छोटी बच्ची की बड़ी कहानी पार्ट- 3
पिछले पजे में आपने पढ़ा ...
उन किडनैपरों को पकड लिया थोड़ी देर में इन्स्पेक्टर भी वहां पहुच गया | और
तीनो को जेल में बंद करके उनसे पूछताछ की तो वे पहले तो सही नहीं बता रहे
थे | लेकिन मार लगने पर वे सही सही बताने लगे की वे लोग क्या करते है इतनी
देर में उस बूढ़े आदमी को भी ले आये तो उसने बताया की वह एक गरीब आदमी है
उसने इनकी बात पैसो के लिए मानी थी क्योकि उसे आपनी पत्नी का इलाज करवाना
था | अब इन्स्पेक्टर ने कुछ सोचा और उन तीन किडनैपरो को एक अलग रूम में
लेकर गया | उनसे पूछताछ की कि वे कोन है और क्या नाम है कहां के रहने वाले है
अब आगे पढ़े ..
उन्होंने बताया तो वे रमेश के घर से दो घर छोड़कर तीसरा घर उनका मकान था | वो ये काम भी मजबूरी में कर रहे थे | क्योकि उनके बच्चे भी उन आतंकवादियों के पास कैद थे | उनको छुड़ाने के लिए वे और बच्चो को किडनैप करके लेकर गए थे जिनमे रमेश की बच्ची भी शामिल थी | आतंकवादी लोग उनसे पैसो की भी बोल रहे थे की या तो पैसा या बच्चे कोई एक चीज दोगे तो उनके बच्चे वापस मिल जायेंगे | उन तीनो के पास इतनी रकम नहीं थी इसलिए बच्चो को किडनैप करके लेकर गये थे | इंस्पेक्टर ने उनकी बातो को ध्यान से सुना और उनसे पूछा की तुम उनको कहाँ लेकर गए | उन तीनो ने पता बता दिया।
लेकिन वहां जाना इतना आसान नहीं था उन तीनो में से एक ने इन्सपेक्टर से कहा कि साहब हम उन बच्चो को अवश्य छूडाकर लायेंगे बस हमें आपका साथ चाहिए | हमें कुछ भी मदद की जरूरत हो तो हमें मिल जाए | हम सब प्लान के मुताबिक करेंगे | लेकिन इस प्लान में हमें आपके साथ साथ रमेश की भी जरूरत होगी | ताकि हम चारो प्लान से जा सके | इन्स्पेक्टर ने रमेश को कॉल किया की वो पुलिस टेशन आये | रमेश ने कहा की में अभी आता हू | आधे घंटे के करीब रमेश पुलिश टेशन आ गया और इन्स्पेक्टर से पुछा की पता चल गया है क्या ? इन्स्पेक्टर ने कहा हां पता चल गया है।
लेकिन वे लोग एक ही बच्ची को लेकर नहीं गए वो इन तीनो के बच्चो को भी लेकर गए हैं | रमेश ने उनकी तरफ देखा तो वो तीनो को पहचान गया क्योकि वे उसी को कालोनी के थे | रमेश ने कहा पवन, अनिल, अशोक तुम तीनो के बच्चो को भी ले गए | रमेश ने इंस्पेक्टर से पुछा कोण है वो लोग जो लेकर गए थे | इन्स्पेक्टर ने कहा इन्ही से पूछ लो ये तुम्हे सब कुछ बता देंगे | रमेश ने उन तीनो से पुछा तो उन्होंने सब कुछ साफ साफ बता दिया और अपनी गलती की क्षमा भी मांगी | अब वे सब लोग प्लान बना रहे थे की केसे निकाला जाये बच्चो को | दोस्तों इधर पूनम और उसके साथ वाले बच्चे काया कर रहे है जान लेते है।
यहाँ पूनम और उसके साथी बच्चो को अंडरग्राउंड में लेकर चले गए और उनको खाने की पीने की पूरी व्यवस्था की| उन बच्चो को अब 6 -7 दिन हो चुके थे | उन बच्चो को वे आतंकवादी लोग प्यार नहीं दे सकते थे इसलिए वहां पर तीन चार लेडीज राखी हुई थी जो बच्चो की देखभाल भी करती थी और उनको प्यार से खाना भी खिलाती थी | आतंकवादी लोग उन औरतो को पैसे देते थे | ताकि वे किसी को बताये नहीं की ये बच्चे कहाँ लेजाए जाते है | पैसा उन औरतो का मुह बंद कर देता था | वे औरोते किसी से भी कुछ नहीं कहती थी | अब रमेश अनिल पवन अशोक ने कहा की सबसे पहले वहां चलते है।
उसी के हिसाब से प्लान बनाया जायेगा नहीं तो एक भी गलत कदम से बच्चो को जान का खतरा हो सकता है | सभी ने हां में हां मिलाई और इंस्पेक्टर और सिपाहियों के साथ उसी जगह चलने लगे | दोस्तों उधर पूनम वहा पर सभी बच्चो के साथ खेलने में व्यस्त थी और खेलते खेलते वह एक रूम में छिप गई ताकि और बच्चे उसे ढूंड न सके यह एक उनका खेल है | दोस्तों पूनम जिस कमरे में छिपी हुई थी वहां पर बच्चो के बारे में बातचीत चल रही थी | बातचीत करने वाले चार आदमी थे जो बछो को बेचने की तथा कहाँ भेजना है , उसकी चर्चा में लगे हुए थे | और उनको पता भी नहीं था की पूनम ने उनकी बात को सुन लिया है उसे सच्चाई का पता चल चुका था।
पूनम चुपचाप उस रूम से बहार आ गई और गहरी सोच में पड गई | वह अब सम्भल भी नहीं पा रही थी उसने किसी को कुछ भी नहीं बताया | अब तो वह खाना पीना भी कम खाती | और उसी बात को याद कर कर के कांपनी सी चढ़ जाती थी | वह यहाँ जिन्दगी बनाने नहीं किसी का भोजन बनने के लिए आई थी अब तो वह मम्मी, पापा, भाई सभी को याद कर करके दुखी होती जा रही थी उसके दिमाग में एक आइडिया आया उसने वाही के बच्चो के साथ पक्की फ्रेंडशिप की हुई थी | वो पूनम जो कहती वे बच्चे मान जाते थे | उसने उनमे से एक बच्चे को अलग सबसे नजर बचा कर लेकर गई वह बच्ची उसी की पहले से भी फ्रेंड थी क्योंकी वह उसी के साथ स्कूल भी जाती थी इसलिए पूनम ने उस बच्ची को वह सब बता दिया और उससे कहा की किसी को पता नहीं चलना चाहिए की इस बात का हमें पता है |
दोस्तों में उस लड़की का नाम बताना भूल गया उसका नाम राधिका है वह उसी के साथ पढती थी वह उसी की पडौसन थी | क्योकि वह पवन की लड़की थी अब राधिका और पूनम दो लडकियों को पता चल चुका था राधिका पूनम से कहने लगी, पूनम यार बाहर केसे निकला जाये दोनों सोचने लगी | तभी दोनों एक दुसरे की तरफ देखने लगी और हंस पड़ी | दोस्तों क्या आप जानते है वे दोनों क्यों हंसी क्योकि वे इसरो से और आँखों से भी बात कर लिया करती थी | उनकी दोस्ती बहुत ही गहरी थी वे एक दुसरे को बहुत अच्छी तरह से समझ जाती थी
दोस्तों इसलिए हंसी की उनको एक बढ़िया सूझ आ गई | उन्होंने एक एक हाथ से ताली बजाई उनको प्लान आया की एक एक करके सभी को छुपके से जहर दे और जहर भी राधिका और पूनम ने पहले ही पता लगा लिया था की जहर कहां रखा हुआ है क्योकि कुछ दिन पहले उनमे से एक बच्चे ने जहर खा लिया था जिसकी बजह से उसकी मौत हो गई थी वह जहर एक जगह सेफ रखा हुआ था लेकिन सब को जहर से मारना इतना सरल नहीं था क्योकि कड़ी सिक्योरिटी थी | कुछ सोचने के बाद पूनम ने कहा की सभी बच्चो से कह देंगे की आज शाम का खाना कोई नहीं खायेगा एक एक करके सभी बच्चो को सारी बात बता दी | सभी बच्चे समझ गए की क्या करने वाले है शाम होते ही खाना तैयार होने के बाद एक बच्चे में नाटक करते हुए जमीन पर गिर पड़ा तभी जो खाना बनाती थी वही उनकी देखभाल भी करती थी |
आवाज आने पर रसोई से बाहर आई और देखा की बच्चा जमीन पर पड़ा हुआ था एक दम से वह उसकी तरफ भागी और उससे पूछने लागी क्या हुआ तो बच्चा कहने लगा शायद मोच आ गयी है | वो महिला उसे देख रही थी तभी पूनम ने रसोई में घूस कर पूरे खाने में जहर मिला दिया और बाहर आ गई किसी को कुछ पता नहीं चला | महिला उस बच्चे के पैर को ठीक करने में लगी हुई थी पूनम जब वहां पर पहुची तो उस बच्चे ने उसे देखा और समझ गया की काम हो गया है | उस ने नाटक करना बंद कर दिया कहने लगा अब ठीक हो गया हूँ | वो महिला वापिस रसोई में चली गयी उसने सभी बच्चो से कहा बच्चो खाना खा लो बच्चो ने कहा हम बाद में खा लेंगे आप खालो |
खाना बनाने वाली महिला ने वेटर को बुलाया और कहा की सब को खाना पंहुचा दो खाना तैयार है वेटर ने सब को खाना पंहुचा दिया सभी बच्चे खलते खेलते सो गए | सुबह जब उठे तो रसोई में गए तो वो महिला अभी भी सो रही थी| उसे हिलाया तो पता चला वो मर चुकी थी | सभी बच्चे बहुत खुश थे | उनका प्लान कामयाब हो गया अब उनको पता भी नहीं था की केसे बाहर निकले इस अंडरग्राउंड से | तभी उनको लिफ्ट दिखाई दी | सभी लिफ्ट की तरफ दोड़े लिफ्ट खोली तो उसमे से एक आदमी उनके सामने गिरा | सभी बच्चे डर गए उसे देखा तो वो मर चुका था | उसे एक साइड में हटा दिया और लिफ्ट में गुस गए | लिफ्ट को चालू किया लिफ्ट उपर की तरफ चल दी |
लिफ्ट लास्ट में रुक गयी क्योकि उस लिफ्ट की सीमा उतनी ही थी लिफ्ट रुकते ही सभी बच्चे बाहर निकले तो देखा की वो लिफ्ट एक कमरे में रुकी थी | उसमे कंप्यूटर रखे हुए थे जिनके सामने आदमी कुर्सी पर बैठे हुए थे | उनको देखकर सभी बच्चे डर गए लेकिन वे मरे हुए थे | बच्चो ने इधर उधर देखा तो उनको एक और लिफ्ट नजर आई उसमे सभी बच्चे घुस गए और ऊपर की तरफ जाने लगे लिफ्ट ने ऊपर उतर दिया लिफ्ट से निकलकर बाहर आये तो देखा की अब कोई लिफ्ट नहीं है सिर्फ सिढीयां है | अब बस एक रूम ऊपर था बाहर निकलने के लिए | बच्चे सीढीयो की तरफ बढे अचानक एक गोली चलने की आवाज आई सरे बच्चे इधर उधर छिप गए और सीढीयो की तरफ देखने लगे | वहा से आवाज आ रही थी जैसे कोई 8-7 आदमी आ रहे हो सभी बच्चे दर के मारे लाल हो गए | उनको सीढीयो को तरफ किसी के पेरो की आवाजे आ रही थी वे उपर से आ रहे थे तो उनके पैर और हाथो में बन्दूक दिखाई दिए | नीचे आये तो उनका चेहरा दिखाई दिखाई दिया तो पता चला की वे तो रमेश, अनिल, पवन, अशोक, इन्स्पेक्टर और उसके सिपाही थे | पूनम ने उनको पहचान लिया और दौडकर अपने पापा की गोद में चली गई
दोस्तों उन्होंने उन सभी बच्चो को उनके घर पहुचा दिया |
क्या आप जानते हो अगर पूनम खाने मे जहर मिलाती तो रमेश और उसके साथ आये साथियो से पूनम कभी बाहर नहीं आती |
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धन्यवाद्

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छोटी बच्ची की बड़ी कहानी - 1
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यहाँ पूनम और उसके साथी बच्चो को अंडरग्राउंड में लेकर चले गए और उनको खाने की पीने की पूरी व्यवस्था की| उन बच्चो को अब 6 -7 दिन हो चुके थे | उन बच्चो को वे आतंकवादी लोग प्यार नहीं दे सकते थे इसलिए वहां पर तीन चार लेडीज राखी हुई थी जो बच्चो की देखभाल भी करती थी और उनको प्यार से खाना भी खिलाती थी | आतंकवादी लोग उन औरतो को पैसे देते थे | ताकि वे किसी को बताये नहीं की ये बच्चे कहाँ लेजाए जाते है | पैसा उन औरतो का मुह बंद कर देता था | वे औरोते किसी से भी कुछ नहीं कहती थी | अब रमेश अनिल पवन अशोक ने कहा की सबसे पहले वहां चलते है।
उसी के हिसाब से प्लान बनाया जायेगा नहीं तो एक भी गलत कदम से बच्चो को जान का खतरा हो सकता है | सभी ने हां में हां मिलाई और इंस्पेक्टर और सिपाहियों के साथ उसी जगह चलने लगे | दोस्तों उधर पूनम वहा पर सभी बच्चो के साथ खेलने में व्यस्त थी और खेलते खेलते वह एक रूम में छिप गई ताकि और बच्चे उसे ढूंड न सके यह एक उनका खेल है | दोस्तों पूनम जिस कमरे में छिपी हुई थी वहां पर बच्चो के बारे में बातचीत चल रही थी | बातचीत करने वाले चार आदमी थे जो बछो को बेचने की तथा कहाँ भेजना है , उसकी चर्चा में लगे हुए थे | और उनको पता भी नहीं था की पूनम ने उनकी बात को सुन लिया है उसे सच्चाई का पता चल चुका था।
पूनम चुपचाप उस रूम से बहार आ गई और गहरी सोच में पड गई | वह अब सम्भल भी नहीं पा रही थी उसने किसी को कुछ भी नहीं बताया | अब तो वह खाना पीना भी कम खाती | और उसी बात को याद कर कर के कांपनी सी चढ़ जाती थी | वह यहाँ जिन्दगी बनाने नहीं किसी का भोजन बनने के लिए आई थी अब तो वह मम्मी, पापा, भाई सभी को याद कर करके दुखी होती जा रही थी उसके दिमाग में एक आइडिया आया उसने वाही के बच्चो के साथ पक्की फ्रेंडशिप की हुई थी | वो पूनम जो कहती वे बच्चे मान जाते थे | उसने उनमे से एक बच्चे को अलग सबसे नजर बचा कर लेकर गई वह बच्ची उसी की पहले से भी फ्रेंड थी क्योंकी वह उसी के साथ स्कूल भी जाती थी इसलिए पूनम ने उस बच्ची को वह सब बता दिया और उससे कहा की किसी को पता नहीं चलना चाहिए की इस बात का हमें पता है |
दोस्तों में उस लड़की का नाम बताना भूल गया उसका नाम राधिका है वह उसी के साथ पढती थी वह उसी की पडौसन थी | क्योकि वह पवन की लड़की थी अब राधिका और पूनम दो लडकियों को पता चल चुका था राधिका पूनम से कहने लगी, पूनम यार बाहर केसे निकला जाये दोनों सोचने लगी | तभी दोनों एक दुसरे की तरफ देखने लगी और हंस पड़ी | दोस्तों क्या आप जानते है वे दोनों क्यों हंसी क्योकि वे इसरो से और आँखों से भी बात कर लिया करती थी | उनकी दोस्ती बहुत ही गहरी थी वे एक दुसरे को बहुत अच्छी तरह से समझ जाती थी
दोस्तों इसलिए हंसी की उनको एक बढ़िया सूझ आ गई | उन्होंने एक एक हाथ से ताली बजाई उनको प्लान आया की एक एक करके सभी को छुपके से जहर दे और जहर भी राधिका और पूनम ने पहले ही पता लगा लिया था की जहर कहां रखा हुआ है क्योकि कुछ दिन पहले उनमे से एक बच्चे ने जहर खा लिया था जिसकी बजह से उसकी मौत हो गई थी वह जहर एक जगह सेफ रखा हुआ था लेकिन सब को जहर से मारना इतना सरल नहीं था क्योकि कड़ी सिक्योरिटी थी | कुछ सोचने के बाद पूनम ने कहा की सभी बच्चो से कह देंगे की आज शाम का खाना कोई नहीं खायेगा एक एक करके सभी बच्चो को सारी बात बता दी | सभी बच्चे समझ गए की क्या करने वाले है शाम होते ही खाना तैयार होने के बाद एक बच्चे में नाटक करते हुए जमीन पर गिर पड़ा तभी जो खाना बनाती थी वही उनकी देखभाल भी करती थी |
आवाज आने पर रसोई से बाहर आई और देखा की बच्चा जमीन पर पड़ा हुआ था एक दम से वह उसकी तरफ भागी और उससे पूछने लागी क्या हुआ तो बच्चा कहने लगा शायद मोच आ गयी है | वो महिला उसे देख रही थी तभी पूनम ने रसोई में घूस कर पूरे खाने में जहर मिला दिया और बाहर आ गई किसी को कुछ पता नहीं चला | महिला उस बच्चे के पैर को ठीक करने में लगी हुई थी पूनम जब वहां पर पहुची तो उस बच्चे ने उसे देखा और समझ गया की काम हो गया है | उस ने नाटक करना बंद कर दिया कहने लगा अब ठीक हो गया हूँ | वो महिला वापिस रसोई में चली गयी उसने सभी बच्चो से कहा बच्चो खाना खा लो बच्चो ने कहा हम बाद में खा लेंगे आप खालो |
खाना बनाने वाली महिला ने वेटर को बुलाया और कहा की सब को खाना पंहुचा दो खाना तैयार है वेटर ने सब को खाना पंहुचा दिया सभी बच्चे खलते खेलते सो गए | सुबह जब उठे तो रसोई में गए तो वो महिला अभी भी सो रही थी| उसे हिलाया तो पता चला वो मर चुकी थी | सभी बच्चे बहुत खुश थे | उनका प्लान कामयाब हो गया अब उनको पता भी नहीं था की केसे बाहर निकले इस अंडरग्राउंड से | तभी उनको लिफ्ट दिखाई दी | सभी लिफ्ट की तरफ दोड़े लिफ्ट खोली तो उसमे से एक आदमी उनके सामने गिरा | सभी बच्चे डर गए उसे देखा तो वो मर चुका था | उसे एक साइड में हटा दिया और लिफ्ट में गुस गए | लिफ्ट को चालू किया लिफ्ट उपर की तरफ चल दी |
लिफ्ट लास्ट में रुक गयी क्योकि उस लिफ्ट की सीमा उतनी ही थी लिफ्ट रुकते ही सभी बच्चे बाहर निकले तो देखा की वो लिफ्ट एक कमरे में रुकी थी | उसमे कंप्यूटर रखे हुए थे जिनके सामने आदमी कुर्सी पर बैठे हुए थे | उनको देखकर सभी बच्चे डर गए लेकिन वे मरे हुए थे | बच्चो ने इधर उधर देखा तो उनको एक और लिफ्ट नजर आई उसमे सभी बच्चे घुस गए और ऊपर की तरफ जाने लगे लिफ्ट ने ऊपर उतर दिया लिफ्ट से निकलकर बाहर आये तो देखा की अब कोई लिफ्ट नहीं है सिर्फ सिढीयां है | अब बस एक रूम ऊपर था बाहर निकलने के लिए | बच्चे सीढीयो की तरफ बढे अचानक एक गोली चलने की आवाज आई सरे बच्चे इधर उधर छिप गए और सीढीयो की तरफ देखने लगे | वहा से आवाज आ रही थी जैसे कोई 8-7 आदमी आ रहे हो सभी बच्चे दर के मारे लाल हो गए | उनको सीढीयो को तरफ किसी के पेरो की आवाजे आ रही थी वे उपर से आ रहे थे तो उनके पैर और हाथो में बन्दूक दिखाई दिए | नीचे आये तो उनका चेहरा दिखाई दिखाई दिया तो पता चला की वे तो रमेश, अनिल, पवन, अशोक, इन्स्पेक्टर और उसके सिपाही थे | पूनम ने उनको पहचान लिया और दौडकर अपने पापा की गोद में चली गई
दोस्तों उन्होंने उन सभी बच्चो को उनके घर पहुचा दिया |
क्या आप जानते हो अगर पूनम खाने मे जहर मिलाती तो रमेश और उसके साथ आये साथियो से पूनम कभी बाहर नहीं आती |
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