कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
यह कहानी है राजेश की राजेश एक गांव का पढ़ा-लिखा और सुंदर लड़का था। और उसका बचपन से ही सपना था कि वह शहर में जाकर अपना एक बिजनेस करें। जिससे वह अपने परिवार को सारे सुख दे सकें। और इसीलिए वह बचपन से ही बहुत मन से पढ़ाई करता रहा। और पढ़ाई के साथ-साथ इंग्लिश भी सीखता रहा क्योंकि वह जानता था कि अगर शहरों में बिजनेस करना है तो इंग्लिश भाषा आनी बहुत ही जरूरी है।
इसलिए वह इंग्लिश भी अच्छे से जानता था। अब धीरे-धीरे करके समय बीतता गया उसकी पढ़ाई पूरी हो गई। तब उसने सोचा मेरी पढ़ाई पूरी हो गई है तो क्यों ना मैं शहर जाकर अब बिजनेस करने की कोशिश करूं। लेकिन उसके लिए मुझे कुछ दिन किसी बिजनेसमैन के साथ नौकरी करनी पड़ेगी ताकि मैं समझ सकूं कि बिजनेस कैसे होता है। उसके लिए मुझे किसी बिजनेसमैन के वहां मैनेजर की नौकरी करनी होगी।
क्योंकि दूसरे के बताने और खुद के सीखने से जमीन आसमान का फर्क होता है खुद के सीखने से तजुर्बा बहुत अच्छा हो जाता है और किसी भी काम को करने के लिए तजुर्बे की बहुत जरूरत होती है।
ऐसा सोचकर वह गांव से शहर के लिए निकल गया। और उसने इस काम के लिए मुंबई शहर चुना। क्योंकि मुंबई शहर भारत का बहुत ही जाना माना शहर है जिस के चर्चे पूरी दुनिया में मशहूर है जहां इंसान पल में जमीन से आसमान पर उड़ सकता है और पल में आसमान से जमीन पर गिर सकता है। फिर वह गांव से मुंबई शहर के लिए निकल गया। और वहां जाकर एक कमरा किराए पर ले लिया। और अपने खाने पीने के लिए एक सस्ती सी नौकरानी भी रख ली। राजेश ने अपने लिए किसी बिजनेसमैन के वहां मैनेजर की नौकरी ढूंढनी शुरू कर दी उसने मुंबई शहर के सारे बिजनेसमैन के पास जा जाकर अपने रिजल्ट दिखाएं अपनी क्वालिफिकेशन दिखाएं।
कि वे इस नौकरी के बिल्कुल लायक है लेकिन किसी ने उसकी एक नहीं मानी। एक-एक करके सभी ने मना कर दिया लेकिन फिर भी राजेश ने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि वह जानता था कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती आज नहीं तो कल उसे मैनेजर की नौकरी मिल ही जाएगी। 3 महीने बाद लगातार ठोकरें खाने के बाद उसे एक बिजनेसमैन ने मैनेजर की नौकरी पर रख लिया।
अब राजेश पुरी जी जान से अपनी मैनेजर की नौकरी करने लगा और साथ ही यह भी ध्यान रखता कि अगर बिजनेस की कोई बात उसके सामने होती तो क्या बात हो रही है और जिस बिजनेस के लिए वह मैनेजर की नौकरी कर रहा है वह बिजनेस क्या है कैसे शुरू हुआ और यह बिजनेस कामयाब कैसे हुआ धीरे-धीरे करके राजेश बिजनेसमैन से जब भी वक्त मिलता बिजनेसमैन अच्छे मूड में होता तब ही बिजनेस के बारे में कुछ ना कुछ टिप्स लेता रहता।
राजेश जानता था कि यही छोटी-छोटी जानकारी उसके लिए बिजनेस में कामयाबी की सीढ़ियां बनेंगी इसलिए वह हर छोटी से बड़ी बात तक बहुत ध्यान से सुनता था और अपने दिमाग में बैठा लिया करता था। अब राजेश के पास इतना पैसा नहीं था कि वह अपना बिजनेस शुरू कर सके और वह हमेशा मैनेजर की नौकरी करता रहेगा तो अपना बिजनेस नहीं कर पाएगा राजेश को यह चिंता सताने लगी थी।
राजेश ने सोचा कि क्यों ना मैं पहले इस नौकरी से इतना पैसा इकट्ठा कर लूं। कि मैं इस बिजनेस के मालिक के साथ पार्टनरशिप कर सकूं एक बार पार्टनरशिप हो जाए फिर पार्टनरशिप से भी इतना पैसा कमा लूंगा कि मैं अपना खुद का बिजनेस तैयार कर सकूं। अब राजेश ने अपनी सोच भी तरकीब पर अमल करना शुरू कर दिया। 2 साल बाद राजेश ने इतना पैसा इकट्ठा कर लिया कि वह उस बिजनेसमैन के साथ पार्टनरशिप कर सकें।
फिर राजेश ने बिजनेसमैन से कहा कि अब मैं तुम्हारे साथ पार्टनरशिप करना चाहता हूं यह सुनकर बिजनेसमैन ने तुरंत मना कर दिया। लेकिन राजेश ने हार नहीं मानी वह दिन में दो बार जरूर बिजनेसमैन से कहता कि मैं सच में तुम्हारे साथ बिजनेस में पार्टनरशिप करना चाहता हूं 1 दिन बिजनेसमैन ने सोचा यह रोज मुझसे कहता है तो जरूर करना चाहता होगा।
फिर बिजनेसमैंन ने राजेश को अपने पास बुलाया और कहा ठीक है मैं तुम्हारे साथ में पार्टनरशिप करने को तैयार हूं। फिर राजेश और बिजनेसमैन दोनों में पार्टनरशिप हो गई। उसके बाद राजेश ने पूरा सीख लिया की बिजनेस कैसे शुरू करना है और किस तरह उसे ऊंचाई तक पहुंचाना है। फिर से 2 साल बाद राजेश ने पार्टनरशिप से इतना पैसा इकट्ठा कर लिया कि वह खुद का बिजनेस कर सके। फिर राजेश ने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी।
ताकि वह एक अच्छा बिजनेसमैन बन सके। दिन-रात बस यही सोचता कि अपने बिजनेस को कैसे ऊंचाई तक ले जाया जाए। उसने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए लोगों को नौकरियां देनी शुरू कर दी। जिससे गरीब बेरोजगार लोगों का बहुत भला हुआ और वह अपना काम सच्चाई और ईमानदारी के साथ करते थे। जिससे राजेश का बिजनेस धीरे-धीरे करके तरक्की की ओर बढ़ने लगा।
अब राजेश बहुत खुश था कि धीरे-धीरे करके उसकी मेहनत रंग ला रही है। इसी तरह उसका बिजनेस धीरे-धीरे करके विदेशों में फैलता चला गया। जिससे उसकी तरक्की और अच्छी होने लगी। और राजेश भी बहुत खुश हो रहने लगा था। 1 दिन राजेश और उसके मजदूरों की मेहनत पूरी तरह सफल हुई और फिर राजेश ने अपना सपना पूरा कर लिया वह खुद का बिजनेस तैयार करके एक सफल बिजनेसमैन बन गया।
और साथ ही अपने घर वालों को सुख की जिंदगी दे सका। और यह सब देखकर जिस बिजनेसमैंन ने उसे मैनेजर की नौकरी पर रखा। और फिर उसके कहने पर उसके साथ पार्टनरशिप भी करी और फिर उसकी मर्जी से ही उसे खुद का बिजनेस करने की अनुमति दी वह उससे मिलने के लिए आया।
और उसने राजेश से कहा कि आज तुम्हारी वजह से मेरा भी नाम पूरी दुनिया में रोशन हो रहा है क्योंकि तुमने वह कर दिखाया है जिसकी मैंने भी कभी उम्मीद नहीं करी थी। और यह सब जानते हैं पूरी दुनिया जानती है कि यह बिजनेस करने से पहले तुम सबसे पहले मेरे यहां मैनेजर की नौकरी करते थे।
और मैं बहुत खुश हूं कि जो कभी मेरे यहां मैनेजर था आज वह मेरे से भी बड़ा बिजनेसमैन है। और राजेश को अपने सीने से लगा लिया। और यह सब वह इसलिए कर सका क्योंकि उसने कभी हार नहीं मानी। इसलिए कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती कोशिश करने वाले कुछ काम करने की ठान ले और उसे पूरा करने की कोशिश करें तो वह जरूर पूरा कर सकते है। तो यह थी हमारी कहानी।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
धन्यवाद।
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