एक बाँधने वाला भूत की कहानी १
नमस्कार दोस्तों आज में एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहा हूँ जो इंसानो से परे भूतों की कहानी है कहानी मजेदार है पूरी कहानी पढ़ने पर कहानी का मजा आएगा
(आवश्यक सुचना :- इस कहानी में बताई गयी कोई भी जगह या कोई भी मानव का दिया हुआ विवरण वास्तविक नहीं है इसमें सब कुछ काल्पनिक है और ये कहानी सिर्फ मनोरजन के लिए बनाई गई है।)
एक गाँव में चार चोर रहते थे चारों चोर चोरी करने में बहुत माहिर थे। चारों एक साथ रहा करते थे। जब भी वे चारों चोर किसी भी चीज को चुराने की सोचते तो उनको वह बहुत आसानी से मिल जाती थी। क्योकिं वे बहुत चतुर थे। एक दिन चारों चोर चोरी करने निकल पड़े उनको चोरी करने के लिए एक घर मिल गया चारों उस घर के चारों तरफ देखकर अंदर चले गए उस घर का दरवाजा खुला था चारों को अंदर आने में कोई कठनाई नहीं आयी थी।
चारों अब अंदर आने के बाद एक कमरे में घुस गए। कमरे में जाकर देखा तो वहाँ कोई भी नहीं था और ना ही कुछ चुराने लायक था। क्योंकि वह एक खण्डहर था जहाँ सिर्फ मनुष्यों की हड्डियां पड़ी थी। ये देखकर चारों बाहर आने लगे। लेकिन उनको बाहर आने के लिए कोई भी रास्ता नहीं मिल रहा था। अब वो चारों ये देखकर थोड़ा सा दर गए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे घर में इधर उधर रास्ता ढूंढ़ने लगये लेकिन उनको कोई रास्ता मिल नहीं पा रहा था। तभी उनको एक बूढा आदमी मिल गया।
बाबा की बाते सुनकर चोर कहने लगे तुम भी फंस गए हो। क्या इस घर में कोई बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है? आखिर ये हो क्या रहा है सभी रास्ते बंद हो गए आखिर है क्या इस घर में। तभी एक जोर से आवाज आयी, जैसे कोई लाउडस्पीकर लगा हो लेकिन वहां पर कोई स्पीकर नहीं था तेज आवाज में एक बुरी तथा भद्दी आवाज थी। तभी एक खिड़की जोर जोर से हिलने लगी वह आवाज वहीँ से आ रही थी। तभी एक चोर ने जोर से आवाज लगाकर कहा कौन है सामने आकर दिखाओ डरते क्यों हो ? तभी थोड़ी देर में एक बहुत तेज हवा चलने लगी और बहुत ही अँधेरा सा हो गया फिर एक जगह पर वह हवा घूमने लगी अचानक से उसमें काले गेंडे की त्वचा जैसा के जैसा बहुत ही भद्दा आदमी बाहर आया ये देखकर सभी के पैरो तले जमीन सी खिसक गयी।
उस गोल घूमने वाली हवा से वह बाहर आ गया सभी उससे बहुत डरे हुए थे। तभी उन्होंने जब उसके हाथो की तरफ तो सभी चौक गए और बहुत अचम्बा करने लगे। क्योंकि उन्होंने देखा की उसके हाथों में एक बहुत बड़ा बक्सा था शायद बहुत भारी होगा ये शौच रहे थे की आखिर ये बक्सा का क्या कर रहा था और क्यों हाथ में पकड़ा हुआ था और ये अचानक से कैसे आ गया। कुछ देर तक तो वे बक्से की तरफ ही देखकते रहे। भूत ने उनको एक जोरदार आवाज में ही नजर अपनी तरफ करवा ली।
और उनकी तरफ आया सभी लोग आपस में चिपटने लगे क्योकि सभी लोग बहुत डरे हुए थे। तभी भूत कहने लगा "में तुमको एक लाख रूपये दूंगा और उस रूपये का ब्याज एक महीने का दो लाख रूपये होंगे मतलब ये है की तुमने मुझे एक महीने में एक लाख रूपये का तीन लाख रूपये करके देना होगा फिर दूसरे महीने में तीन लाख रुपयों का ब्याज अगले महीने में नो लाख रूपये देना होगा। इसी तरह से चक्रवर्ती ब्याज के के हिसाब से छह महीने में दो करोड़ पैंतालीस लाख रूपये तुमने मुझको देने होंगे।
ये सब सुनकर सब लोग कहने लगे हम क्यों ले ये एक लाख रूपये हमें कोई पैसों की जरूरत नहीं है भूत कहने लगा अगर तुमने पैसे नहीं लिए तो तुम यहाँ से जिन्दा नहीं जा पाओगे। और अगर तुमने पैसे ले लिए और छह महीने में नहीं लौटाए तो तुम्हारी जान बक्सी नहीं जाएगी क्युकी जब तुम्हारे छह महीने गुजर जायेंगे तो तुम अपने आप यहाँ आ जाओगे और पैसे पूरे होने पर तुम आजाद हो जाओगे। लेकिन अगर पैसे पूरे पैसे नहीं लाये तो में तुम्हारी जान नहीं बकसुगा। ये बात सुनकर सभी थर थर कांपने लगे लेकिन सभी ने अपने दिल पर पत्थर रखकर एक एक लाख रुपए ले लिए।
चारों अब अंदर आने के बाद एक कमरे में घुस गए। कमरे में जाकर देखा तो वहाँ कोई भी नहीं था और ना ही कुछ चुराने लायक था। क्योंकि वह एक खण्डहर था जहाँ सिर्फ मनुष्यों की हड्डियां पड़ी थी। ये देखकर चारों बाहर आने लगे। लेकिन उनको बाहर आने के लिए कोई भी रास्ता नहीं मिल रहा था। अब वो चारों ये देखकर थोड़ा सा दर गए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे घर में इधर उधर रास्ता ढूंढ़ने लगये लेकिन उनको कोई रास्ता मिल नहीं पा रहा था। तभी उनको एक बूढा आदमी मिल गया।
बाँधने वाला भूत की कहानी २
बूढा आदमी एक जगह पर आराम से लेटा हुआ था। चारों चोर उसके पास गए और कहने लगे "बाबा क्या आप इस घर के मालिक हो ?"बाबा उनको देखकर बहुत खुश हुआ और कहने लगा में इस घर का मालिक नहीं हूँ। में तो एक मुसाफिर हूँ घर देखकर पानी पीने के लिए रुक गया था। और में दरवाजा भूल गया लेकिन तुम सब यहाँ कहाँ से अंदर आये हो ?क्या तुम मुझे इस घर का बाहर जाने का रास्ता बता सकते हो ?"बाबा की बाते सुनकर चोर कहने लगे तुम भी फंस गए हो। क्या इस घर में कोई बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है? आखिर ये हो क्या रहा है सभी रास्ते बंद हो गए आखिर है क्या इस घर में। तभी एक जोर से आवाज आयी, जैसे कोई लाउडस्पीकर लगा हो लेकिन वहां पर कोई स्पीकर नहीं था तेज आवाज में एक बुरी तथा भद्दी आवाज थी। तभी एक खिड़की जोर जोर से हिलने लगी वह आवाज वहीँ से आ रही थी। तभी एक चोर ने जोर से आवाज लगाकर कहा कौन है सामने आकर दिखाओ डरते क्यों हो ? तभी थोड़ी देर में एक बहुत तेज हवा चलने लगी और बहुत ही अँधेरा सा हो गया फिर एक जगह पर वह हवा घूमने लगी अचानक से उसमें काले गेंडे की त्वचा जैसा के जैसा बहुत ही भद्दा आदमी बाहर आया ये देखकर सभी के पैरो तले जमीन सी खिसक गयी।
उस गोल घूमने वाली हवा से वह बाहर आ गया सभी उससे बहुत डरे हुए थे। तभी उन्होंने जब उसके हाथो की तरफ तो सभी चौक गए और बहुत अचम्बा करने लगे। क्योंकि उन्होंने देखा की उसके हाथों में एक बहुत बड़ा बक्सा था शायद बहुत भारी होगा ये शौच रहे थे की आखिर ये बक्सा का क्या कर रहा था और क्यों हाथ में पकड़ा हुआ था और ये अचानक से कैसे आ गया। कुछ देर तक तो वे बक्से की तरफ ही देखकते रहे। भूत ने उनको एक जोरदार आवाज में ही नजर अपनी तरफ करवा ली।
और उनकी तरफ आया सभी लोग आपस में चिपटने लगे क्योकि सभी लोग बहुत डरे हुए थे। तभी भूत कहने लगा "में तुमको एक लाख रूपये दूंगा और उस रूपये का ब्याज एक महीने का दो लाख रूपये होंगे मतलब ये है की तुमने मुझे एक महीने में एक लाख रूपये का तीन लाख रूपये करके देना होगा फिर दूसरे महीने में तीन लाख रुपयों का ब्याज अगले महीने में नो लाख रूपये देना होगा। इसी तरह से चक्रवर्ती ब्याज के के हिसाब से छह महीने में दो करोड़ पैंतालीस लाख रूपये तुमने मुझको देने होंगे।
ये सब सुनकर सब लोग कहने लगे हम क्यों ले ये एक लाख रूपये हमें कोई पैसों की जरूरत नहीं है भूत कहने लगा अगर तुमने पैसे नहीं लिए तो तुम यहाँ से जिन्दा नहीं जा पाओगे। और अगर तुमने पैसे ले लिए और छह महीने में नहीं लौटाए तो तुम्हारी जान बक्सी नहीं जाएगी क्युकी जब तुम्हारे छह महीने गुजर जायेंगे तो तुम अपने आप यहाँ आ जाओगे और पैसे पूरे होने पर तुम आजाद हो जाओगे। लेकिन अगर पैसे पूरे पैसे नहीं लाये तो में तुम्हारी जान नहीं बकसुगा। ये बात सुनकर सभी थर थर कांपने लगे लेकिन सभी ने अपने दिल पर पत्थर रखकर एक एक लाख रुपए ले लिए।
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बाँधने वाला भूत की कहानी ३
जल्दी से तुम उस प्रतिमा को उसके सामने लाना होगा जिससे उसका अंत हो जायेगा। और वह श्राप से मुक्त हो जायेगा। क्युकी उसको ये श्राप भी मेने ही दिया था क्युकी उसने मेरी तपस्या भांग की थी। इसलिए मेने उसको श्राप दे दिया। लेकिन उसकी मुक्ति का समय आ गया है इसलिए तुम उसको मार दो और उसको श्राप से मुक्त कर दो इसलिए ही मेने ही तुम्हे वहां पर भेजा था। ये मेने तुम्हारे हाथो करवाना था। अब तुम जाओ और ये नक्कस भी ले जाओ इससे तुमको छु भी नहीं सकता। चारों चोर नक्कास को लेकर उस दिन का इन्तजार करने लगे एक दिन वे उस जगह ही चले गए जिस तरह से बाबा ने जैसा कहा था वैसा ही किया और भूत को मार दिया। जैसे ही वह मर गया था वह घर भी गायब हो गया थासभी अपने अपने घर ख़ुशी ख़ुशी अपने घर आ गए और ख़ुशी से रहने लगे।
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