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    Sunday, June 27, 2021

    अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। Part-3 Ajnavi hai par lagata hai apna saa rista

     अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। Part-3

    जैसे ही साधु मंदिर के अंदर चले गए वैसे ही उन्हें रवि एक कोने में बैठा हुआ दिखाई दिया। और उसके हाथ में रिया की तस्वीर थी और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। और वह धीमी आवाज में अपने आपसे कह रहा था कि मैंने ऐसी कौन से गुनाह किए थे जिसकी सजा भगवान मुझे इस तरह से दे रहा है जिस पत्नी को मैंने अपनी जान से ज्यादा माना अपने से ज्यादा उसकी परवाह कि आज वही कहती है कि मैं तुम्हें नहीं जानती तुम मेरे पति नहीं हो ऐसा कैसा हो सकता है भगवान मेरे साथ तुम ऐसा क्यों कर रहे हो। तभी साधु ने प्यार से उसके सिर पर हाथ रखा। और कहने लगे बेटा चिंता मत कर तेरी परेशानी अब जल्दी ही भगवान शिव दूर कर देंगे। क्योंकि तू जिसकी तलाश में यहां तक आ पहुंचा है जिसकी तस्वीर को निहार कर तू इस तरह रो रहा है वह मेरे पास है और सुरक्षित भी है बस फर्क इतना है कि वह तुझे पहचानने से इंकार कर रही है और ऐसा वह क्यों कर रही है यह तू नहीं जानता जब तुझे मालूम होगा कि वह ऐसा क्यों कर रही है तब तुझे इससे भी ज्यादा दुख होगा। लेकिन बेटा तू वह दुख सहने के लिए अब तैयार हो जा क्योंकि अब वह घड़ी आ गई है कि तुझे सच बता दिया जाए। लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखना जैसे। दिन का सूरज  देखने से पहले रात के घने अंधेरे को पार करना पड़ता है वैसे ही जीवन में खुशियां पाने के लिए कड़े दुखो का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे दुखों से घबराया नहीं जाता बल्कि उनका डटकर सामना किया जाता है  और बेटा तू भी इन दुखो का सामना कर ताकि तू भी अपनी खुशियों तक पहुंच पाए। यह सुनकर रवि में हिम्मत सी आ गई और वह कहने लगा ठीक है मैं यह सब करने के लिए तैयार हूं और मैं यह सब बातें मानता भी हूं अब तुम बस मुझे इतना बता दो कि मेरी रिया कहां है और वह कैसी है और वह मुझे पहचानने से क्यों इंकार कर रही है। तब साधु ने कहा तुझे इन सब सवालों के जवाब मेरी कुटिया पर जाकर ही मिलेंगे अब तू मेरे साथ मेरी कुटिया में चल। ऐसा सुनकर रवि को याद आया कि रिया ने भी उससे कहा था कि वह किसी साधु के साथ कुटिया में रहती है हो सकता है रिया इन्हीं साधु के साथ इन्हीं की कुटिया में रहती हो अब मुझे इनके साथ जाना ही होगा ताकि मैं अपनी रिया तक पहुंच सकूं। तब रवि ने कहा ठीक है मैं आपके साथ आपकी कुटिया तक चलूंगा अब आप बिना देर किए मुझे अपने साथ ले चलो। ताकि मैं जल्दी से जल्दी अपने रिया तक पहुंचा सकूं। ऐसा सुनकर साधु ने कहा ठीक है तुम मेरे पीछे पीछे चलो तब रवि साधु के पीछे पीछे जाने लगा कुछ ही देर बाद साधु और रवि साधु की कुटिया तक पहुंच गए। मेरे साधु ने आवाज लगाई बेटी बाहर आओ देखो मैं किसे  लेकर आया हूं। तब रिया कुटिया से बहार आई जिसे देखते ही रवि के होश उड़ गए। रिया बिल्कुल साध्वी कपड़े पहने हुए थी। और उसकी बोल चाल चाल चलन भी सब कुछ साध्वी हो गया था। तब रवि ने कहा रिया यह तुमने अपना कैसा हाल बना लिया है तुम समझती क्यों नहीं हो तुम मेरी पत्नी हो तुम मेरे साथ चलो तुम यह सब बातें मानने से क्यों इंकार कर रही हो मैंने ऐसा क्या किया है जिसकी सजा तुम मुझे इस तरह से दे रही हो। तब रिया ने कहा बाबा आप किसे अपने साथ लेकर आए हैं इसी इंसान से तो मैं मेले से पीछा छुड़ाकर कुटिया तक भाग आई थी लेकिन आप इसे यहां तक भी ले आए। आप नहीं जानते यह इंसान मुझे अपने घर ले जाना चाहता है और कहता है कि मैं इसकी पत्नी हूं और जबकि यह सच नहीं है। तब साधु ने कहा सजा तो तुम दोनों को मिल रही है और तुम दोनों के साथ तुम्हारे परिवार को भी मिल रही है उधर तुम्हारा परिवार तुम्हारे खो जाने के गम में रो रो के पागल है और यहां पर तुम इसे पहचानने से इंकार कर रही हो इसलिए इसका रो रो कर बुरा हाल है लेकिन इसमें किसी की भी गलती नहीं है रिया तुम्हारे साथ हुआ ही कुछ ऐसा है कि तुम चाह कर भी इसे पहचान नहीं सकती। तब रवि ने कहा बाबा क्या हुआ है मेरी रिया के साथ तुम मुझे विस्तार से बताओ ताकि मैं इसकी कुछ मदद कर सकूं तब साधु ने कहा हां बेटा अब तो तुम ही इसकी मदद कर सकते हो। और इसे सब कुछ याद दिला सकते हो। ऐसा सुनकर रिया ने कहा बाबा मैं बिल्कुल ठीक हूं और मुझे क्या हुआ है और तुम  कौन सी बात मुझे याद दिलाने कि बात कर रहे हो मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा मैं अंदर जा रही हूं। तब बाबा ने कहा नहीं बेटी तुम्हें यही रुकना होगा तुम्हें मेरी कसम तुम्हें यही रुकना होगा अगर तुम यहां से कहीं गई तो फिर तुम भूल जाना कि तुम्हारा कोई बाबा भी था। ऐसा सुनकर रिया चुपचाप वहीं खड़ी रही। तब साधु ने कहां कब तक खड़े रहोगे कहानी बहुत लंबी है तब बाबा ने पेड़ के नीचे एक चटाई बिछा दी जिस पर तीनों बैठ गए। तब साधु ने कहा मैं जो बातें तुम लोगों को बताने जा रहा हूं उसे तुम दोनों ही ध्यान से सुनना। तब दोनों ने हां में सिर हिला दिया। सब साधु ने कहा रवि तुम जानना चाहते हो ना कि यह तुम्हें क्यों नहीं पहचान पा रही है तो सुनो। मैं नहीं जानता कि तुम दोनों के साथ में क्या हुआ था या क्या नहीं हुआ था मैं एक सुबह अपने शिवजी का अभिषेक करने के लिए नदी किनारे जल भरने जा रहा था वही मुझे यह कन्या बेहोश पड़ी नदी किनारे दिखाई दी मैंने लोगों की मदद से इसे बाहर निकाला और इसे अपनी कुटिया में ले आया। यहां लाकर पता चला कि इसके सिर में एक बहुत ही गहरी चोट लगी है और उससे बहुत ही खून बह रहा है। तभी मैंने इसके उपचार के लिए वैद्य को बुलवाया वैद्य ने कहा 2 दिन लगेंगे मैं इसे बिल्कुल ठीक कर दूंगा। फिर इसके 2 दिन के उपचार के बाद इसकी सिर की चोट तो बिल्कुल ठीक हो गई लेकिन जब इसे होश आया तब इसे कुछ भी याद नहीं था यह मुझसे पूछ रही थी कि मैं कौन हूं मैं यहां पर कैसे आ गई मैं कहां की रहने वाली हूं। यह सब कुछ यह मुझसे पूछ रही थी और मैं यह सब इस से पूछने वाला था इसीलिए मुझे इसके मुंह से ऐसी बात सुनकर झटका सा लगा। फिर मैं उसी वेद के पास है यह सब बातें लेकर गया जिन्होंने इसका उपचार करा था। उन्होंने बताया कि हो सकता है इसके सिर में जो गहरी चोट लगी थी उसी की वजह से इसकी याददाश्त चली गई अब इतनी आसानी से इसकी याददाश्त वापस नहीं आएगी। ऐसा तभी हो सकता है जब कोई इसका अपना करीबी इसको कुछ पुरानी बातें याद दिलाने की कोशिश करें। और ऐसा होना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि इसका इस दुनिया में कौन अपना है या कौन नहीं है। यह सब सुनकर मुझे बहुत ही धक्का सा लगा। लेकिन मैंने भी सोच लिया जब तक इसका कोई परिवार का खास व्यक्ति नहीं मिल जाता इसे पहचानने लेता इसकी पहचान नहीं बता देता जब तक मैं इसे अपने पास ही रखूंगा। और फिर मैंने इसे अपने नाम की पहचान दे दी मैंने इसे अपनी बेटी मान लिया इसका नाम पता नहीं था इसलिए इसका नाम मैंने मीना रख दिया। इसे अपनी संगत में डाल लिया। ताकि इसे मेरे साथ रहने में कोई परेशानी ना हो क्योंकि मैं भी नहीं जानता था कि यह मेरे पास कब तक रहेगी। इसलिए यह आज तुम्हारे सामने ऐसे हाल में है। लेकिन भगवान जो चाहता है वही होता है अचानक से तुम इसे मेले में मिल गए। और यह तुमसे बचकर तुम्हारी बातों से बचकर यहां तक आ गई उसके बाद में इसने मुझे मेले में हुई सारी घटना बताई तब मैं तुम्हें ढूंढने के लिए निकल गया और अचानक से तुम भी मुझे उसी मंदिर में मिल गए जिस मंदिर में तुम्हारी इससे मुलाकात हुई थी। अब वहां से मैं तुम्हें यहां ले आया अब रिया तुम्हारे सामने है। इसकी याददाश्त जा चुकी है इसलिए यह तुम्हें पहचान नहीं पा रही है अब यह तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम अपनी पत्नी को कैसे इसकी याददाश्त वापस दिला सकते हो। जब तक इसकी याददाश्त वापस नहीं आती जब तक तुम मेरे पास बेफिक्र होकर रहो। इसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताओ वह चीजें करो जो तुम इसके साथ में पहले कर चुके हो ऐसा करने से हो सकता है शायद इसके दिमाग पर कुछ असर पड़े और इसे कुछ बातें याद आ जाएं। मैं भी भगवान से प्रार्थना करूंगा कि तुम दोनों अपना वैवाहिक जीवन फिर से शुरू कर सको। तब रवि ने कहा सच में यह सब घटना तो मेरे लिए बहुत ही दुखद है बहुत ही दर्दनाक है उधर मेरा परिवार इसके खो जाने से बहुत ही दुखी और परेशान है और कब से मैं भी अपने परिवार से दूर हूं वह मेरे लिए भी परेशान हो रहे होंगे इधर रिया की याददाश्त जा चुकी है सच मैं यह समय मेरे लिए बहुत ही कठिन है लेकिन कोई बात नहीं मैं इस कठिन समय को भी पार कर लूंगा मै रिया को सारी याददाश्त वापस दिला कर रहूंगा। तब साधु वहां से उठकर चले गए। अब रिया और रवि अकेले रह गए। रिया भी उठ कर जाने लगी तब रवि ने कहा कोई बात नहीं तुम मुझे अपना पति मत मानो लेकिन एक दोस्त समझकर ही मेरे साथ समय बिता लिया करो। जब तक तुम्हारी याददाश्त वापस नहीं आ जाती जब तक हम और तुम दोनों दोस्तों की तरह रहेंगे। तब रिया सोच में पड़ गई। तब रवि ने कहा देखो इतना मत सोचो। मैं तुम्हारा सच में पति हूं लेकिन तुम्हें याद नहीं है इसलिए मैं तुम पर जोर जबरदस्ती से अपने पति होने का हक नहीं जताऊंगा और ना ही तुमसे कहूंगा कि तुम मुझे पति मानो बस दोस्त बनने के लिए कह रहा हूं तो इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए तुम्हें। तब रिया ने कहा ठीक है लेकिन तुम मुझसे दूरी बना कर रखना। तब रवि ने कहा ठीक है। तब रवि को अचानक से याद आया कि रिया को गुलाब के फूल बहुत पसंद होते थे। और अगर वह फूलों को तोड़ते वक्त मेरे हाथ में उनका कांटा चुभ जाता तो उसे बहुत दुख होता था वह मुझे डांटती थी कि फूल मत छोड़ा करो।तब रवि सामने दिख रहै बगीचे में गया और वहां से एक गुलाब का फूल तोड़ लिया और साथ ही अपने हाथ में कांटा भी चुभा लिया था जिससे उसके हाथ में खून बहने लगा। फिर वह रिया के पास गया और रिया को उसी हाथ से गुलाब का फूल देने लगा जिस हाथ से खून बह रहा था। रिया ने गुलाब का फूल तो ले लिया लेकिन रवि के हाथ से खून निकलता देखकर वह घबरा गई। और जल्दी से खून अपने दुपट्टे से साफ करने लगी और पूछने लगी कि यह चोट कैसे लग गई अभी तो नहीं थी। तब रवि ने कहा कि यह फूल तोड़ते वक्त काटा हाथ में लग गया। इसे सुनकर रिया ने कुछ भी नहीं कहा जबकि रवि को लगा कि रिया उसे गुस्सा करेगी। क्या रवि रिया की याददाश्त वापस ला पाएगा। क्या रिया को सब कुछ याद आ जाएगा। यह जानने के लिए पढ़िए। इस कहानी का Part-4

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