सौतेली मां का छुपा खजाना।
यह कहानी है विमला की। विमला पहले से ही शादीशुदा थी पर विधवा की शादी के 2 साल बाद ही उसके पति एक एक्सीडेंट में गुजर गए थे। और वह अकेली रहा करती थी। दूसरी तरफ मोहन। जो विमला का सगा भाई था विमला के लिए हमेशा परेशान रहता था। वह सोचता था। की जिंदगी अकेले तो नहीं गुजारी जा सकती। मुझे अपनी बहन का अकेलापन कैसे भी करके दूर करना ही होगा।
इसीलिए वह विमला से रोज किसी न किसी रिश्ते की बात करता रहता था लेकिन विमला मना कर दिया करती थी। विमला कहती थी कि मेरे पति की जगह कोई नहीं ले सकता वह भले ही मेरी जिंदगी में नहीं रहे लेकिन मेरी यादों में हमेशा रहेंगे। यह सुनकर मोहन अपनी बहन से कहता है देखो बहन जीजा जी को गुजरना था।
वह गुजर गए तुम्हारे सामने तुम्हारी पूरी जिंदगी है और यह जिंदगी ऐसे ही नहीं गुजारी जा सकती तुम तो जानती ही हो अकेली महिला को यह समझ जीने नहीं देता और ऊपर से तुम विधवा भी हो पता है लोग कैसी कैसी बातें बनाते हैं। इस पर विमला ने कहा मुझे फर्क नहीं पड़ता लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं बस मुझे अकेला रहना है।
मोहन रोज अपनी बहन से एक ही बात कहता और रोज वही जवाब सुनता अब मोहन पूरी तरह तंग आ चुका था कि मेरी बहन मानती क्यों नहीं है वह क्यों नहीं समझती है कि समाज में एक विधवा महिला का अकेले रहना खतरे से खाली नहीं जब तक मैं हूं जब तक मैं उसकी सहायता करता रहूंगा। उसकी देखरेख करता रहूंगा। उसकी निगरानी करता रहूंगा।
भगवान ना करें अगर मुझे कुछ हो गया तो इसे कौन संभालेगा। आजकल समाज दुष्ट भेड़िया आदमियों से ज्यादा भरा पड़ा है जो अकेली औरत को देखते ही उस पर टूट पड़ते हैं झपट पड़ते हैं मैं अपनी बहन को सुरक्षित रखना चाहता हूं और मैं उसे सुरक्षित रखने के लिए कुछ भी कर सकता हूं। यह सब सोचकर मोहन अपने मन को शांत करने के लिए नदी किनारे जाकर बैठ गया।
तभी मोहन ने देखा कि नदी से कुछ दूरी पर एक लड़का रो रहा है वह करीब 5 साल का एक छोटा सा बच्चा था। उसे देखकर मोहन को दया आ गई और मोहन बिना देर किए उस लड़के के पास गया। और उससे पूछा कि तुम रो क्यों रहे हो तब उसने कहा कि मेरे पैरों में चोट लग गई है मैं इसलिए रो रहा हूं। मोहन ने पूछा क्या तुम अकेले हो। लड़के ने कहा हां मैं अकेला हूं मेरे परिवार में सिर्फ मेरे पिताजी है और वह भी नहीं मिल रहे मुझे मैं अपने पिताजी से बिछड़ गया हूं। मोहन ने कहा तुम अपने पिताजी से कैसे बिछड़ गए।
तब उस लड़के ने कहा कि मैं और मेरे पिताजी बाजार आए थे। और वह बाजार में सामान लेने लग गए। सड़क किनारे बहुत अच्छे फूल लगे हुए थे तो मैं उन्हें तोड़ने के लिए अंदर आया तो मुझे एक उड़ती हुई तितली दिखाई थी मैं उसके पीछे पीछे यहां तक आ गया अब वह तितली भी मुझे नहीं मिली और मैं खो भी गया मैं अब अपने पिताजी के पास कैसे जाऊंगा।
मोहन ने कहा चुप हो जाओ पहले तुम मुझे अपना नाम बताओ। उस लड़के ने कहा मेरा नाम रवि है। तब मोहन ने कहा रवि तुम ऐसा करो तुम मेरे साथ मेरे घर चलो मेरी बहन तुम्हारा ख्याल रखेगी और मैं तब तक तुम्हारे पिताजी को ढूंढता हूं और तब तक तुम्हारे पिताजी नहीं मिलते जब तक तुम मेरे साथ रह सकते हो।
तब रवि ने कहा ठीक है तो तुम मुझे अपने घर ले चलो। तब मोहन ने रवि को अपनी गोदी में उठाया और जल्दी-जल्दी अपने घर की ओर जाने लगा कुछ देर बाद वह अपने घर पहुंच गया और अपनी बहन को आवाज दी विमला देखो मेरे साथ में कौन आया है यह सुनकर विमला दौड़ी-दौड़ी घर के बाहर आई और उसने देखा कि मोहन की गोद में एक छोटा सा बच्चा है और उसके पैर भी घायल हैं। विमला ने पूछा यह किसका बच्चा है उसे चोट कैसे लगी तब मोहन ने कहा मैं नदी किनारे बैठा था तो वही यह बच्चा रो रहा था यह अपने पिताजी से बिछड़ गया है और इसे पता नहीं कैसे चोट भी लग गई है इसलिए मैं इसे अपने साथ यहां ले आया।
तुम इसकी देखभाल करो और मैं इसके पिता जी की तलाश करता हूं जैसे ही मुझे मिल जाएंगे मैं इसे उनके हवाले कर दूंगा। यह सुनकर विमला ने कहा ठीक है। तुम इसे अंदर ले आओ। विमला ने अच्छे से पहले रवि के पैरों के जखम साफ करें उनको पट्टी करी और फिर उसके मुंह हाथ धुलाए और उसे खाना खिलाया और फिर उसे कुछ दवा देकर सुला दिया। और खुद भी उसके साथ ही सो गई।
मोहन अचानक जब घर वापस आया तो उसने देखा कि बच्चा और उसकी बहन आराम से सो रहे हैं तब उसे मन में यह ख्याल आया कि अगर आज मेरे जीजाजी जिंदा होते तो आज दीदी के पास भी उतना ही बड़ा बच्चा होता लेकिन किस्मत कौन टाल सकता है। जैसा भगवान को मंजूर आखिर हुआ वही।
फिर उसने सोचा अभी मैं इन दोनों को नहीं उठा सकता। अपने आप ही उठ जाए तो ठीक है और रसोई में जाकर अपने लिए खाना परोसने लगा और खाने लगा। मोहन को खाना खाते खाते से अचानक से बहुत जोर का फंदा लगा और वह खांसने लगा तब उसकी खांसने की आवाज सुनकर विमला भी उठ गई और उसने जल्दी से पहले उसे पानी पिलाया फिर पूछा कैसे हो अब कुछ ठीक है तब।
मोहन ने कहा हां मैं तो ठीक हूं लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं हूं। यह सुनकर विमला डर गई तब मोहन ने कहा तुम इतना सुनकर ही डर गई अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम्हें कौन देखेगा बहन मान जाओ कहना और कर लो किसी से शादी। जिंदगी का कोई भरोसा नहीं किसी के साथ कब क्या हो जाए।
तब विमला ने कहा देखो मेरे न कहने से कुछ नहीं होता मेरे हां करने से कुछ नहीं होता सब भगवान की मर्जी से होता है सब भगवान के ऊपर छोड़ रखा है मैंने तो जैसी भगवान की मर्जी आखिर भगवान वही करेगा तुमने कहा ठीक है। अब मेरी चिंता दूर हुई। भगवान तुम्हारा अकेलापन दूर कर सकते हैं।
और मोहन खाना खाने लगा और फिर उसने भी मोहन ने कहा कि मैंने इस बच्चे के नाम की रिपोर्ट थाने में लिखवा दी है और पुलिस वालों से कह दिया है कि जल्द से जल्द इस के पिताजी को ढूंढ ले पुलिस वालों ने कहा ठीक है अब 2 दिन के अंदर उसके पिताजी को ढूंढ कर निकाल लेंगे। विमला ने कहा अच्छा है अगर कोई अपना बिछड़ जाए तो बहुत दुख होता है इसके पिताजी बहुत परेशान हो रहे होंगे जितना जल्दी उनके पास पहुंच जाएगा उतना ही चलती उनकी परेशानी दूर हो जाएगी और इससे अच्छी बात हमारे लिए क्या होगी।
फिर मोहन ने कहा मुझे शाम को किसी काम से शहर जाना है और एक-दो दिन में मैं वापस आऊंगा तब तक तुम इसका ख्याल रखना और तुम भी अच्छे से सावधानी से रहना तब विमला ने कहा भैया यह पहली बार नहीं है जब आप मुझे अकेला छोड़कर जा रहे हो मैं रह लूंगी अकेले इसका भी खूब ध्यान रखूंगी आप बस अपने काम पर ध्यान रखो।
मोहन ने कहा ठीक है मैं अपना जाने का इंतजाम करता हूं। फिर वह बच्चा भी उठ गया और वह कहने लगा कि क्या तुम मेरे साथ में खेलोगी तब विमला ने कहा हां मैं भी खाली बोर हो रही हूं तो ठीक है हम दोनों साथ में खेलते हैं। फिर वह दोनों आपस में खेलने लगे।
खेलते खेलते शाम हो गई शाम को मोहन आया और उसने कहा ठीक है तुम दोनों आराम से रहना मैं शहर जाता हूं एक-दो दिन में वापस आ जाऊंगा और भगवान करे जब मैं वापस आऊं तो साथ में ही खुशखबरी मिल जाए कि इसके पिताजी मिल गए हैं तब विमला ने कहा हां भाई ऐसा जरूर होगा फिर मोहन शहर के लिए निकल गया। अगले दिन पुलिस ने छानबीन करनी शुरू कर दी तो 2 दिन बाद पता चला कि यह लड़का किसी मदन नाम के आदमी का है जो अकेला ही रहता है और उसके साथ बस यह बच्चा ही रहता है और कोई भी नहीं रहता।
तब पुलिस ने मदन को उसके बेटे की सूचना दी और मदन तुरंत पुलिस के बताए पते पर पहुंच गया तब तक मोहन भी अपने घर लौट आया था। मदन और मोहन की मुलाकात मोहन के घर पर ही हुई। और विमला भी वहीं मौजूद थी। तब मोहन ने रवि को मदन के हवाले कर दिया। और पूछने लगा कि तुम अकेले क्यों रहते हो तब मदन ने कहा कि इसको जन्म देते ही इसकी मां गुजर गई तब से मैं और यह अकेले ही है।
तब मोहन ने कहा मैं भी अपनी विधवा बहन के लिए बहुत परेशान हूं शादी के 2 साल बाद उसके पति भी गुजर गए थे तब से वह भी अकेली है। तब रवि ने कहा पिताजी मुझे यह आंटी बहुत अच्छी लगी बहुत ख्याल रखा मेरा मेरे साथ में बहुत खेली भी रवि की बात सुनते ही मोहन ने सोचा कि यह दोनों अकेले हैं तो क्यों ना इन दोनों की शादी करा दूं शादी के बाद विमला जिंदगी में फिर कभी अकेली नहीं रहेगी।
तब मोहन ने विमला से कहा देखो अगर तुम्हें आपत्ती ना हो तो मैं मदन से तुम्हारी शादी की बात करता हूं तुम दोनों शादी कर लो तुम दोनों अकेले हो और साथ में रवि वह तुम्हें बहुत पसंद करने लगा है कह रहा था कि तुम बहुत अच्छी हो उसे बहुत पसंद हो शादी कर लो अपने लिए ना सही रवि के लिए।
बिन मां का बच्चा है उसे एक मां का प्यार मिल जाएगा यह सुनकर विमला ने तुरंत हां कर दी। मोहन ने मदन से कहा तो मदन ने भी हां कर दी दोनों की शादी हो गई। दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन बिताने लगे। धीरे-धीरे समय कब बीत गया पता ही नहीं चला। रवि जवान हो चुका था और उसकी मां विमला वह भी अब बीमार रहने लगी थी। 1 दिन विमला ने कहा देखो मेरी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है अगर मैं गुजर भी जाऊं तो तुम मेरे अलमारी में एक छोटा सा बंदूक है उसे खोल कर देखना तुम्हें बहुत कीमती खजाना मिलेगा।
यह सुनकर रवि को समझ में नहीं आया कि वह क्या कहें और क्या नहीं कहे रवि चुप रहा। एक दिन रवि की मां का देहांत हो गया तब रवि को अपनी मां की कही बात याद आई और उसने अपनी मां की अलमारी में रखा हुआ छोटा संदूक खोलकर देखा तो उसमें।
उसकी मां की एक चिट्ठी थी जब उसने उस चिट्ठी को खोल कर देखा और पढ़ने लगा उसमें लिखा था कि बेटा बस इतना ही कहूंगी कि हमेशा सच्चाई से जिंदगी जीना और इमानदारी से सारे काम करना सच्चाई के लिए अगर तुम्हें अपनी जान भी देनी पड़े तो दे देना पीछे मत हटना यही सबसे बड़ा खजाना है।
यह सुनकर रवि की आंखें भर आई और उसने अपने आप से वादा करा कि मैं मां की कही बात पर अमल जरूर करूंगा। और तब से रवि अपनी जिंदगी में सच्चाई और ईमानदारी के साथ जीने लगा। तो यह भी हमारी कहानी। सौतेली मां का छुपा खजाना।
धन्यवाद।
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