नन्ही चिड़िया का घोंसला बना दोस्ती की निशानी।
यह कहानी एक चिड़िया की है। उस चिड़िया की जिसके पास रहने के लिए अपना एक घोंसला भी नहीं था। वह अपने दोस्त के घोसले में ही रहा करती थी। लेकिन कब तक वह उसके साथ उसके घोसले में रहती और कब तक वह उसको अपने साथ रखता। चिड़िया को तो अपने लिए एक छोटा सा घोंसला बनाना ही था। और वह ऐसा करना भी चाहती थी। लेकिन समस्या थी पेड़ उसको कोई ऐसा पेड़ नहीं मिल रहा था जहां पर वह आराम से घोंसला बना सके और उस घोसले में रह सके। वह रोज ऐसे पेड़ की तलाश में निकल जाती लेकिन रोज निराश होकर वापस आ जाती। अगर पेड़ मिलता तो वहां आसपास पानी नहीं होता अगर पानी होता तो खाने की सुविधा नहीं होती कुछ ना कुछ परेशानी होती ही थी।
अब ऐसी असुविधा वाली जगह पर कोई भी रहना पसंद नहीं करेगा ऐसा ही चिड़िया के साथ था वह ऐसी असुविधा वाली जगह पर रहना पसंद नहीं कर रही थी। और चिड़िया अपने दोस्त से कहती थी तुम परेशान मत हो मैं जल्दी ही ऐसा पेड़ ढूंढ लूंगी जिसके आसपास सब तरीके की सुविधा हो और फिर मैं तुम्हारा घोंसला छोड़ दूंगी मैं अपना खुद का तिनका तिनका जोड़ कर एक खोसला बनाऊंगी। और फिर उसमें ही रहूंगी तुम्हें परेशान करने तुम्हारे पास नहीं आऊंगी। उसके दोस्त ने सोचा यह अकेली ऐसे पेड़ की तलाश करेगी जिसके आसपास सारी सुविधा हो तो बहुत दिन लग जाएंगे और यह अपने लिए ऐसा कोई पेड़ नहीं ढूंढ पाएगी और ना ही यह अपना खुद का घोंसला बना पाएगी मुझे भी इसमें एक चिड़िया की मदद करनी चाहिए।
ऐसा सोचकर चिड़िया का दोस्त चिड़िया के पास गया और बोला अगर तुम अकेली पेड़ को ढूंढोगी तो बहुत दिन लग जाएंगे और तुम परेशान होगी सो अलग तो मैं भी तुम्हारी इसमें मदद करूंगा मैं भी तुम्हारे साथ तो रोज जाया करूंगा और पेड़ ढूंढवाया करूंगा। इससे तुम्हारी खोज जल्दी खत्म हो जाएगी और तुम ढूंढे हुए पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर चैन से रह पाओगी। मैं तुम्हें अपने घोसले से कभी अलग करना नहीं चाहता अगर तुम्हारी अंडे देने की समस्या नहीं होती अब अगर तुम अंडे दोगी तो तुम्हारे अंडों को भी जगह चाहिए तुम्हें भी और मुझे भी इस छोटे से घोसले में यह सब नहीं हो पाएगा इसलिए तुम्हें अपना अलग घोंसला बनाना ही होगा। चिड़िया ने कहा यह तो मैं भी समझती हूं जभी तो तुम्हारी बात को मानकर रोज पेड़ की तलाश में निकल जाती हूं।
अब दोनों दोस्त मिलकर पेड़ ढूंढने जाते और निराश होकर घर वापस आ जाते कुछ महीनों के बाद दोनों ने एक ऐसा पेड़ ढूंढ ही लिया जिसके आसपास सारी सुविधा हो। अब वह दोनों दोस्त बहुत खुश थे सबसे ज्यादा चिड़िया खुश थी क्योंकि अब वह अपना खुद का घोंसला बना पाएगी। अब चिड़िया ने अपने दोस्त से कहा कि तुम्हारा धन्यवाद तुमने मेरी पेड़ ढूंढने में इतनी मदद की और पेड़ को ढूंढवा भी दिया अब तुम्हारा काम खत्म मैं अपना घोंसला बना लूंगी और उसमें रहूंगी। इस पर उसके दोस्त ने कहा नहीं मैं तुम्हें अकेले घोंसला नहीं बनाने दूंगा मैं भी तुम्हारी मदद करूंगा क्योंकि अब तुम्हारा अंडे देने का समय नजदीक आ रहा है और ऐसे में तुम्हें जल्दी किसी एक अच्छे घोसले की जरूरत है। तो मैं भी तुम्हारी मदद करूंगा तुम मुझे मदद करने से मना मत करो। चिड़िया मान गई और कहने लगी ठीक है हम कल से ही तिनका ढूंढने शुरू कर देंगे और घोंसला बनाएंगे। अब अगली सुबह दोनों दोस्त तिनका ढूंढने निकल गए शाम तक उन्होंने थोड़े से तीनके इकट्ठे कर लिए थे लेकिन अभी घोंसला बनाने के लिए इतने काफी नहीं थे। 2 महीनों की कड़ी मेहनत के बाद दोनों दोस्तों ने चिड़िया का घोंसला बनाने के लिए पर्याप्त तिनके इकट्ठे करे लिए। अब चिड़िया ने कहा ठीक है अब मैं घोंसला बनाऊंगी चिड़िया के दोस्त ने कहा मैं भी तुम्हारी पूरी मदद करूंगा चिड़िया मान गई। अगले दिन से दोनों ने मिलकर चिड़िया का घोंसला बनाना शुरू कर दिया 1 महीने की मेहनत के बाद चिड़िया का एक बहुत ही सुंदर बड़ा और आरामदायक घोंसला बनकर तैयार हो गया। जिसे देखकर चिड़िया और चिड़िया का दोस्त दोनों ही बहुत खुश थे। अब चिड़िया के दोस्त ने कहा तुम्हें तुम्हारा नया घोंसला मुबारक हो अब तुम इसमें आराम से रहना किसी चीज की परेशानी हो तो मेरे पास आ जाना मैं तुम्हारी पूरी मदद करूंगा। तुम्हारा दोस्त जो हूं तो दोस्ती निभाऊंगा।
ऐसा सुनकर चिड़िया बहुत खुश हुई और बोली ठीक है कभी भी किसी चीज की जरूरत होगी तो मैं तुरंत तुम्हारे पास चली आऊंगी। फिर चिड़िया का दोस्त वहां से उड़ गया और चिड़िया आराम से अपने घोसले में आराम करने के लिए लेट गई। वह सोचने लगी कि मेरा दोस्त कितना अच्छा है उसने अपनी दोस्ती कितनी अच्छे से निभाई उसने मेरा शुरू से अंत तक घोंसला बनाने में पूरा साथ दिया पूरी मदद करी।भगवान ऐसा दोस्त हर किसी को देना। हफ्ते भर बाद चिड़िया ने अंडे दिए और कुछ समय बाद उन अंडों से चिड़िया के बच्चे बाहर आए। अब चिड़िया दिन रात उनकी परवरिश में लगी रहती जब वह उड़ने लायक हो गए तब चिड़िया अपने बच्चों को अपने उस दोस्त के पास ले गई जिसने उसकी घोंसला बनाने में बहुत मदद करी थी। और अपने दोस्त से कहा देखो यह मेरे उन अंडों के बच्चे हैं जिन अंडों के लिए तुमने मेरी घोंसला बनाने में बहुत मदद करी थी।अब तुम इन्हें दोस्ती का ऐसा पाठ पढ़ाओ कि यह भी तुम्हारी तरह अगर किसी से दोस्ती करें तो निभाए। मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे भी तुम्हारी तरह बने जब ही मेरी भगवान से मांगी हुई मुराद पूरी होगी मैंने भगवान से कहा था कि भगवान हर किसी को मेरे दोस्त जैसा ही दोस्त देना अब धीरे-धीरे करके यह दोस्ती का पाठ आगे बढ़ेगा जब भी तो मेरी मुराद पूरी होगी। फिर उसके दोस्त ने कहा ठीक है अगर तुम यही चाहती हो तो ऐसा ही होगा।
फिर चिड़िया के दोस्त ने चिड़िया के बच्चों से कहा कि देखो दोस्ती निभाना कोई बड़ी बात नहीं है बस तुम्हें अपने दोस्त की हर वक्त फिकर करनी चाहिए उसका सुख दुख में साथ देना चाहिए उसे दुख में तो कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए और जितना हो सके अपने दोस्त की मदद करनी चाहिए इसी से ही तुम अपनी दोस्ती अच्छे से निभा पाओगे। फिर चिड़िया और चिड़िया के दोस्त ने थोड़ी बहुत बातें करी और फिर चिड़िया अपने घोसले में वापस लौट आई और उसी घोसले में रहते हुए उसने अपनी जिंदगी बिता दी। अंत में चिड़िया ने उस घोसले को अपनी दोस्ती की पक्की निशानी मान लिया। तो यह थी कहानी नन्ही चिड़िया का घोंसला बना दोस्ती की निशानी।
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