अपने भाग का फल

अपने भाग्य का फल 

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 नमस्कार दोस्तों में आज लेकर आया हूँ  एक नई स्टोरी जिसमे अपना भाग्य देखा जाता है कहानी बहुत अच्छी है अब कहानी शुरू करता हूँ | एक राज्य में एक राजा राज्य करता था राजा बहुत घमंडी था  | उसके सात लडकीयाँ थी सातो लड़की बहुत सुन्दर थी | एक दिन राजा ने सभी लडकियों को एकत्र किया और अपनी बड़ी लडकी से पूछा तुम किसके भाग्य का खाती हो | लड़की ने तुरंत कहा पिताजी आपके भाग्य का खाती हूँ दूसरी लड़की से भी पुछा तो उसने भी यही जबाब दिया और फिर तीसरी, चौथी, पांचवी, छटी से भी पूछा तो उन सब ने भी यही जबाब दिया | आखिर में सातवी लड़की से भी पूछा तो उसने कहा पिताजी में तो अपने भाग्य का खाती हूँ | 

ये बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया क्योकि उसको उसकी मर्जी का उत्तर नहीं मिला | उसने उससे कहा तुम अपने भाग्य का खाती हो में देखता हूँ केसे तुम अपना भाग्य का खाती हो | उसने सभी लडकियों  की शादी बहुत अछे घरो में कर दी लेकिन सातवीं लडकी की शादी एक लंगड़े मोर के साथ कर दी | वो लड़की बहुत दुखी थी क्योकि उसके पिताजी ने उसके साथ ऐसा किया था  वो लड़की उस मोर के साथ ही रहती थी | एक दिन मोर एक पेड़ की डाल पर बैठा हुआ था और वो लड़की उसी पेड़ के नीचे बैठी हुई थी की अचानक से एक जोरदार तूफ़ान आ गया | उस तूफ़ान की वजह से मोर जमीन पर गिर पड़ा और मर गया |

 मोर मर जाने के कारण लड़की जोर जोर से रोने लगी  और कहने लगी हे  भगवन तुमने ऐसा क्यों किया अब में किसके सहारे जिउंगी | मेने आपका क्या बिगाड़ा है जो मुझे इतनी बड़ी सजा दे रहे हो | लड़की विलाप करती रही थोड़ी ही देर में वहां पर भगवान प्रकट गो गए | लड़की से पूछने लगे तुम क्यों रों रही हो | लड़की बोली मेरे पिताजी ने मेरी शादी इस लंगड़े मोर से कर दी थी | लेकिन अभी तूफ़ान की वजह से इस पेड़ से गिरकर इसकी मौत हो गयी है अब में तो बिलकुल अकेली हो गयी हूँ | लड़की की हालत कहकर भगवान ने उस मोर को एक  21 वर्ष का सुन्दर लड़का बना दिया उसका नाम मोरध्वज रख दिया और उसको इतना धन दे दिया की उसको वो पूरी उम्र में भी खर्च नहीं कर सकता था | सब कुछ देने के बाद भगवान अंतरध्यान हो गये |

दोस्तों अब उस तरफ चलते है जहां उसका पिताजी है वह राजा है | एक दिन किसी दुसरे राज्य के राजा ने उस पर हमला कर दिया और सारा राजपाठ छीन लिया | अब लड़की का पिताजी केशर की खेती करके और उसको गाँव गाँव में बेचकर अपना गुजरा किया करता था | एक दिन वह उसी लड़की के गाँव में चला गया तो उस लड़की के महल के सामने से निकल रहा था | उसकी लड़की ने उसको आवाज लगाई तो वो वहा रुक गया लड़की ने कहा जितनी भी केशर है उसको यहाँ डाल दो हम मकान में लगवा देंगे | वो केशर डालने लगा तो उसकी लड़की  ने उसको पहचान लिया की ये तो पिताजी है |

 उनको बुलाया और कहा आप तो मेरे पिताजी की तरह लगते हो जब उन्होंने अपना नाम बताया तो पता लग गया की ये तो पिताजी है लड़की ने कहा की पिताजी आप केशर बेच रहे हो ? आपका राजपाठ कहाँ गया उसके पिताजी ने रोते हुए सब कुछ बता दिया और कहा बेटी तुम ठीक कहती हो कोई किसी के भाग्य का नहीं खाता सब अपने अपने भाग्य का खाते है   
दोस्तों कोई किसी के भाग्य का नहीं खाते है जो भी खाता है अपने भाग्य खाता है , कैसी लगी मेरी कहानी शेयर जरूर करिये
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