अपने तो अपने ही होते हैं। apne to apne hi hote hain



 अपने तो अपने ही होते हैं।

रवि और कुलदीप छोटे बड़े भाई थे जिसमें रवि बड़ा भाई था और कुलदीप छोटा भाई था। दोनों की शादी हो गई थी तो इसीलिए दोनों अपनी-अपनी पत्नियों के साथ खुशी खुशी एक ही घर में रहा करते थे। शादी के बाद दोनों की पत्नियां कुछ साल तक तो ठीक तरह आपस में मिलजुल कर रहती थी।
 लेकिन फिर पड़ोसियों के बहकावे में आकर एक दूसरे से लड़ने झगड़ने लगी। दोनों भाई रवि और कुलदीप बहुत परेशान थे और दोनों बस दिन-रात यही सोचते रहते कि अपनी-अपनी पत्नियों में सुला कैसे करवाएं कैसे उन दोनों को पहले की तरह साथ-साथ कैसे रखें।
 जैसे तैसे अपनी मां को राजी करके और अपनी हिम्मत को इकट्ठा करके उन दोनों में सुलह कराने के लिए बैठते बहुत। थे। वैसे ही दोनों देवरानी जेठानी एक दूसरे में कमी निकालना एक दूसरे की चुगली करना एक दूसरे से लड़ाई झगड़ा करने बैठ जाती थी। इससे रवि और कुलदीप बेहद परेशान हो गए थे कि इस तरह तो हम दोनों इन दोनों की कभी सुला ही नहीं करा पाएंगे। और हमारे घर का क्लेश कभी खत्म ही नहीं होगा बल्कि और बढ़ता ही चला जाएगा। रवि बड़ा भाई था और कुलदीप छोटा भाई था। इसीलिए रवि की पत्नी कुलदीप की पत्नी को ज्यादा परेशान करती थी। घर के सारे काम कुलदीप की पत्नी से करवाती थी और नाम अपना लेती थी।
 ज्यादा खर्चा कुलदीप की पत्नी से कराती थी और फिर कहा करती थी कि इसने खुद ही इतना खर्चा करा है। घर के सारे काम रवि की पत्नी बिगाड़ा करती थी और नाम कुलदीप की पत्नी का लगा दिया करती थी कि सारा काम इसी ने बिगाड़ा है। और जब वह दोनों अकेली होती थी तब रवि की पत्नी कुलदीप की पत्नी के घरवालों के बारे में तरह-तरह की उल्टी-सीधी बातें कहती थी कि पता नहीं किस घड़ी में तुझे एक घर में बिहा कर ले कर आए थे तेरे घर वाले भी ऐसे ही होंगे जैसी तू है। यह सब बातें सुनकर कुलदीप की पत्नी बहुत रोती थी उसे बहुत बुरा लगता था कि यह मेरे परिवार वालों को भी इस तरह कहती हैं। 
 और रवि की पत्नी बस दिन रात यह कह दी थी। कि इसी की वजह से हमारे घर में कलेश होता है अगर यह घर से निकल जाए तो घर का क्लेश भी सदा के लिए घर से बाहर निकल जाएगा। सिर्फ पड़ोसी के कहने में आकर वह अपनी देवरानी को इस तरह परेशान करती थी कि और कुलदीप की पत्नी वह अकेले कमरे में जाकर बहुत रोती थी। और अपने पति से कहती थी कि हम यहां से निकल जाएंगे हम यहां नहीं रहेंगे तुम्हारे बड़े भाई की पत्नी मुझे चैन से यहां रहने नहीं देती।
1 दिन घर में पूजा थी। अचानक ही पूजा करने से पहले ही रवि की पत्नी की तबीयत खराब हो गई जिससे वह बेहोश होकर जमीन में गिर गई। तो इसीलिए उसकी सास ने उसे उसके कमरे में ले जाकर आराम से लेटा दिया और डॉक्टर को बुलवाकर उसका इलाज करवा दिया। तब डॉक्टर ने कहा कि वैसे तो यह थोड़ी ही देर में होश में आ जाएंगी। लेकिन अभी इन्हें शाम तक आराम करने दो तभी यह ढंग से ठीक हो पाएंगी। 
इसीलिए उसे जो पूजा करनी थी सास ने उसकी जगह कुलदीप की पत्नी से करवा दी। अब रवि की पत्नी ने कुछ नहीं कहा लेकिन अगले दिन  पड़ोसन आई और उसे भड़काने लगी। कहने लगी तेरे जीते जी तेरे हिस्से के सारे काम तेरी देवरानी से करवा दिए जा रहे हैं। अगर इसी तरह चलता रहा तो तू बड़ी किस काम की। तेरे बड़े होने का फायदा ही क्या हुआ जब तेरे रहते सारे काम तेरी देवरानी से ही कराए जा रहे हैं। तो फिर तू बड़ी किस काम की। अरे तेरी तबीयत बिगड़ गई थी तो थोड़ी देर इंतजार कर लेते। थोड़ी देर बाद तो तू ठीक हो ही गई थी तो तू ही पूजा कर लेती ना ही भगवान भागे जा रहे थे और ना ही  समय भागा जा रहा था। लेकिन इंतजार कोई क्यों करता तेरे हक तो उसी को ही देने थे ना इसीलिए जो  पूजा तुझसे करवानी थी वह तेरी देवरानी से ही करवा दी मौका देख कर। और तुझे पूजा कराए बिना ही छोड़ दिया जैसे तेरी कोई वैल्यू ही नहीं है इस घर में। अगर इसी तरह चलता रहा तो 1 दिन तेरी देवरानी तुझे घर से निकाल बाहर फेंक देगी फिर तू भटकना सड़कों पर। यह सुनकर अब रवि की पत्नी का पारा हाई हो गया और उसने अपनी देवरानी से कहा तू अभी के अभी यहां से निकल जा अब तू मेरे सारे अधिकार छीन रही है। अगर तू पूजा नहीं करती तो मुझे ही पूजा करने को मिलती लेकिन तूने मेरा हक छीन लिया।
 उन दोनों की सासू मां भी उन दोनों के लड़ाई झगड़े से बहुत परेशान हो गई थी। जब सासू मां ने उन दोनों के बीच में सुला करवानी चाहि। तब रवि की पत्नी ने सास को भी नहीं छोड़ा उन्हें भी खूब खरी-खोटी सुनाई। यह देखकर कुलदीप और कुलदीप की पत्नी बहुत परेशान हो गए थे कि अब तो सासु मां भी कुछ नहीं कर पा रही है। फिर भी वह कुछ दिन और वहां पर गुजारना चाहते थे लेकिन रवि की पत्नी के व्यवहार से तंग आ गए थे इसलिए उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ा। अब अकेले घर में रवि की पत्नी का मन तो नहीं लगता था लेकिन पड़ोसन कहती थी तू अकेलापन मत देख तू यह देख जब वह यहां पर नहीं है तो यह पूरा घर तेरा है तू जो चाहे मर्जी वह कर सकती है।
 तेरी सास के बाद तू ही इस घर की बड़ी है अगर तेरी सास को कुछ हो गया तो यह सब तेरा घर है। यह सुनकर रवि की पत्नी बहुत खुश होती और सोचती कि मैंने बहुत अच्छा करा जो उन दोनों को यहां से भगा दिया। अब सब मेरा हो गया है। और उन्हें घर में वापस बुलाने की तो बात बहुत दूर रही माफी मांगने की तो बात बहुत दूर रही उनके बारे में बात करना घर में पसंद नहीं करती थी और ना ही उनके बारे में कोई हालचाल या कोई जानकारी रखना पसंद करती थी। वह उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगी थी। इससे इसीलिए उसकी सास बहुत चिंता में रहती थी। 
और बस दिन-रात यही सोचती रहती थी कि पता नहीं मेरे घर का क्लेश कब और कैसे खत्म होगा। 1 दिन रवि की पत्नी छत पर कपड़े सुखाने जा रही थी। 
तभी अचानक से रवि की पत्नी का पैर रपट पड़ा और वह कपड़ों की भरी बाल्टी के साथ नीचे आ गिरी। और उसके सिर में गहरी चोट आ गई जिससे वह बेहोश हो गई। और चोट गहरी होने की वजह से उसके सिर से लगातार खून बहने लगा। 
उसी वक्त कुलदीप की पत्नी घर से कुछ चीजें लेने के लिए आई थी जिसकी उसे बहुत जरूरत थी। अपनी जेठानी को ऐसी हालत में पड़ा देख उसने कुछ नहीं सोचा और सीधे डॉक्टर के  पास अपनी जेठानी को ले गई। और बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारण रवि की पत्नी को बहुत ज्यादा खून की कमी हो गई थी जिससे वह बेहोशी से वापस नहीं आ रही थी। डॉक्टर ने कहा अगर इन्हें ठीक करना है तो इन्हें खून देना होगा। डॉक्टर ने कहा जिस ग्रुप का इनका खून है वह ग्रुप का खून अभी हमारे यहां नहीं है और अभी इन्हें खून नहीं दिया तो उनकी जान भी जा सकती है। तब कुलदीप की पत्नी ने कुलदीप को सारी बात बताई तब कुलदीप ने कहा।
 अरे मेरा और भाभी का तो ग्रुप एक है मैं अपना खून दे देता हूं। और वह हॉस्पिटल में आ गया और अपना खून दे दिया। जिसके 2 दिन बाद रवि की पत्नी बिल्कुल ठीक हो गई और अपने घर आ गई। अब रवि की पत्नी को बेहद सिर में दर्द रहता तो कुलदीप की पत्नी रवि की पत्नी का पूरा पूरा ध्यान रखती है उसके खाने-पीने का ध्यान रखती हर एक चीज का ध्यान रखती थी। और समय से उसे दवा वगैरा भी देती थी और उसके बच्चों को भी संभाला करती थी। यह देखकर उसकी सासू मां उससे बहुत खुश थी कि बड़ी ने छोटी को घर से भी निकलवा दिया था लेकिन मेरी छोटी बहू ने अपना फर्ज अच्छे से निभाया वह छोटी होकर भी बड़ी बहू की ऐसे सेवा करती है जैसे मानो उसकी मां हो। सच में मैं बहुत धन्य हूं जो मुझे ऐसी छोटी बहू मिली है। अच्छी तो मेरी बड़ी बहू भी है लेकिन पड़ोसी के बहकावे में आकर उसने छोटी बहू के साथ अच्छा नहीं करा। अब जब रवि की पत्नी बिल्कुल ठीक हो गई। 
तब कुलदीप की पत्नी ने अपनी सास और जेठानी से कहा मेरा अब इस घर में कोई काम नहीं है और अब दीदी तुम भी ठीक हो गई हो तो मुझे मेरे घर जाना चाहिए। यह सुनकर  उसकी सासु मां की आंखों में आंसू आ गए कि हमारा इतना बड़ा घर है फिर भी तुम बाहर किसी और के घर में रहते हो यह हमारे लिए बहुत बदनामी बहुत शर्म की बात है।
 और यह सब सिर्फ और सिर्फ बड़ी बहू की वजह से अगर वह किसी पड़ोसी के बहकावे में आकर तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव नहीं करती तो तुम आज इसी घर में साथ साथ रह रही होती। अरे पड़ोसी तो चाहते ही हैं कि उनके सामने रहने वाला उनके पास में रहने वाला कोई भी सुखी ना रहे वह खुद चैन से रहते नहीं दूसरों को भी चैन से नहीं रहने देते। और मेरी बड़ी बहू ने उनके मन की बात पूरी कर दी। फिर रवि की पत्नी ने कहा अब मैं अपनी गलती को सुधार लूंगी और मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगी कुलदीप को भी यही बुलवा लो और आज और अभी से तुम लोग यही रहोगे साथ में।
 अरे तुमने तो मेरी जान बचाई अगर तुम समय पर नहीं आती तो मैं मर ही गई होती। और मेरे बच्चे बच्चों का क्या होता। तब उसकी सास ने कहा बच्चों का क्या होता तू मर जाती तो मर जाती बच्चों को हम इसे दे देते तुम्हें तुम्हारी करनी का फल तो मिलता।
 यह सुनकर रवि की पत्नी ने कहा मुझे मेरी करनी का फल ही तो मिला था जो मुझे इतनी गहरी चोट लगी थी। और उस पर भी इन दोनों ने मेरा खूब साथ दिया कुलदीप ने मुझे अपना खून दिया और कुलदीप की पत्नी ने मेरी इतनी सेवा की मुझे समय पर डॉक्टर के पास लेकर गई मेरा मेरी मां से भी ज्यादा ध्यान रखा। मैं अब तुम्हें कहीं जाने नहीं दूंगी और मैं तुम्हारी जेठानी हूं तो तुम्हें मेरी बात माननी पड़ेगी। उसी दिन से कुलदीप की पत्नी और कुलदीप वापस अपने घर में आ गए और सदा के लिए खुशी-खुशी अपने घर में रहने लगे। तो यह थी हमारी कहानी। अपने तो अपने ही होते हैं। 
धन्यवाद।

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