कहानी: "अनदेखा सच"
*(एपिसोड 3: अंधेरे का सामना)*
पिछली कड़ी:
मंदिर का दरवाजा: निधिवन के रहस्यमयी खजाने की कहानी का दूसरा अध्याय
आर्या ने निधिवन के प्राचीन मंदिर के दरवाजे को खोला और अंदर कदम रखा। वहां उसे अजीबोगरीब प्रतीकों और एक रहस्यमय खजाने की कहानी के बारे में पता चला। जब वह बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रही थी, उसे अपने पीछे किसी की मौजूदगी का अहसास हुआ।
अब आगे...
मंदिर के भीतर घुप्प अंधेरा छा गया। आर्या की टॉर्च अचानक बंद हो गई थी, और वह खुद को ठंडे और डरावने माहौल के बीच घिरी हुई महसूस कर रही थी। पीछे से आई ठंडी सांस और रहस्यमयी आवाज ने उसे झकझोर दिया।
"कौन हो तुम?" उसने घबराते हुए पूछा।
अंधेरे में एक हल्की सी परछाई दिखाई दी। वह धीरे-धीरे आर्या के करीब आ रही थी। आर्या ने अपने बैग से एक माचिस निकाली और जैसे ही उसने माचिस जलाई, सामने एक बूढ़ा आदमी खड़ा था। उसकी आंखें लाल चमक रही थीं, और उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।
"तुम्हें यहां नहीं होना चाहिए था," बूढ़े आदमी ने कहा।
आर्या ने हिम्मत जुटाई और पूछा, "तुम कौन हो? और यह जगह इतनी रहस्यमयी क्यों है?"
बूढ़ा आदमी हंसते हुए बोला, "मैं वही हूं, जो इस खजाने की हिफाजत करता है। यह मंदिर और इसका खजाना श्रापित है। जो भी इसे पाने की कोशिश करता है, वह मौत का शिकार होता है।"
आर्या ने कहा, "मैं खजाने के लिए नहीं आई हूं। मैं सिर्फ इस जगह की सच्चाई जानना चाहती हूं।"
बूढ़ा आदमी गंभीर होते हुए बोला, "सच जानने की कीमत भी चुकानी पड़ती है। अब तुम्हारे पास केवल दो रास्ते हैं: या तो इस मंदिर के राज को उजागर करने के लिए आगे बढ़ो, या वापस जाने का कोई रास्ता ढूंढो। लेकिन याद रखना, जो एक बार यहां आता है, वह कभी आसानी से वापस नहीं जा पाता।"
आर्या ने मंदिर की दीवार पर बने प्रतीकों को देखा। वह समझ गई कि ये प्रतीक किसी पहेली का हिस्सा हैं। बूढ़े आदमी ने कहा, "अगर तुम इस दरवाजे से बाहर जाना चाहती हो, तो तुम्हें इन पहेलियों को हल करना होगा। लेकिन हर गलत उत्तर तुम्हें मृत्यु के करीब ले जाएगा।"
दीवार पर एक प्रतीक चमका, और एक आवाज गूंजी:
"मैं ऐसा हूं जो हर किसी के पास होता है, पर कोई देख नहीं सकता। जब मैं खत्म होता हूं, तो इंसान भी खत्म हो जाता है। बताओ, मैं कौन हूं?"
आर्या ने कुछ क्षण सोचा। उसे एहसास हुआ कि यह सवाल उसकी हिम्मत और बुद्धिमत्ता की परीक्षा है। उसने धीरे से कहा, "सांस।"
दरवाजा हल्का सा चमकने लगा। बूढ़ा आदमी मुस्कुराया, "तुमने पहला सवाल सही किया। लेकिन आगे का रास्ता और खतरनाक है।"
जैसे ही आर्या अगले प्रतीक के पास पहुंची, मंदिर का फर्श कांपने लगा। दीवारों से अजीब सी आकृतियां उभरने लगीं। ये आकृतियां उन लोगों की थीं, जो इस मंदिर में फंस गए थे। वे चीखते हुए कह रहे थे, "यहां से भाग जाओ, वरना तुम्हारा अंजाम भी हमारे जैसा होगा।"
आर्या ने दूसरे प्रतीक को हल करने के लिए अपने कदम बढ़ाए। तभी बूढ़ा आदमी गायब हो गया, और मंदिर के अंदर की रोशनी और तेज हो गई। एक गहरी, डरावनी आवाज गूंजी, "तुमने खेल शुरू कर दिया है। अब इसे खत्म करना तुम्हारी जिम्मेदारी है।"
- क्या आर्या दूसरी पहेली का उत्तर दे पाएगी?
- मंदिर के अंदर की परछाइयां कौन हैं?
- क्या आर्या इस खतरनाक खेल से बच पाएगी, या वह भी फंसे हुए लोगों की सूची में शामिल हो जाएगी?
जारी....
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