पुरानी हवेली की गुफा का रहस्य - full story



नमस्कार दोस्तों आज की कहानी पुरानी हवेली की गुफा के रहस्य के बारे में है दोस्तों इस कहानी में एक गुफा के रहस्य का राज का खुलाशा होता है। दोस्तों अब में ये कहानी शुरू करता हूँ।
 
      एक गाँव में दो दोस्त रहते थे दोनों की अच्छी मित्रता थी | एक का नाम हेमन्द्र था तथा दुसरे का नाम प्रसान्त था दोनों साथी एक दुसरे का अच्छा साथ निभाते थे | एक बार हेमंद्र गाँव से शहर जाने के लिए अपने दोस्त से कहने लगा यार प्रसान्त में शहर को जाने वाला हूँ ताकि में कुछ शहर से पेसे कमाकर ला सकूँ | तुम मेरी माँ का ख्याल रखना क्योकि मेरी माँ बहुत बीमार है |उसके दोस्त ने कहा हेमंद्र तुम इस बात की बिलकुल भी चिंता मत करना क्योकि तेरी माँ की देखभाल में अपनी माँ की तरह करूंगा |
तुम चिंता को दूर करके शहर को जाइये और अपना ख्याल रखना | हेमंद्र शहर चला गया उधर हेमंद्र शहर में जाकर काम की तलाश कर रहा था तो उसे एक आदमी ने काम दे दिया | हेमंद्र को काम मिलने से वह बहुत खुश हुआ और आदमी ने हेमंद्र को काम दिया की वो एक एक खंडर की सफाई करे जिसके बदले में उसे दो सौ रुपये मिलने थे हेमंद्र ने हाँ कर दिया | उस आदमी ने उसको सफाई करने के लिए झाड़ू , पोछा , और एक मकड़ी के जाल छुड़ाने के लिए दे दिया |

 हेमन्द्र ने उस खंडर को एक बार बाहर से ही खड़े होकर ध्यान से देखा और सोचने लगा यह खंडर शहर में होते हुए भी इतना पुराना व इतना गंदा क्यों है ? पहले तो वह उस खंडर में जाने से डर रहा था क्योकि वह आदमी गेट के बाहर जा चूका था और दरवाजे के बाहर कुछ भी नहीं देखा जा सकता था | हेमंद्र उस खंडर में बिलकुल अकेला था लेकिन दो सौ रुपये के लालच में आकर वह उस खंडर में जाकर देखा तो उसने देखा की उसके अंदर तीन गेट थे जो तीन अलग अलग कमरों में जा रहे थे तो हेमंद्र ने शोचा पहले अंदर से सफाई करता लाऊ बाद में बाहर की कर लूँगा | हेमंद्र एक कमरे में चला गया उस कमरे से एक दम से बहुत सारे कबूतर फड फड की आवाज करते बाहर की तरफ निकले और हेमाद्र की डर के मारे सांस फूलने लग गयी।
कमरे में जाकर देखा तो उसने पाया की वह कमरा पुराने ज़माने की तरह था सब कुछ पुराने ज़माने की डिजाइन बनावट थी | हेमंद्र की नजर एक खिड़की पर पड़ी | हेमंद्र ने उस खिड़की को खोला उसमे अजीब तरह के डिजाइन के फेंसी आइटम रखे हुए थे | उसने उनको एक एक करके हटाया और एक साइड में रखता गया उसका हाथ दीवार से टकराया अचानक से उस खिड़की में एक फंटी हट गयी और वह अलग हो गयी | हेमंद्र ने देखा की जहाँ से वह फंटी हटी थी वहां एक दीवार में होल था उसने सारी खिड़की की फंटीयां हटाई तो खिड़की के पीछे की तरफ एक रास्ता दिखाई दिया |

 हेमंद्र चोंका और उस में घुस गया उसके अंदर जाते ही एक सकरी गली से चलता गया थोड़ी देर में वह गली छोड़ी हो गयी और घुमावदार सीढियां  आ गयी वह सीढीयों से नीचे की तरफ उतरने लगा अँधेरा होने की वजह से वह उन सीढियों को टटोल टटोल कर के नीचे उतर गया सीढीयां समाप्त हो गई थी अब वह एक रूम में था जिसमे एक जालीदार लोहे से बनी एक अंडरग्राउंड खिड़की थी जिसमे एक ताला लगा हुआ था हेमंद्र ने उसमें से भीतर की तरफ देखा | उसे कुछ अजीव तरह की आवाज की सुनाई दी जैसे कोई रो रहा हो वह रोने की आवाज किसी बच्चे की लग रही थी |

यह देखकर उसने उस ताले को तोडना चाहा वह इधर उधर झाका उसे खिड़की से आती रौशनी में एक पत्थर नजर आया | हेमंद्र ने पत्थर उठाकर ताला तोडा और अंदर की तरफ लटक कर खुद गया वहां उसने देखा एक बच्ची को लिए एक औरत उसको दूध पिलाने के लिये आई ही थी | हेमंत ने इधर उधर देखा वहां उजाला था क्योकि यहाँ एक नाले के जैसा गोल होल था जिसमे वह महिला एक छोटे बच्चे को दूध पिला रही थी | वह महिला बहुत दरी हुई थी |हेमंद्र ने उससे पूछा तुम कौन हो ?और यहाँ क्या करती हो ? थोड़ी देर तक तो वह महिला चुप थी बाद में वह डरते हुए बोली "वह मुझे मार देगी , वह मुझे मार देगी "हेमंद्र ने हेरानी दिखाते हुए कहने लगा कौन मार देगी में समझा नहीं |

हेमंद्र पास जाने लगा तो वह औरत पीछे हटने लगी हेमंद्र ने कहने लगा "दरो मत !बहिन क्या हुआ तुम्हारे साथ मुझे बताओ में तुम्हारी रक्षा करूंगा , तुम अपनी आप बीती बताओ "| वह औरत थोड़ी शांति महसूस करने लगी और उसका डर कम हुआ वह अबउस हेमंद्र पर विश्वास करने लगी क्योकि हेमंद्र ने उसे बहिन कहकर उसका साथ देने के  लिए उससे कहा |वह औरत कहने लगी भैया हमारे घर में मैं मेरे पति और ये छोटी बच्ची हम तीन सदस्य एक फ्लैट में रहते है जहाँ हम रहते है वहाँ पर अजीब अजीब तरह की आवाजें आती थी कभी टीवी अपने आप चल जाता है तो कभी कुर्सी हिलने लग जाती |

 में कमरे में सो रही थी तथा मेरे पति आपनी कम्पनी के लिए काम से बहार गए हुए थे में अकेली थी अचानक दीवार से खून टपकने लगा और जहाँ से खून टपक रहा था एक सैतानी ततः का हाथ था जो कुछ हरा व काला था तथा बड़े बड़े नाख़ून थे एक दम से दिखाई दिए यह देखा मुझे बहुत डर लगा में चिल्लाई लेकीन थोड़ी देर में वहां कुछ नहीं दिखाई दिया जैसा था वैसा ही हो गया |कुछ देर फिर एक औरत की फंसी लगी हुई दिखाई दी और मैं वहां से भाग कर यहाँ इस नाले में दो दिन से छिपी हुई हु तो कुछ शांति महसूस हुई है प्लीज भाईसाहब मुझे बचा लो | हेमंद्र उसकी दुर्दशा देख कर उस पर तरस आ गया वह उससे कहने लगा मेरा एक दोस्त है जो एक तांत्रिक बाबा को जानता है उससे पूछकर पता करूंगा |

 वह औरत कहने लगी कहाँ है तुम्हारा दोस्त ! हेमंद्र कहने लगा वह मेरे गाँव में है | हेमंद्र ने अपने गाँव रामपुर बताया और उससे कहा वहां चलते हैं सब ठीक हो जायेगा  वह और बोली में तब तक नहीं जाउंगी जब तक मेरे पति नहीं आ जाते | हेमंद्र ने कहा ठीक है |उस औरत ने उससे पूछा तुम यहाँ केसे आये |हेमेन्द्र ने पूरी बात बता दी की वह यहाँ केसे पंहुचा | उस औरत ने जा उस खंडर की बात सुनी तो कहने लगी कहा करते है इस खंडर में बहुत माया है लेकिन उस माया की रक्षा एक सर्फ़ करता है वह इस खंडर में ही है लेकिन वह माया आज तक किसी के हाथ नहीं लग पाई जो भी उसे ढूँढता है वह न जाने कौन कौन सी भूलैया गलियों में चला जाता है |

 और खंडर से बाहर आ जाता है लेकिन जहाँ से निकलते है दोबारा उसी स्थान पर पहुचना संभव नहीं है यही इस खंडर की खास बात है हेमंद्र कहने लगा अगर में यहाँ से जाऊंगा तो जहाँ से आया वहां नहीं पहुच पाउँगा | वह औरत बोली हाँ तूम यहाँ से वापिस उसी रास्ते से जाओगे तो तुम उस जगह नहीं पहुँच पाओगे | क्योकि यह खंडर मायावीय खंडर है | हेमंद्र मन में सोचने लगा देखू तो सही | हेमंद्र वापिस जाने के लिए वह उसी खिड़की में लटकने लगा तभी वह औरत कहने लगी तुम्हारा पता क्या है ताकि में तुम्हारे घर तक पहुच जाऊ हेमंद्र ने अपना नाम बताया की मेरे नाम को गाँव में पूछ लेना गाँव वाले बता देंगे मेरा घर कोनसा है |

 हेमेन्द्र ऊपर चढ़ गया और उसी रस्ते से चला गया तो वो रास्ता एक नदी के किनारे जाकर निकला हेमंद्र फिर वह उसी रस्ते वापिस आया तो वह रास्ता एक पीपल के पेड़ से निकला जो बहुत पुराना था वह एक पोला पीपल था | यह देख वह अचम्भे में पड़ गया और सोचने लगा अब में उस खंडर में वापिस केसे जाऊ तो वह वापिस उसी पोल पीपल में घुस गया वह इस बार उसी शहर के एक मंदिर में शिव की मूर्ति के पीछे निकला हेमंद्र शोचने लगा अब में वापिस इस रस्ते से नहीं जाऊंगा न जाने कहाँ निकल जाऊ मैं खो गया तो क्या होगा मेरी माँ का वह तो रो रोकर ही मर जाएगी |

 वह अब उस मंदिर से बाहर निकल कर वह शहर के एक आदमी से पूछने लगा भाई साहब पुराना खंडर किधर है | उसने बताया यहाँ से दो किलोमीटर दूर है हेमंद्र पूछता पूछता उस खंडर तक पहुच गया और उस खंडर में चला गया उसकी सफाई करने लगा हेमंद्र को सफाई करते करते पूरा दिन लग गया | सफाई पूरी होने तक शाम हो गई तभी वह आदमी भी वहा आ गया और सफाई देखकर उसने कहा आपने सफाई बहुत बढीया की है लो दो सौ रुपये की बात हुई थी लेकीन पचास रूपये एक्स्ट्रा लो यानिकी दो सौ पचास लो | हेमंद्र ख़ुशी से भाग गया घर आकर हेमंद्र ने अपने दोस्त को सारा हाल बताया की उसने कैसा खंडर देखा है और उस औरत के बारे में भी बताया |

 प्रसान्त को सारी बात समझ आ गयी |क्योकि प्रसान्त बहुत चतुर और दिमाग में भी तेज था | उसने हेमंद्र से कहा कल में भी तुम्हारे साथ जाऊंगा और उस खंडर की पूरी जानकारी लूँगा हेमंद्र ने सुनकर हाँ कर दिया  | दुसरे दिन सुबह हेमंद्र और प्रसान्त दोनों शहर पहुचे और उसी खंडर के पास पहुच गए जब दोनों ने जब दोनों खंडर के पास पहुचे तो उस खंडर के पास दो तीन आदमी बाहर खड़े हुए थे | उनमे खंडर को खरीदने व बेचने की बाते हो रही थी उनकी बाते पूरी होने के बाद दोनों उनके पास गए और उनसे कहने लगे साहब कोई काम करवाना है? उस व्यक्ति ने हेमंद्र को पहचान लिया और कहा हाँ काम मिल जाएगा तुम दोनों इस खंडर में जितना कबाड़ पड़ा है उसको बाहर निकाल दो और जितनी मजदूरी लोगे में दे दूंगा |

 उन्होंने हाँ कर दिया और दोनों अंदर चले गए दोनों अंदर जाकर कबाड़ को इकट्ठा करने लगे | थोड़ी देर बाद उन्होंने सारा कबाड़ इकट्ठा कर दिया अब उसे बाहर निकलना था | प्रसान्त ने हेमंद्र से पुछा यार हेमंद्र तू बता रहा था की इस खंडर में कुछ होता है चलो देखते है | हेमंद्र तैयार हो गया दोनों संमे के गेट को खोल कर अंदर कमरे में चले गए | उन्होंने वहां देखा की वहां पर बहुत सारी हड्डियां पड़ी हुई थी |ये देख कर प्रसान्त ने हेमंद्र से कहा जल्दी बाहर आओ | हेमंद्र तेजी से प्रसान्त के साथ बाहर आ गया प्रसान्त ने झट से दरवाजा बंद कर दिया हेमंद्र ने प्रसान्त से पुछा क्या हुआ क्यों बाहर आ गये प्रसान्त ने कहा घर चलो सब बता दूंगा दोनों घर आ गए |

घर आकर प्रसान्त ने बताया की इस खंडर में कोई पुराणी आत्माये हैं ये मेने महसूस किया है कोई भटकी आत्मा है को अपना इन्साफ चाहती है | शायद उसके साथ कुछ गलत हुआ है हेमंद्र ने कहा यार प्रसान्त हमें केसे पता चलेगा उसके साथ क्या गलत हुआ है | तभी प्रसान्त कहने लगा इस बात का भी पता हमें इसी खंडर से मिलेगा | हेमंद्र कहने लगा यार प्रसान्त इस खंडर से केसे पता चलेगा | प्रसान्त कहने लगा वो तो अंदर पता करने पर लगेगा | तुम बता रहे थे की इसमें अजीब - अजीब गिफुए जाओ जिनका रास्ता अलग -अलग जगहों पर खुलता है, हेमंद्र कहने लगा हाँ ऐसा ही होता है वे गुफाये अँधेरी गुफाये है उनमे पता भी नहीं चलता है कहाँ जाना है बे बहुत काली गुफाये है |

प्रसान्त ने कहा हम दोनों कल चलेंगे पहले मुझे बाजार से कुछ जरूरी चीजो को लेने जाना है हेमंद्र ने कहा ठीक है | प्रसान्त बाजार गया और बाजार से एक घडी, टोर्च और दो गट्ठे सूत के धागे और लोहे के सुए ले लिए उसने उनको लेकर घर आ गया दुसरे दिन प्रसान्त हेमंद्र के घर गया और कहने लगा हेमंद्र चलना नहीं है क्या ?हेमंद्र कहने लगा चलो में तो कब का तैयार हूँ प्रसान्त और हेमंद्र दोनों चलने लगे उससे पहले प्रसान्त ने हेमंद्र से कहा यार एक, एक किलो का हथोडा दे तुम्हारे घर से | बाजार में नहीं मिला , हेमंद्र घर में गया और हथोडा लेकर आ गया और प्रसान्त को देते हुए पूछने लगा तुम क्या करने वाले हो जरा मुझे भी बता दो |

 प्रसान्त कहने लगा मेरे संग चल समझ जाएगा वो दोनों सभी सामान को इकट्ठा करके एक ठेले में रखकर गाँव से बाहर आकर एक ऐसी जगह छुपा दिए जहाँ किसी की नजर न पड़े और प्रसान्त अपने दोस्त को लेकर किसी दुसरे गाँव गया वहां जाकर प्रसान्त ने उस गाँव के सबसे बूढ़े आदमी से पुछा बाबा शहर में जो पुराना खंडर हा उसमे कोई हादसा हुआ क्या ?बूढ़े आदमी ने उनसे पुछा तुम कौन हो और तुम उस खंडर के बारे में क्यों पूछ रहे हो ? प्रसान्त ने कहा बाबा हम जानना चाहते है उसमे क्या हुआ था |

हम दोनों रामपुरा गाँव से आये हैं बूढ़े आदमी ने उन दोनों को देखा और उनसे कहने लगा "बेटा करीब साठ साल पहले में उस हमें में गया था तो मेने उसमे अजीब-अजीब तरह की आवाजे सुनी थी तो मेने अपने दादाजी से उस हवेली के बाते में पुछा तो उन्होंने बताया की इस गाँव में एक सीतल नाम की लड़की थी जो दिखने में बहुत सुंदर थी नजाने किस कारण से उस हवेली में उसकी मौत हो गयी मुझे तो बस इतना ही पता है बेटा | वह लड़की वहां क्यों गयी केसे मरी इसका पता तो मुझे नहीं था |दोनों दोस्त बूढ़े आदमी को धन्यवाद देकर वहा से आ गए और किसी तांत्रिक के पास गए जो बहुत पुराना बूढा था करीब 200 साल पुराना था |

 वह बूढा हमेशा शिव की भक्ति में लीन रहता था | तांत्रिक के पास पहुचकर दोनों ने प्रणाम किया और उस हवेली के बारे में पुछा तो उन्होंने बताया की पास के गाँव की एक लड़की को कुछ हरामी डाकू उठाकर ले गए थे और उस लड़की को उस हवेली में लेकर गए और बुरी तरह से उसको मारपीट कर के उसकी इज्जत के साथ खिलवाड़ किया और उसकी इज्जत के साथ खेलकर उसको जिन्दा ही उसी हवेली में दफना दिया वह अन्दर ही अंदर घुट कर मर गई डाकुओ के पास कच्चे कलवे , सैतान  आदि भी थे उनसे वे डाकू हर काम करवा लेते थे |

उन डाकुओ ने एक रात के अन्दर सैतानो से गुफाये तैयार करने को कहा तो उन्होंने एक रात के भीतर बहुत सारी गुफाये बना दी थी ताकि यह राज राज ही बना रहे | समय के अनुसार डाकुओ का भी अंत हो गया लेकिन उस हवेली में सैतान राक्षस सभी अभी भी मौजूद है और जो भी उस हवेली की भुलैया में फंस जाता है वह सैतानो का शिकार बन जाता है लेकिन जो निकल जाता है उसे सैतान कुछ भी नहीं कर पाते | और डाकुओं के कहे अनुसार वे आज भी उस लड़की की आत्मा को नहीं निकलने देते |

 प्रसान्त और हेमंद्र दोनों शान्ति से बैठे हुए थे तो प्रसान्त ने पूछा बाबा क्या उस लड़की की आत्मा को मुक्ति नहीं मिल सकती ? बाबा कहने लगे मिल सकती है अगर उन सैतानो को हटाया जाये और उस लड़की की आत्मा को गंगाजी नहलाकर लाये तो उसकी आत्मा को मुक्ति जरूर मिल जाएगी | प्रसान्त ने पुछा बाबा सैतानो को कैसे हटाना होगा, बाबा ने उन दोनों को तुलसी की लकड़ी को मंत्रो से बांधकर उन दोनों को देते हुए कहा लो बच्चो यह चीज मामूली चीज नहीं है इसे अपने बाजु में बाँध लो इसकी चमत्कारी शक्तिया तुम्हारी रक्षा करेंगी और सैतान तुमसे हार मानेंगे |

दोनों दोस्त बाबा को धन्यवाद देकर सीधे अपने गाँव आ गये और गाँव से बाहर जो उन्होंने सामान छिपा कर रखा हुआ था जैसे घडी , टोर्च , दो गट्ठे सूत , और लोहे के सुए लेकर सीधे हवेली की तरफ चल दिए पर तब तक अँधेरा हो चूका था हवेली में जाकर दोनों ने अपने नक्कश कप बाबा में दिए थे तुलसी की लकड़ी के बने हुए उनको अपने अपने बाजू में बाँध लिए और अन्दर चले गए और घुफा में घुस गए घुसते ही उन्होंने टोर्च जला ली और एक सुआ लिया उसके एक सूत का छोर को बांध दिया और उस एक साइड क दीवार में गाढ़ दिया और सूत को खोलते हुए आगे चलने लगे और घडी में टाइम लगा लिया गुफा के अंदर हथोड़े को दीवार की साइडों में बजाते गये ताकि बाकि साइडों की गुफाओ का अंदाजा लग जाये |

 एक जगह उनको दीवार अन्दर से पोली बजती सुनाई दी तभी वहीँ हथोडा तेज मारा और वहां एक होल दिखाई दिया | वह किसी और गुफा का था उसके अंदर चले गए लेकिन सूंत को वे छोड़ते गए ताकि पता लग जाये की यहाँ से हम निकल चुके है जहाँ तक उनका सूत था वहां सैतान का आना संभव नहीं था क्योकि उस सूत को प्रसान्त ने पकड़ा हुआ था और उसकी बाजू में वही नक्कश बंधा हुआ था | वह उस सूत के साथ हर गुफा में चलता हुआ जा रहा था तभी हथोड़े की चोट के नीचे पोली दीवार आई उसको तोड़कर अंदर गये और उसने देखा की वहाँ पर एक हड्डियों का ढांचा था शायद यह उसी लड़की का था उसको उठा लिया और अपने थैले में सारी हड्डियाँ भर ली धीरे धीरे वह सभी रास्तो से निकल गया और शायद सैतान उनके आगे भाग रहा था |

 लेकीन दिखाई नहीं दिया अचानक एक बड़ी दीवार आई और उस दीवार को बजाया तो वह पोली दीवार थी उस दीवार को जोरसे  हथोडा मारा तो दीवार टच से मच नहीं हुई आखिर में वे जोर लगा लगा कर मारते गए तो दीवार की पूरी सिला उनके ऊपर आ गिरी लेकिन उन दोनों को कुछ भी असर नहीं हुआ क्योकि बाबा की शक्तिया यहाँ काम कर रही थी |जिन्होंने उनको जरा सी भी खरोच तक नहीं आने दी दीवार की शिला गिरने पर शिला की खील खील होकर बिखर गयी | उन दोनों ने देखा तो वहां पर हीरे, मोती , जवाहरात , सोना , चांदी भरे हुए थे जिसकी चमक से पूरे कमरे और गुफाओ में रौशनी चमक उठी तभी वहां पर शैतान नजर आ गए |

 जिनके हाथ बड़े बड़े उलटे पैर और नीला और जानवर जैसा शरीर दांत बड़े बड़े और सिंग भी नुकीले शारीर से खून बह रहा था | प्रसान्त और हेमंद्र डर के मारे थर- थर कांपने लगे तभी ज्वाला उत्पन्न हुई और आवाज आई बच्चो ख़त्म कर दो इसको ! में तुम्हारे साथ हूँ उनकी हिम्मत बढ़ी और आगे बढ़ने लगे शैतान घबरा गया क्योकि वह तुलसी की लकड़ी में मंत्रो से बंधी हुई थी अगर उसको पहनने वाला सैतान के हाथ भी लगायेगा तो सैतान भस्म हो जायेगा दोनों मित्र आगे बढ़ने लगे और दोनों ने उसकी एक-एक टांग पकड़ी और बीच से चीर दिया चीरा हुआ सैतान भस्म हो गया राख हो गया।

 दोनों बहुत खुश हुए और जितना धन वे ले जा सकते थे उन्होंने भर लिया और घर आकर रख दिया तभी तांत्रिक के पास गए और उस लड़की के हड्डियों का ढांचा उसको दे दिया उसने उस ढांचे को गंगा में बहा दिया और उसकी आत्मा को शांति मिल गयी इधर वे दोनों प्रसान्त और हेमंद्र धन ले जाने में लग गए और बाकी धन को उन्होंने गरिबों में बाँट दिया जिससे उनको गरबों की दुआ मिली और दोनों की शादी अच्छे घर में हो गयी अब वे गरीब से अमीर बन गए |
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