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    Monday, June 28, 2021

    अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। ajnabi hai par lagta hai apna sa rista Part-4

     अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता।

    रवि साधु के पास गया। और कहने लगा रिया को पुरानी बातें याद दिलाना बहुत ही मुश्किल है। पता नहीं मैं यह सब कैसे कर पाऊंगा। कर भी पाऊंगा या नहीं मैं नहीं जानता। यह सुनकर साधु ने कहा। बेटा यह काम बहुत मुश्किल है तुम्हारे लिए मैं यह बात जानता हूं लेकिन नामुमकिन नहीं है। तुम कोशिश करते रहो देखना एक दिन तुम्हारी कोशिश जरूर कामयाब होगी और रिया को सारी पुरानी बातें याद आ जाएगी फिर वह तुम्हें भी पहचानने लगेगी और तुम्हारे साथ तुम्हारे परिवार में लौट जाएगी। ऐसा सुनकर रवि ने कहा बाबा तुम ठीक कहते हो मुझे अपनी कोशिश जारी रखनी चाहिए एक ना एक दिन मेरी कोशिश जरूर रंग लाएगी और रिया को सच में सब कुछ याद आ जाएगा उसकी याददाश्त वापस आ जाएगी और फिर मेरी जिंदगी दोबारा से खुशहाल हो जाएगी। फिर रवि वापस रिया के पास चला गया। और रिया से कहने लगा। कि तुम मुझे यह बताओ तुम्हें खाने में क्या क्या पसंद है तुम्हें कौन सा रंग पसंद है कौन से फूल पसंद है अपनी पसंद ना पसंद मुझे सब कुछ बताओ। तब रिया ने कहा मेरी पसंद ना पसंद मुझे खुद भी याद नहीं है। मुझे लगता है बाबा ने जो कहा था वह सच ही कहा था मेरी याददाश्त चली गई है। इसलिए मुझे कुछ भी याद नहीं है। यह सुनकर रवि की आंखों में आंसू आ गए। क्योंकि रिया अपनी नापसंद और पसंद भूलने वालों में से नहीं थी और वह रवि की पसंद और नापसंद उससे भी ज्यादा जानती थी। लेकिन याददाश्त चले जाने की वजह से अब उसे कुछ भी याद नहीं था। तब रवि ने सोच लिया कोई बात नहीं रिया को उसकी पसंद और नापसंद याद नहीं है लेकिन मुझे तो उसकी पसंद नापसंद अच्छे से याद है अब मैं सारे काम उसकी पसंद के ही करूंगा। रवि अब सारे काम रिया के पसंद के ही करने लगा था। उसके खाने से लेकर उसके पहनने के कपड़ों के रंग तक सब कुछ रिया की पसंद के ही होते थे। धीरे-धीरे एक हफ्ता बीत गया। 1 दिन रिया और रवि कुटिया के पास वाले बगीचे में बैठे हुए थे। तब रिया ने कहा एक बात मेरे दिल में है पर सोच रही हूं कि कहूं या नहीं कहूं। तब रवि ने कहा जो भी तुम्हारे दिल में हो दिमाग में हो सब कह डालो नहीं कहोगी तो तुम्हारी परेशानी कम नहीं होगी। ऐसा सुनकर रिया ने कहा तुम ठीक कहते हो बता देने में ही भलाई है। नहीं तो परेशानी कम ही नहीं होगी। फिर रिया ने कहा। इतने दिन से तुम मेरे साथ हो। मुझे तुम्हारे साथ में डर नहीं लगता अच्छा लगता है मन करता है कि अब बस दिन रात तुम मेरे ही साथ में रहो। तुम मेरे लिए एक अजनबी हो लेकिन अजनबी की तरह लगते नहीं हो तुम मुझे अपने से लगते हो। जैसे कभी मुझसे बिछड़ गए थे और अब मुझसे मिल गए हो। रवि ने कहा यह तुम सच कह रही हो दिल कभी झूठ नहीं बोलता तुम्हारा दिल सच ही कह रहा है मैं तुमसे बिछड़ गया था और अब मिला हूं। और मैं तुम्हारा पराया भी नहीं हूं मैं तुम्हारा अपना ही हूं इसलिए तुम्हें अपना लग रहा हूं। रिया ने कहा कि इसी अपनेपन की वजह से अब मेरा दिल यह भी कहता है कि अब मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे परिवार के पास चलूं तुम्हें अपना पति मान लू जो तुम कह रहे हो वही सच मान लू। लेकिन दिमाग कह रहा है कि नहीं ऐसा मत करो प्रकृति के नियम को मत तोड़ो प्रकृति ने तेरी याददाश्त भूलाई  है समय आने पर वह तुझे तेरी याददाश्त लौटा भी देगी। अब तुम ही बताओ मैं क्या करूं किसकी सुनू। तब रवि ने कहा तुम्हारा दिल और दिमाग दोनों ही सही कह रहे हैं लेकिन अभी तुम वही करो जो समय हमसे करना चाहता है जो भगवान हमसे कराना चाहते हैं तुम सब्र रखो मैं तुम्हें धीरे-धीरे करके सब याद दिला दूंगा। और जब तुम्हारी याददाश्त वापस आ जाएगी तब मैं तुम्हें अपने परिवार में ले चलूंगा तुम्हें सब से मिलवा लूंगा। वह परिवार तुम्हारे खो जाने से बहुत टूट गया है तुम्हें ही उसे संभालना है। फिर वह दोनों कुटिया में चले गए। और खाना खाकर सो गए। अगले दिन रिया जल्दी उठ गई। और नहा धोकर साफ कपड़े पहन कर तैयार हो गई। इतने में रवि और साधु भी उठ गए। रिया को इस तरह से सजा संवरा तैयार देखकर दोनो ही   हैरान रहे गए। फिर रवि ने पूछा तुम इतनी सुबह नहा धोकर तैयार हो गई हो कहीं जा रही हो कहीं जाने का मन कर रहा है कहां जा रही हो तुम। तब रिया ने कहा आज सुबह जब से मैं उठी हूं तब से ही मेरा बहुत मन कर रहा है कि मैं दोबारा उन्हीं शिवजी के दर्शन करने के लिए जाओ जिस मंदिर में हम दोनों मिले थे। तब रवि ने कहा वही मेले वाला मंदिर जो मेले के रास्ते में पड़ता है। पर वह तो बहुत दूर है। तब साधु ने कहा कोई बात नहीं तुम दोनों चले जाओ मैं कुटिया में ही रहूंगा तुम दोनों दर्शन कर आओ मैं फिर कभी दर्शन कर आऊंगा। तब रवि ने कहा ठीक है रिया तुम तो तैयार हो गई अब मुझे तो तैयार हो जाने दो मैं नहा धोकर तैयार हो जाता हूं। फिर हम दोनों साथ चलेंगे।  तब रिया ने का ठीक है तुम नहा धो लो इतने में पूजा के लिए फूल वगैरह इकट्ठा कर लेती हूं। थोड़ी ही देर में रवि भी नहा धो कर आ गया और रिया ने भी पूजा का सब सामान इकट्ठा कर लिया फिर वह दोनों दर्शन करने के लिए निकल गए। कुटिया से मंदिर तक तो वह दोनों ठीक-ठाक पहुंच गए थे दर्शन भी कर लिए लेकिन दर्शन कर कर जैसे ही वह दोनों मंदिर से निकल रहे थे तभी मंदिर की सीढ़ियों से रिया का पैर फिसल पड़ा और रिया सिर के बल मंदिर की सीढ़ियों पर गिर गई। और बेहोश हो गई। रवि ने बहुत कोशिश करी की रिया को होश आ जाए रिया होश में आ जाए उसके मुंह पर पानी भी डाला लेकिन रिया होश में नहीं आ रही थी। तब रवि घबरा गया लेकिन उसने सोचा कि घबराने से कुछ नहीं होगा इसे कैसे भी करके कुटिया तक ले जाना ही पड़ेगा तब रवि ने आसपास के लोगों से मदद मांगी और लोगों ने रवि की मदद भी की लोगों ने रिया और रवि को कुटिया तक सही सलामत पहुंचा दिया। जब साधु ने रिया को बेहोश हालत में देखा तो उन्हें भी थोड़ा सा आश्चर्य हुआ। कि इतनी मामूली सी चोट में यह बेहोश कैसे हो गई। तब रवि ने साधु को सारी बात बताई। लेकिन साधु ने कहा इतनी सी चोट में कोई इतना गहरा बेहोश नहीं हो सकता यह जरूर कोई ना कोई शिवजी का इशारा है तुम्हारे लिए कोई अच्छा ही संकेत है यह। तब रवि ने कहा भगवान करे आपकी बात सच हो। तब साधु ने कहा अब हो सकता है कि जब रिया को हो जाए तो उसकी याददाश्त भी वापस आ जाए लेकिन इसका अब होश में आना बहुत ही जरूरी है। पहले भी इसकी याददाश्त  बेहोशी और सिर में चोट लगने की वजह से गई थी और अब दोबारा बेहोशी और सिर में चोट लगने की वजह से हो सकता है कि इसके दिमाग पर कुछ असर  पढ़े और इसकी याददाश्त वापस आ जाए। रवि अब तो भगवान से बस यही दुआ करो कि जब इसे होश आए तो इसकी याददाश्त भी वापस आ जाए। अभी तुम ऐसा करो तुम यहीं रुको और मैं वेद को बुला कर लेकर आता हूं ताकि इसका उपचार हो सके। थोड़ी ही देर बाद साधु वेद को बुलाने के लिए कुटिया से निकल गए और थोड़े ही देर बाद साधु वेद को लेकर कुटिया में आ गए। वेद ने जब रिया की जांच करी तो उन्होंने बताया कि यह गहरी बेहोशी में चली गई है वैसे चोट ज्यादा गिरी नहीं है पर बेहोशी गहरी है 2 दिन के बाद रिया को होश आ जाएगा। यह सुनने के बाद रवि तुरंत भगवान के पास गया और भगवान से कहने लगा भगवान तुझे जो कुछ करना है मेरे साथ कर लेकिन अब मेरी रिया के साथ कुछ मत कर। अब बस इतना रहम कर दे कि जैसे ही मेरी रिया को होश  आ जाए साथ ही उसकी याददाश्त भी वापस आ जाए। अब आप लोगों को क्या लगता है कि जब रिया होश में आएगी तो उसकी याददाश्त वापस आ जाएगी। और याददाश्त वापस आने पर वह अपने परिवार में वापस लौट जाएगी। यह जानने के लिए पढ़िए इस कहानी का Part-5 

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