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    Tuesday, November 13, 2018

    सौतेली माँ का प्यार - हिंदी कहानी, hindi story,2018

    सौतेली माँ का प्यार - हिंदी कहानी 

    क्रोध में भी जिसके होठों पर मुस्कान रहती है, गुस्से में भी हमेशा प्यार करती है,
    हर समय होठों पे जिसके दुआ रहती है, ऐसा करने वाली एक सिर्फ माँ होती है।



    नमस्कार दोस्तों मैं मोहन एक ऐसी कहानी लेकर आया हूँ जो शायद ऐसा कभी कभी होता होगा लेकिन ज्यादातर इस कहानी के उल्टा ही होता है कहानी बहुत अच्छी है। अगर आप ध्यानपूर्वक बढ़ोगे तो कहानी में मजा बहुत आएगा चलिए दोस्तों ज्यादा टाइम बर्बाद न करते हुए कहानी की ओर चलते हैं -

    किसी शहर में विजेन्द्र नाम का एक आदमी रहता था उसके दो लड़के और एक लड़की थी। उसकी बीवी की मृत्यु हुए करीब डेढ़ साल हो चुके लेकिन अभी तक उसने दूसरी शादी के बारे में सोचा तक नहीं।विजेंद्र एक कम्पनी में सुपरवाइजर था। विजेन्द्र के बच्चे अभी छोटे थे तीनों बच्चो में सबसे बड़ा लड़का था जिसका नाम राहुल था। उससे छोटी उसकी एक लड़की थी जिसका नाम कविता था , सबसे छोटे लड़के का नाम अमित था तीनो भाई बहिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन उनको अभी भी माँ के प्यार की शक्त जरूरत थी। उनकी मासूमियत बनी रहे इसलिए विजेन्द्र शादी नहीं करना चाहते थे। वो जानते थे की अगर दूसरी शादी की तो उनकी सौतेली माँ पहली के मुकाबले प्यार नहीं कर सकती क्युकी उसको उसके खुद के बच्चो की ही ज्यादा फ़िक्र होगी। और ऐसी भी हो सकती है जो इन बच्चो पर जुर्म करने लग जाये। 

    सच्चे प्यार का दर्दनाक अंत हिंदी फुल स्टोरी 


    ये सोच सोच कर वह शादी करने को बिलकुल भी तैयार नहीं था। एक दिन उसका छोटा लड़का अमित सुबह सुबह बिस्तर से उठने से पहले रो रहा था। उसको उसकी माँ की याद आ रही थी। ये देख कर विजेन्द्र उसके पास गया और उसके सर पर बहुत प्यार से हाथ घुमाने लगा। तभी अमित उठकर अपने पापा की गोद में चला गया और छिप पर बहुत रोने लगा। पापा ने पुछा तो अमित ने बताया की उसको मम्मी की बहुत याद आ रही है। ये सुनकर विजेन्द्र को भी आंसू आने लगे क्युकी उसको भी बहुत या आ रही थी तभी एक जोर जोर से आवाज आ रही थी जैसे उसकी बेटी की हो। वह दौड़ कर उसके कमरे की तरफ गया वह कमरे में नहीं थी। फिर वह बाहर की तरफ भागा तो उसने देखा की टॉमी कविता को अंदर नहीं आने दे रहा था जिसके कारण कविता जोर जोर से चिल्ला रही थी। 

    विजेन्द्र ने टॉमी से कहा टॉमी ये कविता है इसे अंदर आ जाने दो। टॉमी थोड़ा रुका और एक साइड में बैठ गया कविता अब अंदर आ गयी थी। कुछ ही देर में राहुल भी आता दिखाई दिया। ये देख कर विजेन्द्र ने पूछा तुम दोनों इतनी सुबह सुबह कहाँ गए थे कविता कहने लगी में भैया के साथ वॉक पर गयी थी। विजेंद्र कहने लगा अच्छा तुम दोनों अब वॉक पर जाने लग गए हो। आखिर इतनी जल्दी एक दम से इतना बदलाब कैसे हो रहा है। राहुल कहने लगा हमारी टीचर ने बोला था इसलिए जाने लगे है। विजेंद्र कहने लगा, लेकिन मेने भी तो तुमसे बहुत बार कहा था मेरी बात तो तुमने नहीं मानी उस टीचर की बात कैसे मान ली। कोई तो बात है। कविता कहने लगी पापाजी मेने जब उनको ध्यान से देखा तो उसमे मेरी माँ नजर आ रही थी इसलिए मेने उनकी बात को नहीं टाला। राहुल कहने लगा, हाँ पिताजी वो भी हमको बहुत प्यार करती है जैसे हमारी माँ करती थी। 

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    विजेंद्र कहने लगा इसके मतलब तुमको तुम्हारी माँ मिल गयी। दोनों ने हाँ कहा। विजेंद्र कहने लगा बच्चो ऐसे कैसे हो सकता है वो टीचर है वो मुझसे शादी क्यों करेगी। कविता कहने लगी पापा जी उस बात की आप चिंता छोड़ दीजिये , क्युकी उनसे हाँ करवाने का काम हमारा काम है और ये काम हम अच्छी तरह से जानते है। विजेंद्र कहने लगा बेटा वो टीचर शुरुआत में तो तुमसे बहुत प्यार करेगी लेकिन बाद में जब उसके खुद के बच्चे होंगे तुमसे नफ़रत करने लगेगी। वो तुमसे बिलकुल प्यार नहीं करेगी। कविता कहने लगी पापा वो ऐसी बिलकुल नहीं है वो बहुत अच्छी है वो हमें तब भी प्यार करती थी जब माँ जिन्दा थी। कुछ सोचकर विजेंद्र कहने लगा देखो अगर तुमको ठीक लगता है तो में तैयार हूँ बताओ कहाँ मिलना है ऐसा करना आप पुराने खण्डार के पास में जो मंदिर है वहां पर आ जाना में मेरी टीचर को वहीँ पर ले आती हूँ। लेकिन तुम सामने मत आना छिप कर देख लेना ,क्युकी अगर सामने आये तो प्रॉब्लम हो सकती है। विजेंद्र ने हाँ कह दिया। 

    अगले दिन विजेंद्र बताई जगह पर पहुंच गया। कुछ ही देर में कविता के साथ दीपिका आ रही थी ये देख कर वो सोचने लगा ये यहाँ पर क्या कर रही है तभी वह बाहर आ गया और दीपिका से बोला दीपिका तुम यहाँ पर क्या कर रही हो ? दीपिका ने उसको देखा और खुश होकर दीपिका ने कहा अरे बिजेंद्र तुम यहाँ क्या कर रहे हो। विजेंद्र कहने लगा में तो देवी के दर्शन करने के लिए आया और तूम दीपिका ने भी कहा में भी दर्शन के लिए आयी हूँ। विजेंद्र तुम अब क्या करते हो। विजेंद्र कहने लगा में एक कम्पनी में सुपरवाइजर हूँ और तुम दीपिका - में टीचर बन गयी हूँ। बहुत दिनों बाद मिले हो कैसे हो ? में ठीक हूँ  विजेंद्र लेकिन तुम कैसी हो ? दीपिका कहने लगी में ठीक हूँ भगवान् ने हमको फिर मिला दिया में तो सोच रही थी की शायद अब कभी नहीं मिल पाएंगे। दोनों आपस में बाते करने लगे कविता उनकी तरफ देखती रह गयी आखिर ये क्या हो रहा है। कुछ देर बाद उसको पता चला की ये पहले एक साथ पड़ते थे तो एक दूसरे को जानते है। लेकिन ये बात जानने तक ही सीमित नहीं थी वो दोनों लवर भी थे। इसलिए वो दोनों बहुत गहराई में बाते कर रहे थे। कविता को कुछ भी करने की जरूरत नहीं थी उसको उसकी मम्मी मिल ही गई।

    लेकिन दोस्तों क्या सच में वो दोनों लवर थे। अगर वो दोनों लवर थे तो दोनों शादी कर लेंगे लेकिन अगर शादी भी कर ली तो क्या वह उन बच्चो को देखकर बर्दाश कर पायेगी के उसके तीन तीन बच्चे हैं। क्या कभी कविता,राहुल और अमित को माँ मिल पायेगी। तो दोस्तों चलिए जानते है क्या होने वाला है कहानी पढ़ते रहें। 

    कविता उन दोनों की बाते बहुत ध्यान से सुन रही थी कुछ देर बाद विजेंद्र ने उसको बाय बाय बोला और चला गया इधर दीपिका ने भी बाय बोला और कविता से कहा चलो देवी के दर्शन कर आते हैं दोनों देवी के दर्शन करके स्कूल की तरफ चल देती हैं। इधर विजेंद्र अपने पहले प्यार को याद करने लगा। उस लड़की के बारे में सोच रह था जिससे उसने प्यार किया था बिजेंद्र को अब ये पता चला था की वो भी उससे बहुत प्यार करती है और उसने अभी तक शादी भी नहीं की। अगले दिन सुबह सुबह दीपिका बिजेंद्र के घर पर आयी ये देखकर कविता ने मैंम को नमस्ते किया। 

    मैंम ने नमस्ते लेते हुए कहा कैसी हो कविता, कविता ने कहा ठीक हु मैंम। जैसे ही दीपिका ने आगे बढ़ने की कोशश की वह एक दम से जोर से एक शीशे की मेज से टकरा गयी यह टक्कर बहुत तेज लगी क्युकी उसका ध्यान आगे की तरफ नहीं था मेज की उसके पेट में लग गई जिससे उसको बहुत जोर से दर्द होने लगा दीपिका दर्द के मरे अपने पेट को जोर से पकडे रही लेकिन दर्द काम नहीं हुआ तभी विजेंद्र कमरे से बाहर आ गया उसने देखा की दीपिका को मेज से बहुत ज्यादा लग गयी है। बिजेंद्र ने जल्दी से अपनी कार निकली और दीपिका  को गॉड में उठा कर उसको गाड़ी में बिठा दिया। और कविता को समझाया की अगर तुम्हारे दोनों भाइयो का ख्याल रखना मैं हॉस्पिटल जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊंगा।

    विजेंद्र जल्दी से दीपिका को हॉस्पिटल लेकर गया हॉस्पिटल में जाते ही डॉक्टर ने उसको आई सी यू में ले गया विजेंद्र बाहर बैठ गया और इन्तजार करने लगा। कुछ ही देर में डॉक्टर आया और विजेंद्र से कहने लगा क्या आप उस लड़की के साथ हो ? विजेंद्र ने हां कहा। डॉक्टर ने उसका नाम पुछा और चले गए। फिर आधे घंटे के बाद फिर आया और कहा दीपिका का ओप्रशन करना होगा उसके पेट में बहुत ज्यादा चोट आयी है। विजेंद्र ने कहा क्या बिना ओप्रशन के ठीक नहीं हो सकता है। डॉक्टर ने कहा ऐसा करने से फिर बाद में परेशानी आ सकती है , डिजेन्द्र ने कहा ठीक है कर दो ओप्रशन लेकिन बाद में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए।


    डॉक्टर दीपिका को ओप्रशन थेटर में लेकर गए कुछ देर बाद बाहर आये और कहा ओप्रशन कामयाब हुआ।  लेकिन एक समस्या है दीपिका कभी माँ नहीं बन पायेगी। इस बात से विजेंद्र बहुत दुखी हुआ। विजेंद्र दीपिका को एक दो दिन बाद घर ले आये कुछ दिनों बाद दीपिका के ओप्रशन के टांके काटने के लिए डॉक्टर आया और टाँके काटने के बाद उसने कहा दीपिका को वजन नहीं उठाने देना ना ही कहीं ऊँची नीची जगहों पर जाने देना। कुछ दिन बाद दीपिका बिलकुल ठीक हो गयी। फिर विजेंद्र ने दीपिका को कहा अब तुम अपने घर जा सकती हो। दीपिका ये सुनकर थोड़ा दुखी हो गयी और कहने लगी विजेंद्र यार मेरा कोई परिवार नहीं है मेरे मम्मी पापा एक कार एक्सीडेंड में मर गए मेरे कोई भाई या बहिन नहीं है में घर जाकर क्या करुँगी। क्या तुम मुझसे शादी करोगे ?


    दोस्तों विजेंद्र कब से इसी मौके की तलाश में था उसने झट से हाँ कर दी। उसके बाद उन दोनों ने शादी कर ली और दीपिका ने उसके बच्चो को अपना लिया क्युकी उसे कोई बच्चा नहीं होने वाला था वह उन ही बच्चो को बहुत प्यार से रखती थी और उनके साथ प्यार से खेलती और खिलाती थी।

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