विशेषक और भाग्य माता वार्तालाप
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पुरानी हवेली की गुफा का रहस्य
राजा रग की कहानी और राजा दशरथ का जन्म पार्ट - 1
राजा की बात सुनकर भाग्यमाता कहने लगी विशेषक मेने तुम्हारी जोड़ी एक धोबी की लड़की के साथ लिखी है तुम्हारी शादी धोबी की लड़की से ही होगी | राजा ने कहा नहीं तुम झूठ बोल रही हो मैं पंडित होकर एक धोबी की लड़की से शादी नहीं करूंगा | में देखूँगा कैसे होती है मेरी शादी धोबी की लड़की से शादी | दोस्तों राजा अपने महल ने पहुँच गया और नौकर से कहा की जाओ धोबी की लड़की को मेरे पास लेकर आओ में उसको अपने हाथो से मारूंगा | नौकर ने राजा की आज्ञा पाकर धोबी के घर गया और कहा की राजा ने आपकी लड़की को महल में बुलाया है लेकिन धोबी ने कहा की हमारे तो घर में अभी तक कोई लड़की ही पैदा नहीं हुई है |
फिर राजा कोनसी लड़की की बात कर रहे है | नौकर ने कहा राजा ने कहा है जो भी लड़की उसको लेकर आ जाना धोबी ने कहा लड़की तो अभी नहीं है लेकीन मेरी पत्नी के कोख में एक बच्चा है पता नहीं लड़की है या लड़का | जन्म लेने के बाद राजा को खबर कर दूंगा | दोस्तों यहाँ के लोग सभी राजा की आज्ञा का पालन करते है | जब धोबी की पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया तो वो लड़की ही थी | धोबी ने तुरंत राजा को खबर कर दी राजा आये और लड़की को उठाकर ले गए और उसकी दायीं जांग ने एक चीरा लगाकर सूटकेश में बंद करके उसको नदी में बहा दिया | सूटकेश बहता हुआ किसी दुसरे नगर में जा पंहुचा |
तभी उस नगर के राजा उसी नदी ने स्नान कर रहे थे अचानक से वह सूटकेश उससे टकरा गया | उसने उसको खोला तो देखा की उसके अंदर एक लड़की बंद है राजा बहुत खुश हुआ क्योकि राजा की कोई संतान नहीं थी | राजा कहने लगा हे भगवान् आपने मेरी खुशियों से झोली भर दी | वो राजा उस लड़की को बहुत लाड प्यार से पालने लगा और लड़की दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ने लगी और जल्द ही बारह वर्ष की उम्र में ही वह शादी के लायक हो गयी | राजा ने उसी विशेषक राजा के यहाँ उस लड़की के विवाह के लिए नारियल टीका भेज दिया और राजा विशेषक को पता भी नहीं की वो धोबी की ही लड़की है उसने नारियल टीका स्वीकार कर लिया | और राजा विशेषक की शादी उस धोबी की लड़की से हो गयी |
विशेषक तो रोजाना शिकार के लिए जाते और रोजाना वाही धोवी की लड़की उसके लिए पानी लेकर दरवाजे पर खडी रहती थी | और उसको आते ही सबसे पहले उसको पानी पिलाती थी एक दिन उसको भाग्यमाता मिल जाती है राजा कहने लगा की माता तुम झूटी हो हमेशा झूट बोलती रहती हो तुमने कहा था की मेरी शादी धोबी की लड़की से होगी लेकी नहीं मेरी शादी तो एक राजा की लड़की से हुई है जो बहुत बड़ा राजा है | भाग्यमाता कहने लगी में झूट नहीं बोलती हु क्योकि जो मेने लिखा था वही हुआ है तुम्हारी शादी उसी धोबी की लड़की से हुई है जिसको तुमने संदूक में बंद करके बहा दिया था यकीन नहीं हो तो देख लेना तूने उसके दायीं जांग में चीरा भी लगाया था जाओ जाकर देख लेना |
राजा जब अपने महल पंहुचा तो उसने अपनी रानी की दायीं जांग को देखा तो वो पहचान गया की ये तो वही धोबी की लड़की है | राजा सुबह शिकार खेलने निकल पड़ा और वो रानी से ये कहकर नही आया की में अब कभी नहीं आऊंगा | राजा महल से आकर बियाबान जंगल में निकल पड़ा और तपस्या पर बैठ गया | इधर वो रानी पानी लेकर उसकी राह देख रही थी लेकीन वो अभी तक नहीं आये थे रानी रानी को खड़े खड़े नों रुत बीत गयी | राजा जहाँ पर तपस्या पर बैठा था उसी पेड़ में कुछ पंछी बाते कर रहे थे एक चकुआ चकवी से कहने लगा की देखो जो ये इंसान यहाँ बैठ कर तपस्या कर रहा है ये सीधा नर्ख को जा रहा है |
स्वर्ग और नर्ख का फेंसला
अगर ये घर जाकर एक रात में दश रुत दे देता है तो इसकी सातो पीढीयां स्वर्ग को जाएँगी | रानी की दश रुत हो चुकी थी राजा शोचने लगा अगर में तपस्या पर बैठता हु तो में नर्ख में चला जाऊँगा राजा घर की तरफ चल दिया और एक रात में उसने नों रुत दे दी लेकिन दश रुत नहीं दे पाया क्योकि दिन निकल आया था और दिन में राजा विषयभोग नहीं करते थे इसलिए उन दोनों ने गधा गधी का रूप धारण किया और एक रुत उसमे दे दी इस तरह से उसने दश रुतो को पूरा कर लिया दश रुत पूरा करने के बाद उसके एक लड़का पैदा हुआ | लंका में रावण जन्म लियो बीस भुजा दश शीस माता ने साचो कियो किस्मत गद्दों शीश |
रावण का जन्म और उसको सोने की लंका मिलना
उस लड़के की बीस भुजा और दश शीस थे लड़के का नाम रावण रख दिया लड़का बड़ा होने लगा | इधर भगवान् शंकर से पार्वती कहने लगी महदेव जी अपना कोई गाँव या कोइ ठीकाना तो होना चाहिए दोनों हमेशा इधर उधर ही घुमते रहते है |शंकर भगबान ने कहा अपना क्या काम है ठिकाना बनाने का हमेशा घुमते रहते है कुछ काम भी नहीं आएगा |लेकिन पार्वती ने जिद पकड़ ली आखिर में उसने अपने लिए एक सोने की लंका बना ली जो बहुत सुंदर थी जिसमे आशोक वाटिका भी थी | भगवान् ने कहा चलो हमने नयी लंका बनायीं है तो नांगड कर देते है |
रावण अब वो राजा हो चुका था वो एक पंडित होने के कारन उसको शंकर भगवान् ने भोजन के लिए न्योता दे दिया जब रावण भोजन करने के लिए आया तो उसने लंका देखी तो देख कर दंग रह गया क्योकि उसने कभी इतनी सुन्दर नगरी नहीं देखी थी उसने भोजन किया और भगवान् शिव ने कहा पंडित जी बातों क्या दक्षणा लेना चाहते हो | रावण ने कहा में ऐसे नहीं मांगूंगा पहले वचन दो की जिसे में मान्गुगा उसे आप दे देंगे | भगवान् शिव ने वचन दे दिया रावण ने झट से सोने की लंका मांग ली | अब भगवान् शिव को सोने की लंका देनी पड़ी |
दोस्तों कहानी तो आगे रामायण का रूप ले लेगी इसलिए इसको में यही समाप्त करता हूँ | रामायण से हमारी और कहानी भी है जैसे हनुमान का जन्म, राम का जन्म राम का वनवास जाना, अहिल्या कैसे बनी पत्थर की मूरत और भी बहुत सारी कहानियां है | दोस्तों केसी लगी मेरी कहानी कोमेंट में जरूर बताये शेयर और सब्सक्राइब करना न भूले
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