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    Saturday, May 15, 2021

    गीता की बहादुरी और गीता का आत्मविश्वास - हिंदी कहानी 2021

     गीता की बहादुरी।


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     गीता एक छोटे से गांव में अपने परिवार के साथ रहती थी | उसके परिवार में उसके माता-पिता और उसका एक बड़ा भाई आनंद था। वह अपने परिवार में बहुत खुशी से रहते थे | गीता अपने बड़े भाई  आनंद से बहुत डरती थी  क्योंकि वह उससे उम्र में बड़ा था  और माता-पिता भी गीता की बातों से ज्यादा आनंद की बातों को ही महत्व देते थे  | इसीलिए गीता को लगता था कि उसकी कोई बात नहीं सुनता और वह अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाती थी  जिस कारण वह अपने आप को बहुत डरा हुआ और अकेला महसूस करती थी। पर वह पढ़ने लिखने वाली लड़की थी तो वह विद्यालय जाती थी | 

    उसे विद्यालय में कुछ लड़के बहुत दिनों से तंग कर रहे थे लेकिन उसने घर में इसीलिए नहीं बताई की ना जाने माता-पिता क्या सोचते हैं शायद वह यह ना सोचें कि लड़कों से वह भी कोई संबंध रखती है | इसीलिए उसको देखकर और लड़के भी उसे तंग कर रहे थे | अपने भाई से कहना चाहती थी लेकिन डर के कारण वह नहीं कह पाई एक दिन वह अपने विद्यालय जा रही थी तो रास्ते में उसे वही लड़के तंग करने लगे वह वहां से निकल गई आगे चौराहे पर जाकर उससे उसका भाई मिल गया उसे लगा कि वह उसे यूं ही मिल गया | लेकिन  उसका भाई आनंद उस पर कई दिनों से नजर रखे हुए था | और उसे यह भी पता था कि कुछ लड़के उसकी बहन को रोज तंग करते हैं और उसमें उसकी बहन की भी कोई गलती नहीं है | 

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    लेकिन वह चुप था ! तो आखिर क्यों | वह सिर्फ इसीलिए चुप था कि अगर आज उसने उसका साथ दे दिया तो उसकी बहन कमजोर पड़ जाएगी वह कभी भी ऐसी समस्या का सामना अकेले नहीं कर पाएगी आज वह उसके साथ है पर शादी के बाद वह उसके साथ नहीं होगा। और उसका पति कमाने जाएगा यह उसके साथ रहकर उसकी ऐसी समस्याओं को हल करेगा। ऐसे लड़के समाज में कहीं भी देखने को मिल जाएंगे किसी भी शहर में किसी भी गली में किसी भी मोहल्ले में देखने को मिल जाएंगे ऐसे लड़के ना सिर्फ कुंवारी लड़कियों को ही परेशान करते है | बल्कि शादीशुदा लड़कियों को भी खूब तंग करते हैं। इसलिए आनंद चुप था और वह जानता था कि चुप रहने में ही उसकी बहन की भलाई है जिससे वह इस समस्या को हल कर पाएगी।

     अगले दिन में गीता रोज की तरह अपने विद्यालय जाने के लिए तैयार हो रही थी वह जैसे ही घर से निकली रास्ते पर वही लड़के उसकी राह देख रहे थे | और आज तो  उन लड़कों में से एक लड़के ने गीता को रोका और उसका दुपट्टा छीन लिया और उसे कहने लगा रोज तो तुझे ऐसे ही जाने देते हैं पर आज ऐसे ही नहीं जाने देंगे आज तुझे ऐसे ही बिना दुपट्टा के विद्यालय जाना होगा ऐसा करके उन लड़कों ने आज हद ही पार कर दी थी। यह। सब सुन का उसने जैसे तैसे उस लड़के से रुपट्टा छीना और अपने घर रोती हुई वापस आ गई | घर आकर वह बहुत डर गई थी | और उसने सोचा अब अगर मैं चुप रही तो इन लड़कों की हिम्मत बढ़ती जाएगी और एक  दिन वह लड़के हद ही पार कर देंगे। गीता ने बढ़ बढ़ाते हुए कहा नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी मैं भैया से जरूर बात करूंगी |

     अब मैं भैया से नहीं डरूंगी अगर ऐसा नहीं किया तो जरूर ही अनर्थ हो जाएगा  नहीं मैं कोई अनर्थ नहीं होने दूंगी और मैं भैया से बात करूंगी जिससे भैया उन लड़कों को सबक सिखा सके और वह लड़के फिर मुझे कभी तंग ना करें ऐसा सोचकर वह अपने भाई आनंद के पास गई। उसने आनंद के कमरे में जाकर देखा कि वह पढ़ाई कर रहा है | वह आनंद को पढ़ाई के बीच में परेशान नहीं करना चाहती थी | लेकिन वह भी बहुत परेशान थी तो वह क्या करती उसने आनंद से कहा कि मुझे भैया आपसे बहुत ही जरूरी बात करनी है। गीता के हाव भाव देखकर आनंद समझ गया था कि वह उससे क्या कहने आई है |

     क्योंकि जो कुछ भी गीता के साथ हुआ था आनंद ने सब कुछ छुप कर देख लिया था  और वह गीता के हाव भाव देखकर समझ गया था कि गीता उससे क्या कहने आई है लेकिन फिर भी वह अनजान बना रहा | और उसने गीता से कहा हां बहन बोलो तुम्हें मुझसे क्या जरूरी बात करनी है। गीता ने डरते हुए कहा भैया मुझे तुम्हारी एक मदद चाहिए आनंद ने कहा बहन तुम्हें मेरी मदद चाहिए मैं तुम्हारी मदद करूंगा बताओ क्या मदद चाहिए | तो गीता ने कहा भैया मैं तुम्हें बताना तो नहीं चाहती थी लेकिन अब बताना जरूरी हो गया है नहीं तो अनर्थ हो जाएगा | 

    भैया ने कहा बता तो सही बात क्या है। गीता ने कहा भैया मैं रोज विद्यालय जाती हूं तो कुछ लड़के रोज मेरे रास्ते में मुझे छेड़छाड़ करते हैं गंदी गंदी बातें करते हैं मुझे देखकर | लेकिन आज तो एक लड़के ने हद पार कर दी उसने मेरा रुपट्टा छीन लिया और मुझसे कहने लगा तुझे ऐसे ही विद्यालय जाना होगा मैं बहुत डर गई और दुपट्टा जैसे तैसे करके लेकर घर वापस आ गई अब मुझे डर है कि अगर अभी मैं चुप रही तो  उन लड़कों की हिम्मत बढ़ती जाएगी और एक दिन वह लड़के अपनी हद पार कर के कुछ अनर्थ कर देंगे | इसलिए अब मैं चाहती हूं कि तुम उन लड़कों से बात करो अगर बात से नहीं माने तो कुछ भी करो लेकिन मैं उनसे अब छुटकारा पाना चाहती हूं |

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     अब मैं यह सब और बर्दाश्त नहीं कर सकती भैया तुम कुछ भी करो लेकिन मुझे उन लड़कों से छुटकारा दिलवाइए । आनंद बोला बहन  इतना सब कुछ होता रहा और तुम चुपचाप सहती रही | तभी उन लड़कों की इतनी हिम्मत हो गई कि आज उन्होंने तुम्हारे दुपट्टे पर भी हाथ डाल दिया कल को वह तुम्हारे गिरेबान पर, क्या तुम ऐसा होने दोगी | गीता ने कहा भाई यह तुम क्या कह रहे हो मैं ऐसा बिल्कुल नहीं होने दूंगी तभी तो मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है कि मैं ऐसा होने से रोक सकूं। आनंद ने गीता को समझाते हुए कहा देख पहनाई मुझे यह सब शुरू से पता है कि वह लड़के तुझे कब से कैसे-कैसे और कितना कितना तंग करते हैं मैं चुप कर सब कुछ देखता था यह सब सुनकर गीता हैरान रह गई आनंद ने कहा बहन हैरान मत हो मैं बस इसीलिए चुप रहा मैं देखना चाहता था कि मेरी बहन की था कितनी बहादुर है क्या मेरी बहन बहादुर नहीं है क्या मेरी बहन उन लड़कों से डरती है डरने की तो उन्हें तुझसे जरूरत है वह तेरे साथ में गलत व्यवहार कर रहे हैं तुझे उन से डरने की जरूरत नहीं है तो उनका डटकर सामना कर। अगर तू उनका सामना करेगी तो फिर उनकी हिम्मत नहीं होगी कि वह तुझे परेशान करें | मैं तेरी मदद कर दूंगा लेकिन बहन मुझे बस तू एक बात बता अगर आज मैं तेरी मदद करूंगा तो कब तक मैं तेरी मदद करता रहूंगा एक दिन तेरी शादी हो जाएगी फिर तू अपनी ससुराल जाएगी और ऐसे लड़के तो हर गली हर मोहल्ले हर शहर में आसानी से मिल जाते हैं | अगर तू अपने ससुराल में कहीं ऐसी अकेले जाएगी और फिर से तुझे यही समस्या का सामना करना पड़े तो तू किस से मदद मांगेगी अपने पति से, तेरा पति कमाने जाएगा या तेरी मदद करेगा। यह सब सोच और बहना बस इतना ठान ले कि तुझे अब अपनी मदद खुद करनी है इस समस्या से तुझे खुद ही छुटकारा पाना है मैं तेरी मदद कर भी दूं उससे कोई फायदा नहीं है | तू मजबूत नहीं बनेगी ? तू बहादुर नहीं बनेगी तू हमेशा के लिए फिर सहारे पर आश्रित हो जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता। तू कल विद्यालय जाएगी अगर वह लड़के तुझे फिर से रास्ते में रोक कर परेशान करते हैं छेड़छाड़ करते हैं तो तू उनका डटकर सामना करना तू बहादुर है यह तो साबित कर देना मैं छुपकर सब कुछ देखता रहूंगा अगर जरूरत पड़ी तो मैं तेरी मदद भी कर लूंगा | लेकिन तू पहले खुद से शुरुआत कर यह सब सुनकर गीता सोच में पड़ गई कि क्या मैं सच में बहादुर हूं क्या मैं ऐसा कर सकती हूं लेकिन समाज कहता  है कि लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर होती है | तो मैं उन लड़कों का मुकाबला कैसे कर पाऊंगी नहीं मुझे भैया से बात करनी होगी | फिर उसने आनंद से कहा कि भैया समाज कहता है कि लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर होती है तो भला मैं उन लड़कों का सामना कैसे कर पाऊंगी | यह सब सुनकर आनंद ने गीता से कहा कि बहन अगर तू यही सब सोच कर बैठी रहेगी तो समाज में बदलाव नहीं आएगा लड़कियां सच में ही शारीरिक तौर पर कमजोर होने लगेंगी | शारीरिक तौर पर लड़कियां कमजोर नहीं होती मानसिक तौर पर समाज कमजोर है | तो यह साबित कर दें कि लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर नहीं होती |और यह तभी साबित होगा जब तू उन लड़कों का डटकर अकेले ही सामना करेगी अब तो यह ठान ले कि तुझे यह लड़ाई खुद लड़नी है इस समस्या का समाधान तुझे खुद ही करना है बिना किसी सहारे के। यह सुनकर गीता ने कहा ठीक है भैया मैं साबित कर दूंगी की लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर नहीं होती ऐसा कहकर गीता अपने कमरे में चली गई और सोच में पड़ गए कि मैं उन लड़कों का सामना कैसे करूंगी | फिर गीता ने एक योजना बनाई कि कल में विद्यालय के लिए तो निकलूंगी पर विद्यालय ही नहीं जाऊंगी मैं अपने बैग में उन लड़कों की सजा का सामान लेकर बेफिक्री के साथ घर से निकलूंगी  फिर देखती हूं लड़कों की कितनी और कैसी हिम्मत होती है। अब गीता को सुबह का इंतजार था | रात बीत गई और सुबह भी आ गई गीता तैयार होकर विद्यालय के लिए निकली |लड़कों ने उसे देख लिया और फिर से उसका रास्ता रोक कर खड़े हो गए और कहने लगे  कि कल तो तेरा सिर्फ रुपट्टा ही उतारा था आज देख तेरी खैर नहीं। आज देख हम तेरे साथ क्या करते हैं यह सुनकर गीता कहने लगी तुम मेरी फिक्र मत करो तुम अपनी फिक्र करो कि मैं तुम्हारा क्या करूंगी आज। अब गीता को यह भी फिक्र नहीं थी कि उसका भाई उसके साथ है या नहीं या इस उसे छुपकर देख रहा है या नहीं | क्योंकि गीता में अब आत्मविश्वास जाग गया था और इसी कारण से वह निडरता से बोल रही थी उसकी निडरता से भरे शब्द ही लड़कों को डरा रहे थे लेकिन लड़के फिर भी अपनी जीत पर ही अड़े हुए थे। लड़कों ने कहा तू लड़की होकर हमारा क्या बिगाड़ लेगी लड़कियां हमेशा से ही शारीरिक तौर पर कमजोर  है। ऐसा सुनकर गीता ने कहा यह तुम्हारी गलत सोच है कि लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर है लड़कियां हमेशा से ही शारीरिक तौर पर कमजोर  है। ऐसा सुनकर गीता ने कहा यह तुम्हारी गलत सोच है कि लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर हैं लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर नहीं है आज मैं यह बातसाबित कर दूंगी। उसकी बात सुनकर लड़के आगे बढ़ने लगे  और कहने लगे चल आज हम भी देखते हैं कि तू लड़की होकर हमारा  क्या बिगाड़े लेती है। लड़कों को अपनी तरफ बढ़ता देख गीता सचेत हो गई और उसने अपने बैग से एक मिर्ची पाउडर की पुड़िया निकाली और उसे खोल कर उसकी मिर्चिया फॉक्से उन लड़कों की आंखों में उड़ा दी जिससे कि उन लड़कों को दिखाई ना दे | फिर गीता ने उन्हें लड़कों के लिए हाथ पैर बांध दिए और अपनी सैंडल से लड़कों को खूब मारा फिर। गीता ने पुलिस को फोन करके बुला लिया पुलिस आ गई तो उसका भाई आनंद जो छुपकर सब कुछ देख रहा था वह भी निकल कर सामने आ गया और पुलिस को शुरू से अंत तक की सारी बात सच्ची सच्ची बता दी है | ये  सब  सुनकर पुलिस ने गीता की बहादुरी की खूब प्रशंसा की और आनंद से कहने लगे कि तुम बहुत भाग्यशाली हो जो तुम्हें इतनी बहादुर बहन मिली है तुमसे छोटी होकर भी उसने इतना बहादुरी का काम कर दिखाया है अगर इसकी तरह समाज के हर लड़की अपनी रक्षा खुद कर ले तो समाज में दुष्कर्म बिल्कुल भी नहीं होंगे और ऐसे लड़कों को आसानी से सजा मिल सकेगी। आनंद ने कहा कि आप लोग सही कह रहे हैं मेरी यही राय है कि हर लड़की अपने ऊपर ही निर्भर रहना कि और किसी के ऊपर अपना आत्मविश्वास जगाएं और ऐसे लड़कों को खुद सजा दे जिससे कि यह साबित हो जाएगा कि लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर नहीं होती गीता ने तो यह साबित कर ही दिया है कि वह शारीरिक तौर पर कमजोर नहीं है और ना ही लड़कियां शारीरिक तौर पर कमजोर होती है अब समाज की लड़कियों की बारी है कि वह भी अपने आप को साबित कर दिखाए की लड़कियां कमजोर नहीं होती। ऐसा कहकर गीता और आनंद खुशी-खुशी घर चले गए और जब घर में सारी बात पता चली तो मां-बाप ने भी फक्र से अपने बेटे को गले लगा लिया और कहने लगे कि बेटी अपनी यह बहादुरी हमेशा ही जिंदा रखना हमेशा ही। अपनी और दूसरी लड़कियों की मदद करना गीता ने कहा कि हां माता-पिता मैं आपसे वादा करती हूं कि मैं भी बहादुर रहूंगी और लड़कियों को भी बहादुर बनने के लिए कहूंगी। तो यह थी गीता की बहादुरी की कहानी कमेन्ट में जरूर बताये | 

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