अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता ajnavi hai par lagta hai apna sa rista Part-1


 अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता। Part-1

यह कहानी है रिया और रवि की। रिया और रवि पहले से ही शादीशुदा थे। उनकी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छे से गुजर रही थी। 1 दिन रिया और रवि दोनों शादी के बाद दर्शन करने किसी पहाड़ी पर बने मंदिर के दर्शन करने के लिए अपनी कार से जा ही रहे थे कि रास्ते में किसी दूसरी कार की टक्कर लगने की वजह से उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया। जिससे उनकी कार का बैलेंस बिगड़ गया। और उस कार एक्सीडेंट में रिया कार से निकलकर बहती नदी में जा गिरी। जो  नदी पहाड़ी पर जाने वाले रोड के बराबर में बह रही थी। रिया नदी में बह जाने के कारण बहुत दूर जा चुकी थी। और नदी के किनारे बसी एक दूसरी बस्ती की तरफ को जाकर रुक  गई थी। जिसकी वजह से वह रवि से बिछड़ गई थी। रवि ने रिया को ढूंढने की बहुत कोशिश की पर रिया उसे नहीं मिल पाई। रवि को रिया की चिंता होने लगी और वह पुलिस स्टेशन चला गया और रिया के  गुमशुदा होने की रिपोर्ट लिखा दी। और अपने परिवार के पास चला गया। और परिवार वालों को सारी बात बता दी। और साथ में यह भी बता दिया कि उसने पुलिस में रिपोर्ट भी लिखवा दी है रिया के गुमशुदा होने की। यह सुनकर रवि से परिवार वाले घबरा गए। कि रिया इतनी अच्छी बच्ची है भगवान उसके साथ इतना  बुरा कैसे कर सकते हैं। उधर जब रिया को नदी किनारे एक साधु ने अकेले बेहोश पड़े देखा। तब उन्होंने आसपास के लोगों की मदद ली और उसे अपनी  कुटिया के अंदर ले जाकर लेटा दिया। और उसका वेद को बुलवाकर उपचार करवाया। 2 दिन के उपचार के बाद रिया को होश आया। तब साधु ने उससे पूछा बेटी तुम कौन हो कहां से आई हो और नदी किनारे कैसे आ   गई थी। तब रिया ने कहा मुझे कुछ भी याद नहीं है कि मैं कौन हूं कहां से आई हूं और नदी किनारे कैसे आ गई थी कहां की रहने वाली हूं मेरा नाम क्या है मुझे कुछ भी याद नहीं है। रिया के मुंह से ऐसी बातें सुनकर साधु को बड़ा झटका लगा और वह सोचने लगे कि इसे कैसे कुछ भी याद नहीं है ऐसा कैसे हो गया। तब उन्होंने रिया को ज्यादा परेशान नहीं किया और वेद से बात करने के लिए वेद के पास चले गए। और वेद से जाकर पूछने लगे कि जिस अनजान लड़की का तुमने 2 दिन उपचार किया है अब उसे होश आ गया है और मैंने उससे पूछा तुम कौन हो कहां की रहने वाली हो नदी किनारे कैसे आ गई थी तब उसने कहा कि वह कौन है उसका नाम क्या है नदी किनारे कैसी आई वह कहां की रहने वाली है उसे ऐसा कुछ भी याद नहीं है ऐसा कैसे हो गया मैं तुमसे पूछना चाहता हूं। तब वेद ने कहा कि उसके सिर में जो चोट लगी है वह उसकी वजह से यह सारी बातें भूल चुकी है। और अब एक ही तरह से उसकी याददाश्त वापस आ सकती है कि किसी भी तरह से वह लोग उसके सामने आ जाए जो उसकी सबसे करीबी है। और उसको कुछ पुरानी बातें याद दिलाने की कोशिश करें तो हो सकता है कि उसकी याददाश्त वापस आ जाए। और ऐसा हो पाना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि हमें नहीं पता कि वह लड़की कहां की रहने वाली है या उसके परिवार वाले कौन है। इसलिए यह काम मुश्किल है। पर नामुमकिन कुछ भी नहीं। अब तो ईश्वर की मर्जी पर ही सब निर्भर है जैसा ईश्वर चाहेंगे वैसा ही होगा। तब साधु ने वेद को बताया कि। लड़की के गले में मंगलसूत्र है मतलब लड़की शादीशुदा है। और इसका मतलब है वह परिवार से है उसका भी एक परिवार है तो उसके परिवार वालों ने उसके गुमशुदा होने की रिपोर्ट तो थाने में जरूरी लिखवाई होगी। और अब तक तो पुलिस वाले इसे ढूंढने के लिए निकल चुके होंगे। बस अब किसी तरह वह यहां तक पहुंच जाए तो बात बन जाए। फिर वह साधु वापस अपनी कुटिया में   रिया के पास आ गए। उधर पुलिस रिया को ढूंढने के लिए निकल चुकी थी वह जिस शहर में रिया और रवि रहा करते थे मतलब चंडीगढ़ में। वह अच्छे से खोजबीन कर रही थी। और सबसे ज्यादा रिया की खोज पुलिस वहां कर रही थी जहां पर कार एक्सीडेंट हुआ था। लेकिन पुलिस के दिमाग में यह बिल्कुल नहीं आया था कि यहां पर जो नदी बह रही है रिया उसमें गिरकर भी बह सकती है। दिन बीते जा रहे थे पुलिस नाकामयाब हो रही थी पुलिस रिया को नहीं ढूंढ पा रही थी। उधर रिया साधु के साथ में रह रही थी साधु की संगत सीख रही थी। भगवान के भजन कीर्तन बहुत मन से करा करती थी। और साथ में भगवान से यह प्रार्थना करा करती थी कि भगवान मेरी याददाश्त जल्दी से लौटा दे ताकि मैं अपने परिवार के पास चली जाऊं। रिया को भी पता था कि वह शादीशुदा है लेकिन उसका पति कौन है वह यह नहीं जानती थी। क्योंकि वह अपनी यादाश्त भूल गई थी। उधर रवि और रवि का परिवार बहुत परेशान हो रहे थे रिया के लिए। रवि का रो-रो कर बहुत बुरा हाल था कि उसकी रिया उसे छोड़कर कहां चली गई। धीरे-धीरे करके 1 साल बीत गया लेकिन पुलिस रिया के बारे में कुछ पता नहीं कर पाई। आखिर में पुलिस   ने रिया का कैस बंद कर दिया और रवि से सॉरी कह  दीया। कि हम तुम्हारी रिया को नहीं ढूंढ पाएंगे अब तो भगवान ही तुम्हें मिला सकता है। जिसमें रवि और रवि के परिवार वालों की आखिरी उम्मीद भी टूट गई थी। लेकिन रवि को उम्मीद थी कि भगवान उसे रिया से  जरूर मिला देंगे। उधर रिया को साधु ने अपनी बेटी मान लिया था। और उसे पूरी तरह अपनी संगत में डालने की कोशिश कर रहे थे। क्योंकि उनका मानना था जो अपनी याददाश्त भूल जाते हैं और उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता है ऐसे लोगों को सिर्फ और सिर्फ  भगवान की शरण में ही रहना चाहिए भगवान उनकी सहायता कर सकते हैं और भगवान की शरण में जाने के लिए साध्वी संगत बहुत जरूरी होती है। इसीलिए साधु रिया को अपनी संगत सिखा रहे थे। जिससे उसका उद्धार हो सके भगवान के आशीर्वाद से उसकी  याददाश्त वापस आ सके। उधर रवि अकेला रिया को ढूंढने के लिए निकल गया। इस उम्मीद में कि ताकि रिया को वह ढूंढ सके। रिया जहां रहती थी वहां एक दिन मेला लगा। रवि भी उस मेले में चला गया इस उम्मीद से की रिया को मेला देखना बहुत पसंद था हो सकता है रिया जहां कहीं भी हो मेला देखने जरूर आए और उसे मिल जाए। उधर साधु ने रिया को मेले में जाने के लिए मना लिया। उधर से रवि और उधर से रिया दोनों मेला देखने के लिए चले गए। क्या वह दोनों मिल पाएंगे। क्या रिया और रवि का मेले में   आमना-सामना हो पाएगा। यह जानने के लिए पढ़िए इस कहानी का अगला पार्ट      अजनबी है पर लगता है अपना सा रिश्ता Part-2

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
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