साया का शहर: अंतरराष्ट्रीय अपराध, अंग तस्करी और हीरो की खतरनाक लड़ाई (एपिसोड 3)

 


कहानी का नाम: "साया का शहर"

एपिसोड 2: अंधेरे के पर्दे के पीछे

 अगर आपने पिछला एपिसोड 2 नहीं पढा है तो यहाँ से पढ़ लीजिए

अब आगे..

विक्रम की फैक्ट्री पर छापा मारने और रिया को बचाने के बाद अर्जुन ने महसूस किया कि यह सिर्फ शुरुआत थी। विक्रम के गिरोह की जड़ें बहुत गहरी थीं। वह सिर्फ एक स्थानीय गैंगस्टर नहीं था, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट का हिस्सा था, जो अंग तस्करी, ड्रग सप्लाई और खतरनाक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा था।

अर्जुन को रिया ने बताया कि फैक्ट्री में कई बच्चे और महिलाएं कैद हैं। वे केवल किडनैपिंग के लिए नहीं, बल्कि अंग तस्करी के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। विक्रम का गिरोह बच्चों और युवाओं के

अंग निकालकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचता था। रिया ने यह भी बताया कि विक्रम के पास कई विदेशी क्लाइंट हैं, जो इस घिनौने व्यापार को चला रहे हैं।

अर्जुन ने ठान लिया कि वह इस रैकेट को जड़ से उखाड़ फेंकेगा। उसने विक्रम के गिरोह के एक छोटे सदस्य, राहुल, को पकड़ लिया। राहुल से जब अर्जुन ने सख्ती से पूछताछ की, तो उसने बताया कि यह रैकेट सिर्फ विक्रम तक सीमित नहीं है। यह एक बड़ा नेटवर्क है, जिसमें कई बड़े और अमीर लोग शामिल हैं, जिनमें विदेशी बिजनेसमैन भी हैं।

अर्जुन ने राहुल से यह भी जाना कि विक्रम का गिरोह ड्रग्स की सप्लाई में भी लिप्त है। वे यह ड्रग्स शहर की गलियों से लेकर इंटरनेशनल बाजार तक भेजते थे। ड्रग्स की यह खेप समुद्री रास्तों से विदेश पहुंचाई जाती थी, और इसके लिए उन्होंने कई सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था।

अर्जुन को पता चला कि इस नेटवर्क का केंद्र शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक बंदरगाह था। वह जानता था कि यहां हमला करना आसान नहीं होगा। लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं था।

विक्रम के सिंडिकेट की हिम्मत इतनी बढ़ चुकी थी कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को भी धमकी देने की कोशिश की। एक गुप्त संदेश में उन्होंने कहा,
"अगर हमारी गतिविधियों में रुकावट डालने की कोशिश की गई, तो इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ेगा।"

यह संदेश देश की सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचा, और अर्जुन ने इसे मीडिया में लीक होते देखा। उसने समझ लिया कि अब इस लड़ाई में राजनीति भी शामिल हो चुकी है।

अर्जुन ने विक्रम के नेटवर्क में शामिल सीक्रेट अमीरों का पर्दाफाश करने का फैसला किया। उसने एक गुप्त मिशन की योजना बनाई। अर्जुन ने राहुल की मदद से एक फर्जी पहचान बनाई और खुद को एक अमीर ड्रग डीलर के रूप में पेश किया।

वह विक्रम के नेटवर्क के बड़े खिलाड़ियों तक पहुंचा, जहां उसने देखा कि ये लोग केवल अमीर व्यापारी नहीं थे। इनमें कुछ विदेशी राजनेता, व्यापार जगत के बड़े नाम और देश के प्रभावशाली लोग भी शामिल थे। ये लोग ड्रग्स, अंग तस्करी और इंसानों की बोली लगाते थे।

एक रात अर्जुन ने विक्रम और उसके विदेशी क्लाइंट्स के बीच होने वाली एक गुप्त मीटिंग का पता लगाया। यह मीटिंग एक भव्य विदेशी यॉट पर होनी थी। अर्जुन ने अपने तरीके से उस यॉट पर घुसपैठ की।

यॉट के अंदर का दृश्य डरावना था। टेबल पर ड्रग्स की खेप रखी हुई थी। एक बड़े हॉल में इंसानों की नीलामी हो रही थी। लड़कियों और बच्चों को उनकी उम्र और सेहत के आधार पर बेचा जा रहा था।

अर्जुन ने यह सब रिकॉर्ड किया और जैसे ही उसने हमला करने की कोशिश की, विक्रम ने उसे देख लिया।

अर्जुन ने यॉट के अंदर ही लड़ाई शुरू कर दी। विक्रम के आदमी पूरी तरह से हथियारों से लैस थे। अर्जुन को कई चोटें आईं, लेकिन उसकी बहादुरी ने सभी को हैरान कर दिया। उसने विदेशी गुंडों को भी जमीन पर गिरा दिया।

इस लड़ाई में कई लोग मारे गए, और यॉट के अंदर खून का बहाव शुरू हो गया। लेकिन विक्रम फिर से भागने में सफल रहा। उसने यॉट को बम से उड़ा दिया, लेकिन अर्जुन किसी तरह बच निकला।

लड़ाई के बाद अर्जुन ने यॉट पर मौजूद कई अमीर व्यापारियों और राजनेताओं को गिरफ्तार कराया। उसने यह सब मीडिया और इंटरनेशनल एजेंसियों को सौंप दिया। अब दुनिया को पता चल गया था कि यह सिर्फ एक छोटे गैंग की बात नहीं थी, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट था।

एपिसोड के अंत में, अर्जुन को विक्रम का एक गुप्त संदेश मिला। उसमें लिखा था:
"तुमने मेरे प्यादों को खत्म कर दिया, लेकिन असली बादशाह अब सामने आएगा। तैयार रहो, अर्जुन। इस बार लड़ाई तुम्हारे घर तक आएगी।"

अर्जुन ने संदेश पढ़कर मुस्कुराया और कहा,
"मैं तुम्हारे खेल के हर पन्ने को पढ़ चुका हूं, विक्रम। अब तुम बच नहीं पाओगे।"


क्या अर्जुन इस खतरनाक सिंडिकेट को पूरी तरह खत्म कर पाएगा? क्या विक्रम का असली चेहरा सामने आएगा? जानने के लिए पढ़ें "साया का शहर" का अगला एपिसोड!

 एपिसोड 4 

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