Purani haveli ka Raj bhag 5

Purani haveli ka Raj bhag 5

पुरानी हवेली का राज – अंतिम भाग

टीना और अंजलि की धड़कनें तेज थीं। हवेली के अंदर का माहौल अजीब था—चारों ओर घना अंधेरा, टूटी-फूटी दीवारें, और फर्श पर बिखरी धूल और जालों की मोटी परतें। अंदर घुसते ही उन्हें ठंडी हवा का एक झोंका महसूस हुआ, जिससे उनके शरीर में सिहरन दौड़ गई।

भूतों का सामना

जैसे ही वे अंदर बढ़ीं, उन्हें हल्की-हल्की सरसराहट सुनाई देने लगी। अचानक, एक कोने से सफेद कपड़ों में लिपटा एक अजीब सा धुंधला सा आकृति उभरने लगी। टीना और अंजलि ने डरकर एक-दूसरे का हाथ कसकर पकड़ लिया। तभी, एक गहरी और रहस्यमयी आवाज गूंजने लगी—

"तुम यहाँ क्यों आई हो?"

टीना की हिम्मत जवाब देने की नहीं हो रही थी, लेकिन अंजलि ने हिम्मत जुटाई और बोली, "हम यह जानने आए हैं कि इस हवेली का सच क्या है। हमें सब कुछ बताइए।"

तभी सफेद आकृति धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी। यह कोई और नहीं, बल्कि एक साधु था—एक ऋषि, जिन्होंने वर्षों पहले इस हवेली में रहकर तपस्या की थी। उन्होंने बताया कि यह हवेली कभी एक बहुत ही शक्तिशाली राजा की थी, जिसने अपनी अमरता के लालच में काले जादू का सहारा लिया था। इस कारण, हवेली पर एक शाप लग गया और वहां रहने वाले सभी लोग राक्षसों में बदल गए।

भूखे राक्षस और डरावनी रात

अभी साधु अपनी बात खत्म भी नहीं कर पाए थे कि हवेली के अंदर से डरावनी गुर्राहट की आवाजें आने लगीं। अचानक, हवेली के अंधेरे कोनों से लाल चमकती आँखों वाले बड़े-बड़े आदमखोर जानवर निकलने लगे। उनकी धारदार दांतें और लंबे नाखून देखकर अंजलि और टीना को लगा कि अब उनका अंत निश्चित है।

ऋषि ने तेज आवाज में मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया, जिससे वह राक्षसी जीव पीछे हटने लगे, लेकिन उनमें से एक भेड़िये के आकार का दानव ऋषि पर हमला करने के लिए झपटा। टीना ने पास रखी लकड़ी उठाकर उस पर वार कर दिया, लेकिन दानव पर कोई असर नहीं हुआ। तभी अंजलि को याद आया कि उनके दादाजी ने कहा था—"असली ताकत साहस में होती है, जो डरता है वह हार जाता है।"

अंजलि ने अपने डर को पीछे छोड़ा और वहां रखे लोहे की एक पुरानी तलवार को उठाया। जैसे ही तलवार को राक्षस के शरीर पर मारा गया, वह चीखते हुए जलने लगा और राख में बदल गया।

भूतों का रहस्य और हवेली की मुक्ति

ऋषि ने बताया कि इस हवेली में फंसी आत्माओं को तभी मुक्ति मिल सकती है जब इस शाप को तोड़ा जाए। शाप को खत्म करने के लिए उन्हें हवेली के तहखाने में छुपे हुए एक रहस्यमयी शिलालेख को नष्ट करना था, जिस पर राजा ने काले जादू से यह शाप अंकित किया था।

टीना और अंजलि ऋषि के साथ तहखाने में गईं। जैसे ही उन्होंने शिलालेख देखा, पूरा कमरा हिलने लगा और हवेली कांपने लगी। अंजलि ने पूरी ताकत से तलवार उठाकर शिलालेख पर वार कर दिया। अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और हवेली की दीवारें टूटने लगीं।

हर जगह से चीखों की आवाजें आने लगीं, मानो फंसी हुई आत्माएं आज़ाद हो रही हों। चारों ओर रोशनी फैल गई और सभी राक्षसी जीव दर्द से चिल्लाते हुए भस्म हो गए। हवेली का अंधकार मिट गया, और वहाँ शांति छा गई।

सत्य की जीत

अगली सुबह जब अंजलि और टीना अपनी आँखें खोलकर देखीं, तो वे हवेली के बाहर पड़ी थीं। उनके माता-पिता उन्हें ढूंढते हुए वहाँ आ पहुंचे थे। जब उन्होंने अपनी बेटियों को जीवित और सुरक्षित पाया, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

जब अंजलि और टीना ने अपने माता-पिता को पूरी कहानी सुनाई, तो कोई विश्वास नहीं कर सका। लेकिन जब सभी ने देखा कि अब हवेली बिल्कुल सामान्य दिख रही थी—न कोई डरावना माहौल, न कोई अजीबोगरीब आवाजें—तो सभी को यकीन हो गया कि हवेली के शाप का अंत हो चुका है।

शिक्षा

इस पूरी घटना से अंजलि और टीना ने एक बड़ी सीख ली—

  1. डर पर जीत पाना ही असली बहादुरी है।
  2. कभी भी अफवाहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए, बल्कि खुद सच्चाई का पता लगाना चाहिए।
  3. बुरी शक्तियों पर सच्चाई और साहस से ही विजय प्राप्त की जा सकती है।

अब वह हवेली फिर से एक सामान्य इमारत बन गई थी, लेकिन उसकी कहानी हमेशा के लिए रहस्यमयी बन गई। लोगों ने उसे अब "शापमुक्त हवेली" कहना शुरू कर दिया।

पर क्या सच में हवेली का सारा रहस्य खत्म हो गया था?

या फिर हवेली में अब भी कोई गूढ़ रहस्य छिपा हुआ था, जिसका इंतजार था किसी और जिज्ञासु के आने का?

(समाप्त... या शायद नहीं?)

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