महापुरुषों की दृष्टि में गौ की उपयोगिता और हमारा कर्तव्य

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गौ केवल एक जाति (हिन्दू) विशेष की पूजनीय पशु मात्र नहीं , बल्कि इसके द्वारा दिए जाने वाले अनुदान - दूध , दही , घी , गौ मूत्र , गोबर (पंचगव्य) संपूर्ण मानव जाति के लिए वरदान है | उसका महत्त्व धार्मिक आर्थिक एवं अध्यात्मिक दृष्टि से विश्व  प्रसिद्ध है और सर्वजन हिताय है | 


गौ की महत्ता केवल हिन्दू धर्म में ही हो ऐसी बात नहीं है , संसार के सभी धर्मों के जो सत्यान्वेषी पुरुष हैं इस विषय में एक मत हैं | अब पृथक पृथक धर्म के व्यक्तियों की गाय की महत्ता के सम्बन्ध में विचारधारा दी जा रही है |
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इस्लाम धर्म में गाय का स्थान -

        
                                                            आज देश में बहुत बड़ी संख्या ऐसे व्यक्तियों की है, जो समझते हैं, इस्लाम धर्म में गौवध अनिवार्य है | यदि ऐसा होता तो कई भारत के प्रसिद्ध मुस्लिम सम्राट कभी इसके विरुद्ध आवाज नहीं उठाते | न मौलाना लोग गौ वध के विरुद्ध फतवा ही देते | इस तथ्य की पुष्टि में कुछ उदहारण दिए जाते हैं -
  1. "जब भारत का शासन सूत्र तैमूरवंशी मुगल बादशाहों के हाथ आया, तो उसका प्रथम शासक बाबर हुआ | मरने के समय उसने अपने पुत्र हुमायूँ को एक पत्र लिखा था वह पत्र उसके हस्ताक्षर सहित हूबहू नवाब भोपाल के पुस्तकालय में है | उसकी फोटो लेकर छपरे के प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता डॉक्टकर सैय्यद महमूद ने माडर्न रिब्यू में इस सम्बन्ध में एक लेख भी निकाला था | पत्र में गौ हत्या से परहेज रखने की खास हिदायत की गयी थी |"

2. लखनऊ के मौलाना हावी का फतवा जिस पर अब्दुल हसन, अब्दुल बहीद, अब्दुल अदबली हाजी, काजी हसन मोहम्मद के दस्तखत हैं के अनुसार -

' गाय की कुर्वानी जरूरी और नैमित्तिक नहीं है | अगर कोई उसे छोड़ देता हैं तो धर्म विरुद्ध काम नहीं करता ' 

3. " सुन्दर वसुंद्रा भारत में गाय मांगलिक समझी जाती है | उसकी भक्तिभाव से पूजा होती है | गोबर के खाद का प्रयोग खेती में होता है इसके द्वारा उत्पन्न, दूध, दही, मख्खन आदि से यहाँ के निवासियों की गुजर होती है | गौ मांस निषिद्ध और उसे छूना एवं खाना पाप समझा जाता है | "

ईसाई धर्मवलम्बियों की दृष्टि में गाय का स्थान -


1. " मैं इसकी कल्पना कर सकता हूँ की किसी राष्ट्र के बिना भी गौ हो सकती है, किन्तु में स्वप्न में भी यह अनुमान नहीं कर सकता की कोई राष्ट्र बिना गौ के भी रह सकता है | " (सर विलियम वैडरवर्न)

2. " गौ के सौम्य रूप में वास्तव में देवत्व भरा है | उसमे एक महानता और भव्यता है, जो देवता के अनुरूप है, उसमें शत प्रतिशत मातृत्व है, और उसका निश्चय ही मनुष्य जाति से माता का सम्बन्ध है " (श्री वाल्ट ए.आर अमेरिका के प्रसिद्ध लेखक ) 

3. "जिन लोगों ने संसार में कुछ नाम कमाया है, जो अत्यंत बली और वीर हुए हैं, जिनके समाज में बाल मृत्यु की संख्या बहुत घट गयी है, जिन्होंने व्यापार धंधो पर अधिकार प्राप्त किया है, जो साहित्य और संगीत कला का आदर करते हैं, तथा जो विज्ञान व मानव बुद्धि की प्रत्येक दशा में प्रगतिमान हैं, वे वैसे लोग हैं जिन्होंने गौ के दूध और दूध के बने पदार्थो का स्वच्छंदता से उपयोग किया " (डॉक्टर ई.बी.मैकालम अमेरिका )

4 "कोई जाति बिना गौ पालन के समृद्धिशाली नहीं हो सकती, गौ सबसे उत्तम भोजन मानव को प्रदान करती है | घास खाकर अमृत का दान करती है | जहाँ गौ की अच्छी सेवा की जाती है वहां की भूमि उपजाऊ होती है | वहाँ के निवासी सभ्य, स्वस्थ व बुद्धिमान होते हैं | गौ का दूध संसार में अमूल्य पदार्थ है | गोबर व गोमूत्र की खाद भूमि के लिए लाभदायक है | " ( फिजिकल कल्चर अमेरिका के संपादक )

हम लोगों ने गौ की प्रसंशा के गीत तो बहुत गाये लेकिन उसके पालन- पोषण और वृद्धि पर बहुत काम ध्यान दिया है | हमारे यहाँ जो गायों का मूल्य और सम्मान था वह हमने भुला दिया | आज यह गौ का पुजारी देश करोड़ों - अरबों मूल्य का शुष्क दुग्ध उन देशों से क्रय करता है, जिन पर गाय के विरोधी होने का आरोप है यदि हम अपनी पुरातन सभ्यता, संस्कृति जैसा मान गौ को अब भी देने लगें, कृष्ण की गौ सेवा की पवित्र स्वर लहरी को सुन सकें, तो यह अपना देश पुनः उस स्तर पर पहुँच सकता है | यह भारत भूमि शस्य श्यामला बन पुनः शोना उगलने लगेगी | गौ वह अमर धन है जिससे हमें संसार के चारों पदार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है | हम चाहते हैं की वह दिन शीघ्र आये, जब हम देखें की गायें हमारे आगे हैं, पीछे हैं, चरों और हैं " गटांतांमध्येवसाम्य्हम " हम गायों के मध्य में हैं | 

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