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    Saturday, June 26, 2021

    Ajnavi hai par lagta hai apna sa rista Part-2

    अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। Part-2

    अगर आपने इस कहानी का पार्ट 1 नहीं पढ़ा हो तो आप नीचे क्लिक करके उस पार्ट-1  को भी पढ़ लो 
    साधु की कुटिया से रिया मेले में पहुंचती है और उधर से रवि अपने घर से मेले में पहुंचता है। और साथ में रवि के दिल में यह उम्मीद भी होती है कि शायद आज इस मेले में मुझे मेरी खोई हुई रिया मिल जाए। रवि धीरे-धीरे करके मेले में अपनी रिया को ढूंढने लगता है। वह धीरे धीरे कर के मेले में आगे बढ़ता चला जाता है। 
    मेला काफी बड़ी जगह में लगा हुआ था। इसलिए रवि को बहुत ही परेशानी हो रही थी इतने बड़े मेले में रिया को ढूंढने में। रवि को पता नहीं था कि रिया उसे मेले में मिलेगी भी या नहीं। बस वह अपने दिल की बात मानकर रिया को मेले में ढूंढे जा रहा था। क्योंकि उसका दिल बार-बार कह रहा था कि आज इस मेले में उसकी रिया उसे मिलने वाली है। इधर रिया सारी बातों से अनजान और बेफिक्र होकर मेले में घूम रही थी और आनंद ले रही थी। तभी रास्ते में रिया को एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर दिखाई दिया। उस मंदिर को देखते ही रिया को साधु की कही बात याद आ गई। कि जब वह कुटिया में से निकल रही थी तब साधु ने उसे इस मंदिर के बारे में बताया था।
     कि यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और बहुत ही प्राचीन है इस मंदिर में हर मन्नत पूरी होती है हर चमत्कार होता है। तू सच्चे दिल से अपनी सारी तकलीफ शिव जी से कहना और शिवजी तेरी तकलीफ को मिटा देंगे। इसीलिए रिया बिना कुछ सोचे समझे शिव मंदिर में चली गई और पहले शिवजी की पूजा अर्चना करी और फिर शिव जी का ध्यान करा फिर अपनी तकलीफ शिवजी से कहीं और मन शांत करने के लिए वही शिवजी के मंदिर में एक कोने में जाकर बैठ गई। उधर रवि भी मंदिर को देखकर रह नहीं पाया और शिव जी के दर्शन करने के लिए मंदिर में चला गया उसने भी शिवजी की पूजा अर्चना करी और मंदिर में बैठकर अपनी तकलीफ शिवजी को सुनाने लगा। फिर मंदिर में घूमने लगा। और इसी तरह अचानक से उसकी नजर कोने में बैठी रिया पर पड़ गई। 
    रवि को यकीन ही नहीं हो रहा था कि रिया उसे दिखाई दे रही है या कोई सपना है। वह तुरंत दौड़कर रिया के पास गया और उसे एक झटके से उठाकर खड़ा करा और कहने लगा रिया तुम कहां थी मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा हूं मैं कितना परेशान हूं पूरा परिवार कितना परेशान है तुम्हें इस बात का अंदाजा भी है तुम ठीक हो सही सलामत हो तो घर वापस क्यों नहीं आई अभी घर चलो मेरे साथ। उधर रिया रवि के मुंह से ऐसी बातें सुनकर डर गई और उससे भी ज्यादा इस बात से डर गई कि उसने उसका हाथ क्यों पकड़ रखा है वह भी इतनी कसके से कि मैं कहीं छुड़ाकर भाग ना जाऊं। क्योंकि रिया की याददाश्त चली गई थी उसे कुछ भी याद नहीं था इसीलिए वह रवि को पहचान नहीं पाई और उसे अजनबी समझ कर वहां से जबरदस्ती अपना हाथ रवि से छुड़ाकर भागने लगी।
     तभी रवि ने कहा तुम भागो मत रुको और मेरी बात सुनो तब भी रिया नहीं मानी तब रवि ने कहा तुम्हें शिवजी की सौगंध तुम्हें रुकना होगा और मेरी बात सुननी होगी। ऐसा सुनकर रिया वहीं की वहीं रुक गई। फिर रवि जल्दी-जल्दी रिया के पास में गया और कहने लगा तुम मुझे देख कर भाग क्यों रही हो तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि मैं तुम्हें ले जाने के लिए आया हूं तब रिया ने कहा तुम कौन हो मैं तुम्हें नहीं पहचानती और इस तरह मेरा रास्ता मत रोको ना ही मुझे रोको मुझे जाने दो। और तुम किस रिया की बात कर रहे हो मेरा नाम रिया नहीं रीना है इसलिए तुम मुझे जाने दो।
     रवि ने कहा नहीं तुम ही मेरी रिया हो पता नहीं तुम ऐसा क्यों कह रही हो। तब रिया ने कहा हो सकता है तुम्हारी रिया की शक्ल मुझसे मिलती हो लेकिन मेरा नाम रीना है और मैं नदी किनारे बसी बस्ती में एक साधु के साथ रहती हूं मैं उनकी शिष्य और बेटी दोनों ही हूं तो तुम ऐसा कैसे कह सकती हो कि मैं तुम्हारी रिया हूं और रिया का तुमसे क्या रिश्ता है। तब रवि ने कहा रिया तुम यह मुझसे पूछ रही हो कि मेरा तुमसे क्या रिश्ता है तुम मेरी पत्नी हो हम दोनों की कुछ समय पहले ही शादी हुई थी और हम दोनों पहाड़ी वाले मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही। 
    हमारा कार एक्सीडेंट हो गया था जिसमें तुम हमसे बिछड़ गई थी जिसके बाद हमने तुम्हें बहुत ढूंढा पुलिस में भी रिपोर्ट लिखवाई थी पर पुलिस ने भी तुम्हें 1 साल लगातार ढूंढा और आखिर में पुलिस भी हार गई और तुम नहीं मिली और अब मुझे यहां मिली हो तो कहती हो मैं रिया नहीं हूं रीना हूं मैं उस नदी किनारे बसी बस्ती में किसी साधु की कुटिया में रहती हूं और उसी साधु की मैं शिष्य और बेटी दोनों हूं मैं तुम्हें नहीं जानती। यह कैसा मजाक है। यह मजाक करने का वक्त नहीं है तो मैं नहीं पता तुम्हारे घर खो जाने से हमारा पूरा परिवार कितना दुखी है। तुम्हें जो भी मजाक करना है पहले मेरे साथ घर चलो तब जी भर के मजा कर लेना मैं कुछ नहीं कहूंगा पर इस तरह हमारे रिश्ते का तो मजाक मत बनाओ। फिर रिया ने रवि की एक नहीं सुनी और जबरदस्ती वहां से हाथ छुड़ाकर तेजी से भागने लगी रवि ने बहुत आवाज दी बहुत समझाया पर रिया सब कुछ अनसुना करके दौड़ती चली गई और सीधा अपनी कुटिया में जाकर ही रुकी।
     और साधु को सारी बात बताई। तब साधु ने उससे कहा अभी वह कहां है मुझे उनसे बात करनी है।  तब रिया ने कहा नहीं मैं नहीं बताऊंगी वह कहां है मैं उनके साथ नहीं जाना चाहती मैं तो उन्हें जानती भी नहीं वह मुझे अपने घर ले जाना चाहते हैं मैं कहीं नहीं जाऊंगी मैं यही रहूंगी तुम्हारे साथ और वह मुझे रिया  क्यों कह रहे थे। मेरा नाम तो रीना है। तब साधु ने कहा जिद मत करो मुझे बताओ वह कहां है। तब रिया ने साधु के लाख कहने पर भी कुछ नहीं बताया। तब साधु ने कहा ठीक है तुम मुझे कुछ मत बताओ मैं उन्हें खुद ही ढूंढ लूंगा। तब रिया ने कहा तुम उन्हें ढूंढोगे कैसे तुमने उन्हें देखा कौन सा है तब साधु ने कहा बेटा उसे ढूंढना मेरे लिए बहुत ही आसान है क्योंकि उसके मुख पर जो चिंता की लकीरें होंगी वही मुझे बता देंगी कि वह वही इंसान है जो तुमसे मिला था। वही रवि है। ऐसी बातें कहकर साधु रवि की तलाश में कुटिया से निकल गए और मेले में जाकर रवि को ढूंढने लगे। वह पूरे मेले में ढूंढ ढूंढ कर रवि को देखने लगे पर रवि उन्हें दूर से दूर तक कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रहा था। उन्हें लगा कि हो सकता है वह बहुत परेशान था। इसलिए वापस अपने घर चला गया होगा। लेकिन फिर उनके मन में आया जिस इंसान ने अपने सबसे करीबी खोए हुए इंसान को आंखों से देख लिया हो तो वह उसे उस जगह पर छोड़ कर वापस घर जाने की कभी नहीं सोच सकता। 
    वह तो अनजाने में ही परेशान हो रहा है क्योंकि उसे नहीं पता कि उसकी पत्नी की याददाश्त जा चुकी है इसलिए वह उसे पहचान नहीं रही है और वह उसके  बारे में पता नहीं क्या क्या सोच रहा होगा कहीं कुछ गलत सोच लिया तो वह रिश्ता टूट जाएगा। जो रवि और रिया के बीच में शादी का पवित्र रिश्ता है वह टूट जाएगा। और यह दोनों के ही साथ अन्याय होगा क्योंकि रिया नहीं जानती कि रवि कौन है और रवि नहीं जानता कि रिया उसे क्यों नहीं पहचान पा रही है। तभी उसने अचानक याद आया कि वह सकता है वह रवि उसे शिव मंदिर में हताश निराश होकर बैठ गया हो जिस मंदिर में वह दोनों मिले थे। तभी वह शिव मंदिर की ओर जाने लगे। अब आप लोगों को क्या लगता है क्या रवि उसे शिव मंदिर में बैठा होगा जहां रवि और रिया मिले थे। क्या साधु रवि से मिलकर रवि को सारी सच्चाई बता पाएंगे। यह जानने के लिए पढ़िए इस कहानी का। Part-3 
    धन्यवाद।
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