मीना ने देश पर शहीद होकर अपने गांव का नाम रोशन किया | meena ne desh par shaheed hokar apne gaanv kaa naam roshan kiya

 

मीना ने देश पर शहीद होकर अपने गांव का नाम रोशन किया | 

यह कहानी है एक 10 साल की मीना की। वह अपने माता पिता और अपने एक 15 साल के भाई के साथ गांव में अपने परिवार में रहती थी। वैसे तो मीना को पढ़ना बहुत पसंद था लेकिन पढ़ने से भी ज्यादा उसे बड़े-बड़े सपने देखना पसंद था। उसे जब भी पढ़ाई से वक्त मिलता वह बड़े-बड़े सपने देखने लगती। लेकिन जब वह 12 साल के हुई तो उसे थोड़ा समझ में आया कि हजार सपने देखने से कुछ नहीं होता एक ही सपना देखो उसी को सच करने में लग जाओ तब ही सपना सच होता है। तभी सच्ची खुशी मिलती है हजार सपने देखने से खुशी तो मिलेगी पर वह सच्ची खुशी नहीं होगी। अब मीना ने सोच लिया कि वह भी आईएएस में भर्ती होगी और अपने देश की रक्षा करेगी और अपने गांव अपने देश अपने माता पिता अपने भाई का नाम रोशन करेगी। लेकिन वह गांव में रहती थी तो गांव में रहकर भी उसके माता-पिता उसे पढ़ा तो रहे थे लेकिन जब उन्हें पता चला कि मीना आईएएस बनना चाहती है तो वह डर गए कि गांव में तो लड़कियों को इतनी भी छूट नहीं कि वह मां-बाप से बिना पूछे बाजार चली जाए और ऐसा तो वह पूछ कर भी कभी नहीं कर सकती। वह मीना को बहुत समझाते की बेटी तुझे अगर पढ़ना है तो पढ़ जहां तक पढ़ना है पढ़ पर लेकिन तू इतने बड़े सपने ना देख जिनके टूटने पर तेरा दिल भी टूट जाए और तुझे खुशी के बदले दुख मिले। लेकिन मीना ने तो जैसे ठान ली थी कि वह बड़े होकर आईएएस बनेगी और वह अपना यह सपना पूरा करने के लिए कुछ भी करेगी। उसके माता-पिता ने उसे बहुत समझाया लेकिन वह नहीं मानी।उसने कहा अगर मुझे यहां पर आईएस बनने से रोका जाएगा तो मैं शहर चली जाऊंगी और वही अपनी आईएएस बनने की पढ़ाई और सपना दोनों पूरा करूंगी। यह सुनकर मीना के माता-पिता ने सोचा की बेटी तूने। यह सब सुनकर मीना के माता-पिता ने सोचा कि बेटी तेरा सपना तो बहुत अच्छा है लेकिन यह गांव के लोग नहीं समझते कि लड़कियों को भी आजादी का हक है वह भी अपने सपने पूरे कर सकती हैं वह जो चाहे वह कर सकती हैं लड़कों से कम नहीं होती लड़कियां। लेकिन गांवों में तो हमेशा लड़कियों को लड़कों से कम ही समझा जाता रहा है।  इसीलिए मीना के लिए भी मीना के माता-पिता डर रहे थे कि अगर गांव वालों को पता चला कि हमारी बेटी आईएएस बनना चाहती है तो गांव वाले जाने क्या-क्या बातें करेंगे लेकिन मीना के माता पिता चाहते थे कि हमारी बेटी आईएएस ऑफिसर बने और देश की सेवा करें और हमारा नाम रोशन करें। धीरे-धीरे समय बीतता गया मीना की पढ़ाई खत्म हो गई अब उसे अपना लक्ष्य तय करना था तो उसने ठान लिया कि मैं अब आईएएस की पढ़ाई करूंगी अगर इसके लिए मुझे माता-पिता से दूर शहर में जाकर पढ़ाई करनी पड़े वही रहना पड़े तो मैं करूंगी। जिस दिन में आईएएस ऑफिसर बनकर देश की सेवा करने के लिए जाऊंगी उस दिन अगर गांव वालों को पता भी चल जाए तो वह गर्व से कहेंगे कि हमारे गांव की बेटी ने इतनी हिम्मत तो करी अब हमें अपनी बेटियों को भी हिम्मत देनी चाहिए और उन्हें भी कुछ करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।मीना माता पिता से इजाजत लेकर अपने गांव से दूर दिल्ली शहर में आ गई और वहीं रह कर अपनी आईएएस की पढ़ाई पूरी मेहनत और लगन से पूरी करी परीक्षा दी परीक्षा में अच्छे अंको से पास होकर वह आईएएस की ट्रेनिंग के लिए निकल गई और ट्रेनिंग को अच्छे से सीख कर वह एक सफल आई ए एस ऑफिसर बन गई। जब यह बात उसके माता-पिता को पता चली तो वह फूले नहीं समाए और अब उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने पूरे गांव वालों को इकट्ठा करा और मिठाइयां बांटी और उन्हें जब बताया कि उनकी बेटी आईएएस ऑफिसर बन गई है तो गांव वाले गुस्से से भरे गए और कहने लगे कि हमने सोचा तूने अपनी बेटी को दिल्ली शहर में पढ़ाई पूरी करने के लिए भेजा है। आखिरकार वह हमारे गांव की एकलौती इतनी पढ़ी-लिखी लड़की है तो हमने भी कुछ नहीं कहा। हमने सोचा ठीक है उसे भी अपनी पढ़ाई पूरी करने दो पढ़ लिख कर शादी करके घर ही तो संभालेगी। लेकिन हमें क्या पता था कि तुम दोनों अपनी बेटी से इतना बड़ा पाप करवा रहे हो। तब मीना के माता-पिता ने कहा कि हमारी बेटी ने आईएएस ऑफिसर बन के क्या पाप करा है उसने पाप नहीं उसने पुण्य  का काम करा है। वह लड़की होकर आईएएस ऑफिसर बनने का दम रखती है हमारे गांव के लड़की तो छोड़ो किसी लड़के ने भी ऐसा सोचने की भी हिम्मत नहीं करी और हमारी बेटी ने ऐसा कर दिखाया यह हमारे लिए तो बहुत गर्व की बात है अगर तुम्हें लज्जा आती है तो तुम इस गांव को छोड़ दो क्योंकि जब हमारी बेटी आईएएस ऑफिसर बन के देश की रक्षा करने के लिए जाएगी तब इस गांव का नाम पूरे भारत देश में रोशन होगा और शायद यह तुम्हें अच्छा ना लगे क्योंकि तुम उसी गांव में रहते हो। और हमारी बेटी को पापी कहते हो जब पूरे देश में यह गांव रोशन होगा तो तुम्हारी नजरों में तो फिर यह गांव भी पापी बन जाएगा और तुम गांव वासी भी पापी बन जाओगे तो तुम्हें तो यह गांव छोड़ ही देना चाहिए। ताकि तुम पापी ना कहलाओ। अरे पाप तो तुम गांव वालों ने अपनी बेटियों के साथ करा है। तुमने उन्हें आजादी नहीं दी तुमने उन्हें गुलाम बना कर रखा है सिर्फ चारदीवारी में बंद करके  उनसे चूल्हा चौका करवा कर बच्चे पैदा करवा कर तुम क्या समझते हो कि तुम यह बहुत पुण्य का काम कर रहे हो अरे यह बहुत बड़ा पाप है  चूल्हा चौका करना घर संभालना बच्चे पैदा करना यह काम तो है ही बेटियों का लेकिन अगर बेटियां सपने देखती है तो उसे सच करने का भी दम रखती है लेकिन तुम लोग ऐसा नहीं करने देते यही तुम्हारा सबसे बड़ा पाप है  बेटियों को जिंदगी तुम्हारी दी हुई नहीं है जिसे तुम गुलाम बना लो  बेटियों को जिंदगी भगवान की दी हुई है और वह कभी नहीं कहते कि कोई इंसान किसी का गुलाम बन कर रह जाए हर किसी को सपने देख कर उन्हें आजाद होकर सच करने का हक है और हमने अपनी बेटी को उसका सपना सच करने की आजादी देकर।दिल्ली शहर में आईएएस की पढ़ाई करने के लिए भेजा था और अब वे आईएएस ऑफिसर बन भी गई है तो हमें अपनी बेटी पर बहुत गर्व है चाहो तो तुम लोग हमें जान से मार दो लेकिन हमारी बेटी ने पाप नहीं पुण्य किया है यह हम मरते मरते भी कहेंगे। गांव वालों ने कहा यह लगता है पागल हो गए हैं अगर इन्हें जान से मार दिया तो इनके बच्चों का क्या होगा इन्हें छोड़ देते हैं। लेकिन इनसे कोई भी गांव वाला वास्ता नहीं रखेगा। जब यह सारी खबर मीना को मिली तो मीना ने अपने माता पिता को खत लिखा कि माता पिता तुम मेरे गुनाहों की सजा मत काटो मैंने कोई गुनाह नहीं करा लेकिन गांव वालों की निगाहों में तो यह किसी गुनाह से कम भी नहीं है तुम मुझ पर और भगवान पर भरोसा रखो जिस दिन मैं अपने देश की सेवा करते करते देश की रक्षा करते करते शहीद होकर अपने घर आऊंगी उस दिन  गांव वालों की आंख नम होगी और जुबां पर यही बात होगी कि हमें अपने गांव की बेटी पर गर्व है और हमें भी अपने गांव की हर बेटी मीना की तरह बहादुर बनानी है। मीना की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी तो उसे खबर मिली कि अब उसे देश की रक्षा के लिए जाना है। मीना कई बार देश की रक्षा के लिए  गई।और वापस आई लेकिन अबकी बार मीना के नसीब में वापस आना नहीं था वह वही अपनी देश की रक्षा करते करते शहीद हो गई। मृतक शरीर बन कर अपने गांव में वापस आई और जब गांव वालों को इसकी खबर मिली तो सच में गांव वालों की आंख मीना को देखने से पहले ही नाम हो गई थी और मीना को देखने के बाद तो सबका बुरा हाल था। उधर पूरे देश में यही खबर थी कि। चंद्रपुर गांव की बहादुर बेटी मीना हंसते-हंसते अपने देश पर शहीद हो गई है हमारे लिए यह बहुत गर्व की बात है और बहादुर है वह गांव और उस लड़की के माता-पिता जिसने उसे देश की सेवा करने के लिए भेज दिया था।और उस लड़की ने भी अपना फर्ज निभाया और अपने देश पर शहीद होकर। अपने गांव का नाम पूरे देश में रोशन कर दिया। जब यह खबर गांव वालों ने सुनी तो वह दंग रह गए कि हमने तो मीना को पापी कहा था मीना के माता-पिता को कितना भला बुरा कहा था लेकिन फिर भी सच तो सच ही होता है मीना के शहीद होने से हमारे गांव के साथ हमारा भी पूरे देश में नाम रोशन हो गया है मीना तुम हमें माफ करना हमने तुम्हें गलत समझा और अब हम अपने गुनाह का प्रायश्चित इस तरह करेंगे कि अब हम अपनी गांव की हर लड़की को तुम्हारी तरह बहादुर बनाने की पूरी कोशिश करेंगे।मीना ने देश पर शहीद होकर अपने गांव का नाम रोशन करा। 

धन्यवाद।

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