कामयाबी की ऊंची उड़ान और नीचे गिरने का डर।
यह कहानी है दीक्षा की। दीक्षा बचपन से ही मध्यमवर्गीय लोगों के बीच पली बड़ी थी। उसकी फैमिली भी मध्यमवर्गीय लोगों में ही आती थी। उसकी फैमिली में लड़कियों को जॉब करना अलाउड नहीं था। दीक्षा बचपन से ही बड़े होकर एक फेमस एक्ट्रेस मतलब अभिनेत्री बनना चाहती थी पर उसने डर के कारण यह बात किसी से कहीं नहीं थी।
उसे डर था अगर मैं ऐसा कहूंगी तो इससे मेरी लाइफ स्टाइल पर भी बहुत फर्क पड़ेगा। क्योंकि दीक्षा बचपन से ही फिल्म गाने देखने मैं अपना ज्यादा समय बिताती थी ताकि वह भी उन अभिनेत्रियों से कुछ सीख सके जो अभिनेत्री उस फिल्म में काम करती दिखाई देती है। कुछ एक्टिंग सीख सके कुछ डांसिंग सीख सके कुछ डायलॉग बोलना सीख सके। उसे बस यही डर था अगर मैं यह बात अपने घर में बता दूंगी तो मेरा टीवी ही देखना बंद हो जाएगा फिर मैं फिल्म गाने नहीं देख पाऊंगी अपने आपको अपने सपने के लिए तैयार नहीं कर पाऊंगी। पर दीक्षा यह भी जानती थी कि अपने माता-पिता से छुपकर वह यह सपना कभी पूरा नहीं कर सकती। आज की दुनिया में हर वक्त मां-बाप का साथ होना जरूरी होता है मां-बाप अगर साथ नहीं होते तो बच्चे एक कदम भी आगे बढ़ने में डरते हैं पर दीक्षा करती भी तो क्या वह अपना सपना पूरा करना चाहती थी वह सपने के पीछे इतना पागल सी हो गई थी कि वह अपनी पढ़ाई तक छोड़ देना चाहती थी।
जिससे वह अपने आप को और ज्यादा वक्त दे सके और टीवी में दूसरी अभिनेत्रियों को देखकर उनसे ज्यादा एक्टिंग डांसिंग आदि सीख सकें। लगभग 2 साल बाद दीक्षा की पढ़ाई भी जैसे तैसे पूरी हो गई अब दीक्षा की शादी के लिए लड़का ढूंढा जाने लगा क्योंकि मां-बाप को तो अपनी बेटी विदा ही करनी पड़ती है और दीक्षा की उम्र भी शादी लायक हो गई थी। पर दीक्षा शादी करना नहीं चाहती थी वह तो बस अपना सपना पूरा करने के लिए आजाद रहना चाहती थी उसे लगता था की शादी के बाद में अपना सपना पूरा नहीं कर पाएगी। पर जब दीक्षा के मां-बाप ने दीक्षा को बताया कि उसके लिए लड़के वाले उसे देखने के लिए आ रहे हैं तो दीक्षा ने कहा की मैं शादी नहीं करना चाहती मैं आजाद रहकर अपना एक सपना पूरा करना चाहती हूं कि माता-पिता ने पूछा कि हमें बताओ तुम्हारा क्या सपना है |
हम तुम्हारी उसमें कुछ मदद कर देंगे तो दिखेगा कहा नहीं समय आने पर पता चल जाएगा कि मेरा क्या सपना है पर मैं अभी शादी नहीं करना चाहती। यह सब सुनने के बाद दीक्षा के माता-पिता ने कहा की ठीक है हम तुम से कोई जोर जबरदस्ती नहीं करेंगे तुम एक बार लड़का देख लो तुम्हें पसंद आता है तो ठीक है वरना जहां तुम कहोगी वही शादी कर देंगे। वैसे भी आजकल के बच्चे अपनी पसंद से ही शादी करते हैं मां-बाप की पसंद की किसी को कदर ही नहीं है। दीक्षा ने पूछा की मां लड़के वाले कब देखने आ रहे हैं उसकी मां ने कहा बेटी वह लड़का यहां नहीं विदेश में रहता है विदेश से आने में उसे एक हफ्ता लग जाएगा तो एक हफ्ते बाद ही तुम्हें वह लोग देखने के लिए आएंगे तो जब तक तुम अच्छे से तैयार भी हो जाना हमने तुम्हें इसलिए बता दिया कि तुम इस सब के लिए पहले से ही तैयार रहो। दीक्षा ने कुछ नहीं कहा और वह चुप रही। मां के जाते ही दीक्षा का फोन बजा दीक्षा ने जब फोन देखा तो उस पर उसकी बेस्ट फ्रेंड टीना की कॉल आ रही थी। दीक्षा कॉल उठाना तो नहीं चाहती थी लेकिन उसे लगा अगर मैंने ऐसा किया तो शायद टीना कहीं बुरा ना मान जाए क्योंकि वह मेरी बेस्ट फ्रेंड है वह मेरी हर परेशानी में मेरी सहायता करती है मेरा साथ देती है मेरी फिक्र भी करती है तो मैं उसके साथ में ऐसा तो नहीं कर सकती। दीक्षा ने जब कॉल अटेंड की और उदास आवाज में कहां है हेलो टीना मैं दिक्षा बोल रही हूं और बता कैसे कॉल किया। तो टीना को सब समझ में आ गया कि दीक्षा का मुंड जरूर ही खराब है फिर टीना ने दीक्षा से पूछा क्या हुआ आज तुम इतनी गुमसुम क्यों लग रही हो ज्यादा बात भी नहीं कर रही फोन पर। दीक्षा ने टीना से कहा देखना यार मेरी लाइफ में एक बहुत बड़ी टेंशन आ गई है मैं अपने सपने के लिए आजाद रहना चाहती हूं और मां है कि मुझे शादी के पिंजरे में कैद कर देना चाहती है। यह सुनकर एक बार तो टीना भी चुप रह गई और कहा अच्छा तो तुझे लड़का पसंद है दीक्षा ने कहा यह तू क्या कह रही है लड़के को तो मैंने अभी देखा ही नहीं है दरअसल लड़के वालों की अभी खबर मिली है अभी मैं उनसे नहीं मिली हूं 1 हफ्ते बाद वह लोग मुझे देखने आएंगे। टीना ने कहा एक हफ्ते बाद पर कल परसों क्यों नहीं दीक्षा ने कहा वह इसलिए क्योंकि जो लड़का मुझे देखने आ रहा है वह यहां नहीं विदेश में रहता है और विदेश से आने में उसे एक हफ्ता लग जाएगा उस लड़के के आने के बाद ही उसके माता-पिता यहां आएंगे।
कामयाबी की ऊंची उड़ान और नीचे गिरने का डर।
टीना ने कहा यार यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुझे पहली बार में ही एक विदेशी लड़का मिल गया शादी करने के लिए। दीक्षा ने कहा यह तू कुछ भी क्यों बोल रही है लड़का विदेशी नहीं देश का ही है सिर्फ रहता विदेश में है उसके माता-पिता तो यही भारत में ही रहते हैं टीना ने कहा तू भी क्यों बच्चों जैसी बात कर रही है अगर उसके माता-पिता भारत में नहीं रह रहे होते तो क्या वह तुझे देखने के लिए आते। क्योंकि विदेशी लोग तो विदेश में रह रहे होते है तो अपने बेटी की शादी के लिए वह विदेश की लड़की ही चुनते है।
तो अब बताओ अगर वह लोग ब्रेक में रह रहे होते तो तुझ जैसी भारतीय लड़की को क्यों देखने आते। दीक्षा ने कहा टीना अब यह सब बातें छोड़ और मुझे बता कि मैं इस समस्या से बाहर कैसे निकलूं मैं बस इतना चाहती हूं कि मेरा काम भी हो जाए और किसी को बुरा भी ना लगे टीना ने कहा मतलब मैं समझी नहीं फिर दीक्षा ने कहा। कि मैं यह चाहती हूं कि यह शादी ना हो और मां-बाप का मान भी रह जाए मैं उन्हें सीधे मना करके उनका अपमान नहीं करना चाहती। टीना ने कहा अब मैं समझ गई तू ऐसा कर। लड़का विदेश में रहता है तो तुझे इससे बेहतर लड़का और कहीं मिल ही नहीं सकता तू उस दिन का इंतजार कर जब वह लोग तुझे देखने आएंगे अगर तुझे लड़का पसंद आता है। तो तू उससे अकेले मैं उसे सब कुछ बता देना कि।
कि तू एक अभिनेत्री बनना चाहती है। अगर लड़के ने तेरी बात का जवाब यह कह कर दिया कि ठीक है मुझे कोई एतराज नहीं है तो तू शादी के लिए हां बोल देना। क्योंकि शादी के कुछ समय बाद तो तु अपने सपने को पूरा कर सकती है। तो तेरे लिए तो इससे बेहतर मौका और कोई हो ही नहीं सकता। क्योंकि देख शादी तो तुझे करनी ही पड़ेगी आज नहीं तो कल लेकिन अभी यह लड़का तेरे लिए मुझे बेस्ट ही लग रहा है क्योंकि लड़का विदेश में रहता है काम भी उसका वही होगा तो तुझे वह लड़का विदेश में रखेगा।
इसका मतलब तू फिर अपने सपने के लिए पूरी तरह से आजाद हो जाएगी। दीक्षा ने कहा ठीक है मैं समझ गई तू क्या कह रही है तेरा बहुत-बहुत धन्यवाद कि तूने मेरी मदद की ठीक है अब मैं ऐसा ही करूंगी जैसे तूने कहा ऐसा कह कर देख सामने कॉल काट दी। और टीना की बातों को सोचते हुए उसने एक हफ्ता गुजार दिया।एक हफ्ते बाद लड़के वाले रिश्ता लेकर आ गए दीक्षा को लड़का पसंद आया तो उसने अकेले में उस लड़के से अपनी मन की बात कह दी लड़के ने कहा ठीक है मुझे कोई एतराज नहीं है पर एक बार मां बाप से भी तुम इस बारे में बात कर लो तो बेहतर होगा क्योंकि उन से छुपाकर तुम कुछ नहीं कर पाओगी और मैं उनसे यह सब अभी नहीं कह पाऊंगा तुम अभी खुलकर कह सकती हो पर शादी के बाद जब तुम नई नई दुल्हन बनोगी तब नहीं कह पाओगी। दीक्षा ने कहा ठीक है मैं समझ गई मैं अभी उनसे बात करती हूं फिर दीक्षा ने अपने माता-पिता के सामने ही उस लड़के के माता-पिता से भी बात की। कि मैं अपने भविष्य में एक सफल अभिनेत्री बनना चाहती हूं और इसके लिए अगर आपको कोई आपत्ति ना हो तभी मैं इस रिश्ते के लिए हां करूंगी नहीं तो मैं शादी नहीं करूंगी यह सुनकर उसके माता-पिता दंग रह गए पर लड़के के माता-पिता ने कहा ठीक है हमें कोई आपत्ति नहीं बस तुम अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से निभाना बाकी हमें तुम्हारे सपने से कोई परेशानी नहीं।
लड़की वालों के मुंह से ऐसी बात सुनकर दीक्षा के माता-पिता अब खुश हो गए और उन्होंने कहा ठीक है हम दीक्षा से इस बारे में कोई बात नहीं करेंगे अब दीक्षा रवि के माता-पिता की होने वाली बहू है। तो वह जो कहेंगे दीक्षा वही करेगी। जाते-जाते दीक्षा ने उस लड़के से उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम रवि बताया रवि ने कहा कि। मैं विदेश में ही अपना बिजनेस करता हूं और शादी के एक दो महीने बाद तुम्हें भी मैं विदेश में ही रहने के लिए बुला लूंगा। तुम्हें बस शादी के बाद एक दो महीने तक ही मां-बाप के साथ रहना पड़ेगा। यह सुनकर दीक्षा बहुत खुश हुई और उसने कहा ठीक है तो अब यह शादी का मुझे इंतजार रहेगा देखते देखते शादी का दिन भी आ गया और रवि और दीक्षा की शादी बहुत धूमधाम से हो गई शादी के बाद दीक्षा नई-नई अपनी ससुराल में गई तो दीक्षा ने अपनी सास ससुर की बहुत सेवा की और अपनी सारी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाया और 3 महीने बाद रवि ने भी दीक्षा को विदेश में बुला लिया और दोनों वहीं रहने लगे। फिर एक दिन रवि ने कहा अब समय आ गया है अब तुम अपने सपने की तरफ बढ़ सकती हो तुम अब जो करना चाहती थी वह कर सकती हो पैसा चाहिए तो मैं दूंगा सपोर्ट चाहिए तो मैं दूंगा बस तुम अब मेहनत करो। लेकिन हर काम ईमानदारी और इज्जत से करना इज्जत का मतलब तुम अच्छे से जानती होंगी आजकल लड़कियों को ऐसे कामों के लिए पहले अपने जिस्म का सौदा करना पड़ता है तब जाकर उन्हें यह काम करने का मौका मिलता है मैं चाहता हूं कि तुम ऐसा कुछ ना करो। दीक्षा ने कहा ठीक है मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी और अगर तुम ना भी कहते तो मैं ऐसा कुछ नहीं करती क्योंकि ऐसा करके मैं भी जानती हूं कि मैं अपनी इज्जत खो लूंगी तो फिर दुनिया में अपनी इज्जत कैसे बनाऊंगी।
फिर रवि ने कहा कि यह मैं नहीं कहता मेरे मां-बाप ने तुम्हारे लिए कहा है। की दीक्षा से कहना अपने सपने में अगर वह कामयाब हो जाए तो इतनी ऊंचाई पर ही जाए जितनी बहुत सहन कर पाए इतनी ऊंचाई पर ना चली जाए जहां से उसे नीचे देखने में या नीचे गिरने में भी डर लगे। क्योंकि ऐसे सपनों में जितनी जल्दी बड़ी उड़ान मिलती है उतनी जल्दी नीचे गिरना भी पड़ता है। दीक्षा ने कहा ठीक है मैं इन सब बातों का ध्यान रखूंगी। रवि और दीक्षा दोनों ही मिलकर अब फिल्मों में काम करने के लिए मौका ढूंढ रहे थे दरअसल रवि दीक्षा के लिए ही किसी ना किसी फिल्म में काम करने का मौका ढूंढ रहा था। रवि की मेहनत रंग लाई और उसने दीक्षा को एक बहुत ही बड़ी इंडियन फिल्म में काम करने का मौका दिलवा दिया इस फिल्म से दीक्षा के करियर की शुरुआत हो गई थी देखते ही देखते दीक्षा एक बहुत ही सफल अभिनेत्री बन गई थी। अब जब वह अपने सपनों की तरफ उड़ान भरने लगी थी तो वह धीरे-धीरे करके अपने सास-ससुर अपने माता-पिता और अपने पति को भूलती जा रही थी उनसे बात नहीं करती थी उनके लिए उसके पास समय ही नहीं था पर वह कहीं ना कहीं रवि के मां-बाप की कही बात भूल गई थी कि जितनी जल्दी कामयाबी की ऊंची उड़ान मिलती है उतनी ही जल्दी नीचे भी गिरना पड़ता है। लेकिन रवि ने अपने माता-पिता और दीक्षा के माता-पिता को समझा दिया कि वह अब इतना समय नहीं निकाल पाती दरअसल उसके पास अब इतना समय ही नहीं है कि वह आप लोगों से बात कर पाए या आप लोगों से मिल पाए लेकिन रवि तो सारी सच्चाई जानता था तो अपने आप को कैसे समझाता।
आखिर दीक्षा अभिनेत्री बनने से पहले उसकी पत्नी थी जब यह सब नहीं था तब तो दीक्षा और रवि खुशी-खुशी एक दूसरे के साथ समय बिता रहे थे लेकिन जब से दीक्षा अपने सपनों की तरफ बढ़ी थी। वह रवि को बिल्कुल भूल गई थी। और अपने कामों में ही बहुत मग्न हो गई थी। दीक्षा ने यह कभी नहीं सोचा था कि उसकी दो फिल्में ही उसे नीचे गिराने के लिए काफी होंगी। दरअसल दीक्षा ने जिस फिल्म में काम करा था उस फिल्म के गाने ज्यादा अच्छे ना होने की वजह से वह फिल्म कुछ ज्यादा चल नहीं पाई थी। जिससे दीक्षा का करियर खतरे में आ गया था उसका फेम खतरे में आ गया था। पर दीक्षा के तो जैसे बुरे दिन शुरू हो गए थे दीक्षा ने फिर जैसे ही दूसरी फिल्म में काम किया तो वह फिल्म फ्लॉप हो गई बिल्कुल चल नहीं पाई। जिससे दीक्षा को बहुत घाटा हुआ और उन दोनों फिल्मों के कारण दीक्षा कुछ और काम नहीं कर पाई थी तो अब उसके पास कुछ काम भी नहीं था वह अब अकेली सी हो गई थी तो दीक्षा को रवि की याद आई तो वह रवि के पास चले आई और रवि से माफी मांगने लगी रवि ने कहा तुम मुझसे माफी क्यों मांग रही हो माफी तो तुम्हें अपने माता-पिता से मांगनी है मेरे माता-पिता से मांगनी है। उसने कहा ठीक है मैं अपने माता-पिता से और तुम्हारे माता-पिता से भारत जाकर माफी मांग आऊंगी वह भारत गई और सबसे माफी मांग कर अपने काम को शुरू करने के लिए विदेश वापस आ गई और फिर रवि से माफी मांगने लगी तो रवि ने कहा कि तुम मुझसे माफी मत मांगो तुमने ऐसी कोई गलती नहीं करी अक्सर इंसान जब ऊंचाइयों पर चला जाता है तो वह अपनों को भूल जाता है पर ऊंचाई ज्यादा दिनों की नहीं होती इंसान को नीचे गिरना ही पड़ता है फिर दीक्षा ने कहा अब मैं समझ गई हूं। मैं अब सबको समय भी दिया करूंगी और अपना काम भी किया करूंगी रवि ने कहा ठीक है अब जैसी तुम्हारी मर्जी हमने पहले कुछ नहीं कहा था तो अब भी कुछ नहीं कहेंगे जैसा चाहे वैसा कर लो। लेकिन जब बुरा वक्त आता है तो अच्छे अच्छे दिन भी बुरे दिन में बदल जाते हैं। समाचार में दीक्षा की दो फिल्मों को लेकर ऐसी खबरें आ रही थी कि यह फिल्में दीक्षा की वजह से ही फ्लॉप हुई है दरअसल दीक्षा ने अपना रोल अच्छे से नहीं निभाया जिसकी वजह से फिल्म ज्यादा चल नहीं पाई अब सबको यही लग रहा था कि दीक्षा की गलती से ही फिल्म नहीं चल पाई है जिससे दीक्षा को और कहीं काम नहीं मिल रहा था अब वह अपना कैरियर खोने लगी थी दीक्षा को महसूस हो गया था कि अब मैं कुछ नहीं कर सकती शायद मैं बहुत ऊंचाई पर चली गई थी इसलिए इतनी ही तेजी से नीचे गिर गई कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं नीचे गिर रही हूं लेकिन सबसे बड़ी गलती तो मैंने यह करी।
हमारी सभी कहानियां यहाँ से पढ़ सकते हैं click here.. कि मैं अपने काम में व्यस्त हो कर अपनों को ही भूल गई उन्होंने तो मुझे इसके लिए माफ कर दिया लेकिन मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी जिन लोगों ने मुझे अभिनेत्री बनने के लिए आजादी दी थी। मैं उनको भूल गई मेरे मां-बाप शायद इसकी इजाजत कभी नहीं देते कभी राजी नहीं होते लेकिन रवि के मां-बाप ने मेरा साथ दिया अब मैं यह सब छोड़ दूंगी और एक साधारण जिंदगी शुरू करूंगी बिलकुल वैसी जिंदगी जैसी शादी के बाद में मैं रवि के साथ रहा करती थी और दीक्षा ने ऐसा ही किया दीक्षा ने सब कुछ छोड़ दिया।अब दीक्षा अपने सास-ससुर की सेवा में ही अपना ध्यान और समय दोनों लगाती और साथ ही रवि को भी खुश रखती। दीक्षा ने रवि से कहा है कि मैं अब इस देश में नहीं रहना चाहती। तुम तुम मुझे भारत ले चलो और वही अपना बिजनेस भी करना।
तुम मेरी वजह से यहां रह सके पर अब मैं यहां नहीं रहना चाहती अब मैं अपने माता-पिता के पास जाना चाहती हूं। अपने सास ससुर के पास जाना चाहती हूं। वही मेरे सब कुछ है यह सब तो एक झूठी शान शौकत थी जो एक झटके में ही सब खत्म हो गई। किसी ने सच ही कहा है कि कामयाबी की इतनी ऊंची उड़ान भी नहीं भरनी चाहिए कि नीचे गिरने का पता भी ना चले और जब नीचे गिरे तो बहुत ही ज्यादा तकलीफ हो और संभल भी ना पाए। फिर दीक्षा रवि के साथ भारत लौट आई और अपने सास-ससुर की सेवा में ही व्यस्त रहने लगी और अपने माता-पिता से भी मिलने चली जाया करती थी जिससे अब उसके माता-पिता भी बहुत खुश थे और उसके साथ रवि भी बहुत खुश थी। दीक्षा अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगी और अपने पारिवारिक जीवन में व्यस्त हो गई। तो यह थी दीक्षा की कहानी। धन्यवाद।