विमला की अमावस की रात: शैतानी पूजा से शिवजी की दया तक


विमला की अमावस की रात: शैतानी पूजा से शिवजी की दया तक

  अमावस की काली रात जब आती है तो अपने साथ बहुत से ऐसे राज लेकर आती है जिन्हें हम आम इंसान नहीं जान पाते। और अनजाने में अगर  कोई आम इंसान उन राज का शिकार बन जाए तो जिंदगी तबाह हो जाती है।ऐसा ही कुछ हुआ था एक लड़की के साथ। उसका नाम था विमला। विमला गांव और शहर के बीच वाली सीमा में अपनी एक झोपड़ी बनाकर रहा करती थी। वह चाहती तो गांव में या शहर में भी रह सकती थी लेकिन उसने सीमा पर रहना इसीलिए सही समझा क्योंकि वह पूजा-पाठ में बहुत ज्यादा विश्वास करती थी। फिर चाहे वो किसी भी तरह की पूजा पाठ हो  विमला उनमें खूब विश्वास करती थी और अपने फायदे के लिए तरह-तरह  पूजा भी करती थी। और इन सब के बारे में किसी को पता ना चले इसलिए वह ऐसे एकांत में रहना पसंद करती थी। उसके घर के आस-पास में कोई भी घर नहीं था दूर दूर तक सिर्फ  पेड़ और  खेत थे। वह अपनी पूजा को पूरा करने के लिए कभी किसी जानवर की बलि दे देती  तो कभी अपना खून चढ़ाया करती। क्योंकि वह शैतानी पूजा ज्यादा करती थी। वह भगवान को भी मानती थी लेकिन भगवान के सामने उसे शैतान की शक्तियां ज्यादा लगती थी क्योंकि उनसे किसी का भी बुरा हो सकता है कुछ भी पल भर में हासिल हो सकता है। लेकिन वह नहीं जानती थी कि इन शैतानी शक्तियों का जो प्रयोग करता है यह उसे भी नहीं छोड़ती बहुत बुरा अंत करती है उसका भी। दिन बीतते गए और विमला अपनी पूजा करती चली गई 1 दिन अमावस की रात आई। पर विमला को पता नहीं था कि यह बहुत बड़ी अमावस है अगर इस अमावस में पूजा में कोई गलती हो जाए तो उसका दंड भुगतना ही पड़ता है। और दंड भी बहुत बड़ा होता है। वैसे तो विमला को हर अमावस के बारे में पता था लेकिन यह अमावस बहुत बहुत सालों बाद ही पड़ती है इसलिए उसे इस अमावस के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी। वह इसे भी और अमावस की तरह छोटी मोटी अमावस की रात ही समझ रही थी और अपनी पूजा करने में लग गई। क्योंकि अगर अमावस की रात को शैतानी पूजा करी जाए तो उससे शक्तियां भी मिलती है और पूजा का फल दोगुना भी हो जाता है।  जिससे शैतानी  सिद्धियां जल्दी  सिद्ध हो जाती है और उनके द्वारा कुछ भी मनचाहा काम करा सकते हैं। विमला इतनी बड़ी अमावस को भी छोटी मोटी अमावस मान कर पूजा करने में लग गई और वह यह जानती थी कि छोटी-मोटी अमावस में अगर कोई गलती हो जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है विमला अमावस की पूजा करने लग गई  पूजा ठीक ही चल रही थी कि अचानक से पूजा से हवन की अग्नि में एक होता हुआ कीड़ा आकर गिर गया और इससे उसका हवन अशुद्ध हो गया। जिसके कारण पूजा खंडित हो गई थी अब विमला ने सोचा यह तो बहुत ही बड़ा अपशगुन हो गया अब मुझे  क्षमा मांगनी चाहिए और मुझे क्षमा भी मिल जाएगी यह सोचकर वह अपने शैतान के सामने जाकर खड़ी हो गई और कहने लगी कि मुझे माफ कर दो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है लेकिन यह मैंने जानकर नहीं कि पता नहीं अचानक कैसे वह कीड़ा आकर अग्नि में गिर गया और हवन की अग्नि अपवित्र हो गई इससे हमारी पूजा भी खंडित हो गई हमें क्षमा करो हमें क्षमा करो। तभी विमला को शैतान की आवाज सुनाई दी की यह तुमसे बहुत ही बड़ी गलती हो गई है और इसकी क्षमा भी नहीं मिलती और तुझे इसका बहुत बड़ा दंड भुगतना ही पड़ेगा। यह सुनकर विमला घबरा गई और कहने लगी कि हर महीने में अमावस आती है यह भी वही छोटी अमावस है ऐसी छोटी अमावस में अगर कोई गलती या भूल चूक हो जाए। तो क्षमा मांगने पर क्षमा मिल जाती है लेकिन आप कह रहे हैं कि मुझे क्षमा नहीं मिलेगी और मुझे बहुत बड़ा दंड भुगतना ही पड़ेगा मुझे समझ में नहीं आ रहा कि गलती कैसे हो गई और क्या गलती है। इस पर शैतान ने जवाब दिया कि गलती तो अचानक हो गई लेकिन क्या गलती हुई है यह मैं तुझे बताता हूं। 

तब शैतान ने कहा कि तू इस अमावस को इतनी छोटी अमावस्या मान रही है यह बहुत ही बड़ी अमावस्या है और यह अमावस्या बहुत बहुत सालों में आती है इसलिए तुझे इसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है और अगर इस अमावस के दिन की  गई पूजा में यदि कोई  विघ्न आ जाए या पूजा खंडित हो जाए तो उसकी सजा उसका दंड पूजा करने वाले को भुगतना ही पड़ता है और दंड भी बहुत ही बड़ा होता है तूने भी यही गलती की है तो तुझे भी दंड भुगतना ही पड़ेगा। इस पर विमला ने कहा कि आज जितनी भी गलतियां हुई है वह सब बहुत ही बड़ी भूल चूक में हुई है कृपया करके मुझे क्षमा करें इस पर शैतान ने कहा कि तुझे क्षमा नहीं मिलेगी चाहे तो कितनी भी क्षमा क्यों ना मांग ले अब तू दंड भुगतने के लिए तैयार हो जा। विमला ने कहा दंड का कोई तोड़ तो होगा मुझे वह बता दो इस दंड के लिए मुझे क्या पूजा करनी है किस के आगे सर झुकाना है वह बता दो इस पर शैतान ने कहा ऐसे दंड का कोई भी तोड़ नहीं है बस एक ही तोड़ है कि या तो तू खुद को जान से मार दे या दंड को    भुगतते हुए मर जा। यह सब सुनकर विमला बहुत डर गई और रोने लगी कि मेरा क्या दोष है मुझे पता नहीं था इसलिए यह सब घटना हो गई अगर मुझे पता होता कि आज इतनी बड़ी अमावस्या है  तो मैं बिना किसी जानकारी के कोई पूजा भी नहीं करती और ना ही यह सब होता। अब मैं क्या करूं किससे मदद मांगू दंड के अनुसार विमला का शरीर कमजोर होने लगा और उसे ज्यादा कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था उसकी शक्तियां धीरे-धीरे करके कम हो रही थी और वह कुछ करने के लिए भी बहुत कमजोर हो गई थी। वह कुछ कर भी नहीं पा रही थी। फिर उसे याद आया कि इसका तोड़ शायद भगवान के पास हो मुझे भगवान के चरणों में ही जाना चाहिए उनसे हर अपराध की क्षमा मांगनी चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि भगवान मुझे मुक्ति दो और मुझे क्षमा करो। यह सब सोचते हुए विमला पास ही के एक शिव मंदिर में चली गई। और  भगवान शिव के आगे प्रार्थना करने लगी कि है भगवान आप तो बहुत ही दयालु हो मुझ पर दया करो मुझे क्षमा करो मेरे अपराधों को क्षमा करो मुझे इस दंड से मुक्त करो इसके लिए मैं जीवन भर तुम्हारी दासी बनकर रहूंगी मुझ पर कृपा करो। विमला को ऐसा रोता देखकर शिव मंदिर के सामने से गुजर रहे एक संन्यासी ने रुककर विमला से पूछा कि है बेटी तुम ऐसे क्यों रो रही हो और तुमने ऐसा क्या पाप किया है जिसका दंड तुम्हें मिल रहा है और तुम अब शिवजी से इस तरह क्षमा मांग रही हो। विमला सन्यासी के चरणों में गिर गई और रोते रोते उन्हें अपनी सारी कहानी बताई तब सन्यासी ने कहा बेटी यह कोई बड़ी बात नहीं है शिवजी के पास हर दंड का तोड़ होता है उन से सच्चे दिल से प्रार्थना कर वह तेरी पुकार जरूर सुनेंगे और तुझे ठंड से जरूर मुक्त करेंगे। विमला ने कहा ठीक है तो मैं आपके सामने प्रण लेती हूं कि जब तक शिवजी मेरे दंड का कोई तोड़ नहीं करेंगे मैं शिव जी के चरणों से दूर नहीं जाऊंगी। और जब वह मुझे दंड से मुक्त कर देंगे तो सदा के लिए उनकी दासी बनकर इसी मंदिर में रहूंगी और उनकी सेवा करूंगी। सन्यासी ने कहा ठीक है बेटी तुम्हारे दंड का तोड़ होने तक मैं भी तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हारे लिए शिव जी से प्रार्थना करूंगा। अब रोज सुबह विमला और सन्यासी नहा धोकर शिवजी की पूजा सेवा में लग जाते और उनसे बस यही प्रार्थना करते कि हे प्रभु विमला को जल्दी से दंड मुक्त कर दो ऐसे ही दिन बीतते गए 1 दिन शिव जी ने उनकी पुकार सुनी और विमला को बिल्कुल दंड मुक्त कर दिया वह स्वस्थ हो गई थी उसका शरीर पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गया था और वह अब सुंदर भी हो हो गई थी तो सन्यासी ने बताया कि बेटी अब तुम दंड मुक्त हो गई हो अब समय है कि तुम अपना आधा अधूरा प्रण पूरा करो यानी कि अब शिव जी के चरणों की दासी बन जाओ और हमेशा उनकी सेवा करना। विमला ने कहा कि है महात्मा मुझे अब समझ में आ गया है कि दुनिया का बुरा करके हम भी कभी सुखी नहीं रह सकते अगर हम दुनिया को खुशियां नहीं दे सकते तो उन्हें दुख देने का भी हमें कोई अधिकार नहीं है अब मैं हमेशा शिव जी के चरणों की दासी बनकर उनकी सेवा करूंगी और कभी उस मार्ग पर नहीं वापस जाऊंगी जिस मार्ग से मैं शिव जी के पास तक आई थी। महात्मा ने कहा बेटी मुझे यह जानकर खुशी है कि अब तुम्हें समझ में आ गया है कि बुराई का अंत बुरा होता है और अच्छाई का अंत हमेशा अच्छा ही होता है। और साथ ही यह बात भी जान लो कि हमें कभी भी कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए  जिसकी हमें कोई जानकारी ना हो चाहे वह काम कैसा भी हो हमें नहीं करना चाहिए। तो यह थी कहानी विमला की अमावस की रात: शैतानी पूजा से शिवजी की दया तक

 धन्यवाद।

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