दोस्ती से दुश्मनी का खुलाशा
नमस्कार दोस्तों आज में एक ऐसी कहानी लेकर आया हूँ जो दोस्ती और दुश्मनी की बीच की कहानी है | इसमें एक दोस्ती में दुश्मनो का पर्दा फाश होता है | इस कहानी में कौन किसका दोस्त है किसका दुश्मन है वो इस कहानी के जरिये हम जानेंगे | शुरू करने से पहले में आपसे निवेदन करता हूँ की कहानी को पूरी पढ़े ताकि आपको कहानी अच्छी तरह से समझ में आ जाये |
आईये शुरू करते हैं ...
दिलेर अपने घर में कुछ तैयारी करता है वह कहीं जा रहा होता है | पहले में उसके बारे में बता दूँ वो एक सरदार का लड़का है उसकी उम्र अभी कुछ 19 ईयर के लगभग है,अब कहानी शुरू करता हूँ। .. तभी डोर वेल बजती है तो वह दरवाजा खोलने के लिए जाता है | वह देखता है की उसका दोस्त पंकज आया है वह बाइक से आया है उसका नाम पंकज है | यह दिलेर का बहुत अच्छा दोस्त है , पंकज - यार अभी तक तैयार नहीं हुए चलो जल्दी चलो देर हो रही है, कुछ तैयारियां करने के बाद दोनों चल देते हैं वो दोनों शहर से निकलकर एक गाँव में जा पहुंचे और वहां उनका एक दोस्त था उसको लेकर आये वो उनका बहुत देर इन्तजार कर रहा था |
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दोस्तों इसका नाम पवन है ये भी इनका दोस्त है तीनों एक बाइक पर बैठ कर चल दिए चलते चलते उनको राजू मिल गया अरे यार कहाँ जा रहे हो ? दिलेर -ओये आजा तू भी आजा मेरे पिच्छू बैठ जा तू भी साड्डे नाल चल | राजू कार में था राजू कहने लगा तुम ऐसा करो तुम सब कार में आ जाओ और और बाइक को मेरे घर कर दो और सब घूमने चलते हैं | सभी दोस्त कार में बैठ गए | कार ऊपर से खुली हुई थी मतलब खुली हवा में सैर करने का मजा ही अलग था | चारों दोस्त अब घूमने के लिए चले जाते हैं और हाइवे पर चढ़ जाते हैं | गाडी स्पीड से चल रही थी कुछ ही देर में हाइवे पर चलने के बाद वो एक कच्चे रस्ते पर चलते हैं | कच्चे रस्ते पर कुछ देर चलने के बाद वो घने जंगल की तरफ बढ़ने लगते है कुछ ही देर बाद वो चारों घने जंगल में आ गए |
अचानक गाडी एक दम से रुक गयी, पंकज - "यार राजू क्या हुआ " , राजू -यार मुझे लगता है टायर पञ्चर हो गया , सभी लोग - ओ माय गॉड ये भी अभी होना था अब कैसे चलेंगे | राजू - कोई बात नहीं मेरे पास दूसरा टायर रखा है , राजू ने दूसरा टायर निकालकर उसको चेंज कर दिया | टायर लगाने के बाद सभी गाड़ी में बैठ गए और आगे अधिक घने जंगल की तरफ बढ़ने लगे | वो घने जंगल में जा रहे थे अब गाडी चलाने में मुश्किल हो रही थी | पवन कहने लगा ऐसा करते हैं इस गाडी को यहीं रहने दो हम सब अब चल कर पूरे जंगल में घूमने चलें | सभी हाँ में हाँ करते हुए गाडी से उतर गए और जंगल में पैदल चल दिए दिलेर को एक भालू का बच्चा दिखाई दिया और उसके पास गया और उससे खेलने लगा | तभी उसने देखा की उसकी माँ आ रही है उसने उसको तुरंत छोड़ दिया | और वहां से भाग कर अपने दोस्तों के पास आ गया सभी थोड़ा आगे बढे और देखा की उसकी माँ को देखकर भालू का बच्चा एक दम से उसकी तरफ भागा और उसके पास चला गया |
अब चारों दोस्त एक पहाड़ी जंगलो में चलने लगे और इधर उधर देखते जा रहे थे क्योकि वो जंगल बहुत डरावना सा लग रहा था वह पर पेड़ पौधे अजीव तरह के थे शायद जैसे इंसानो के ही बने थे बिलकुल इंसानो के तरह दिखाई देते थे
ऐसे दिखाई देते थे की मानो वो पहले इंसान थे अब पेड़ बन गए हों | ये देखकर सभी दोस्तों की हवा निकल गयी वो एक दूसरे की शक्ल देख कर तसल्ली लेते लेकिन पेड़ों की तरफ देखकर फिर से डरने लग गए | क्योकि उन्होंने इस तरह के पेड़ जीवन में पहली बार देखे थे उनकी रूह काँपने लगी | तभी अचानक एक पेड़ की डाली पंकज के कंधे पर जा गिरी वो डर के मारे इतना घबरा गया जैसे उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी हो | अब तो सभी जल्दी जल्दी घर की तरफ भागने के लिए जंगल से निकलने लगे | जंगल से निकलने से पहले ही एक पेड़ की डाली से पंकज गिर गया सभी भागते जा रहे थे लेकिन उनमे से एक दोस्त रुक गया वो था दिलेर उसने उसको उठाया | उठाते समय देखा की उसको घुटने में बहुत ज्यादा चोट आ गयी थी | दिलेर ने उसको एक तरफ बिठाया और उसके घुटने को देखने लगा उसने देखा की उसके घुटने में खून बह रहा है |
उसने तुरंत एक पौधे की पत्तीयों को तोडा और उसके घुटने पर लगाया उसका दर्द बंद हो गया क्योकि दिलेर कुछ जड़ी बूटियों के बारे में जानते थे लेकिन चोट अधिक लगने से वह अभी चलने लायक नहीं था | उसने अपने दो दोस्तों की तरफ देखा वो पहाड़ी से नीचे की तरफ भागे जा रहे थे और दिलर और पंकज अभी भी ऊपर घने जंगल की पहाड़ी में ही बैठे हुए था वो दोनों डरने लगे क्योकि अगर उनके दोस्त उनको छोड़कर चले गए तो वे दोनों कैसे जायेंगे उनको तो कोई जानवर ही खा जाएगा इस डर के कारण वे अपने साथियों को बहुत जोर जोर से आवाज लगाने लगे | हालाँकि उनको आवाज सुनाई दे रही थी | लेकिन वो उनके इन्तजार में रुकना नहीं चाहते थे क्योकि ये सब राजू का प्लान था | क्योकि राजू उनकी दोस्ती से जलता था और उनको हमेशा से ही बर्बाद करने की सोचता रहता था | और उनकी दोस्ती के बीच उनको एक दूसरे के खिलाफ करता था |
लेकिन दिलेर और पंकज आपस में एक दूसरे पर अटल विशवास रखते थे | वे दोनों किसी के कहने पर एक दुसरे के खिलाफ नहीं होते थे | क्योकि उनकी दोस्ती की जोड़ी रब ने बनाई है | राजू और पवन दोनों गाडी में बैठ कर गाडी स्टार्ट की और चले गए | इधर दिलेर पंकज के पास आ गया और कहा वो दोनों तो चले गए | पंकज कहने लगा दिलेर यार तू क्यों नहीं गया तुमको पता है न ये जंगल है | यहाँ किसी की भी जान बक्शी नहीं जाती सब शिकार हो जाते है जंगली जानवरो और जंगली पेड़ों के | यहाँ सब अपनी भूक मिटाने के लिए घुमते रहते है तू मेरे चक्कर में खुद भी अपनी जान गवां देगा क्या | जाओ अभी भी भाग जायो यहाँ से नहीं तो तुम भी मारे जाओगे | दिलेर कहता है - नहीं जाऊंगा में अब और अब क्या में कभी भी नहीं जाऊंगा तुमको छोड़कर | यार तूने ही तो मुझे हाथ मिलाते वक्त बोला की कभी नहीं छोड़ेंगे और जब अपने ऊपर संकट आया तो तू मुझे साथ छोड़ने के लिए कह रहा है वाह्ह क्या दोस्ती निभा रहा है तू ,अरे ! जब में बीमार था तो तूने मुझे खून क्यों दिया तब एक बार भी नहीं बोला की चला जा |
और जब मेरा नंबर आया तो तू कहता है चला जा | में नहीं जाऊंगा और हाँ चलूँगा तो तुम्हारे साथ ही चलूँगा | दोनों आपस में गले मिले और दोनों के आँखों में आँसू आ गए | अब दिलेर ने पंकज को उठाया और दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर चलने लगे क्योकि उसके घुटने में दर्द था | धीरे धीरे वो दोनों पहाड़ी से नीचे आते आते एक पेड़ के पास बैठ गए तब देखा तो उस पहाड़ी में एक गुफा थी दोनों सोचने लगे ये क्या है चलकर देखे तो सही अब मौत के मुँह से कौन बचा सकता है मरना तो है ही | दोनों उस गुफा के अंदर उस गुफा का रहस्य जानने के लिए अंदर चले गए | उसमे बहुत अँधेरा था अचानक से उस गुफा में उजाला हो गया | और एक दिव्य रोशनी दिखाई दी जो एक मणि की थी | जो शायद किसी नाग या नागिन ने अपने मुँह से निकाल कर रखी है |
उन दोनों की नजर उस रौशनी पर थी | थोड़ी देर बाद वह पर एक अजीब अंगो का एक मनुष्य आया उसके पेट से ऊपर सब मनुष्य जैसा था | लेकिन नीचे से देखा तो दोनों पानी पानी हो गए क्योकि उन दोनों ने कभी भी इतना मोटा और इतना बड़ा सांप नहीं देखा था | दोनों आपस में गुसरफुसर करके बाहर आने लगे तो उधर से आवाज आई " मानव तुम कहाँ जा रहे हो मुझसे डरो मत में तुमको चोट नहीं पहुँचाऊँगा बल्कि में ही खुद किसी के सामने नहीं आता लेकिन तुमको इस दुविधा में देखा तो रुक गया | में कोई साधारण नाग नहीं हूँ लेकिन में निर्दोष को कभी चोट नहीं पहुँचाता | में तो तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ | क्योकिं मेने तुम्हारे दोस्तों को तुम्हारा साथ छोड़ते देखा था तो वो कह रहे थे "मरने दो सालों को हमारा प्लान कामयाब हो गया है | मेने ये देखा तो मुझे ज्ञात हो गया था की ये तुम्हे धोखा दे रहे हैं |
तभी मेने अपनी दिव्य शक्तियों से पता लगा लिया था की उनका क्या प्लान है क्या करियर है इसलिए मेने उन दोनों को सदा के लिए ऐसे हालत में कर दिया है की न तो वो बोल सकते है न वो बैठ सकते हैं ना ही चल सकते है और अपनी मर्जी से वो कुछ नहीं कर सकते वो एक जिन्दा मुर्दे की तरह कर दिए है उनको उनकी सजा मिल चुकी है | चलो में तुमको उन दोनों तक पहुंचा देता हूँ | में तुम दोनों की दोस्ती से बहुत खुश हूँ | नागराज ु दोनों को उसी कार के पास दिव्य शक्तियों से छोड़ देता है और कहता है जब भी जरुरत हो मुझे याद जरूर कर लेना में नेक मनुष्य की सहायता जरूर करता हूँ | चारों दोस्त अब घर की तरफ बढ़ते हैं
दोस्तों कहानी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं हमारी कहानियाँ अगर आपको पसंद आये या ना आये हमें कमेंट में जरूर बताये क्योकि हमें भी पता चले की आपको किस तरह की कहानी पसंद है जिससे हम आपकी ख्वाइस पूरी कर सकें दोस्तों शेयर और सब्सक्राइब करना ना भूले
थैंक्स फॉर विजिट..............
अब चारों दोस्त एक पहाड़ी जंगलो में चलने लगे और इधर उधर देखते जा रहे थे क्योकि वो जंगल बहुत डरावना सा लग रहा था वह पर पेड़ पौधे अजीव तरह के थे शायद जैसे इंसानो के ही बने थे बिलकुल इंसानो के तरह दिखाई देते थे
ऐसे दिखाई देते थे की मानो वो पहले इंसान थे अब पेड़ बन गए हों | ये देखकर सभी दोस्तों की हवा निकल गयी वो एक दूसरे की शक्ल देख कर तसल्ली लेते लेकिन पेड़ों की तरफ देखकर फिर से डरने लग गए | क्योकि उन्होंने इस तरह के पेड़ जीवन में पहली बार देखे थे उनकी रूह काँपने लगी | तभी अचानक एक पेड़ की डाली पंकज के कंधे पर जा गिरी वो डर के मारे इतना घबरा गया जैसे उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी हो | अब तो सभी जल्दी जल्दी घर की तरफ भागने के लिए जंगल से निकलने लगे | जंगल से निकलने से पहले ही एक पेड़ की डाली से पंकज गिर गया सभी भागते जा रहे थे लेकिन उनमे से एक दोस्त रुक गया वो था दिलेर उसने उसको उठाया | उठाते समय देखा की उसको घुटने में बहुत ज्यादा चोट आ गयी थी | दिलेर ने उसको एक तरफ बिठाया और उसके घुटने को देखने लगा उसने देखा की उसके घुटने में खून बह रहा है |
उसने तुरंत एक पौधे की पत्तीयों को तोडा और उसके घुटने पर लगाया उसका दर्द बंद हो गया क्योकि दिलेर कुछ जड़ी बूटियों के बारे में जानते थे लेकिन चोट अधिक लगने से वह अभी चलने लायक नहीं था | उसने अपने दो दोस्तों की तरफ देखा वो पहाड़ी से नीचे की तरफ भागे जा रहे थे और दिलर और पंकज अभी भी ऊपर घने जंगल की पहाड़ी में ही बैठे हुए था वो दोनों डरने लगे क्योकि अगर उनके दोस्त उनको छोड़कर चले गए तो वे दोनों कैसे जायेंगे उनको तो कोई जानवर ही खा जाएगा इस डर के कारण वे अपने साथियों को बहुत जोर जोर से आवाज लगाने लगे | हालाँकि उनको आवाज सुनाई दे रही थी | लेकिन वो उनके इन्तजार में रुकना नहीं चाहते थे क्योकि ये सब राजू का प्लान था | क्योकि राजू उनकी दोस्ती से जलता था और उनको हमेशा से ही बर्बाद करने की सोचता रहता था | और उनकी दोस्ती के बीच उनको एक दूसरे के खिलाफ करता था |
लेकिन दिलेर और पंकज आपस में एक दूसरे पर अटल विशवास रखते थे | वे दोनों किसी के कहने पर एक दुसरे के खिलाफ नहीं होते थे | क्योकि उनकी दोस्ती की जोड़ी रब ने बनाई है | राजू और पवन दोनों गाडी में बैठ कर गाडी स्टार्ट की और चले गए | इधर दिलेर पंकज के पास आ गया और कहा वो दोनों तो चले गए | पंकज कहने लगा दिलेर यार तू क्यों नहीं गया तुमको पता है न ये जंगल है | यहाँ किसी की भी जान बक्शी नहीं जाती सब शिकार हो जाते है जंगली जानवरो और जंगली पेड़ों के | यहाँ सब अपनी भूक मिटाने के लिए घुमते रहते है तू मेरे चक्कर में खुद भी अपनी जान गवां देगा क्या | जाओ अभी भी भाग जायो यहाँ से नहीं तो तुम भी मारे जाओगे | दिलेर कहता है - नहीं जाऊंगा में अब और अब क्या में कभी भी नहीं जाऊंगा तुमको छोड़कर | यार तूने ही तो मुझे हाथ मिलाते वक्त बोला की कभी नहीं छोड़ेंगे और जब अपने ऊपर संकट आया तो तू मुझे साथ छोड़ने के लिए कह रहा है वाह्ह क्या दोस्ती निभा रहा है तू ,अरे ! जब में बीमार था तो तूने मुझे खून क्यों दिया तब एक बार भी नहीं बोला की चला जा |
और जब मेरा नंबर आया तो तू कहता है चला जा | में नहीं जाऊंगा और हाँ चलूँगा तो तुम्हारे साथ ही चलूँगा | दोनों आपस में गले मिले और दोनों के आँखों में आँसू आ गए | अब दिलेर ने पंकज को उठाया और दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर चलने लगे क्योकि उसके घुटने में दर्द था | धीरे धीरे वो दोनों पहाड़ी से नीचे आते आते एक पेड़ के पास बैठ गए तब देखा तो उस पहाड़ी में एक गुफा थी दोनों सोचने लगे ये क्या है चलकर देखे तो सही अब मौत के मुँह से कौन बचा सकता है मरना तो है ही | दोनों उस गुफा के अंदर उस गुफा का रहस्य जानने के लिए अंदर चले गए | उसमे बहुत अँधेरा था अचानक से उस गुफा में उजाला हो गया | और एक दिव्य रोशनी दिखाई दी जो एक मणि की थी | जो शायद किसी नाग या नागिन ने अपने मुँह से निकाल कर रखी है |
उन दोनों की नजर उस रौशनी पर थी | थोड़ी देर बाद वह पर एक अजीब अंगो का एक मनुष्य आया उसके पेट से ऊपर सब मनुष्य जैसा था | लेकिन नीचे से देखा तो दोनों पानी पानी हो गए क्योकि उन दोनों ने कभी भी इतना मोटा और इतना बड़ा सांप नहीं देखा था | दोनों आपस में गुसरफुसर करके बाहर आने लगे तो उधर से आवाज आई " मानव तुम कहाँ जा रहे हो मुझसे डरो मत में तुमको चोट नहीं पहुँचाऊँगा बल्कि में ही खुद किसी के सामने नहीं आता लेकिन तुमको इस दुविधा में देखा तो रुक गया | में कोई साधारण नाग नहीं हूँ लेकिन में निर्दोष को कभी चोट नहीं पहुँचाता | में तो तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ | क्योकिं मेने तुम्हारे दोस्तों को तुम्हारा साथ छोड़ते देखा था तो वो कह रहे थे "मरने दो सालों को हमारा प्लान कामयाब हो गया है | मेने ये देखा तो मुझे ज्ञात हो गया था की ये तुम्हे धोखा दे रहे हैं |
तभी मेने अपनी दिव्य शक्तियों से पता लगा लिया था की उनका क्या प्लान है क्या करियर है इसलिए मेने उन दोनों को सदा के लिए ऐसे हालत में कर दिया है की न तो वो बोल सकते है न वो बैठ सकते हैं ना ही चल सकते है और अपनी मर्जी से वो कुछ नहीं कर सकते वो एक जिन्दा मुर्दे की तरह कर दिए है उनको उनकी सजा मिल चुकी है | चलो में तुमको उन दोनों तक पहुंचा देता हूँ | में तुम दोनों की दोस्ती से बहुत खुश हूँ | नागराज ु दोनों को उसी कार के पास दिव्य शक्तियों से छोड़ देता है और कहता है जब भी जरुरत हो मुझे याद जरूर कर लेना में नेक मनुष्य की सहायता जरूर करता हूँ | चारों दोस्त अब घर की तरफ बढ़ते हैं
दोस्तों कहानी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं हमारी कहानियाँ अगर आपको पसंद आये या ना आये हमें कमेंट में जरूर बताये क्योकि हमें भी पता चले की आपको किस तरह की कहानी पसंद है जिससे हम आपकी ख्वाइस पूरी कर सकें दोस्तों शेयर और सब्सक्राइब करना ना भूले
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