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    Monday, March 19, 2018

    बैन बादशाह सहजादी की कहानी पार्ट - 2

    बैन बादशाह सहजादी - 2

     

      

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    आपने पिछली पोस्ट में पढ़ा था .....
    वजन को देख कर सोचने लगा इसमें तो कोई माल है इसे तो कुटिया में ले जा कर ही खोलुन्गा वो सीधा कुटिया में घुस गया| और उसको खोला तो देखा की लड़का लड़की दोनों अंगूठा पी रहे थे ऋषि ने सोचा ये मेने क्या कर लिया | अगर में इनको वापस छोड़ कर आऊ तो ये मेरा पाप होगा | इसलिए इनको पालने में ही भलाई होगी |
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    अब आगे ...
    वह ऋषि उन दोनों बच्चो का पालन पोषण करने के लिए एक दूध देने वाली एक बकरी को ले आये क्योकि वे बच्चे बहुत छोटे थे माँ नहीं होने के कारण ऋषि उनके लिए एक बकरी लाये थे | बच्चे दिन दुगने रात चौगुने जवान होते चले गये | उस ऋषि ने सोचा अब ये अपना जीवन खुद जी सकते है इसलिए उनको एक मेले में ले जाकर उनको एक एक आइसक्रीम दिलाकर उनसे कहने लगा में अभी आता हूँ | ये बात कहकर वो उनकर छोड़कर घर आ गया | मेले में दोनों भाई बहन बाबा के आने का इन्तजार करने लगे लेकिन शाम तक बाबा नहीं आये तो दोनो भाई बहिन उसी बाबा की कुटिया में वापिस आ गए
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    | वहा देखा तो बाबा वहां आराम से अपने काम में व्यस्त में थे  दोनों भाई बहन को आता देखा वो चोंक गया की ये केसे वापिस आ गए | दोनों भाई बहिन बाबा के पास जाकर बोले बाबा तुम हमको मेले में अकेले छोडकर क्यों आ गए | ऋषि कहने लगा देखो बच्चो मेने तुम दोनों को पालपोष कर बडे कर दिए है अब में बूढा हो चुका हूँ अब में तुमको  नहीं रख सकता | क्योकि अब मुझे ईश्वर की तपस्या में लीन होकर बैठना है | तभी उस लड़के ने कहा बाबा अगर हम अकेले गए तो कोई भी मुझको मारकर मेरी बहिन को मुझसे छीन कर ले जायेगा | ऋषि ने कहा में तुमको इसके लिए कुछ देना चाहता हूँ आओ अन्दर आओ |
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     ऋषि उनको अन्दर लेकर गया और अपने मंत्रो से एक लम्बी रस्सी, एक डंडा , एक जल से भरा हुआ लोटा और एक छोटा सा चमकीला जादुई  पत्थर बनाये | और उनको लड़के को देते हुए कहा देखो बच्चा ये एक लम्बी रस्सी है, चाहे  जितने  भी आदमी आ जाये तुम इस रस्सी को कहो की "चल गुरु की रस्सी सभी के हाथ पांव बांध कर पटक दो" ये रस्सी बिना समय लगाये सबके हाथ पांव बांध देगी | और दूसरी चीज  ये एक डंडा है दिखने में ये साधारण सा डंडा है |

     लेकिन तू कहोगे की चल गुरु के डंडे  सबके कान छोड़ कनपटी (कान के नीचे का हिस्सा ) कनपटी मारो तो ये डंडा ऐसा ही करेगा | ये है तीसरी चीज जल से भरा हुआ लौटा वैसे तो आप इसमें साधारण जल भी भर कर भी काम में ले सकते हो अगर तुम  पीली मिटटी से एक चौड़ा लीपकर उसके बीच में ये लोटा रखकर इसको कहो चल गुरु के लोटे छत्तीस प्रकार के भोजन तैयार कर दो तो सेकण्ड से पहले आपको मनचाह भोजन मिल जायेगा ये है लास्ट चौथी चीज सुनहेरा पत्थर इसको जब भी गुरु का नाम लेकर किसी साधारण पत्थर से टच करोगे तो ये पत्थर उस पत्थर को सोना  बना देता है

    दोनों बहिन भाई ने  इन सब  चीजो को लेकर बाबा को धन्यवाद देते हुए वहा  से चल दिए और कहीं किसी जंगल ने उन्होंने अपना डेरा बना लिया | और पास के नगर से किसी बड़े कारीगर को बुलाया और कहा हमें एक दिन में महल तैयार करवाना है ने कहा बन तो जायेगा मगर खर्चा बहुत आएगा | लड़के ने कहा खर्चा जितना भी हो कोई बात नही लग जाने दो खर्चा | कारीगर ने दो सौ आदमी काम पर लगा दिए जितना खर्चा आया उसने उस गुरूजी के सुनहरे पत्थर से सोना बना कर उसको दे दिया और एक दिन में महल तैयार हो गया |

    उस लड़के के पास पैसों की तो कोई कमी नहीं थी जितना चाहे बना लेता था | लड़के को जंगल में रहकर शिकार करने का सुक लग गया और शिकार करने के लिए जाया करता था | एक दिन वो लड़का शिकार के लिए गया हुआ था | और उसकी बहन छत पर बाल सुखा रही थी | तो एक स्त्री उस महल के चारो तरफ चक्कर लगा रही थी  उस लड़की ने देखा तो उसको बुलाया और कहा तुम रोजाना इधर कहां जाती हो | वह स्त्री कहने लगी में पास के नगर के राजा की दासी हूँ और वहां की रानी के बाल गुन्थने जा रही हूँ | लड़की ने कहा बहन क्या तुम मेरे बाल भी गूंथ दोगी  दासी ने कहा जरूर गूँथ दूंगी दासी ने उस लड़की के बालो को अच्छी तरह से गूंथ दिए | लड़की ने अंदर से एक सोने का पत्थर लाकर उसको दे दिया |
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