अंजली एक आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान पर काम करती है। उसकी तनख्वाह भी सीमित थी। वैसे तो अंजलि को ज्वेलरी पहनने का कोई शौक नहीं था। लेकिन जिस दुकान पर वह काम करती थी उस दुकान पर उसे एक मोतियों का हार बहुत पसंद आया था। उसकी कीमत भी 30,000 थी क्योंकि वह असली मोतियों का हार था। इसलिए उनमें चमक बहुत अच्छी थी और मोतियों की चमक से ही अंजलि को वह मोतियों का हार बहुत पसंद आया था। लेकिन वह उसे खरीद नहीं सकती थी क्योंकि जितनी उसकी कीमत थी वह अंजलि के लिए बहुत ज्यादा थी। अंजलि अपनी तनखा में से ₹30 भी नहीं बचा पाती थी तो इतना महंगा हार कैसे खरीद लेती लेकिन अंजलि ने सोचा की कोशिश करने से सब कुछ हो सकता है मुझे बचत करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर पैसे बच जाया करेंगे तो उन पैसों को जोड़कर मैं कभी ना कभी हार खरीद ही लूंगी। अब अंजलि अपनी तनखा में से कुछ पैसे बचाने की कोशिश करती लेकिन महीना खत्म होने तक उसके पास कुछ भी नहीं बच पाता था। अंजलि की लाख कोशिश के बावजूद भी कोई बचत।नहीं हो पाती थी। अंजलि परेशान रहने लगी की ऐसे तो मैं अपने लिए कभी कुछ नहीं खरीद पाऊंगी। कभी अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पाऊंगी। अंजलि को कुछ परेशान सा देख दुकान के मालिक ने पूछा बेटा क्या बात है कुछ दिनों से तुम बहुत परेशान सी लगती हो। अगर कोई परेशानी हो तो मुझे बताओ मैं जरूर तुम्हारी परेशानी को दूर करने की कोशिश करूंगा। अंजलि ने अपनी परेशानी नहीं बताई और कह दिया नहीं कुछ नहीं बस काम ज्यादा करती हूं तो थकान हो जाती है। इसकी वजह से चेहरा ऐसा लगता है। दुकान के मालिक ने कहा नहीं बेटा मैं अच्छे से जानता हूं कि तू परेशान है यह थकान का असर नहीं है तेरे चेहरे पर यहपरेशानी का असर है। लेकिन तू मुझे परेशानी नहीं बता रही है शायद तू मुझे अपना नहीं समझती। लेकिन मैं तो तुझे अपनी बेटी मानता हूं एक दिन मैं तेरी परेशानी का पता लगाकर उसका हाल में ढूंढ लूंगा।अंजलि ने अपने मन में सोचा कि मेरी परेशानी बहुत बड़ी है तुम उसका हाल शायद ही ढूंढ पाओगे। अंजलि अपने पहले की तरह रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त हो गई अब उसने बचत करने की कोशिश छोड़ दी थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह चाह कर भी कोई बचत नहीं कर पाएगी। और अंजलि ने सोचा कि अगर मैं इस दुकान के काम के साथ में कोई और काम करना चाहूं तो मेरे पास समय ही नहीं है। सुबह से रात तक तो उस दुकान पर ही हो जाती है तो दूसरा काम कब कर पाऊंगी मैं। और उस दुकान के काम को छोड़ना भी नहीं चाहती क्योंकि उस दुकान के मालिक जैसा मालिक मुझे कभी जिंदगी में नहीं मिल पाएगा। वह मुझ पर बहुत भरोसा करते हैं मेरी हर परेशानी में मेरा साथ देते हैं फिर चाहे परेशानी कैसी भी हो कभी पीछे नहीं हटते मेरा हमेशा साथ देते हैं। थोड़े से ज्यादा पैसे मिलने के लालच में मैं इतना अच्छा मालिक नहीं खोना चाहती। कोई बात नहीं अगर मैं वह हार नहीं पहन पाऊंगी तो कोई बात नहीं अगर आपनी कोई इच्छा पूरी नहीं कर पाऊंगी तो। अब अंजलि ने उस हार के बारे में सोचना भी छोड़ दिया था। और वह सोच रही थी कि उस हार को कोई खरीदने क्यों नहीं आता सब उस हार को क्यों छोड़ जाते हैं उसे देख देख कर मेरा मन बहुत उदास हो जाता है कि मैं अपने लिए उसे नहीं खरीद पाऊंगी। कुछ महीने बीत गए लेकिन उस हार को किसी ने नहीं खरीदा।अंजलि ने अपने दुकान के मालिक से यह पूछ ही लिया कि मालिक साहब यह हार को हर एक कोई क्यों छोड़ जाता है इसे कोई क्यों नहीं खरीदता इतना सुंदर हार है क्यों इस हार को कोई पसंद नहीं करता। इस पर दुकान के मालिक ने कहा कि शायद यह किसी की किस्मत में लिखा गया है और किस्मत में लिखी हुई चीज का मिलने के लिए एक समय होता है। और शायद इस हार का वह समय नहीं आया है अभी। लेकिन अंजलि की बातों को सुनकर दुकान का मालिक समझ गया की यह हार अंजलि को बहुत पसंद आया है। और इसकी कीमत बहुत है तो अंजलि इसे खरीद नहीं पा रही है। इसलिए वह परेशान रहती है। और ना ही कभी आज से पहले अंजलि ने ऐसी बातें कही थी। कोई बात नहीं अगर अंजलि यह हार नहीं खरीद सकती तो मैं उसे यह हार एक तोहफे के रूप में दे दूंगा। कितनी इमानदारी से उसने मेरी दुकान पर इतने सालों से काम करा है इसीलिए वह मेरी बेटी से कम नहीं है मेरे लिए। दुकान के मालिक को याद आया कि 1 महीने बाद अंजलि का जन्मदिन है तो क्यों ना उसी दिन मैं अंजलि को यह मैं तोहफे में दे दूं। धीरे-धीरे करके महीना बीत गया और अंजली का जन्मदिन का दिन आ गया। और दुकान का मालिक बहुत खुश था कि आज मैं उसका यह मन पसंद हार मैं उसको तोहफे में दूंगा। जैसे ही अंजली दुकान में आई वैसे की दुकान के मालिक ने वह मोतियों का हार अंजलि को दे दिया।और कहा कि यह लो यह तुम्हारा जन्मदिन का एक छोटा सा तोहफा है। अंजलि ने जब हार का डब्बा खोलकर देखा तो उसमें वह मोतियों का हार देखकर उस तोहफे को लेने से मना कर दिया। लेकिन दुकान का मालिक नहीं माना उसने वह तोहफा अंजलि को थमाया और बोला कि मैंने कहा था ना नसीब में मिलने वाली चीज का एक समय होता है इस हार का समय आ गया है कि वह तुम्हारे पास चला जाए क्योंकि यह तुम्हारे नसीब में लिखा हुआ था। यह सुनकर असली से आंखें भर आई और अंजलि ने कहा कि रहने दीजिए ना। बेवजह आपका 30000 का नुकसान हो जाएगा। यह हार आप मुझे तोहफे में देंगे तो आपका बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा। इस पर दुकान के मालिक ने कहा कि बेटा तुम्हारी ईमानदारी लगन और सच्चाई के आगे तो यह हार कुछ भी नहीं है तुम जैसी बेटी पर तो मैं अपना सब कुछ कुर्बान कर दूंगा। ऐसा सुनकर अंजलि समझ गए कि ईमानदारी सच्चाई और लगन की राह पर चलने वाले लोगों को कभी निराश नहीं होना पड़ता है एक न एक दिन उस राह पर चलने वालों की ख्वाहिशें जरूर पूरी होती हैं। फिर दुकान के मालिक ने कहा कि बेटा मैं तुझे सच में अपनी बेटी बनाना चाहता हूं। क्योंकि तेरी जैसी बेटी मिलना तो बहुत गर्व की बात है। यह सुनकर अंजली की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। दुकान के मालिक ने कहा कि बेटी रो मत अब तेरे रोने के दिन गय में अपने बेटे की शादी तुझसे करवाना चाहता हूं और सदा के लिए मैं तुझे अपनी बेटी बनाना चाहता हूं। कुछ दिनों बाद मालिक के बेटे के साथ अंजली की शादी हो गई। और वह उस ज्वेलरी दुकान की मालकिन बन गई। और अब अंजलि की हर ख्वाहिश पूरी हो रही थी और अंजलि भी अपनी जिम्मेदारीया अच्छे से निभा रही थी। और वह अपने जीवन में व्यस्त हो गई। लेकिन वह हमेशा यही कहती थी कि जो भी मानव सच्चाई ईमानदारी और लगन की राह पर चलता है उसकी ख्वाहिए एक ना एक दिन जरूर पूरी होती है। तो यह थी हमारी कहानी मोतियों का हार। धन्यवाद।
अंजली एक आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान पर काम करती है। उसकी तनख्वाह भी सीमित थी। वैसे तो अंजलि को ज्वेलरी पहनने का कोई शौक नहीं था। लेकिन जिस दुकान पर वह काम करती थी उस दुकान पर उसे एक मोतियों का हार बहुत पसंद आया था। उसकी कीमत भी 30,000 थी क्योंकि वह असली मोतियों का हार था। इसलिए उनमें चमक बहुत अच्छी थी और मोतियों की चमक से ही अंजलि को वह मोतियों का हार बहुत पसंद आया था। लेकिन वह उसे खरीद नहीं सकती थी क्योंकि जितनी उसकी कीमत थी वह अंजलि के लिए बहुत ज्यादा थी। अंजलि अपनी तनखा में से ₹30 भी नहीं बचा पाती थी तो इतना महंगा हार कैसे खरीद लेती लेकिन अंजलि ने सोचा की कोशिश करने से सब कुछ हो सकता है मुझे बचत करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर पैसे बच जाया करेंगे तो उन पैसों को जोड़कर मैं कभी ना कभी हार खरीद ही लूंगी। अब अंजलि अपनी तनखा में से कुछ पैसे बचाने की कोशिश करती लेकिन महीना खत्म होने तक उसके पास कुछ भी नहीं बच पाता था। अंजलि की लाख कोशिश के बावजूद भी कोई बचत।नहीं हो पाती थी। अंजलि परेशान रहने लगी की ऐसे तो मैं अपने लिए कभी कुछ नहीं खरीद पाऊंगी। कभी अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पाऊंगी। अंजलि को कुछ परेशान सा देख दुकान के मालिक ने पूछा बेटा क्या बात है कुछ दिनों से तुम बहुत परेशान सी लगती हो। अगर कोई परेशानी हो तो मुझे बताओ मैं जरूर तुम्हारी परेशानी को दूर करने की कोशिश करूंगा। अंजलि ने अपनी परेशानी नहीं बताई और कह दिया नहीं कुछ नहीं बस काम ज्यादा करती हूं तो थकान हो जाती है। इसकी वजह से चेहरा ऐसा लगता है। दुकान के मालिक ने कहा नहीं बेटा मैं अच्छे से जानता हूं कि तू परेशान है यह थकान का असर नहीं है तेरे चेहरे पर यहपरेशानी का असर है। लेकिन तू मुझे परेशानी नहीं बता रही है शायद तू मुझे अपना नहीं समझती। लेकिन मैं तो तुझे अपनी बेटी मानता हूं एक दिन मैं तेरी परेशानी का पता लगाकर उसका हाल में ढूंढ लूंगा।अंजलि ने अपने मन में सोचा कि मेरी परेशानी बहुत बड़ी है तुम उसका हाल शायद ही ढूंढ पाओगे। अंजलि अपने पहले की तरह रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त हो गई अब उसने बचत करने की कोशिश छोड़ दी थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह चाह कर भी कोई बचत नहीं कर पाएगी। और अंजलि ने सोचा कि अगर मैं इस दुकान के काम के साथ में कोई और काम करना चाहूं तो मेरे पास समय ही नहीं है। सुबह से रात तक तो उस दुकान पर ही हो जाती है तो दूसरा काम कब कर पाऊंगी मैं। और उस दुकान के काम को छोड़ना भी नहीं चाहती क्योंकि उस दुकान के मालिक जैसा मालिक मुझे कभी जिंदगी में नहीं मिल पाएगा। वह मुझ पर बहुत भरोसा करते हैं मेरी हर परेशानी में मेरा साथ देते हैं फिर चाहे परेशानी कैसी भी हो कभी पीछे नहीं हटते मेरा हमेशा साथ देते हैं। थोड़े से ज्यादा पैसे मिलने के लालच में मैं इतना अच्छा मालिक नहीं खोना चाहती। कोई बात नहीं अगर मैं वह हार नहीं पहन पाऊंगी तो कोई बात नहीं अगर आपनी कोई इच्छा पूरी नहीं कर पाऊंगी तो। अब अंजलि ने उस हार के बारे में सोचना भी छोड़ दिया था। और वह सोच रही थी कि उस हार को कोई खरीदने क्यों नहीं आता सब उस हार को क्यों छोड़ जाते हैं उसे देख देख कर मेरा मन बहुत उदास हो जाता है कि मैं अपने लिए उसे नहीं खरीद पाऊंगी। कुछ महीने बीत गए लेकिन उस हार को किसी ने नहीं खरीदा।अंजलि ने अपने दुकान के मालिक से यह पूछ ही लिया कि मालिक साहब यह हार को हर एक कोई क्यों छोड़ जाता है इसे कोई क्यों नहीं खरीदता इतना सुंदर हार है क्यों इस हार को कोई पसंद नहीं करता। इस पर दुकान के मालिक ने कहा कि शायद यह किसी की किस्मत में लिखा गया है और किस्मत में लिखी हुई चीज का मिलने के लिए एक समय होता है। और शायद इस हार का वह समय नहीं आया है अभी। लेकिन अंजलि की बातों को सुनकर दुकान का मालिक समझ गया की यह हार अंजलि को बहुत पसंद आया है। और इसकी कीमत बहुत है तो अंजलि इसे खरीद नहीं पा रही है। इसलिए वह परेशान रहती है। और ना ही कभी आज से पहले अंजलि ने ऐसी बातें कही थी। कोई बात नहीं अगर अंजलि यह हार नहीं खरीद सकती तो मैं उसे यह हार एक तोहफे के रूप में दे दूंगा। कितनी इमानदारी से उसने मेरी दुकान पर इतने सालों से काम करा है इसीलिए वह मेरी बेटी से कम नहीं है मेरे लिए। दुकान के मालिक को याद आया कि 1 महीने बाद अंजलि का जन्मदिन है तो क्यों ना उसी दिन मैं अंजलि को यह मैं तोहफे में दे दूं। धीरे-धीरे करके महीना बीत गया और अंजली का जन्मदिन का दिन आ गया। और दुकान का मालिक बहुत खुश था कि आज मैं उसका यह मन पसंद हार मैं उसको तोहफे में दूंगा। जैसे ही अंजली दुकान में आई वैसे की दुकान के मालिक ने वह मोतियों का हार अंजलि को दे दिया।और कहा कि यह लो यह तुम्हारा जन्मदिन का एक छोटा सा तोहफा है। अंजलि ने जब हार का डब्बा खोलकर देखा तो उसमें वह मोतियों का हार देखकर उस तोहफे को लेने से मना कर दिया। लेकिन दुकान का मालिक नहीं माना उसने वह तोहफा अंजलि को थमाया और बोला कि मैंने कहा था ना नसीब में मिलने वाली चीज का एक समय होता है इस हार का समय आ गया है कि वह तुम्हारे पास चला जाए क्योंकि यह तुम्हारे नसीब में लिखा हुआ था। यह सुनकर असली से आंखें भर आई और अंजलि ने कहा कि रहने दीजिए ना। बेवजह आपका 30000 का नुकसान हो जाएगा। यह हार आप मुझे तोहफे में देंगे तो आपका बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा। इस पर दुकान के मालिक ने कहा कि बेटा तुम्हारी ईमानदारी लगन और सच्चाई के आगे तो यह हार कुछ भी नहीं है तुम जैसी बेटी पर तो मैं अपना सब कुछ कुर्बान कर दूंगा। ऐसा सुनकर अंजलि समझ गए कि ईमानदारी सच्चाई और लगन की राह पर चलने वाले लोगों को कभी निराश नहीं होना पड़ता है एक न एक दिन उस राह पर चलने वालों की ख्वाहिशें जरूर पूरी होती हैं। फिर दुकान के मालिक ने कहा कि बेटा मैं तुझे सच में अपनी बेटी बनाना चाहता हूं। क्योंकि तेरी जैसी बेटी मिलना तो बहुत गर्व की बात है। यह सुनकर अंजली की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। दुकान के मालिक ने कहा कि बेटी रो मत अब तेरे रोने के दिन गय में अपने बेटे की शादी तुझसे करवाना चाहता हूं और सदा के लिए मैं तुझे अपनी बेटी बनाना चाहता हूं। कुछ दिनों बाद मालिक के बेटे के साथ अंजली की शादी हो गई। और वह उस ज्वेलरी दुकान की मालकिन बन गई। और अब अंजलि की हर ख्वाहिश पूरी हो रही थी और अंजलि भी अपनी जिम्मेदारीया अच्छे से निभा रही थी। और वह अपने जीवन में व्यस्त हो गई। लेकिन वह हमेशा यही कहती थी कि जो भी मानव सच्चाई ईमानदारी और लगन की राह पर चलता है उसकी ख्वाहिए एक ना एक दिन जरूर पूरी होती है। तो यह थी हमारी कहानी मोतियों का हार। धन्यवाद।
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