मां का आखिरी खत।
यह कहानी है एक लड़के की जिसका नाम सोनू था। जिसकी मां ने अपने बेटे के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी दे दी जिसके लिए वह सपने में भी नहीं सोच सकता था और फिर भी वह लड़का अपनी मां को अपनी बदकिस्मती मानता था उनके साथ नहीं जाता नहीं था क्योंकि लोग उसका और उसकी मां का मजाक उड़ाते थे तो उसे लगता था कि वह मेरा मजाक मेरी मां की वजह से ही उड़ाते हैं अगर मैं मां के साथ कहीं नहीं जाऊंगा तो मेरा भी मजाक नहीं बनेगा। दरअसल हुआ कुछ यूं था। कि जब सोनू की मां ने सोनू को जन्म दिया था उसके 2 साल बाद ही। सोनू का एक एक्सीडेंट हो गया था। उसमें उसकी एक आंख और एक किडनी दोनों ही खराब हो गए थे और दोनों को ही बदलने की जरूरत थी। तब उसकी मां ने अपनी आंख और अपनी किडनी अपने बेटे को दे दी। किडनी से तो किसी को फर्क नहीं पड़ता था जिनको नहीं पता था उन्हें पता भी नहीं चलता था कि इसकी एक किडनी नहीं है लेकिन आंख तो साफ-साफ दिख ही जाती थी इसलिए सब उसे एक आंख की अंधी कहकर पुकारते थे। और जब सोनू और उसकी मां कही साथ जाया करते थे। सब लोग कहते थे कि देखो एक आंख की आंधी के साथ उसका बेटा जा रहा है। यह सुनकर सोनू को बहुत गुस्सा आता था और वह अपनी मां के साथ कहीं नहीं जाता था। 1 दिन सोनू की मां की बहुत तबीयत खराब थी तो सोनू की मां ने बहुत जिद करी कि मुझे दवा दिला कर लिया मुझे डॉक्टर के पास ले जा बहुत जिद करने के बाद सोनू अपनी मां को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए तैयार हो गया लेकिन जब वह मां को डॉक्टर के पास से दिखा कर आ रहा था तभी रास्ते में उसके दोस्त मिल गए और कहने लगे क्या तू भी एक आंख के अंधी के साथ घूमता रहता है किसी दिन तू भी अंधा हो जाएगा इसी की तरह फिर चलना दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर। ऐसा कहकर सोनू के दोस्त सोनू के आगे से निकल गए और सोनू को यह सब सुनकर बहुत बुरा लगा। और घर आकर वह अपनी मां पर चीखने चिल्लाने लगा कि तुम्हारी वजह से ही मेरे दोस्तों ने मेरी इतनी बेज्जती की है वरना वह मेरे आगे कभी मुंह नहीं खोलते हैं। यह सुनकर मां ने कहा बेटा आज के बाद में मैं तेरे साथ कहीं नहीं जाऊंगी बस अब तू शांत हो जा। लेकिन सोनू का गुस्सा शांत होने वाला नहीं था उसने कह दिया कि ऐसी नौबत ही नहीं आएगी क्योंकि अब मैं तुमसे बिलकुल अलग रहूंगा। यह सुनकर उसकी मां गिड़गिड़ाने लगी रोने लगी कि बेटा ऐसे मत कर मुझे छोड़कर मत जा। लेकिन सोनू ने अपनी मां की एक न सुनी। सोनू ने कहा मैं नौकरी करता हूं अकेले रहकर अपना पेट खुद पाल लूंगा और अपने सारे काम के लिए एक नौकरानी भी रख लूंगा मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है। मैंने सोच लिया कि अब बेटे को रोकने से कोई फायदा नहीं है जब बेटे ने इतनी दूर तक की सोच ही ली है तो तब मां ने कहा ठीक है मैं तुझे नहीं रोकूंगी। तुझे जो करना है वह कर बस जहां भी रहे तो खुश रह लेकिन एक बात मेरी भी सुन ले जिस दिन तुझे मेरे ऐसी बदसूरती की राज की सच्चाई पता पड़ेगी उस दिन तू रो पड़ेगा और शायद उस दिन बहुत ज्यादा देर भी हो जाए। सोनू ने यह सुनकर कोई भी जवाब नहीं दिया। और चुपचाप घर से अपने कपड़े वगैरह उठाए और घर से निकल गया मां के तरफ पलट कर भी नहीं देखा उस सोनू ने। अब सोनू के जाने के बाद सोनू की मां का तो रो रो कर बुरा हाल हो रहा था लेकिन उधर सोनू ने अपने लिए एक कमरा किराए पर ले लिया। और अपने सारे कामकाज के लिए एक नौकरानी भी रख ली अब सोनू अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गया और अपनी मां को बिल्कुल भूल गया। 1 दिन सोनू ने अपनी मां को बिना बताए एक लड़की के साथ किसी मंदिर में शादी भी कर ली। और 1 साल बाद उन दोनों के एक बेटा भी हो गया लेकिन सोनू को कभी अपनी मां की याद नहीं आई। और जब सोनू की मां को यह सारी खबरें मिलती रही तो सोनू की मां दिल से अपने बेटे को दुआ देती रही कि सच्चाई पता नहीं है इसलिए वह मुझसे दूर है जिस दिन सच्चाई पता पड़ेगी वह मेरे बहुत करीब आने की बहुत कोशिश करेगा। मैंने तो उसे कभी गुनेगार माना ही नहीं तो माफी भी किस बात की मांगेगा वह मुझसे। 1 दिन सोनू की मां की बहुत ज्यादा तबियत खराब हो गई और सोनू की मां को महसूस हो गया कि अब वह ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाएंगी तब उन्होंने सोनू के लिए एक खत लिखा और एक पड़ोसी के हाथ सोनू के घर भिजवा दिया। और खुद ने कुछ देर बाद अपने प्राण त्याग दिए। इत्तेफाक से सोनू भी उस दिन घर पर ही था तो जैसे ही वह पड़ोसी खत देने के लिए गया सोनू सोनू ने ही खत हाथ में पकड़ा और जब उसने सुना कि वह खत उसकी मां का है तब उसे बहुत ताज्जुब हुआ कि इतने सालों बाद मां ने मुझे खत क्यों लिखा है फिर उसका मन नहीं माना तो उसने खत को खोला और पढ़ने लगा। उसमें लिखा था कि बेटा मुझे माफ कर देना कि यह मेरा आखिरी खत होगा तुम्हारे लिए इसके बाद मैं तुम्हें कभी परेशान करूंगी ना तुम से बोलूंगी और ना ही तुम्हें कोई खत लिख पाऊंगी। क्योंकि यह मेरा आखिरी खत है तुम्हारे लिए। फिर उसमें लिखा था कि बेटा जब तू घर छोड़कर जा रहा था जब मैंने तुझसे कहा था ना कि तुझे जब मेरी बदसूरती की राज की सच्चाई पता पड़ेगी तो तुझे बहुत पछतावा होगा। मैं तुझे यह बताना नहीं चाहती थी लेकिन क्या करूं मेरी अंतिम इच्छा थी कि अंतिम समय में मेरा बेटा मेरे साथ हो तो मेरा बेटा मेरे साथ तो नहीं था लेकिन शायद मेरे मरने के बाद वह मेरी चिता को आग दे दे यह सब सुनने के बाद। इसलिए तुझे बताना पड़ा। बात उस समय की है जब तू 2 साल का था तू स्कूल से घर आ रहा था लेकिन रास्ते में ही तेरा एक बैलगाड़ी के सामने एक्सीडेंट हो गया और उस हादसे में तेरी एक आंख और एक किडनी हमेशा के लिए खराब हो गए तब डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारे बेटे को अगर बिल्कुल ठीक करना है तो यह दोनों चाहिए तब मैंने सोचा मेरी तो शादी हो गई है मेरा घर बस गया है अब मुझे शरीर का दिखावा करके क्या करना और मैंने अपनी एक आंख और एक किडनी तेरे हवाले कर दी और खुद बदसूरती स्वीकार कर ली। ताकि तू खूबसूरत बना रहे लेकिन तुझे यह सब पता नहीं था इसलिए तू मुझसे दूर व्यवहार करता था। लेकिन तेरे व्यवहार से मुझे जरा भी दुख नहीं होता था दुख बस उस समय हुआ जब तू मुझे मेरी बदसूरती की वजह से छोड़ कर चला गया लेकिन फिर भी मैंने तुझे अपना गुनहगार कभी नहीं माना इसलिए तू मत सोचना कि मां मेरी वजह से गुजर गई अरे मुझे तो इस दुनिया से जाना ही था बस तू अब मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दे मेरी जहां तू मुझे छोड़ कर गया था वही मेरा अभी मृत शरीर पड़ा होगा उसे तू अपने हाथों से आग दे दे और मुझे मुक्ति दिला दे। यह सब पढ़कर सोनू की आंखें भर आई और उसका दिल अपनी मां के लिए तड़प उठा। तब सोनू अपनी पत्नी और अपने बेटे के साथ अपने पुराने घर गया और वहां देखा तो सच में ही उसकी मां मृत पड़ी हुई थी। यह देखकर सोनू फूट-फूट कर रोने लगा और कहने लगा कि मां कहते हैं शरीर के मरने के बाद आत्मा शरीर के आसपास ही रहती है और तुम मुझे सुन भी रही होगी तुम तो मुझे माफ कर देना मैं तुम्हारा ख्याल नहीं रख पाया तुमने मेरी लिए इतनी बड़ी कुर्बानी दी और मैंने तुम्हें उसके बदले गुस्सा और बेज्जती ही दी। मुझे माफ कर देना ऐसा कहकर सोनू ने अपनी मां की सारी अंतिम क्रिया पूरे मन और आदर के साथ की लेकिन सोनू का खुद के प्रति घृणा से भर गया कि मैंने अपनी मां के साथ ऐसा क्यों किया। और जब उसे खत की याद आई। तब उसने सोचा कि सच में यह तो मां का आखिरी खत है और मैं इसे मां की निशानी समझ के संभाल के रखूंगा। और सोनू दुबारा अपने जीवन में व्यस्त हो गया। तो यह थी कहानी।
मां का आखरी खत।
धन्यवाद।
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