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    Sunday, April 15, 2018

    अहिल्या का छल - hindi kahani

    अहिल्या का छल 

    अहिल्या केसे बनी पत्थर

    अहिल्या केसे बनी पत्थर  की मूरत

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    नमस्कार दोस्तों क्या आप जानते है आहिल्या के छल के बारे में | नहीं जानते तो आज में इस पोस्ट में बताऊंगा की केसे अहिल्या के साथ छल हुआ था | एक बार की बात है भगवान इंद्र सभा में बैठे हुए थे तो उन्होंने चन्द्र देव से पूछा चन्द्रदेव सबसे सुन्दर स्त्री कोन है उसे बताओ | चंद्रमा ने कुछ सोचा और कहा महाराज सबसे सुन्दर स्त्री पृथ्वी लोक पर गौतम ऋषि की पत्नी आहिल्या है वही सबसे सुन्दर है क्योकि मेरी चमक उसकी सुन्दरता की चमक एक मिल जाती है | भगवान इंद्र कहने लगे वो सबसे सुन्दर है तो मुझे उसके साथ छल करना है |
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    इंद्र ने कहा और आपको भी मेरे साथ पृथ्वी लोक  चलना पड़ेगा, चन्द्रमा ने कहा ठीक है | दोनों पृथ्वी लोक चल दिए | इधर गौतम ऋषि का रोजाना चार बजे गंगा नदी में नहाने का नियम था और वो सुबह जल्दी नहाने जाता था | इंद्र ने चंद्रमा से कहा की तुम एक मुर्गा बनकर एक मुर्गे की आवाज लगाओ ताकि गौतम ऋषि उठकर नहाने चले जाये और में अंदर चला जाऊ | चद्रमा ने रात के दो बजे मुर्गा बनके एक जोरदार आवाज लगे जिसको सुनकर गौतम ऋषि उठकर अपना अंगोछा लेकर नहाने को चल पड़ा |
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     जब नदी में नहाने लगा तो गंगा ने आवाज लगाई  इतनी रात में तुम कोन हो जो तुम मुझे सोने भी नहीं दे रहे हो | गौतम ने कहा माता में गौतम ऋषि हूँ में तो रोजाना आता हूँ | गंगा कहने लगी गौतम जरूर आपके साथ कुछ छल हुआ है क्योकि अभी तो रात के दो बजे है तुम जल्दी जाओ | गौतम ऋषि जल्दी से नहाके अपना अंगोछा हाथ में लिए घर की तरफ चल दिया इधर इंद्र अंदर जाकर के आहिल्या के साथ सम्भोग कर रहा था और चंद्रमा को बाहर खड़े रहने को कहा ताकि आये तो इंद्र को बता सके |
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     गौतम ऋषि पहुँच और चंद्रमा को भीगे हुए अंगोछे से ही एक पन्छाटा मारा इतनी देर में इंद्र वहा से निकल कर चला गया और ऋषि अंदर गया तो चंद्रमा भी वहां से भाग आया |  अब कमरे में सिर्फ आहिल्या और उसकी बेटी अंजनी थी जो एक तरफ दुसरे पलंग पर सो रही थी | उसे ये सब पता था पिताजी अंदर आये तो अंजनी ने सारी घटना अपने पिताजी को बता दी | तभी अहिल्या ने अंजनी को श्राप दे दिया  की जा अंजनी तुमने ये बताया है तो तुम कुवारी ही माँ बन जाओगी ये मेरा श्राप है | अहिल्या ने अजनी को श्राप दे दिया इधर गौतम ने अपनी पत्नी को श्राप दे दिया कि तुम इसी समय पत्थर की बन जाओ |अहिल्या का शरीर पत्थर का  बन गया अब अहिल्या सिर्फ एक पत्थर थी |
    दोस्तों आहिल्या पत्थर की बन चुकी थी लेकिन उसने अपनी बेटी को भी श्राप दिया था जिस श्राप के कारण अंजनी क्वारी ही हनुमान जी को जन्म देती है

    हमारी अगली स्टोरी है कैसे हुआ हनुमान का जन्म
    दोस्तों आप हमारी अगली स्टोरी में पढ़ सकते है इससे आगे केसे हनुमान ने जन्म लिया इसके बारे में जान सकते हो उसमे बताया जाएगा की अंजनी को क्वारी से पुत्र केसे होगा उसके लिए हमारे लिंक पर क्लिक करे 

    क्या आप जानते हो हनुमान के जन्म के बारे में |

    दोस्तों क्या आप जानते हो हनुमान का जन्म कैसे हुआ था | नहीं जानते हो तो पोस्ट को पूरी पढ़कर आप जान जायेंगे की हनुमान ने जन्म कैसे लिया |

     दोस्तों भगवान शिव को तो आप जानते हो कैसे मनमौजी
    हमारी सभी कहानी यहाँ से पढ़ सकते हैं पढ़ने के लिए  यहाँ  क्लिक करे  रहते है एक दिन की बात है की गोरा पार्वती ने शिव से कहा की तुम तो अपने मन मौजी रहते हो लेकिन मेरा अकेली का मन नहीं लगता है मुझे कोई खिलौना लाकर दे दो जिससे में खेल लगी रहूँ और मेरा दिन आराम से कट जाये | भगवान शिव ने अपनी भस्मी से भस्मी लेकर एक लड़का बना दिया और उसको सरजीवन कर दिया और उसको पार्वती को लाकर दे दिया पार्वती ने छोटे से लड़के को देख कर उसको तुरंत अपनी गोद में ले लिया और उससे खेलने लग गयी  | लड़के का नाम भस्मासुर रख दिया क्योकि लड़का भस्मी से बनाया था | लड़का धीरे धीरे बड़ा होने लगा और उसकी नजर गन्दी होने लगी वह पार्वती पर गन्दी नजर डालने लग गया |



    एक दिन उसने शोचा क्यो ना भगवन शिव को आपनी भक्ति से प्रसन्न करके उससे वचन लेकर उसका भस्म कड़ा मांग लूँगा और उसको मुझे भस्म कड़ा देना पड़ेगा क्योकि वो वचन नहीं तोड़ सकते | ये बात सोचकर उसने शिव की भक्ति करनी शुरू कर दी और कड़ी भक्ति करने के बाद भगवान शिव ने उससे कहा भस्मासुर में तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ मांग लो जो तुमको चाहिए में तुमको मन चाह वरदान देना चाहता हूँ | भस्मासुर कहने लगा हे भगवन में ऐसे नहीं मांगूंगा पहले वचन दो तब में आपसे कुछ मंगुगा | भगवान शिव ने कहा ठीक है में तुमको वचन देता हूँ की जो तुम कहोगे में तुमको दूंगा चाहे अपनी जान ही क्यों न देनी पड जाये | भस्मासुर ने वो भस्म कड़ा मांग लिया और कहने लगे मुझे आपका ये भस्म कड़ा चाहिए | भगवान शिव को पता नहीं था की भस्मासुर इसको मांग सकता है लेकिन उसने बिना संकोच के कहा की में इसको दे तो दूंगा लेकीन हाथ में नहीं दूंगा इसको में फेंक दूँ और तुम इसको ले लेना | 
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     बैन बादशाह शहजादी की कहानी पार्ट - 2

    अपने भाग्य का फल 

    राजा बासिक और राजा परिक की कहानी 

    भगवान शिव ने उस कड़े को मीलों दूर तक फेंक दिया और भस्मासुर से कहा की अब तुम उसको ले लेना | दोस्तों क्या आप जानते हो की शिव ने ऐसा क्यों किया क्योकि उसको पता था की अगर मेने इसको कड़ा हाथ में दिया तो ये मुझको वहीँ भस्म कर देगा| सलिए जब तक भस्मासुर कड़े को लेकर आएगा इतनी देर में मैं कहीं छिप जाऊँगा | दोस्तों जब भस्मासुर कड़े को लेने के लिए भागे तभी भगवान शिव गोरा पार्वती को लेकर एक गुफा में जा दुबके और गुफा के दरवाजे के आगे एक बड़ा सा पत्थर लगा लिया | दोस्तों आपको तो पता होगा जब भी भगवान शिव पर कोई संकट आता है तो भगवान विष्णु उनकी मदद करने आते है और भगवान विष्णु पर संकट आने पर भगवान शिव उनका साथ देते है |

    विष्णु भगवान् को पता चल चुका था की शिव इस वक्त संकट में है चलकर मदद करनी चाहिए | भगवान् विष्णु वहां पर आ गये और देखा की शिव तो गुफा में छिपे हुए है और भस्मासुर उस भास्म कड़े को लेने गए थे विष्णु भगवान को एक विचार आया उसने गोरा पार्वती का मोहिनी रूप धारण किया जो बहुत सुन्दर था | अब इधर भस्मासुर आ गया उसने पार्वती को देखा जो की स्वयं विष्णु थे |भस्मासुर ने पार्वती से कहा चलो मेरे साथ अब तो उसके पास कुछ नहीं है | पार्वती ने कहा मेरे पास मत आना में तब चलुगी तुम्हारे साथ जब तुम भोलेनाथ की तरह मेरे पास आओगे | भस्मासुर पूछने लगा वो केसे आते थे तुम्हारे पास | पार्वती कहने लगी वो मेरे पास नाच नाच कर आते थे | अब तो भस्मासुर भी नाचने लगा लेकिन वो जिस हाथ में भस्म कड़ा पहना था उस हाथ को ऊपर नहीं उठा रहे थे | तभी पार्वती(विष्णु भगवन ) कहने लगी भोले ऐसे नहीं नाचते थे वो तो दोनों हाथ उपर करके नाचते आते थे |

     अब भस्मासुर ने जैसे ही कड़े वाले हाथ को अपने सर के उपर घुमाया तभी भगवान् विष्णु ने कहा हो जा भस्म | भस्मासुर वही भस्म हो गया और कड़ा वही गिर गया | विष्णु भगवान ने कड़े को उठाया और अपने असली रूप में आकर के भगवान शिव के पास पहुच  गया जहाँ पर वह गुफा थी | भगवान विष्णु ने जोर से आवाज लगाई और कहा भोले नाथ जी बाहर आ जाओ लेकिन अन्दर से कुछ आवाज ही नहीं आई | विष्णु ने एक बार फिर से आवाज लगाई तब भी अन्दर से कुछ आवाज नहीं आई तो उन्होंने एक बार और जोर से आवाज लगाई और कहा में भगवान विष्णु हूँ बाहर आ जाओ | इस बार आवाज आई "मेरे पास से भस्म कड़ा को उस भस्मासुर ने ले लिया है जब तक वह उसके पास है में बाहर नहीं आऊंगा क्योकि वो मुझे भस्म भी कर सकता है |

     विष्णु ने कहा उसे तो मेने भस्म कर दिया है और कड़ा भी मेरे पास आ गया है अब तो आजाओ बाहर | शिवजी कहने लगे मुझे किसी पर भी कोई विश्वास नहीं रहा है जब तक कड़ा मेरे पास नहीं आ जाता में बाहर नहीं आऊंगा | भगवान विष्णु ने उस कड़े को किसी छिद्र से अन्दर फेंक दिया कड़ा अंदर आते ही शिवजी ने उसको पहन लिया और बाहर आ गए | अब बाहर आकर दोनों आपस में गले मिले और शिव ने उनसे पूछा तुमने उसको केसे मारा  | विष्णु कहने लगा छोडो उस बात को | लेकिन भगवान् शिव ने जिद् पकड़ ली तो आखिर विष्णु भगवान् ने  उनको वो ही पार्वती का मोहिनी रूप दिखाया |

    भगवान् शिव ने मोहिनी रूप देखा तो वो अपने आप को रोक नहीं पाए और उन्होंने अपना अंश त्याग दिया तभी विष्णु भगवन ने वो अंश जमीन पर गिरने से बचा लिया और अपने हाथ पर ले लिया अब दोनों शोचने लगे अब इसका क्या करे अंत में एक ख्याल आया की अंजनी को श्राप लगा हुआ है चलो उसको इसे देकर उसको श्राप मुक्त कर दे | दोनों जमीन पर गये और देखा की अंजनी ने एक विशाल जंगल में अपनी एक कोठरी बनाई हुई है | और वह किसी भी मर्द का मुख नहीं देखना चाहती थी क्योकि उसको श्राप लगा हुआ था की उसको क्वारी को ही बच्चे को जन्म दे देगी ये श्राप उसकी माँ ने दिया था इस श्राप को किस कारन से दिया गया था उसकी जानकारी के लिए आप मेरी कहानी "अहिल्या केसे बनी पत्थर की मूरत " को पढ़ सकते हो |

    दोस्तों दोनों के दोनों जमीन पर आकर अंजनी के पास जाकर आवाज लगायी | तो अंजनी ने अन्दर से ही कहा कोन है |शिव और विष्णु दोनों ने ऋषियों का रूप धारण किया हुआ था और कहा अंजनी बाहर आओ | अन्दर से आवाज आई में नहीं आउंगी क्योकि में किसी भी मर्द का मुह भी नहीं देखूंगी | दोनों कहने लगे अच्छा चलो बाहर आना नहीं चाहती तो ऐसा करो तुम अपने कान में इस पाइप जैसे पोल को लगा लेना | हम तुमको गुरुनाम सुना देते है क्योकि आपने इस कोठरी में बंद रहकर अभी तक गुरु नाम नहीं सुना तुम नुगुरी हो और तुमको गुरुनाम सुनना बहुत जरुरी है | अंजनी ने कहा ठीक है, अंजनी अब गुरु नाम सुनना चाहती है विष्णु ने वो पाइप जैसा पोला उसके कान तक किसी छिद्र से उसके कान तक पंहुचा दिया |

    विष्णु भगवान् ने उसको गुरुनाम सुनाया और अंत में गुरुनाम सुनाने के बहाने उन्होंने वो शिव का निकला हुआ अंस उस पाइप से उसके कान में डाल दिया जो अंजनी के कान के द्वारा उसके गर्व तक पहुच गया और उसके गर्व ठहर गया | लेकिन जब विष्णु ने उस अंस से सने हुए हाथ को घास से पूंछा तो उस घास को हिरनी ने खा लिया तो उसको भी गर्व ठहर गया | और जब विष्णु भगवान् ने अपना हाथ पानी में धोया तो उस अंस को मछली ने निगल लिया तो इधर मछली भी गर्व के भी गर्व ठहर गया |

    दोस्तों अंजनी के गर्व से तो मारुती जिसे हनुमान कहते है, ने जन्म लीया और हिरनी के गर्व से हिरनाकुश ने जन्म लिया | मछली के पेट से मछन्दर नाथ ने जन्म लिया |



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