पुरानी हवेली का राज – भाग 4
टीना और अंजलि के दिल तेजी से धड़क रहे थे। हवेली का दरवाजा अपने आप बंद हो चुका था, और चारों ओर अजीबोगरीब आवाज़ें गूंज रही थीं। हवा में एक अजीब-सी ठंडक थी, जो उनके शरीर में डर की लहर दौड़ा रही थी।
"अब क्या करेंगे, अंजलि?" टीना ने कांपती आवाज़ में कहा।
अंजलि ने खुद को संभालते हुए कहा, "हमें शांत रहना होगा। यहां से निकलने का कोई और रास्ता ढूंढना होगा।"
दोनों ने चारों ओर नजर घुमाई। सामने लकड़ी की पुरानी सीढ़ियां ऊपर अंधेरे में जा रही थीं, और एक और दरवाजा दाईं तरफ था, जो शायद हवेली के पिछले हिस्से में खुलता था।
अंधेरे में छिपा रहस्य
वे धीरे-धीरे दरवाजे की तरफ बढ़ीं। जैसे ही अंजलि ने दरवाजे को धक्का दिया, वह चरमराती आवाज़ के साथ खुल गया। अंदर एक लंबा गलियारा था, जिसके दोनों ओर बंद दरवाजे थे।
"हमें सावधानी से चलना होगा," अंजलि ने फुसफुसाते हुए कहा।
वे धीरे-धीरे गलियारे से गुज़रने लगीं। दीवारों पर पुरानी, धुंधली तस्वीरें टंगी थीं, जिनमें अजीबोगरीब लोग थे—कुछ राजा-महाराजा जैसे, तो कुछ सन्यासी। लेकिन सबसे डरावनी बात यह थी कि इन तस्वीरों में से कुछ की आंखें चमक रही थीं, जैसे वे दोनों को घूर रही हों।
"यहाँ कुछ तो गड़बड़ है," टीना ने धीरे से कहा।
तभी अचानक एक दरवाजा अपने आप खुल गया। अंदर एक बड़ा हॉल था, जहाँ बीच में एक पुराना लकड़ी का तख्त पड़ा था। चारों ओर तांत्रिक चिह्न बने हुए थे और बीच में एक रक्त से सनी तलवार रखी थी।
एक राक्षसी साया
जैसे ही अंजलि और टीना ने कमरे में कदम रखा, उन्हें महसूस हुआ कि कोई उनकी मौजूदगी को भांप चुका है। हवा में एक अजीब-सी गंध थी—कच्चे मांस और जली हुई लकड़ी की।
अचानक, कोने में पड़ी एक कुर्सी खुद-ब-खुद हिलने लगी। दोनों लड़कियों की सांसें अटक गईं। तभी एक गहरी, डरावनी आवाज़ गूंज उठी—
"तुमने हमारी शांति भंग कर दी..."
अचानक, सामने धुंआ सा उठने लगा, और उसमें से एक भयानक आकृति उभरने लगी। उसका शरीर काला, लंबे बाल, लाल चमकती आंखें और मुंह से खून टपक रहा था। यह कोई आम भूत नहीं था, यह एक रक्तपिपासु राक्षस था!
"यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है!" राक्षस गरजा।
ऋषि मुनि का शाप
अंजलि और टीना कांप उठीं। तभी कमरे में हवा का बहाव बदला, और एक कोने से एक और आकृति प्रकट हुई। यह एक बूढ़े ऋषि की आत्मा थी, जो लंबे वस्त्र पहने, हाथ में त्रिशूल लिए खड़ी थी।
"हे राक्षस! तेरा समय पूरा हुआ!" ऋषि की आत्मा गरजी।
अंजलि और टीना को अब समझ आया कि यह सिर्फ एक भूतिया हवेली नहीं थी—यह एक प्राचीन शापित स्थान था, जहाँ किसी समय एक दुष्ट राक्षस ने तांत्रिक विद्या से अमरता प्राप्त कर ली थी और इस हवेली में अपना निवास बना लिया था। लेकिन ऋषियों ने इसे बंद कर दिया था, ताकि यह दुनिया को नुकसान न पहुंचा सके।
खून से सना कमरा
तभी हवेली के दूसरे छोर से भारी पैरों की आहट सुनाई दी। कुछ था, जो उनकी तरफ बढ़ रहा था। अंजलि ने जल्दी से चारों ओर देखा और हिम्मत जुटाकर पास पड़ी तलवार उठा ली।
हॉल के दरवाजे से अचानक तीन भयानक जीव दाखिल हुए। वे इंसानों जैसे थे, लेकिन उनकी त्वचा जली हुई थी, दांत बाहर निकले हुए थे, और उनके हाथों में बड़े-बड़े नाखून थे।
"ये कौन हैं?" टीना चीखी।
"ये वे इंसान हैं, जो इस हवेली में आए और जीवित नहीं लौटे!" ऋषि की आत्मा ने जवाब दिया। "राक्षस ने इन्हें अपने दास बना लिया है!"
अचानक वे तीनों जीव उन पर झपट पड़े। अंजलि ने हिम्मत दिखाते हुए एक पर तलवार चला दी, जिससे उसकी काली, बदबूदार चमड़ी कट गई और वह दर्द से चीखने लगा। टीना ने लकड़ी की एक छड़ी उठाकर दूसरे पर वार किया, लेकिन वह कमजोर नहीं पड़ा।
राक्षस का क्रोध
राक्षस को यह सब सहन नहीं हुआ। उसने गुस्से से हुंकार भरी और हवेली के फर्श को जोर से पटक दिया। पूरा कमरा हिलने लगा, और दीवारों से खून टपकने लगा।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे चुनौती देने की?" राक्षस गरजा।
ऋषि की आत्मा ने त्रिशूल उठाया और मंत्र पढ़ना शुरू किया। अचानक हवेली में रोशनी चमकने लगी, और एक तेज़ श्वेत प्रकाश राक्षस की ओर बढ़ने लगा। राक्षस ने बचने की कोशिश की, लेकिन उसकी शक्ति कमज़ोर पड़ रही थी।
"जल्दी करो, इस तलवार को मंत्रित चिह्न पर मारो!" ऋषि ने अंजलि से कहा।
अंजलि ने पूरी ताकत जुटाकर तलवार को हवेली के बीचों-बीच बने उस चिह्न पर मारा, और अचानक एक ज़ोरदार विस्फोट हुआ!
रहस्य अब भी बाकी है...
धूल का एक बड़ा गुबार उठा, और हवेली का फर्श कंपन करने लगा। राक्षस की चीखों के साथ हवेली के अंदर भयानक आवाज़ें गूंज उठीं।
कुछ क्षणों बाद सब कुछ शांत हो गया।
अंजलि और टीना ज़मीन पर गिरी हुई थीं। उन्होंने चारों ओर देखा—हवेली पहले जैसी ही थी, लेकिन अब वहां कोई राक्षस नहीं था।
ऋषि की आत्मा धीरे-धीरे गायब होने लगी। "तुमने हवेली को बचा लिया, लेकिन यह अंत नहीं है… यह सिर्फ एक शुरुआत है!"
"क्या मतलब?" अंजलि ने घबराकर पूछा।
"जो तुम्हें दिखाई दिया, वह सिर्फ एक परछाई थी… असली दुष्ट आत्मा अभी भी कहीं छिपी है… और वह तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है!"
इतना कहकर ऋषि की आत्मा अंतर्धान हो गई, और हवेली में फिर से सन्नाटा छा गया।
(जारी रहेगा...)
अब सबसे बड़ा सवाल यह था—अगर असली राक्षस मारा नहीं गया, तो क्या वह फिर लौटेगा? और अगर वह लौट आया, तो क्या अंजलि और टीना उसे रोक पाएंगी?
इसका जवाब जानने के लिए पढ़िए—भाग 5!
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