श्रापित मंदिर की अंतिम पहेली: निधिवन के खतरनाक रहस्यों की रोमांचक कहानी (एपिसोड 4)

    कहानी: "अनदेखा सच"

(एपिसोड 4: श्रापित पहेलियों का खेल)  

     पिछली कड़ी:  

आर्या ने मंदिर की पहली पहेली हल की, लेकिन मंदिर के अंदर का माहौल और खतरनाक हो गया। दीवारों से उभरती परछाइयां उसे डरा रही थीं, और बूढ़ा आदमी गायब हो चुका था। अब आर्या को दूसरी पहेली का सामना करना है।  

अब आगे...

आर्या ने अपने डर को दबाते हुए दूसरी दीवार की ओर देखा, जहां एक और चमकता हुआ प्रतीक उभरा। एक गूंजती हुई आवाज ने दूसरी पहेली का ऐलान किया:  

*"मैं वह हूं, जिसे कोई छू नहीं सकता, लेकिन हर कोई महसूस कर सकता है। मैं अदृश्य हूं, लेकिन जब मैं आता हूं, तो सब कुछ बदल जाता है। बताओ, मैं कौन हूं?"*  

आर्या ने कुछ देर सोचा। उसके दिमाग में कई चीजें आईं, लेकिन समय सीमित था। अचानक उसे अहसास हुआ। उसने धीरे से कहा, "हवा।"  

जैसे ही आर्या ने जवाब दिया, प्रतीक की चमक और तेज हो गई, और एक नया दरवाजा खुला। लेकिन उस दरवाजे के पीछे का दृश्य और डरावना था। वहां एक गहरा अंधेरा था, जिसमें अजीबोगरीब आवाजें गूंज रही थीं।  

आर्या ने हिम्मत करके उस दरवाजे के अंदर कदम रखा। यह मंदिर का एक और गुप्त हिस्सा था, जहां हर दीवार पर लिपटे हुए सांपों की मूर्तियां थीं। फर्श पर गहरे निशान और खून के धब्बे दिख रहे थे।  

तभी, एक और गूंजती आवाज ने आर्या का ध्यान खींचा:  

 "तुमने दो पहेलियां हल कर ली हैं, लेकिन तीसरी और आखिरी पहेली तुम्हारा भाग्य तय करेगी। अगर तुमने इसे हल किया, तो तुम यहां से बच सकती हो। अगर नहीं, तो तुम्हारी आत्मा भी यहां कैद हो जाएगी।" 

दीवारों से रोशनी निकलने लगी, और तीसरी पहेली सामने आई:  

"मैं समय का साथी हूं। मैं हर किसी की किस्मत बदल सकता हूं। मैं हमेशा चलता रहता हूं, लेकिन कभी रुकता नहीं। बताओ, मैं कौन हूं?"

आर्या का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने अपने चारों ओर देखा। उसे दीवारों पर बनी घड़ियों और समय से संबंधित प्रतीकों का ध्यान आया। उसने धीरे से कहा, "समय।"  

जैसे ही उसने जवाब दिया, मंदिर अचानक कांपने लगा। दीवारों पर बनी मूर्तियां जीवित हो गईं, और वह बूढ़ा आदमी फिर से प्रकट हुआ। इस बार उसकी आंखों में गुस्सा था।  

"तुमने पहेलियां हल कर ली हैं, लेकिन इस मंदिर का श्राप तुम्हें इतनी आसानी से नहीं छोड़ेगा।"  

तभी फर्श के नीचे से एक चमकती हुई सीढ़ी प्रकट हुई। बूढ़े आदमी ने कहा, "यहां से बाहर जाने का रास्ता यह है, लेकिन ध्यान रखना, हर कदम पर खतरा है।"  

आर्या ने सीढ़ी की ओर देखा और धीरे-धीरे उस पर कदम रखा। जैसे ही उसने पहला कदम रखा, उसके पीछे का रास्ता गायब होने लगा।  

सीढ़ियां नीचे एक रहस्यमयी कक्ष की ओर ले जा रही थीं, जहां रोशनी और अंधेरे का संगम हो रहा था। आर्या ने नीचे से आती एक डरावनी चीख सुनी। उसने अपने डर को काबू में रखा और नीचे की ओर बढ़ी।  


अचानक, उसने महसूस किया कि उसकी पीठ पर किसी ने हाथ रखा। उसने पलटकर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। तभी एक और चीख गूंजी, और कक्ष का दरवाजा अपने आप बंद हो गया।  

- आर्या को सीढ़ियों के नीचे क्या मिलेगा?  

- क्या वह श्रापित मंदिर से बच पाएगी, या यह उसका अंत होगा?  

- बूढ़ा आदमी कौन है, और वह आर्या को क्यों रोक रहा है?  


जारी है...

 अगला एपिसोड 5


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