बैन बादशाह सहजादी
नमस्कार दोस्तों आज में एक बैन बादशाह की सहजादी द्वारा सुनाई हुई कहानी बताने जा रहा हूँ कहानी पुराने ज़माने की है एक राज्य में एक राजा राज करता था | राजा की सात रानी थी लेकिन किसी भी रानी के एक भी लड़का या लड़की नहीं थी | राजा इस चिंता में डूबा हुआ था अगर उसके एक भी संतान नहीं होगी तो राजगद्दी खाली रह जायेगी | इस चिंता को लेकर राजा एक और रानी की तलास में निकल पड़ा यानी राजा आठवी रानी करने के लिए चल दिया | रास्ते में उसे एक लड़की ने आवाज लगाई राजा ने पीछे मुड़कर देखा तो वह लड़की बीरसिंह जाट की पुत्री थी |
राजा ने पुछा क्या बात है तो लड़की बोली महाराज सुना है आप आठवी रानी की तलाश में जा रहे हो | राजा कहने लगा आपने ठीक सुना है, में आठवीं रानी की तलाश में जा रहा हूँ | लड़की ने कहा मुझे आप अपनी रानी बना लीजिये क्योकि मुझे एक लड़का और एक लड़की पैदा होने का वरदान मिला है | राजा ने कहा अगर ऐसा नहीं हुआ तो ? लड़की बोली अगर ऐसा नहीं हुआ तो आप मुझे जो चाहे सजा दे सकते हो | राजा ने कहा ठीक है में आपसे विवाह करने के लिए तैयार हूँ लेकिन उसके लिए मुझे तुम्हारे पिता बीरसिंह जाट से बात करनी होगी | राजा बिरसिंह जाट के घर पहुच गए जाट ने राजा का बहुत आदर सत्कार किया बीरसिंह जाट ने राजा से पुछा महाराज आज केसे गरीब की कुटिया में आना हुआ
| राजा कहने लगे हम आपकी पुत्री से विवाह करने की बात करने आये हैं हम आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं तुम इस बात से नाराज तो नहीं हो | जाट कहने लगा में क्यों भला नाराज हो रहा हूँ | बल्कि में तो बहुत खुश हूँ की मेरी बेटी एक रानी बनने जा रही है राजा ने जाट को धन्यवाद देते हुए वहा से चले गए | राजा वहा से आकर विवाह की तैयारिया करने का हुकम बोल दिया | राजा की अब आठ रानी हो गई राजा आठवी रानी से कहा की हम सिकार करने के लिए जाते अपना ख़याल रखना क्यों की मेरी सात रानी बहुत चालाक है उनसे दूर ही रहना | राजा शिकार को चले गये |
दोस्तों पहले राजा शिकार किया करते थे उनको शिकार् का बड़ा सौक रहता था कुछ समय व्यतीत होने के बाद आठवी रानी ने राजा से कहा की महाराज में गर्ब से हूँ और मेरा नवा महिना चल रहा है और आप शिकार करने चले जाते हो | अगर मुझे दर्द उठने लगेगा तो मुझे कौन संभालेगा | आप तो जानते ही हो की वे जो आपकी सात रानी है वो मुझसे कितना चिड्ती है |कहीं वो मेंरे सात कुछ छल कपट ना कर दे | राजा बोला इसका भी मेरे पास इलाज है अगर तुमको कोई समस्या आने लगे तो तुम इस नगाड़े को बजा देना (राजा ने एक नगाड़ा वह लटका दिया ) में नगाड़े की आवाज सुनकर तुरंत आ जाऊंगा।
एक दिन राजा सिकार करने गये हुए थे तो रानी ने वह नगाड़ा बजा दिया | उधर राजा ने शिकार को दबोचे हुए था लेकिन नगाड़ा की आवाज को सुनकर वह शिकार को छोड़कर तुरंत महलो की तरफ आया तो देखा रानी बिलकुल ठीक थी | राजा ने पूछा तुम तो बिलकुल ठीक हो फिर ये नगाड़े में डंका क्यों मारा था | रानी ने कहा महाराज बुरा मत मानो मैंने आपको आजमा कर देखा है, आप आयेंगे या नहीं | कुछ बीत जाने के बाद रानी को बहुत ज्यादा दर्द उठने लगा रानी ने तुरंत नगाड़े में डंका मारा | जब राजा को डंका सुनाई दिया तो राजा सोचने लगा इस बार भी आजमा रही होगी।
लेकिन इस बार राजा नहीं गए और रानी बार बार डंका बजाती रही लेकिन राजा उसको अनसुना करके शिकार की तलाश में लगा हुआ था | इधर रानी को देखकर वो सातो रानी भी उसके पास आ गयी और उन्होंने दाई को बुलाया थोड़ी ही देर में दाई आ गई दी को अलग लेजाकर उसको समझाया की दो सोने की मोहर दूंगी जो में कहू वो करना है दाई ने झट से हां कर ली | दाई को समझा दिया की क्या करना है दाई आठवी रानी के पास गयी और कहा महारानी जी आप कोनसा वाला जापा (डेलिवरी) करवाना चाहती हो जाट जाटनी वाली या राजा महाराजाओ वाली | तो रानी ने कहा अब में रानी हूँ तो राजा महाराजाओ की तरह की करवाउंगी।
दाई कहने लगी तो फिर जब तो आँखों को बंद करके उनपर पट्टी बंधनी होगी | रानी ने पूछा ऐसा क्यों तो दाई कहने लगी इसमें ऐसा ही होता है | आप चाहे तो जाट जाटनी वाला कर दू रानी ने कहा नहीं नहीं में आँखों पर पट्टी बाँध लुंगी | रानी ने आँखों पर पट्टी बंध ली तो उसने एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया | दाई उन रानियों के कहने पर उन दोनों बच्चो को एक संदूक में बंद करके किसी नदी में बहा दिए और कंकर पत्थर रंग कर उसके पलंग पर डाल दिए और रानी की पट्टी खोल दी और कहा महारानी जी ये आपने कंकर पत्थरों को जन्म दिया है।
सातो रानी उस रानी को कोसने लागी की ये तो कहती थी की में एक लड़का और एक लड़की को जन्म दूंगी लेकिन इसने पत्थरो को जन्म दिया है | इसने तो महाराज को उल्लू बनाया है और महारानी बनने के चक्कर में इसने राजा से झूट बोला है | शाम को राजा शिकार खेल कर वापस आये तो दाई ने उसको कहा महाराज इसने पत्थरो को जन्म दिया है | ये बात सुनकर राजा क्रोध से लाल हो गया और उस रानी को महल के कौए (क्रो) उढ़ाने की सजा दे दी की आज से तुमको रोजाना महल के सारे कौए उड़ाने होंगे | रानी को सजा दे दी गयी।
दोस्तों अब उस तरफ चलते है जहाँ वो संदूक बहता जा रहा था बहते हुए संदूक को एक ऋषि ने नहाते पकड़ लिया | और उसे वो नदी से बाहर निकाल लाये | वजन को देख कर सोचने लगा इसमें तो कोई माल है इसे तो कुटिया में ले जा कर ही खोलुन्गा वो सीधा कुटिया में घुस गया| और उसको खोला तो देखा की लड़का लड़की दोनों अंगूठा पी रहे थे ऋषि ने सोचा ये मेने क्या कर लिया | अगर में इनको वापस छोड़ कर आऊ तो ये मेरा पाप होगा | इसलिए इनको पालने में ही भलाई होगी।
वह ऋषि उन दोनों बच्चो का पालन पोषण करने के लिए एक दूध देने वाली एक बकरी को ले आये क्योकि वे बच्चे बहुत छोटे थे माँ नहीं होने के कारण ऋषि उनके लिए एक बकरी लाये थे | बच्चे दिन दुगने रात चौगुने जवान होते चले गये | उस ऋषि ने सोचा अब ये अपना जीवन खुद जी सकते है इसलिए उनको एक मेले में ले जाकर उनको एक एक आइसक्रीम दिलाकर उनसे कहने लगा में अभी आता हूँ | ये बात कहकर वो उनकर छोड़कर घर आ गया | मेले में दोनों भाई बहन बाबा के आने का इन्तजार करने लगे लेकिन शाम तक बाबा नहीं आये तो दोनो भाई बहिन उसी बाबा की कुटिया में वापिस आ गए।राजा ने पुछा क्या बात है तो लड़की बोली महाराज सुना है आप आठवी रानी की तलाश में जा रहे हो | राजा कहने लगा आपने ठीक सुना है, में आठवीं रानी की तलाश में जा रहा हूँ | लड़की ने कहा मुझे आप अपनी रानी बना लीजिये क्योकि मुझे एक लड़का और एक लड़की पैदा होने का वरदान मिला है | राजा ने कहा अगर ऐसा नहीं हुआ तो ? लड़की बोली अगर ऐसा नहीं हुआ तो आप मुझे जो चाहे सजा दे सकते हो | राजा ने कहा ठीक है में आपसे विवाह करने के लिए तैयार हूँ लेकिन उसके लिए मुझे तुम्हारे पिता बीरसिंह जाट से बात करनी होगी | राजा बिरसिंह जाट के घर पहुच गए जाट ने राजा का बहुत आदर सत्कार किया बीरसिंह जाट ने राजा से पुछा महाराज आज केसे गरीब की कुटिया में आना हुआ
| राजा कहने लगे हम आपकी पुत्री से विवाह करने की बात करने आये हैं हम आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं तुम इस बात से नाराज तो नहीं हो | जाट कहने लगा में क्यों भला नाराज हो रहा हूँ | बल्कि में तो बहुत खुश हूँ की मेरी बेटी एक रानी बनने जा रही है राजा ने जाट को धन्यवाद देते हुए वहा से चले गए | राजा वहा से आकर विवाह की तैयारिया करने का हुकम बोल दिया | राजा की अब आठ रानी हो गई राजा आठवी रानी से कहा की हम सिकार करने के लिए जाते अपना ख़याल रखना क्यों की मेरी सात रानी बहुत चालाक है उनसे दूर ही रहना | राजा शिकार को चले गये |
दोस्तों पहले राजा शिकार किया करते थे उनको शिकार् का बड़ा सौक रहता था कुछ समय व्यतीत होने के बाद आठवी रानी ने राजा से कहा की महाराज में गर्ब से हूँ और मेरा नवा महिना चल रहा है और आप शिकार करने चले जाते हो | अगर मुझे दर्द उठने लगेगा तो मुझे कौन संभालेगा | आप तो जानते ही हो की वे जो आपकी सात रानी है वो मुझसे कितना चिड्ती है |कहीं वो मेंरे सात कुछ छल कपट ना कर दे | राजा बोला इसका भी मेरे पास इलाज है अगर तुमको कोई समस्या आने लगे तो तुम इस नगाड़े को बजा देना (राजा ने एक नगाड़ा वह लटका दिया ) में नगाड़े की आवाज सुनकर तुरंत आ जाऊंगा।
एक दिन राजा सिकार करने गये हुए थे तो रानी ने वह नगाड़ा बजा दिया | उधर राजा ने शिकार को दबोचे हुए था लेकिन नगाड़ा की आवाज को सुनकर वह शिकार को छोड़कर तुरंत महलो की तरफ आया तो देखा रानी बिलकुल ठीक थी | राजा ने पूछा तुम तो बिलकुल ठीक हो फिर ये नगाड़े में डंका क्यों मारा था | रानी ने कहा महाराज बुरा मत मानो मैंने आपको आजमा कर देखा है, आप आयेंगे या नहीं | कुछ बीत जाने के बाद रानी को बहुत ज्यादा दर्द उठने लगा रानी ने तुरंत नगाड़े में डंका मारा | जब राजा को डंका सुनाई दिया तो राजा सोचने लगा इस बार भी आजमा रही होगी।
लेकिन इस बार राजा नहीं गए और रानी बार बार डंका बजाती रही लेकिन राजा उसको अनसुना करके शिकार की तलाश में लगा हुआ था | इधर रानी को देखकर वो सातो रानी भी उसके पास आ गयी और उन्होंने दाई को बुलाया थोड़ी ही देर में दाई आ गई दी को अलग लेजाकर उसको समझाया की दो सोने की मोहर दूंगी जो में कहू वो करना है दाई ने झट से हां कर ली | दाई को समझा दिया की क्या करना है दाई आठवी रानी के पास गयी और कहा महारानी जी आप कोनसा वाला जापा (डेलिवरी) करवाना चाहती हो जाट जाटनी वाली या राजा महाराजाओ वाली | तो रानी ने कहा अब में रानी हूँ तो राजा महाराजाओ की तरह की करवाउंगी।
दाई कहने लगी तो फिर जब तो आँखों को बंद करके उनपर पट्टी बंधनी होगी | रानी ने पूछा ऐसा क्यों तो दाई कहने लगी इसमें ऐसा ही होता है | आप चाहे तो जाट जाटनी वाला कर दू रानी ने कहा नहीं नहीं में आँखों पर पट्टी बाँध लुंगी | रानी ने आँखों पर पट्टी बंध ली तो उसने एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया | दाई उन रानियों के कहने पर उन दोनों बच्चो को एक संदूक में बंद करके किसी नदी में बहा दिए और कंकर पत्थर रंग कर उसके पलंग पर डाल दिए और रानी की पट्टी खोल दी और कहा महारानी जी ये आपने कंकर पत्थरों को जन्म दिया है।
सातो रानी उस रानी को कोसने लागी की ये तो कहती थी की में एक लड़का और एक लड़की को जन्म दूंगी लेकिन इसने पत्थरो को जन्म दिया है | इसने तो महाराज को उल्लू बनाया है और महारानी बनने के चक्कर में इसने राजा से झूट बोला है | शाम को राजा शिकार खेल कर वापस आये तो दाई ने उसको कहा महाराज इसने पत्थरो को जन्म दिया है | ये बात सुनकर राजा क्रोध से लाल हो गया और उस रानी को महल के कौए (क्रो) उढ़ाने की सजा दे दी की आज से तुमको रोजाना महल के सारे कौए उड़ाने होंगे | रानी को सजा दे दी गयी।
दोस्तों अब उस तरफ चलते है जहाँ वो संदूक बहता जा रहा था बहते हुए संदूक को एक ऋषि ने नहाते पकड़ लिया | और उसे वो नदी से बाहर निकाल लाये | वजन को देख कर सोचने लगा इसमें तो कोई माल है इसे तो कुटिया में ले जा कर ही खोलुन्गा वो सीधा कुटिया में घुस गया| और उसको खोला तो देखा की लड़का लड़की दोनों अंगूठा पी रहे थे ऋषि ने सोचा ये मेने क्या कर लिया | अगर में इनको वापस छोड़ कर आऊ तो ये मेरा पाप होगा | इसलिए इनको पालने में ही भलाई होगी।
वहा देखा तो बाबा वहां आराम से अपने काम में व्यस्त में थे दोनों भाई बहन को आता देखा वो चोंक गया की ये केसे वापिस आ गए | दोनों भाई बहिन बाबा के पास जाकर बोले बाबा तुम हमको मेले में अकेले छोडकर क्यों आ गए | ऋषि कहने लगा देखो बच्चो मेने तुम दोनों को पालपोष कर बडे कर दिए है अब में बूढा हो चुका हूँ अब में तुमको नहीं रख सकता | क्योकि अब मुझे ईश्वर की तपस्या में लीन होकर बैठना है | तभी उस लड़के ने कहा बाबा अगर हम अकेले गए तो कोई भी मुझको मारकर मेरी बहिन को मुझसे छीन कर ले जायेगा | ऋषि ने कहा में तुमको इसके लिए कुछ देना चाहता हूँ आओ अन्दर आओ।
ऋषि उनको अन्दर लेकर गया और अपने मंत्रो से एक लम्बी रस्सी, एक डंडा , एक जल से भरा हुआ लोटा और एक छोटा सा चमकीला जादुई पत्थर बनाये | और उनको लड़के को देते हुए कहा देखो बच्चा ये एक लम्बी रस्सी है, चाहे जितने भी आदमी आ जाये तुम इस रस्सी को कहो की "चल गुरु की रस्सी सभी के हाथ पांव बांध कर पटक दो" ये रस्सी बिना समय लगाये सबके हाथ पांव बांध देगी | और दूसरी चीज ये एक डंडा है दिखने में ये साधारण सा डंडा है।
लेकिन तू कहोगे की चल गुरु के डंडे सबके कान छोड़ कनपटी (कान के नीचे का हिस्सा ) कनपटी मारो तो ये डंडा ऐसा ही करेगा | ये है तीसरी चीज जल से भरा हुआ लौटा वैसे तो आप इसमें साधारण जल भी भर कर भी काम में ले सकते हो अगर तुम पीली मिटटी से एक चौड़ा लीपकर उसके बीच में ये लोटा रखकर इसको कहो चल गुरु के लोटे छत्तीस प्रकार के भोजन तैयार कर दो तो सेकण्ड से पहले आपको मनचाह भोजन मिल जायेगा ये है लास्ट चौथी चीज सुनहेरा पत्थर इसको जब भी गुरु का नाम लेकर किसी साधारण पत्थर से टच करोगे तो ये पत्थर उस पत्थर को सोना बना देता है।
दोनों बहिन भाई ने इन सब चीजो को लेकर बाबा को धन्यवाद देते हुए वहा से चल दिए और कहीं किसी जंगल ने उन्होंने अपना डेरा बना लिया | और पास के नगर से किसी बड़े कारीगर को बुलाया और कहा हमें एक दिन में महल तैयार करवाना है ने कहा बन तो जायेगा मगर खर्चा बहुत आएगा | लड़के ने कहा खर्चा जितना भी हो कोई बात नही लग जाने दो खर्चा | कारीगर ने दो सौ आदमी काम पर लगा दिए जितना खर्चा आया उसने उस गुरूजी के सुनहरे पत्थर से सोना बना कर उसको दे दिया और एक दिन में महल तैयार हो गया।
उस लड़के के पास पैसों की तो कोई कमी नहीं थी जितना चाहे बना लेता था | लड़के को जंगल में रहकर शिकार करने का सुक लग गया और शिकार करने के लिए जाया करता था | एक दिन वो लड़का शिकार के लिए गया हुआ था | और उसकी बहन छत पर बाल सुखा रही थी | तो एक स्त्री उस महल के चारो तरफ चक्कर लगा रही थी उस लड़की ने देखा तो उसको बुलाया और कहा तुम रोजाना इधर कहां जाती हो | वह स्त्री कहने लगी में पास के नगर के राजा की दासी हूँ और वहां की रानी के बाल गुन्थने जा रही हूँ | लड़की ने कहा बहन क्या तुम मेरे बाल भी गूंथ दोगी दासी ने कहा जरूर गूँथ दूंगी दासी ने उस लड़की के बालो को अच्छी तरह से गूंथ दिए | लड़की ने अंदर से एक सोने का पत्थर लाकर उसको दे दिया।
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