Purani haveli ka Raj bhag 3

Purani haveli ka Raj bhag 3


पुरानी हवेली का राज – भाग 3

पलंग पर बैठी परछाइयों को देखकर अंजलि और टीना की रूह कांप गई। दोनों की टॉर्च की रोशनी जब उन पर पड़ी, तो ऐसा लगा जैसे वे धुंधली हो रही हों। कमरे की हवा अचानक और ठंडी हो गई।

"अ…अंजलि, हमें यहां से चलना चाहिए!" टीना ने कांपती आवाज़ में कहा।
लेकिन अंजलि की जिज्ञासा अब डर पर भारी पड़ रही थी। उसने धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ाया और कांपती आवाज़ में पूछा, "त…तुम कौन हो?"

तभी अचानक कमरे में एक हल्की सी गूंज सुनाई दी, जैसे कोई बहुत दूर से बोल रहा हो—

"सालों से… कोई यहाँ नहीं आया… तुम क्यों आई हो?"

यह सुनते ही टीना ने अंजलि का हाथ पकड़ा और वापस भागने के लिए मुड़ी, लेकिन तभी दरवाजा अपने आप ज़ोर से बंद हो गया। अब वे दोनों उस रहस्यमयी कमरे में कैद हो चुकी थीं।

हवेली का भूतिया रहस्य

अचानक एक पुरानी अलमारी खुद-ब-खुद खुल गई, और अंदर एक पुराना, धूल से भरा डायरी रखा था। अंजलि ने डरते-डरते वह डायरी उठाई और खोली। पहले पन्ने पर लिखा था:

"यह हवेली हमारी प्रेम कहानी की गवाह है, लेकिन हमारा अंत दर्दनाक था। हमें न्याय चाहिए।"

टीना ने कांपती आवाज़ में कहा, "शायद यही इस हवेली का राज़ है!"

डायरी में लिखा था कि हवेली में रहने वाला प्रेमी जोड़ा गांववालों की नफरत और एक खौफनाक साजिश का शिकार हो गया था। उन्हें ज़िंदा दीवारों में चुनवा दिया गया था। उनकी आत्माएं इसी हवेली में भटक रही थीं, न्याय की आस में।

"तो यह हवेली शापित नहीं है… बल्कि यहाँ के लोगों ने पाप किया था!" अंजलि ने कहा।

आत्माओं की अंतिम इच्छा

तभी अचानक हवा तेज़ हो गई, और वही आवाज़ फिर गूंज उठी—

"अगर यह सच बाहर आ जाए… तो हम मुक्त हो सकते हैं…"

अंजलि और टीना को समझ आ गया कि उन्हें क्या करना होगा। वे किसी भी तरह इस सच्चाई को बाहर लाकर इस प्रेमी जोड़े की आत्माओं को मुक्ति दिला सकती थीं।

लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल था— क्या वे हवेली से बाहर निकल पाएंगी?

दरवाजा अब भी बंद था, और हवेली के अंदर की ऊर्जा और ज्यादा अजीब लगने लगी थी…

अब आगे क्या होगा? जानने के लिए पढ़िए भाग 4!


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