श्रापित मंदिर का अंत: सच्चाई और रहस्य का उजागर होना (एपिसोड 5)

 

कहानी: "अनदेखा सच"

(एपिसोड 5: श्राप का अंत या नई शुरुआत)

पिछली कड़ी:

आर्या ने मंदिर की तीनों पहेलियां हल कर लीं और एक रहस्यमय सीढ़ी के रास्ते नीचे उतरने लगी। मंदिर के अंदर चीखों और अजीब आवाजों ने माहौल को और डरावना बना दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या आर्या इस श्रापित मंदिर से बाहर निकल पाएगी?

अब आगे...

सीढ़ियां आर्या को एक विशाल भूमिगत कक्ष में ले गईं। यह कक्ष अंधेरे और रोशनी का अद्भुत संगम था। चारों ओर सुनहरी चमकती हुई धूल हवा में तैर रही थी। कक्ष के बीच में एक पुराना लकड़ी का बक्सा रखा हुआ था, जिस पर प्राचीन प्रतीक अंकित थे।

आर्या ने चारों ओर देखा। उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसकी हर हरकत पर नजर रख रहा है। बक्से के पास एक पत्थर की पट्टी पर लिखा था:
"जो इस खजाने को छुएगा, वह श्रापित आत्माओं का हिस्सा बन जाएगा। लेकिन अगर तुम सच्चे इरादे से आई हो, तो इसे खोलो और सच को मुक्त करो।"

आर्या ने महसूस किया कि यह क्षण निर्णायक था। उसने बक्से को धीरे-धीरे खोला। अंदर एक सुनहरा आभूषण और एक पुरानी किताब थी। जैसे ही उसने आभूषण को छुआ, चारों ओर से हवा तेज हो गई और कक्ष की दीवारों पर बनी मूर्तियां जीवित हो उठीं।

बूढ़ा आदमी फिर प्रकट हुआ। उसकी आंखें अब और भी अधिक चमक रही थीं। उसने कहा,
"यह मंदिर और इसका खजाना केवल एक श्राप नहीं है। यह उस राजा का प्रतिशोध है जिसने अपनी प्रजा को धोखा दिया। तुमने पहेलियों को हल कर दिया, लेकिन अब तुम्हें इस श्राप को तोड़ना होगा।"

आर्या ने पूछा, "मुझे क्या करना होगा?"
बूढ़ा बोला, "इस किताब में उन आत्माओं की कहानी है, जो इस श्राप का शिकार बनीं। इसे पढ़ो और उनका सच दुनिया के सामने लाओ। तभी उनकी आत्माएं मुक्त हो सकेंगी। लेकिन याद रखना, अगर तुम असफल हुई, तो तुम्हारी आत्मा भी इसी मंदिर का हिस्सा बन जाएगी।"

जैसे ही आर्या ने किताब पढ़नी शुरू की, कक्ष के भीतर का माहौल और अराजक हो गया। दीवारों पर उभरती परछाइयां उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं। आर्या ने अपनी पूरी ताकत जुटाई और किताब के हर शब्द को जोर से पढ़ा।

जैसे ही किताब खत्म हुई, एक तेज प्रकाश पूरे कक्ष में फैल गया। मूर्तियां शांत हो गईं, परछाइयां गायब हो गईं, और बूढ़ा आदमी मुस्कुराते हुए कहा,
"तुमने हमें मुक्त कर दिया। अब यह मंदिर श्रापमुक्त है। लेकिन याद रखना, इस खजाने की हकीकत को दुनिया के सामने लाना तुम्हारी जिम्मेदारी है।"

कक्ष की दीवारें धीरे-धीरे गायब होने लगीं, और आर्या को एक सुरंग दिखाई दी, जो उसे बाहर की ओर ले जा रही थी। उसने किताब और आभूषण अपने बैग में रखा और बाहर की ओर भागी।

जब आर्या मंदिर से बाहर निकली, तो सुबह हो चुकी थी। बुढ़िया उसे मंदिर के पास इंतजार करती मिली। उसने कहा,
"तुमने मंदिर को श्रापमुक्त कर दिया, लेकिन अब तुम्हारा असली सफर शुरू होता है। इस कहानी को सब तक पहुंचाओ।"

आर्या ने सिर हिलाया और निधिवन से बाहर निकल पड़ी। लेकिन जैसे ही उसने अपनी कार में बैठने के लिए दरवाजा खोला, उसे पिछली सीट पर वही किताब दिखाई दी, जो उसने बैग में रखी थी।

  • मंदिर की किताब आर्या के बैग से बाहर कैसे आई?
  • क्या यह श्राप पूरी तरह से खत्म हो चुका है, या इसकी एक नई शुरुआत है?
  • आर्या इस कहानी को दुनिया के सामने कैसे लाएगी?

जारी है...

 एपिसोड 6

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