• जरुरी सुचना

    आप हमारी वेबसाइट पर आयें और हमारा मनोबल बढ़ाएं ताकि हम आपको और अच्छी कहानियां लेकर आयें

    daily story maker

    Daily story maker is a hindi story blog that provides you with hindi story with old story, deshi story, big story, moral story, new story, advance story

    Thursday, June 21, 2018

    राजा रग की कहानी और राजा दशरथ का जन्म पार्ट - 2

    ramayan ki suruaat kahan se hui ?


    दोस्ती से दुश्मनी का खुलाशा 

    चार अमीर आदमियों की कहानी 
    नमस्कार दोस्तों !
    हमारी सभी कहानी यहाँ से पढ़ सकते हैं पढ़ने के लिए  यहाँ  क्लिक करे 
    दोस्तों आपने मेरी पिछली पोस्ट तो पढ़ी ही होगीनहीं पढ़ी हो तो आप यहाँ से सीधे पढ़ सकते हो जिसमे श्रावण कुमार अपने माता पिता को भोजन लेकर जाता है और वहां पर सच्चाई का पता चलता है | तब उसने वो हांड़ी को देखा तो उसमे बीच में पर्दी लगी हुई थी वो समझ गया की ये किसका काम है क्योकि वो जानता था  की उसकी पत्नी ही ऐसा कर सकती है उसने अपनी पत्नी को धक्के देकर बाहर निकल दिया अब श्रवण कुमार अपने माता पिता की सेवा में जुट गया एक दिन उसके माता पिता कहने लगे बेटा हमको तीर्थ यात्रा करने की इक्षा हो रही है हम चाहते है की हम तीर्थ यात्रा पर निकल जाए | श्रवण कुमार ने उनको कहा हे माता हे पिता में जानता हु की तुम बहुत दिनों एक जगह रहकर बहुत बोर हो गए हो लेकिन तुम इस बात की चिंता मत करो में तुमको तीर्थ यात्रा पर लेकर जाऊँगा |

     उसके माता पिता अंधे थे वो अधिक बूढ़े होने  की वजह से चल भी नहीं सकते थे | श्रवण कुमार ने एक  कावड़ बनाई और उसके दोनों पलड़ो में अपने माता पिताओ को बिठाकर तीर्थ के लिए निकल पड़ा रास्ते में उसके माता और पिता को प्यास लगी तो उसने कावड़ किसी पेड़ पर लटका दी और ऊपर की तरफ देखने लगा उसको कुछ पक्षी उड़ते नजर आये उसने दिमाग लगाया शायद वहां पानी हो सकता है अपने माता पिता को कहकर चला गया की आप जरा आराम कर लें, में पानी लाता हूँ  श्रवण कुमार पानी लेने के लिए वही जा पहुंचा जहाँ पर वो पक्षी मंडरा रहे थे वहां जाकर देखा | वहां पर पानी का तालाब भरा हुआ था उसे देख कर श्रवण कुमार बहुत खुश हुआ उसने अपना लोटा पानी में डुबोया और पानी भरने लगा , वही चंद्रावल का भाई जिसका नाम दशरथ था  यानी की श्रवण कुमार का मामा शिकार की तलाश में वहीँ छिप कर बैठा था |

    दशरथ के पास एक कला थी की वो चाहे कही भी हो बस उसे आवाज आनी चाहिए वो उस आवाज के जरिये उसको मार देता था ये एक बहुत बढ़िया कला थी जिस का नाम शब्दभेदी कला कहते है, दशरथ उस कला में निपुण था | वह रोजाना उस तालाब पर जाकर छुप जाता और आवाज सुनकर ही न की देखकर उसको शब्दभेदी बाण चलाता था और  उसका शिकार करता था ये उसका रोज का काम था  | जब श्रवण कुमार अपने लोटे को डुबो रहा था तो लोटा डुबोते समय लोटा डूबने की निकली दशरथ को वो आवाज सुनाई दी उसे लगा की कोई हाथी पानी पि रहा है उसने वही से शब्दभेदी बाण छोड़ा और जहाँ से आवाज आ रही थी वही जाकर श्रवण कुमार की छाती में जा लगा और आर पार हो गया | बाण लगने की बजह से श्रवण जोर जोर से, हे भगवान !, हे भगवान ! मेने तेरा क्या बिगड़ दिया पुकारने लगा |

     ये आवाज दशरथ तक पहुंची तो वो डर गया और समझ गया की ये कोई अपना ही आदमी है | राजा  दशरथ छिपने की जगह से निकल कर श्रवण कुमार के पास गया उसने देखा की तालाब के किनारे एक मानव तड़फ रहा है उसे देख कर उसके पास गया और उससे पूछने लगा की तुम कौन हो ? उसने बताया की मेरी माता का नाम चंद्रावल है मेरे पिता का नाम उद्याल है और मेरे मामा का नाम दशरथ है  और मेरा नाम श्रवण कुमार है और में यहाँ अपने माता पिताओं के लिए पानी लेने आया था अब उनको पानी कौन  देकर आएगा वो प्यास से व्याकुल हो रहे होंगे |  राजा दशरथ को पता चल गया की ये तो मेरी बहिन चंद्रावल का लड़का है   ये मेने क्या कर दिया अपनी ही बहिन का लड़का  दिया ये मेने कितना बड़ा पाप किया है | दशरथ ने गोद में उसका सिर लिया और कहा भांजे में तेरा मामा हूँ मेरा नाम दशरथ है ये मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी मुझे माफ़ कर दो | श्रवण कुमार कहने लगा मेरे माता पिता बहुत प्यासे होंगे क्या  माता पिता को प प..  पानी पिला सकते हो |

     राजा दशरथ कहने लगा में जरूर लेकर जाऊंगा | श्रवण कुमार कहने लगा वो जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठ कर आराम कर रहे होंगे जाओ तुम पहले उनके लिए पानी पीला कर आओ और मेरे शरीर से ये जहरीला बाण निकाल  दो | दशरथ ने उस बाण को जैसे ही निकला श्रवण कुमार की एक जोर की चीख निकली और वो ईश्वर को प्यारे हो गए मेरा मतलव उसकी मौत हो गयी | अब राजा दशरथ लोटे में जल भरकर उसके माता पिता के पास गया | वे अंधे थे लेकिन वो आवाज से व सुगंध से  पहचान कर लेते थे  राजा दशरथ उनके पास गया  उन्होंने उसको पहचान लिया और कहने लगे " ना श्रवण की  सिटपिटी ना श्रवण की चाल, जा भाल मेरो श्रवण मारो वही भाल तेरा काल " उन्होंने श्राप दे दिया और कहा जी तरह हम अपने बेटे के लिए तड़फ रहे है उसी प्रकार तुम भी अपने बेटों की विरह में तड़फ तड़फ कर मरोगे और तुम्हारे चार लड़के होंगे लेकिन उस टाइम तुम्हारे पास एक भी लड़का नहीं होगा | ये श्राफ देकर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए |

    राजा दशरथ ये दुःख बर्दाश नहीं कर पा रहा था वह अंदर ही अंदर रोने लगा उसने सबको दाह अग्नि दी और अपने महल में आ गया | समय बीतता गया एक दिन एक नाई उस तालाब से होकर जा रहा था तो उसको वही बाण मिल गया नाई उसको उठाकर घर ले आया | नाई ने उस बाण का एक नाख़ून काटने का औजार बनवा लिया और नाखून काटने का औजार से जाकर सबसे पहले उसकी राजा दशरथ के नाखून काटे | राजा ने नाखून काटने के बाद नाइ को उसकी इनाम दे दी | राजा दशरथ के नाखून काटने से उसके नाखूनों में बिशेरा हो गया जिससे की उसको हाथो में बहुत जलन होने लगी |

    राजा दशरथ की तीन रानियां थी कौशल्या , सुमंत्रा , केकई | राजा दशरथ तीनो रानियों को बहुत प्यार करता था उस तीनो रानियों में से केकई एक ऐसी रानी थी जिसकी जीव  इम्रत था | जब भी राजा दशरथ केकई के पास जाता तो वह आराम से सो जाता था क्योकि राजा दशरथ केकई की जीव के इमरत में अपने हाथ रख कर सो जाता था उससे क्या है न उसकी हाथो की जलन नहीं होती और वो आराम से सो जाता था | एक दिन रानी केकई से राजा दशरथ ने कहा महारानी जी हम आपसे अति प्रसन्न है आप हमें हमारी जिंदगी का सबसे ख़ास पल आपके साथ बीतता है | यानिकि हमारी पीड़ा को तुम ख़ुशी में बदल देती हो  | हम आपको वरदान देना चाहते है मांगो क्या मांगना चाहती हो हम ख़ुशी ख़ुशी देने को तैयार है |

    रानी ने कुछ सोच विचार किया और कहा महाराज में आपसे क्या मांगू आपने हमें सब कुछ दिया हुआ है | राजा दशरथ कहने लगे नहीं नहीं जो कोई तुम्हारी इक्षा हो मांग सकती हो | रानी ने कहा महाराज अभी तो कुछ सूझ नहीं रहा है लेकिन में जरूरत पड़ने पर दोनों वचनो को मांग लुंगी | राजा दशरथ कहने लगा जैसी आपकी इक्षा, आपके लिए में दो वचन दे रहा हु आप जब मर्जी आये तब मांग सकती हो |

    दोस्तों अगर आप चाहते हो की रामायण को आगे बढाये तो में आगे बढ़ा दूंगा अगर आप बोर हो रहे हो तो यही स्टॉप कर देता हु आपके उत्तर का इन्तजार है दोस्तों यहाँ से आगे राम जन्म हनुमान जन्म और भी बहुत कुछ है वैसे रामायण की शुरुआत हो चुकी है क्या आप कहानी को आगे बढ़ाना चाहते है उसके लिए आपको हमें ईमेल करके बता सकते हो हमारा ईमेल आईडी है mohansinghnagar15081997@gmail.com
    या आप सीधे यहा से भी सेंड कर सकते हो
    ईमेल करने के लिए यहाँ क्लिक करे 
    आपकी ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी है

    आपने हमारी पिछली पोस्ट
    नहीं पढ़ी हो तो आप यहाँ से सीधे पढ़ सकते हो 

    राजा रग की कहानी और राजा दशरथ का जन्म  पार्ट - 1
    अहिल्या का छल की कहानी 

    ईश्वर की परीक्षा का कडवा सत्य 

    रावण के जम्म की कहानी 

    पुरानी हवेली की गुफा का रहस्य 


    Popular Posts

    Categories

    Fashion

    Beauty

    Travel