क्या प्यार करना गुनाह है अगर प्यार करना गुनाह है तो प्यार करने वाले प्यार करते ही क्यों हैं क्या प्यार उन्हें अपनी जान से भी प्यारा लगता है। यह कहानी एक ऐसी प्यार की कहानी है जिसमें दो प्रेमियों का एक दर्दनाक अंत हुआ। यह कहानी है मीनाक्षी और मनीष की मीनाक्षी और मनीष एक ही कॉलेज में एक ही क्लास में पढ़ा करते थे मीनाक्षी उस कॉलेज में पहले से पढ़ रही थी पर मनीष को आए 2 साल ही हुए थे।
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और फिर उनका इस्तेमाल करके उन्हें सड़क पर ही बेसहारा छोड़ देते हैं। लेकिन जब मीनाक्षी ने मनीष की मुलाकात अपने माता पिता से कराई तब बातचीत करने के बाद मीनाक्षी के माता-पिता को मनीष अच्छा लड़का लगा तो उन्होंने मीनाक्षी से कह दिया ठीक है अब हमें कोई परेशानी नहीं हमारा सारा शक दूर हो गया अब तुम्हारी शादी होगी तो सिर्फ मनीष से ही होगी अब तुम सिर्फ अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दो इन सब बातों के लिए शादी के बाद पूरी जिंदगी पड़ी है पर अभी पढ़ाई जरूरी है। लेकिन हम चाहते हैं कि कॉलेज की छुट्टियां खत्म होने से पहले हम तुम दोनों की सिर्फ मंगनी करा देते हैं फिर तुम दोनों हमेशा के लिए एक दूसरे के हो जाओगे जब तुम पढ़ाई से फ्री हो जाओ तब हम तुम्हारी शादी भी करा देंगे। मीनाक्षी तुम मनीष से बात करो और उससे कहो कि हम मंगनी कराना चाहते हैं तो क्या मनीष के परिवार वाले तैयार हैं इसके लिए। ऐसा सुनकर मीनाक्षी तुरंत ही गई और मनीष को कॉल लगाया मनीष ने कॉल उठाया तो मीनाक्षी खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी और कह रही थी मनीष आज आपको मैं बहुत ही अच्छी खबर सुन आऊंगी। मनीष भी चौक गया और कहा अब क्या और अच्छी खबर सुनाना चाहती हो मुझे एक खबर तो मैंने पहले ही सुन ली है मैंने तो मीनाक्षी ने कहा दूसरी खबर पहले खबर से ही जुड़ी हुई है तो मनीष नहीं समझा तब मीनाक्षी ने कहा अरे बुद्धू पिताजी ने कहा है कि हमारी वह कॉलेज खुलने से पहले मंगनी करा देंगे फिर शादी जब हम कहेंगे जब करा देंगे तो क्या तुम अपने परिवार वालों से इसके लिए बात करोगे मनीष ने कहा यह तो बहुत खुशी की बात है मैं माता-पिता से बात करके तुम्हें कल बताता हूं।
अगले दिन मनीष का कॉल मीनाक्षी के फोन पर आया और दोनों की बात हुई तो पता चला मनीष के माता-पिता भी राजी हो गए हैं और आज वह उसके घर मंगनी कराने के लिए आ रहे हैं। शाम को सब इकट्ठा हो गए और मीनाक्षी और मनीष की मंगनी भी करवा दी गई कुछ दिन बाद कॉलेज भी खुल गए तो दोनों कॉलेज भी जाने लगे पर मीनाक्षी के हाथ में मंगनी की अंगूठी देखकर उस गुंडे लड़के जिसका नाम शेखर था उसे कुछ शक हुआ कि पहले इस उंगली में तो मैंने कभी अंगूठी नहीं देखी और आज इस उंगली में अंगूठी कैसे। शेखर ने कहा इस बात का तो पता जब चलेगा जब मैं मीनाक्षी के हर पल की खुद खबर रखूंगा ऐसा सोचकर शेखर मीनाक्षी के पीछे लग गया और मीनाक्षी की हर एक्टिविटी पर नजर रखने लगा। पर मीनाक्षी को इसकी कोई खबर ही नहीं थी। कुछ दिनों बाद ही शेखर को पता चला कि मीनाक्षी की मंगनी मनीष के साथ हो गई है और पढ़ाई खत्म होने के बाद शादी भी हो जाएगी शेखर समझ गया कि मीनाक्षी मेरे हाथों से निकल जाएगी अगर मैंने जल्दी ही कुछ नहीं करा तो फिर उसने मीनाक्षी से बात करनी चाही तो मीनाक्षी ने मना कर दीया फिर उसने मीनाक्षी को धोखे से बुलाया और जबरदस्ती बात करने लगा। तो मीनाक्षी क्या कर पाती मीनाक्षी को उसकी सारी बातें सुननी पड़ी शेखर ने मीनाक्षी से कहा देखो मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और जब से तुम इस कॉलेज में आई हो जब से मैं तुम्हें जानता हूं। मेरी मनीष से कोई दुश्मनी नहीं है और ना ही मुझे उससे कुछ लेना देना है तुम्हारी और उसकी मंगनी हो गई है यह जब मुझे पता चला तो मैं पागल सा हो गया हूं कि मेरी मीनाक्षी किसी और की कैसे हो सकती है तुम यह मंगनी तोड़ दो और मुझसे शादी कर लो मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा मेरे पास धन है दौलत है बहुत कुछ उससे भी ज्यादा है मैं तुम्हें बहुत ज्यादा खुश रखूंगा बस तुम मनीष से करी हुई मंगनी तोड़ दो और मुझसे शादी करने का फैसला कर लो मीनाक्षी यह सब सुनती रही।
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पर कुछ नहीं बोली तब शेखर ने कहा अब मैंने अपनी बात कह दी अब मैं तुम्हारी बात सुनना चाहता हूं कि तुम क्या कहना चाहती हो मीनाक्षी ने कहा अच्छा तो तुम्हें मुझसे प्यार है कितना प्यार करते हो तुम मुझसे तो शेखर ने कहा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं इतना कि तुम्हें जीवन भर पैसों में ऐश कराता रहूंगा किसी बात का दुख नहीं होने दूंगा। मीनाक्षी ने कहा अच्छा तो तुम्हारी नजरों में यही प्यार है कि अगर कोई लड़की पसंद आ गई तो उसे पैसों का लालच देकर हमेशा के लिए अपना बना लो जो मर्जी चाहे करो जब उसकी उम्र ढल जाए तो उसे बेसहारा छोड़ दो। और वैसे भी मैं तुम्हारे से अच्छी तरह से वाकिफ हूं तुम क्या करते हो कैसा रहन सहन है तुम्हारा मैं सब कुछ जानती हूं मैं अपने आप को जानबूझकर खाई में कभी नहीं ढकेलूंगी और तुम यह सोचना भी मत कि मैं मनीष से मंगनी तोड़कर तुमसे शादी कर लूंगी तुम्हारे हाथों से मैं मरना पसंद करूंगी लेकिन तुमसे शादी करना कभी पसंद नहीं करूंगी। और फिर मीनाक्षी वहां से चली गई और सीधे मनीष के पास पहुंच गई मनीष को सारी बात बताई तो मनीष ने कहा तुम डरती क्यों हो कुछ दिनों की ही तो बात है फिर हमारी शादी हो जाएगी फिर वह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उसकी हवस की नजर तुम पर पड़ गई है जिसको वह प्यार समझता है और कुछ भी नहीं है। मीनाक्षी ने कहा लेकिन तुम अपना बहुत ख्याल रखोगे तुम मुझसे वादा करो मेरे सर पर हाथ रख कर कसम खाओ कि तुम अपना मेरे से भी ज्यादा ख्याल रखोगे क्योंकि मैं तुमसे जितना प्यार करती हूं उतना ही तुम्हारी जिंदगी से भी मैं प्यार करती हूं तुम्हारे माता-पिता से भी उतना ही प्रेम करती हूं जितना अपने माता-पिता से प्रेम करती हूं तो इसीलिए तुम अपना बहुत ख्याल रखोगे बस शादी हो जाने तक तुम मेरा इतना कहना मानोगे ना मीनाक्षी की ऐसी बात सुनकर मनीष ने कहा ठीक है मैं तुम्हारी बात मानता हूं। तब से ही मनीष ने शेखर पर नजर रखनी शुरू कर दी। इधर शेखर ने भी प्लान बना लिया कि जब तक मनीष मीनाक्षी की लाइफ से नहीं जाएगा जब तक मीनाक्षी मेरी नहीं होगी और जीते जी वह मीनाक्षी की लाइफ से कभी नहीं जा सकता तो मुझे मजबूर होकर मनीष को मारना ही होगा। जब मनीष को पता चला कि शेखर उसको मारने का प्लान कर रहा है तब वह कॉलेज को मेडिकल देखकर कुछ दिनों के लिए विदेश चला गया। यह सब मनीष सिर्फ मीनाक्षी की खुशी के लिए कर रहा था जब शेखर को इस बात का पता चला तो उसे अब बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था और उसने कहा देखते हैं कि यह कब तक विदेश में जाकर छुप कर बैठता है किसी ना किसी दिन तो उसे आना ही पड़ेगा। देखते ही देखते कॉलेज भी खत्म हो गया तो मीनाक्षी ने मनीष को कॉल करके विदेश से बुलवा लिया और दोनों ने शादी करने का प्लान बना लिया। अब दोनों ने अपने माता-पिता को यह बात बताई कि हम शादी करना चाहते हैं तो दोनों के माता-पिता बहुत खुश हुए। उधर शेखर को खबर मिल चुकी थी कि मनीष अब भारत आ चुका है और वह मीनाक्षी से शादी करने का प्लान बना रहा है तो उसने सोच लिया कि अब भले ही मीनाक्षी मेरी ना हो पर मैं इस मनीष को अब जिंदा नहीं छोडूंगा और अगर मीनाक्षी मेरी नहीं हो सकती तो वह किसी की भी नहीं होगी। मनीष और मीनाक्षी दोनों शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गए थे इधर शेखर उन दोनों को मारने की प्लानिंग करने लगा शेखर ने उन दोनों के घर के ऊपर नजर रखने के लिए जासूस छोड़ रखे थे और पल-पल की खबर शेखर तक पहुंचा रहे थे।देखते ही देखते मीनाक्षी मनीष की शादी भी हो गई जब शेखर को यह बात पता चला तो शेखर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया अब उसने ठान लिया की मैं इन दोनों को ही नहीं छोडूंगा।
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शेखर ने पता कराया कि मीनाक्षी की विदाई किस तरह से होगी तब पता चला कि मीनाक्षी की विदाई कार से होने की ज्यादा संभावना है तब शेखर ने कहा ठीक है पता करो किस कार से मीनाक्षी की विदाई होने की संभावना है। फिर खोजबीन करके पता चला कि मीनाक्षी के माता-पिता ने मनीष को जो कार दहेज में शेखर को दी है उसी कार से उन दोनों की विदाई होगी अब शेखर को बहुत बड़ा मौका मिल गया था कि वह अपना मन का गुस्सा पूरी तरह से उन दोनों के ऊपर निकाल सके शेखर ने बहुत बड़ी प्लानिंग करी और उस कार में एक बम लगवा दिया जिसका रिमोट हमेशा शेखर के पास रहता था। अब शेखर को इंतजार था तो सिर्फ मीनाक्षी कि विदाई का मीनाक्षी की विदाई का पल भी आ गया। अब जैसे ही शेखर को पता चला कि उन दोनों की विदाई होने वाली है तब शेखर ने अपने जासूस से कहा अब तुम मुझे हर पल की खबर देते रहना की गाड़ी कब कहां पहुंच रही है। जब शेखर को पता चला कि गाड़ी अब बिल्कुल सुनसान रोड से गुजर रही है तब शेखर ने रिमोट का बटन दबा दिया और गाड़ी में लगा बम फट गया जिससे गाड़ी में बड़ा धमाका हुआ और शेखर की वजह से मीनाक्षी और मनीष की बेवजह ही जान चली गई और साथ ही उन दोनों का प्यार मिल कर भी नहीं मिल पाया। फिर इंक्वायरी हुई पुलिस को बुलाया गया तो शेखर का पता चला शेखर को सजा भी हो गई लेकिन शेखर को सजा मिलने से वह दोनों जिंदा तो नहीं हो जाते उन दोनों का प्यार दोबारा मिलन में तो नहीं बदल जाता यह शेखर ने बहुत ही बुरा करा था अपनी हवस में शेखर यह भूल गया था कि वह भी एक इंसान है और उसे ऐसे इंसानों को मारने का कोई हक नहीं जिनकी शादी उनके माता-पिता ने खुद कराई हो यह बहुत बड़ा पाप करा था शेखर ने लेकिन उसे बिल्कुल भी पछतावा नहीं था कैसा इंसान था ऐसा नहीं करना चाहिए था उसे। जब शेखर को फांसी की सजा दिलवा दी गई तब शेखर को फांसी हो गई लेकिन मीनाक्षी और मनीष की जिंदगी वापस नहीं आई और उन दोनों का प्यार बस एक अधूरी कहानी बनकर रह गया। इस तरह से मीनाक्षी और मनीष के प्यार का एक बहुत ही दर्दनाक अंत हुआ।तो यह थी मीनाक्षी और मनीष के दर्दनाक अंत की कहानी। धन्यवाद।
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