आलसी किसान को सिखाया उसके बेटे ने सबक।
यह कहानी है रामू की रामू एक गांव में रहता था वह एक किसान था वह एक बहुत ही आलसी किसान था क्योंकि उसके खेत तो बहुत थे।लेकिन वह उनमें कुछ काम नहीं करता था सिर्फ दिन भर सोता रहता था खेतों में फसल की उगाई और उसकी देखरेख के लिए खेतों में नौकर छोड़ रखे थे और उन नौकरों पर सिर्फ हुकुम चलाता रहता था। कभी खेतों में जाकर भी नहीं देखता था क्योंकि उसे डर था की अगर मैं खेतों में गया तो मुझे काम करना पड़ेगा जिसके कारण मैं सो नहीं पाऊंगा। रामू की इस आदत का खेतों में लगे नौकर बहुत फायदा उठाते थे। वह अच्छी फसल उगाते तो थे उन्हें बाजार में बेचकर भी आते थे। और उसके बहुत अच्छे दाम भी मिलते थे लेकिन वह रामू किसान को सिर्फ उसके आधे पैसे ही देते थे। आधे पैसे नौकर आपस में बांट लिया करते थे। और जो पैसे वह रामू किसान को देते थे उसमें से भी अपनी पगार मांग लिया करते थे। और रामू को ना चाहते हुए भी नौकरों को पगार देनी पड़ती थी क्योंकि वह समझता था कि फसल बेचकर यही पैसे आए हैं और इसमें से मुझे इन्हें पगार देनी ही पड़ेगी वरना यह काम नहीं करेंगे। लेकिन नौकरों को पता था कि उन्हें इस से कितना फायदा हो रहा है। वह आपस में बातें करते रहते थे कि हमारा मालिक तो बस आलस में डूबा ही रहता है सोता ही रहता है।कभी खेतों में भी नहीं आता और ना ही कभी आए तो हमारा जीवन बहुत अच्छे से व्यतीत होता रहेगा। भले ही यह खेत हमारे नहीं हो सकते लेकिन हमें इससे मुनाफा तो बिल्कुल हमारे खेत जैसा ही मिलता है। उन नौकरों में एक बहुत भला नौकर था वह कभी भी वह पैसे नहीं लेता था जो फसल में से चुराकर नौकर आपस में बांटते थे वह सिर्फ मालिक के हाथों से अपनी पगार लेता था और वह इमानदारी से अपना काम करता था। वह अपनी इस जीवन शैली से बहुत खुश था लेकिन जब उसने देखा कि बाकी के नौकर अपने मालिक का ऐसे मजाक उड़ा रहा है और अपने फायदे के सपने बड़े-बड़े कर रहे हैं तो उसने सोचा अब तो मुझे मालिक को बताना ही पड़ेगा कि उनके पीठ पीछे खेतों में नौकर क्या-क्या घोटाला करते हैं।अगर मालिक नहीं सुनेंगे तो उनके बेटों से कहूंगा वह तो अवश्य ही मेरी बात सुनेंगे और समझेंगे भी। रामू किसान के दो बेटे भी थे जिनका नाम। रवि और किशन थे जिसमें रवि बड़ा और किशन छोटा था। फिर वह नौकर अपने मालिक के पास गया और कहने लगा मालिक आप जल्दी खेतों में चलो और अपना खेत संभालो अपना काम संभालो इस आलस को छोड़ो तुम्हारे पीठ पीछे नौकर तुम्हारे खेत में क्या-क्या घोटाले करते हैं वह अपनी आंखों से देखो। लेकिन उस नौकर की बात पर रामू ने भरोसा नहीं करा क्योंकि उसे डर था कि अगर वह यह सब काम करेगा।तो वह आराम नहीं कर पाएगा इसलिए उसने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी। वह नौकर समझ गया कि मालिक से कह कर कोई फायदा नहीं है मुझे इनके बेटो से ही बात करनी होगी मैं रवि और किशन से ही बात करूंगा। फिर वह नौकर रवि और किशन को ढूंढने लगा उनसे बात करने के लिए। रवि तो घर में ही मिल गया पर किशन पढ़ाई करने शहर गया हुआ था तो वह नहीं मिल पाया। लेकिन नौकर ने सोचा किशन जब आएगा जब उसे बता दूंगा अभी तो रवि से ही बात कर लेता हूं। तेरे किसान रवि के पास गया और कहने लगा तुम्हारे पिताजी तो हमेशा आलस में डूबे हुए रहते हैं बेटा तुम तो कम से कम अपने खेतों पर ध्यान दो। रवि ने कहा बताओ मुझे क्या हुआ खेतों को। वह नौकर बोला बहुत कुछ हो जाएगा अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो। नौकर ने कहा मैं अभी तुम्हें कुछ नहीं बता सकता तुम कल सुबह तैयार होकर मेरे साथ वहां चलना जहां पर यह सारे नौकर मिलकर अनाज बेचकर आते हैं। उसने कहा बेटा कहीं और देखी बात में बहुत अंतर होता है अभी जो मैं तुम्हें बताऊंगा शायद तुम उस पर विश्वास ना करो पर कल जो मैं तुम्हें दिखाऊंगा तुम उस पर विश्वास भी करोगे और तुरंत ध्यान भी दोगे कि अब क्या करना है। अगले दिन रवि और वह नौकर दोनों वहां गए जहां नौकर जाकर फसल का सारा अनाज बेचकर आते हैं। वहां जाकर उस नौकर ने रवि से कहा कि तुम इनसे कहो कि पिछले कुछ सालों का वह खाता दिखाएं जिसमें हमारी फसल कितने पैसों में बिकी वह पैसे लिखे हुए हैं। रवि के कहने पर वहां के अधिकारी ने रजिस्ट्रार खोला और सारा हिसाब किताब बताने लगा तो रवि को पता चला कि यह है पैसे तो बहुत ज्यादा लिखे हुए हैं और नौकरों ने तो बहुत ही कम पैसे पिताजी को दिए थे। फिर रवि ने उस नौकर की तरफ देखा और कहा यह सब कब से चल रहा है। तब उस नौकर ने कहा कि बेटा यह सब तो जब से ही चल रहा है जब से तुम्हारे पिताजी ने खेतों में आना बिल्कुल छोड़ दिया है और तुम भी कुछ देखभाल नहीं करते हिसाब किताब की तो यह सब तो होना ही है। रवि ने कहा हम तो अपने कामों में व्यस्त रहते हैं कमाते हैं पर पिताजी तो दिन भर सोते ही रहते हैं पिताजी को यह सब काम देखना चाहिए पर वह नहीं करते तो हम क्या करें अब ऐसे तो एक दिन हमारे खेत भी नहीं रहेंगे अब हम क्या करें। रवि ने कहा कल तो कुछ नहीं कर सकते।क्योंकि कल तो किशन को बस स्टैंड पर लेने जाना है किशन कल कुछ दिनों के लिए गांव वापस आ रहा है। ऐसा सुनकर नौकर ने कहा अब तो किशन ही कुछ अच्छा सोचकर बता सकते हैं वह पढ़े लिखे हैं शहर में पढ़ते हैं तो उनकी सोच भी अलग ही होगी अब हमें निश्चित हो जाना चाहिए और सब कुछ किशन बेटा के ऊपर ही छोड़ देना चाहिए। फिर नौकर ने कहा बेटा अब तुम निश्चित हो जाओ अब मैं सीधे किशन से ही बात करूंगा कुछ दिन किशन को गांव में आराम करने दो फिर मौका देख कर उससे मैं बात कर लूंगा। किसानों को गांव में आए हुए 3 दिन हो चुके थे। अब उस नौकर ने सोचा कि अब यह सही वक्त है कि अब किशन से बात की जाए। ऐसा सोचकर वह नौकर किशन के पास गया और किशन को सारी बात बताई इस पर किशन ने का यह तो बहुत ही गंभीर समस्या है कोई बात नहीं आप अब जाओ मैं शाम को आपसे मिलता हूं और आपको जरूर कुछ ना कुछ सुझाव दूंगा। सुनो कर वहां से चला गया और किशन गहरी सोच में पड़ गया किशन ने सोचा कि अगर मैं पिताजी से कहूंगा तो पिताजी तो कभी नहीं मानेंगे मुझे कुछ ऐसा करना है कि पिताजी कभी ऐसी लापरवाही ना दिखाएं। किशन के कुछ देर सोचने के बाद उसके दिमाग में एक तरकीब आई वह तुरंत उस नौकर के पास गया। और बोला कि मेरे दिमाग में एक तरकीब आई है पर उसमें मुझे तुम्हारी भी पूरी मदद चाहिए। ऐसा सुनकर नौकर ने कहा मैं तो बिल्कुल तैयार हूं तुम्हारी हर तरह से मदद करने के लिए बोलो बेटा मुझे क्या करना है। किशन ने कहा कि मैं अपने एक दोस्त को तुम्हारे पास भेजूंगा तुम्हें उसे सिर्फ जमीन को बेचना है। और उससे पैसे लेने हैं यह सब सिर्फ एक नाटक है पिताजी को सही मार्ग पर लाने के लिए। ऐसा सुनकर नौकर समझ गया कि किशन क्या कहना चाहता है वह राजी हो गया। अगले दिन किशन ने अपने दोस्त को उस नौकर के पास भेज दिया। और उस नौकर ने अपने आप को उस खेत का मालिक बताकर वह जमीन उसे बेच दी और उसे पैसा ले लिया। अब किशन ने पिताजी को बताया कि पिताजी हमारे नौकरों में से एक नौकर ने हमारा एक खेत बेच दिया है बिना तुम्हारी इजाजत के। यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है अगर तुम आलस नहीं करते और खेतों में ध्यान देते तो यह कभी नहीं होता। किशन के ऐसी बात सुनकर उसके पिताजी दौड़े-दौड़े खेतों में गए और उस नौकर से जाकर बोले तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे बिना पूछे यह खेत बेचने की। मुझे मेरा खेत वापस दिलवा नहीं तो मैं तुझे नहीं छोडूंगा पुलिस केस कर दूंगा। नौकर ने कहा मैं खेत वापस कर दूंगा लेकिन एक शर्त पर कि तुम्हें अपने खेतों की अच्छे से देखभाल करनी होगी यह सुनकर किशन के पिताजी को समझ में नहीं आया कि अगर यह नौकर मुझे धोखा दे रहा है तो मेरे भले के लिए ऐसी शर्त क्यों रख रहा है। फिर किशन ने अपने पिताजी को सारी योजना बताई और कहा पिताजी आज तो यह हमारी सिर्फ एक छोटी सी तरकीब थी आपको सही मार्ग दिखाने की लेकिन अगर आपने अभी अपनी जिम्मेदारी नहीं संभाली तो ऐसा सच में हो सकता है। अब रामू को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपने बेटे से कहा कि तु मुझसे कितना छोटा है फिर भी तूने मुझे सबक सिखा दिया कि इंसान को आलस कभी नहीं करना चाहिए हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए और उन्हें लगन से पूरा करना चाहिए। उसके बाद रामू हमेशा खेतों में ही रहता नौकरों पर पूरा पूरा ध्यान रखता और खुद भी जितना होता उतना काम करता और फसल के पूरे पैसे खुद लेता और फिर नौकरों को पगार देता इस तरह से रामू की दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की होती गई और रामू एक बहुत बड़ा अमीर आदमी बन गया। तो यह थी कहानी आलसी किसान को सिखाया उसके बेटे ने सबक। धन्यवाद।
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