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    Thursday, July 1, 2021

    अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। Part-5 He is a stranger but it seems like a relation of our own.

     अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता।

    He is a stranger but it seems like a relation of our own.

    भगवान से प्रार्थना करने के बाद रवि वापस रिया के पास चला गया। और दिन रात उसकी सेवा करने में लग गया उसका पूरा ध्यान रखता और रिया के चक्कर में वह अपना ध्यान रखना तो लगभग भूल ही गया था। और भगवान से बस यही प्रार्थना करता हूं कि भगवान मेरी रिया कि याददाश्त वापस दिला दें। और रवि की दुआ भी रंग लाई रिया को जब 2 दिन बाद होश आया तब उसे थोड़ा थोड़ा सब कुछ याद आने लगा था। उसे बस अभी इतना ही याद था कि वह दोनों घर से पहाड़ी पर दर्शन करने के लिए निकले थे और रास्ते में उनका एक कार एक्सीडेंट हो गया और जिसमें वह दोनों बिछड़ गए और रिया एक नदी में जाकर गिर गई और वह बहने लगी डूबने लगी नदी में फिर उसके बाद में जो कुछ भी हुआ वह भी उसे याद था। पर एक्सीडेंट से पहले की कोई भी बात उसे याद नहीं थी। जब रवि को इस बात का पता चला तो रवि को बहुत खुशी हुई कि कम से कम इसे इतना तो याद आया कि मैं इसका पति हूं और हम दोनों एक कार एक्सीडेंट में बिछड़ गए थे अब भगवान ने चाहा तो धीरे-धीरे करके इसे अपने परिवार के बारे में भी सब कुछ याद आ जाएगा। फिर वेद को बुलाया गया वेद ने उपचार करके बताया कि रिया को थोड़ा-थोड़ा करके ही सब कुछ याद आएगा एकदम से याद आएगा तो यह पागल भी हो सकती है। ऐसे एकदम से सब कुछ याद दिलाने की कोशिश भी ना करें थोड़ा थोड़ा करके इसे सब कुछ याद दिलाएं कोशिश करेंगे तो यह हो जाएगा। रवि ने कहा ठीक है मैं कोशिश करूंगा कि रिया को मैं थोड़ा-थोड़ा करके सब कुछ याद दिलाता रहूं। साधु को जब यह पता चला तो उन्हें भी बहुत खुशी हुई की धीरे-धीरे करके ही सही लेकिन रिया को याद तो आ रहा है कम से कम उसे इतना तो याद आया कि उसके साथ दिन-रात जो आदमी है वह उसका पति है कोई पराया नहीं है। अब इससे उसे कोई एतराज नहीं होगा कि दिन रात वह आदमी उसके साथ है। और इसी वजह से वह उसके साथ पूरे मन से समय बिता पाएगी जिससे रवि उसे थोड़ा-थोड़ा करके जल्दी ही सब कुछ याद दिलाता रहेगा। फिर साधु ने रवि से कहा कि अब हम निश्चित हो गए हैं अब यह रिया को हम पूरी तरह से तुम्हारे हवाले करते हैं यह तुम्हारी पत्नी थी है और रहेगी अब अपनी पत्नी की जिम्मेदारी तुम खुद संभालो हम जानते हैं इतने अच्छे से हम भी इसका ख्याल नहीं रख पाएंगे जितने अच्छे से तुम इसका ख्याल रख पाओगे। यह सुनकर रवि ने कहा कि मैं आपका भी बहुत एहसानमंद हूं कि आपने मेरी पत्नी मेरी रिया को इतनी संभाल कर रखा और यह सिर्फ मेरी पत्नी ही नहीं मेरे खानदान को कुलदीपक देने वाली नारी है जिसे आपने बचाकर मेरे खानदान के आने वाले कुलदीपक को भी बचाया है। अगर आप इसे नहीं बचाते तो मेरी रिया मुझे कभी वापस नहीं मिल पाती मैं आपका बहुत ही  एहसानमंद हूं। जीवन में जब भी कभी आपको मेरी जरूरत हो तो आप मुझे बिना किसी झिझक के याद कर लेना मैं अपने सारे काम छोड़कर आपके पास चला आऊंगा। साधु ने कहा ठीक है लेकिन अभी तुम्हें रिया के पास चले जाना चाहिए वह तुम्हें ढूंढ रही होगी। तब रवि ने कहा ठीक है मैं रिया के पास जाता हूं। फिर रवि रिया के पास गया और रिया से बोला अब तुम कैसी हो तब रिया ने कहा मैं बहुत ठीक हूं पर मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि जिस इंसान को में पहले अजनबी समझ रही थी फिर वह मुझे अजनबी से कुछ अपना सा लगा अब वह मेरा अपना भी नहीं मेरा बहुत  करीबी है और बहुत खास है। वह मेरा पति है और वह तुम हो रवि अगर तुम मेरा इतने अच्छे से ख्याल नहीं रखते। तो शायद यह दिन कभी नहीं आता क्योंकि तुम ही मुझे मंदिर लेकर गए थे और वहां मेरे गिर जाने के बाद तुम ही मुझे यहां लेकर आए। तब रवि ने कहा रिया यह सारी बातें छोड़ो अब तुम खाना खाओ देखो तुम्हारी पसंद की सब्जी बनाई है। जल्दी-जल्दी खाना खाओ फिर दवा खा कर सो जाना रात होने वाली है जितना आराम करोगी तुम्हारे लिए उतना ही अच्छा रहेगा फिर हम कल उसी मंदिर पर जाएंगे जिसके हमारे दर्शन अधूरे रह गए थे। रिया ने कहा ठीक है खाना ले आओ मैं खाना खाकर दवा खा कर सो जाऊंगी फिर कल सुबह जल्दी उठना है ताकि हम जल्दी ही उस मंदिर पर जा सके। रिया खाना और दवा खा कर सो गए और सुबह जल्दी उठी जल्दी उठते ही रिया जल्दी से तैयार हो गई फिर रवि को उठाया फिर रवि भी जल्दी से तैयार हो गया और दोनों ने साधु से आज्ञा ली। और उसी पहाड़ी वाले मंदिर के लिए निकल गए। रास्ते में वही पुरानी चीजें देख देख कर रिया को कुछ कुछ थोड़ी थोड़ी बातें याद आने लगी कि यह चीजें मैंने पहले भी देखी हैं। कुछ बातें रिया को याद आने लगी कुछ बातें रवि याद दिलाता रहा मंदिर तक पहुंचते-पहुंचते रिया की पुरानी यादें याददाश्त वापस आ चुकी थी। लेकिन अभी भी वह अपने परिवार वालों को नहीं याद कर पा रही थी। तब रवि ने मंदिर से पहले गाड़ी रोक कर अपनी मां को खबर करी कि वह रिया को लेकर मंदिर पर जा रहा है और आप भी जल्दी से उसी मंदिर पर पहुंच जाएं और फिर मंदिर के आंगन में सब लोग हमारा इंतजार करना मैं रिया को लेकर वहीं आ रहा हूं रिया पहले आप को पहचानने से इंकार करेगी लेकिन आप घबराना नहीं जिस कार एक्सीडेंट में वह मुझसे बिछड़ गई थी उस कार एक्सीडेंट के बाद उसकी याददाश्त चली गई थी। वह मुझे एक साधु के वहां सुरक्षित मिली पता चला कि उसकी याद आ जा चुकी है लेकिन धीरे-धीरे करके उसकी याददाश्त वापस आ रही है तब रवि की मां ने कहा तू चिंता मत कर हमें हमारी बहू चाहिए चाहे वह कैसी भी हो उसकी याददाश्त अगर चली गई है तो हम उसे याद दिलाने में उसकी मदद करेंगे। हम उसका पूरा पूरा साथ देंगे बस तू हमें उससे मिला दे। तब रवि ने कहा ठीक है तो आप जल्दी से जल्दी मंदिर में पहुंच जाइए और आंगन में  हमारा इंतजार करिए। फिर रवि रिया को मंदिर के अंदर ले गया मंदिर में दर्शन करने के बाद वह मंदिर के आंगन में जाकर एक कोने में खड़ा हो गया करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद उसके परिवार वाले मंदिर के आंगन में मिल गए तब रवि ने अपने परिवार वालों से रिया को मिलवाया। रिया ने पहले उन लोगों को पहचानने से इंकार करा लेकिन जब उसकी सासू मां ने कहा क्या तुम बेटी हमें भी नहीं  पहचानती हमने तुम्हें तुम्हारी शादी के बाद अपनी बहू  नहीं बल्कि अपनी बेटी की तरह माना है अगर हमने सच में तुम्हें अपनी बेटी की तरह माना है तो भगवान आज तुम्हारी इसी मंदिर में इसी वक्त सारी याददाश्त वापस कर देगा नहीं तो हम समझेंगे कि हमने तुम्हें अपनी बहू ही समझा था। फिर रिया की सास ने कहा यह देखो क्या तुम्हें यह अंगूठी भी याद नहीं है यह तुम्हारी मां की निशानी तुमने हमें दी थी। यह कहकर कि यह मेरी एक मां की निशानी है दूसरी मां के पास ही अच्छी लगेगी। फिर हमने तुमसे कहा था जिस दिन हम भी इस दुनिया में नहीं रहेंगे उस दिन यह तुम्हारी एक मां की निशानी तुम्हारी दो मां की निशानी बन जाएगी। फिर इस अंगूठी को तुम पहन लेना फिर यह तुम्हारे होने वाले बच्चे के लिए तुम्हारी निशानी बन जाएगी। तब रिया को अचानक से उस समय की बातें याद आने लगी और वह बेहोश होकर नीचे गिर गई। रवि ने उसके मुंह पर जल के छींटे मारे तब रिया होश में आ गई। और वह तुरंत अपने परिवार वालों को पहचानने लगी उसने एक-एक करके सब से माफी मांगी कि मुझे माफ कर दो मेरी वजह से तुम लोगों को इतने दिन परेशानी हुई इतने दिन तुम लोगों ने मेरी याद में आंसू बहाए लेकिन अब नहीं अब मुझे सब कुछ याद आ गया है। अब तुम लोग पहले मेरे साथ साधु के पास चलो जिन्होंने मेरी इतनी हिफाजत करी। तभी पीछे से आवाज आई कि बेटा मेरे पास आने की जरूरत नहीं है मैं स्वयं यहां आ गया हूं। तब रिया के सारे परिवार वाले साधु की तरफ मुड़े और साधु के चरणों में गिरकर उन्हें प्रणाम करने लगे और फिर उन्हें आदर देते हुए कहा कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने हमारी बहू को इतने दिन ने अपने पास सुरक्षित रखा उसका उपचार कराया। हम आपके बहुत ही आभारी हैं। तब साधु ने कहा यह तो भगवान की मर्जी थी। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं करा जिससे तुम मेरी आभारी रहो।  फिर साधु ने रिया और रिया के पूरे परिवार को भरपूर आशीर्वाद दिया। और वहां से चले गए फिर रिया अपने परिवार के साथ अपनी ससुराल वापस लौट गई। और वहां पर जाकर अपनी एक खुशहाल जिंदगी दोबारा से शुरू करी। जिसके बाद रवि और रिया हमेशा हमेशा के लिए अजनबी से एक दूसरे के जीवन साथी बन गए। तो यह थी हमारी कहानी। अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। धन्यवाद।


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