जंग की लड़ाई लड़ो, दुनिया याद रखे और अमर निशानी बन जाये |लेकिन दोनों के दिल में खोट था मतलब की दोनों एक दुसरे को मरना या नीचा दिखने की शोच में थे 

     पारिक राजा कहने लगा अगर  हमे लड़की हुई और तुम्हे लड़का हुआ तो हम हमारी लड़की की शादी आपके लड़के से करवा देंगे | लेकीन अगर हमें लड़का हुआ और तुम्हे लड़की हुई तो तुमको तुम्हारी लड़की की शादी मेरे लड़के से करवानी होगी | इससे हमारी दुश्मनी रिश्तेदारी में बदल जायेगी | राजा बासिक भी इस फैंसले से खुश था | दोनों राजा वापिस अपने राज्य में लौट आये | राजा बासिक अपनी रानी से कहने लगा महल में लड़की पैदा हो जाये तो उसको मरवा देना | क्योकि में राजा पारिक को जुबान देकर आया हूँ लड़की होने पर मुझे उसके लड़के से मेरी लड़की की शादी करवानी होगी |
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     उधर राजा पारिक भी अपनी पत्नी से यही लड़की मरने की बात कह रहे थे दोनों राजा चाहते थे की उसकी लड़की हो जाये ताकि मेरे लड़के से उसको शादी करवानी होगी | लेकिन उनके कहने से क्या हो सकता था जो कुदरत चाहे वही होगा | एक दिन राजा बासिक को लड़की पैदा हो गई  और राजा पारिक को लड़का पैदा हो गया |  लड़के का नाम परिछत रख दिया | राजा बासिक को लड़की पैदा होने पर राजा ने कहा इस लड़की को मरवा दिया जाए | राजा का आदेश था तो रानी ने अपनी दासी को समझाया की इसको मारना मत और राजा को कहना की लड़की को मार दिया है |
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     रानी राजा बासिक से लड़की को छिपा कर पालने लगी  | लड़की धीरे धीरे जवान हो गयी एक दिन लड़की महल की छत पर अपने केश (बाल) सुखा रही थी | राजा शिकार करके आ रहा था तो उसको लड़की महल की छत पर नजर आ गयी | राजा सोचने लगा ये लड़की कौन है, राजा ने लड़की को देखा तो राजा को कुष्ट रोग हो गया |  राजा ने एक पंडित से पत्रा दिखवाया तो पंडित ने बताया महाराज वो आपकी लडकी है जिसे देखकर आपको कुष्ट रोग हो गया है | उधर राजा पारिक ने भी पत्रा दिखवाया तो उसको भी पता चल गया की राजा बासिक को लडकी पैदा हुई है |

     उसका नाम नवलदेई है | राजा बासिक ने पंडित जी से पुछा मेरे कुष्ट रोग का कोई उपाय है | पंडित जी ने कहा अगर आपकी लड़की कच्ची मिटटी की मटकी(गागर ) में कुए से आपको जल भरकर लाये और उससे तुम नहा लो तो आपकी काया ठीक हो सकती है | राजा ने आपनी लड़की को पानी के लिए भेज दिया | उधर राजा पारिक ने अपने लड़के से कहा वो लड़की कुए से अपने पिताजी के लिए जल लेने के लिए आएगी और तुम उसको उठा कर ले आना | राजा पारिक ने अपने बेटे परीछत को कुए पर भेज दिया |

     जब राजा बासिक की लड़की नवलदेई उस कुए पर पहुची तो परीछत ने उसको पकड़ लिया और कहने लगा हम दोनों की शादी के लिए तुम्हारे पिताजी ने और मेरे पिताजी ने जुबान की हुई है इसलिए तुम मेरे साथ चलो | लड़की नवलदेई ने कहा में एक बार पिताजी को जल दे आऊ फिर में आ जाउंगी | परीछत ने उसको छोड़ दिया और कहा जरूर आना  लड़की ने कहा ठीक है में जरूर आऊंगी | लड़की जल लेकर आ गई
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    राजा को जब नवलदेई नहला रही थी तो उसने अपने पिताजी की नाक पर अंगूठा रख दिया जहा से उसका कुष्ट रोग का दाग रह गया था | राजा ने जब शीशे में देखा तो अपनी लड़की को एक बार और पानी लाने को कहा | लड़की ने कहा पिताजी कुए पर मुझे पारिक का लड़का परीछत मुझे वापस आने नहीं देगा | राजा ने कहा एक बार और ले आओ आने कैसे नहीं देगा |लड़की कहने लगी अगर नहीं आई तो मुझे दोष मत देना | राजा ने कहा ठीक है| लड़की पिता के कहने पर चली गयी तो वो लड़का परीछत उसको ले गया दोनों कहने लगे कही ऐसी जगह चलते है जहा कोई नहीं पहुच सकता | वे एक समुन्द्र के बीचोबीच में एक टापू पर बस गए | वहीं उन दोनों ने अपना घर बना लिया |

    दोस्तों दरवार लगा हुआ था राजा बासिक ने सात पान का बीडा लेकर भरी सभा में पटक दिया और कहा जो इस बीड़े को चबायेगा वही परिछत को मारकर आएगा | लेकिन उस बीड़े को किसी ने नहीं चबाया आखिर में उस बीड़े के पान कुमला गए | थोड़ी ही देर में भुरेस्वर नाग खड़ा हो गया और उसने बीड़े को चबा लिया और कहा में उस उसको खा कर आऊंगा | राजा की  आज्ञा पाकर भुरेस्वर उस परीछत को खाने के लिए चल दिया और समुन्दर के पानी के बीच से निकल कर वहा वहा पहूँच गया | और जाकर के नाली से अन्दर जा रहा था इधर नवलदेई खाना बना रही थी अचानक उसने आटे का घोल उसे नाली में डाल दिया |

     वह आटे का घोल उस भुरेस्वर नाग के मुह में चला गया | उसने सोचा अब क्या होगा मेने तो इनका अन्न पानी खा लिया है अब में इसको नहीं खाऊंगा | तभी उस भूरेस्वर नाग वहा से निकल कर उनके पास गया और इंसान का रूप धारण करके उनको नमस्कार की और कहा में भूरेस्वर नाग हूँ में तुमको खाने के लिए आया था मुझे नवलदेई के पिताजी ने भेजा है | लेकीन मेने आपका अन्न पानी खा लिया है में अब तुम को नहीं खाऊंगा  | लड़की बोली क्या तुम मेरे मइके से आये हो नाग ने हां में सिर हिलाया | लड़की कहने लगी तो तुमको एक रस्म पूरी करनी है हमारी अभी तक शादी नहीं हुई है | और तुमको हमारी शादी करवानी है नाग ने उनकी शादी भी करवा दी और वहां से आ गया |
    डबल मुख का सांप

    राजा के पास गया तो राजा ने पुछा भूरेस्वर खा कर आ गये परीछत को ? उसने जबाब में कहा नहीं महाराज में उसको नहीं खा पाया क्योकि मेने उसका अन्न पानी खा लिया था | राजा ने कहा तुमने तो दोनों तरफ की निभाई है जा में तुझे श्राफ देता हूँ की तू दो तरफ से चलेगा  6 महिना एक तरफ से चलेगा और 6 महिना दूसरी तरफ से चलेगा और तुम्हारा खाने से कोई भी नहीं मर सकेगा | उसी राजा बासिक का दिया हुआ श्राफ से ये सर्फ़ दो मुख का बन गया और इसके काटने से कोई नहीं मरता |

    राजा ने अब एक और पान का बीड़ा फेंका उस बीड़े को काले नाग ने चबाया और कहा" ताखा मेरा नाम जिद मेरी खोटी, काटे बिना मानू ना बेसक कितनी भी खिला दो रोटी " महाराज में मारकर आऊंगा उसको | नागराज उसको खाने के लिए चल दिया और वहीँ पहुच गया | उसने देखा की एक मालन उस पारिछ्त को फूल ले जाती थी | नागराज ने देखा तो  एक भौरे का रूप बनाकर उसी फूल में छिप गया जिसे वो मालिन पारीछत को ले जा रही थी | जैसे ही पारिछत ने फूल को सुंघा नाग ने उसकी नाक से काट लिया और वहां से चला गया |

    पारीछत ने कहा वैध धनत्तर को बुला कर लाओ तभी में जीवित बचूंगा नवलदेई बैध धनत्तर को बुलाने गयी | लेकिन नागराज को पता लग गया की बैध धनत्तर इसका इलाज करने आ रहा है | नागराज रास्ते में उसको आने से पहले ही एक सूखी लकड़ी बन गया |

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    अहिल्या का छल की कहानी
    वैद धनत्तर के चोदह सौ चेले

     दोस्तों में एक बार बता दू की बैध धनत्तर के पास 1400 चेले थे | सभी चेले उसके साथ चल दिए  नागराज एक सूखी लकड़ी बनाकर उनके आगे आ गयी | उस लकड़ी को एक चेले ने उठा लिया तभी दूसरा चेला कहने लगा ये मुझे दो ये पहले मुझे दिखाई दी इसलिए ये मेरी है | दोनों आपस ने झगड़ने लगे उनकी लड़ाई देख कर बैध दनात्तर ने उस लकड़ी को उनसे ले लिया और कहा तुम दोनों इस पर मत झगड़ो इसे मुझे दो | उस लकड़ी को उसने अपने कंधे पर रख लिया तभी नागराज ने उसको कमर के बीच से खा गया |

     तो बैध धनत्तर ने कहा मुझे काले नाग ने खाया है तुम मुझे नहीं बचा सकते | तुम ऐसा करना तुम मेरे शरीर को नीम की लकडियो के बीच तीन दिन तक रख देना और मेरे शरीर के 1400 टुकड़े करके खा जाना |इससे तुम सब में मेरी बराबर की शक्तिया आ जाएँगी  ये बात कहकर बैध धनत्तर मर गया | जैसा गुरु ने कहा सभी चेलों ने वैसा ही किया सभी ने उसके 1400 टुकड़े कर लिए और उनको पकाने लग गये | इधर नागराज इस चिंता में पड़ गया की पहले तो एक ही बैध था लेकिन अब तो पूरे 1400 बैध बन जायेंगे इन सबको में कैसे मार पाउँगा |

    उसने एक तरकीब सोची वह एक साधू बनाकर उन सभी के पास गया और कहा बच्चों तुम क्या कर रहे हो | सभी चेले कहने लगे बाबा हमारे गुरूजी मर चुके है और उन्होंने कहा था की मेरे मरने के बाद तुम मुझे टुकडो में बांटकर खा लेना तुम सबको मेरी बराबर सकती आ जाएगी | तभी साधू ने कहा ये तो तुम बहुत गलत कर रहे हो अपने ही गुरु की मिटटी को अपना भोजन बना रहे हो शर्म आनी चाहिए आप लोगो को | ऐसे वचन देकर उनका मन बदल दिया  वो भी कहने लगे ये तो ठीक कह रहे है हमें ऐसा नहीं करना चाहिए |
    मेरे जीवन की एक अनोखी कहानी पार्ट 2

    मेरे जीवन की एक अनोखी कहानी पार्ट 3 

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    अहिल्या का छल की कहानी
    सबने अपना अपना टुकड़ा समुन्द्र में फेंक दिया | उन टुकडो में से एक टुकड़ा बंगाल में पहुँच गया, एक टुकड़े को चील ले गयी, और एक टुकड़ा एक चिमारी नोनिया (यह एक मनुष्य की कैटगरी है) के पास पहुच गया | दोस्तों एक बात बता दूं की जिन्होंने ये टुकड़े खाए है वास्तव में ही उनके पास कुछ न कुछ शक्तिया है | जैसे एक टुकड़ा बंगाल में गया था आज भी बंगाल को जादू का शहर कहा जाता है | वहां पर जो जादू है वह झूठ नहीं है वो सब सच है दूसरा टुकड़ा नोनिया चिमारी ने खाया तो उसकी आज भी दुहाई लगती है | तीसरा टुकड़ा चील ने खाया तो चील पूरे सांप को खा जाती है लेकिन वह उसके जहर से नहीं मरती है |

    दोस्तों आब स्टोरी आगे बढाता हूँ जब परीछत तो मर ही गया लेकीन उसकी पत्नी नवलदेई के गर्व से एक सुन्दर पुत्र ने जन्म ले लिया | वो लड़का धीरे धीरे बड़ा हो गया बड़ा होने पर उसको पता चला की एक सांप ने उसके पिताजी को मारा है तो उसने कहा में पूरे सांप के कुल को ख़त्म कर दूंगा | उसने सभी सांप जाती को निमंत्रण दे दिया की सभी यहाँ भोजन करने यहाँ  आयें और भोजन प्राप्त करे | उसने एक तरफ भोजन करने के लिए जगह बताई और दूसरी तरफ भोजन करने के बाद जाने का एक अलग रास्ता बताया |

     उस रस्ते में उसने एक बड़ी कढाई में तेल गर्म करके रखा हुआ था | जो भी सांप भोजन करके आते थे उनको उस गर्म तेल में पटक देता और निकाल कर उसको पूरा निचोड़ देता उसका पूरा जहर निकल देता था | नागराज भी वहा जाना चाहता था लेकिन वो चालाक था | उसने सोचा सब जा ही जा रहे है लेकिन वापिस कोई नहीं आ रहा है |कुछ तो गड़बड़ है उसने एक सुन्दर आदमी का रूप बना कर एक सुन्दर लड़की से शादी करके कहीं दूर एक गाँव में जा बसा |

     इधर उस लड़के ने सभी सांपो से जहर निकल दिया उसे पता चला की वो सांप अब तक नहीं आया जिसने मेरे पिताजी को मारा है | उस लड़के ने एक चील से कहा उस नाग का पता लगाओ और उसे यहाँ लेकर आओ | दोस्तों जिस लड़की से नागराज से शादी की थी उसने उस दिन नागपंचमी का उपवास किया था और उसने अपने पति यानिकी नागराज से कहा में बम्ही पूजने जा रही हूँ | तो नागरान ने पूछा तुम बम्ही पूजने क्यों जा रही हो  उसने बताया आज नागपंचमी है और आज नाग देवता की पूजा करनी है |

     तो उसने कहा तुम अगर असली नाग की पूजा करो तो | लड़की बोली आसली नाग कहाँ मिलेगा | तो उसने कहा पीछे मुड़कर तो देखो | नागराज ने अपना असली रूप दिखा दिया लड़की डर के मारे वहां से भाग गयी | लेकिन नागराज ने अपना दोबारा इंसान का रूप ले लिया | लड़की के अन्दर ही अन्दर डर समां गया शाम को लड़की पानी लेने के लिए कुए पर चली गयी | इधर से वो चील भी उसी कुए के मट पर जा बैठी और एक छोटी सी चिड़िया का रूप ले लिया और वही बैठ गयी |

      वह लडकी कुए पर जो लड़की आई उन लडकियों से बात करने लगी एक लड़की ने उससे पुछा तुम इतनी कमजोर क्यों हो रही हो तो बताने लगी की मेरे पति ने सुबह नाग का रूप ले लिया था |अगर कोई काम करवाना होगा और मेने मन कर दिया तो वो मुझे खा जायेगा | बस इस डर से में कमजोर हो रही हूँ | चील ने सब सुन लिया | और जब वो चलने लगी तो उसकी गागर के ऊपर बैठ गयी और उसके घर पहुचते ही सारा वजन उस पर रखा दिया जिससे वो जोर से चिल्लाई और कहने लगी महाराज जलदी आओ मेरी गागर को उतारो मुझे बहुत ज्यादा वजन लग रहा है उसने एक उस चिड़िया को देखा और उसे चुटकी से हटाने लगा तो उस चील ने कहा में ऐसी चिड़िया नहीं हु जो चुटकियो से हट जाऊ में तो चील हूँ | चील उसको अपने पंजे में दबा कर उड़ गया और वहीं लाकर उस  गर्म तेल की कढाई में डाल दिया |

     उस कढाई में नाग जल कर तड़फ रहा था तो वो माफ़ी मागने लगा |थोड़ी देर में उसको वापिस निकल दिया और उसका सारा जहर उसके शरीर से निकल दिया | अब वो जलने की वजह से नीचे से आज भी सफेद है | नाग कहने लगा आपने मेरा सारा जहर निकल दिया अगर मुझसे कोई छेड़खानी करे तो में अपना बचाव केसे करूँगा | तभी कहने लगे ये बात तो तुम ठीक कहते हो, सभी संपो को बुलाया और सबके लिए एक घूंट जहर पीने के लिए कहा तो सभी ने एक घूंट जहर पिया लेकिन इस नाग ने उसी समय एक की जगह दो घूंट जहर पिया था | दोस्तों तब से ही इस काले नाग में जहर सबसे ज्यादा पाया जाता है |

     इसको कहा गया की तुमको सौगंध है  है की तुम कभी भी रात में पशु चराने वाले को मत सताना कभी भी चारपाई पर चढकर किसी नहीं सताना और एक चोर को कभी मत सताना और एक तुम गर्बवती महिला को देखकर अँधा हो जाना लास्ट में नाग ने कहा अगर चारपाई से नीचे कोई कपडा लटका हुआ मिला या उस पर जूते चप्पल पहन कर चढ़ गया तो मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है में उसको ऊपर चढ़ कर के खा लूँगा | उन्होंने कहा ठीक है |

    दोस्तों ये बाते सच लेकीन कितना ये बताना मुस्किल है क्योकि जो इस कहानी में बताया गया है वो सब वास्तव में है |

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