कंजूस सास की कंजूसी होशियार बहू ने खत्म करी।
kanjoos saas ki kanjusi hoshiyaar bahu ne khatm kari
विमला एक बहुत ही कंजूस औरत थी। उसका एक बेटा था गोपाल और उसकी पत्नी राधा थी। राधा और गोपाल की शादी को 1 साल हो गया था लेकिन विमला ने अपने कंजूसी के चलते उन्हें कहीं बाहर घूमने के लिए नहीं भेजा था वह चाहते थे कि हम भी औरों की तरह घूमने जाएं लेकिन विमला कहती थी कि बाहर घूमने जाने का क्या फायदा बेकार पैसा ही खर्च होगा गांव में एक से एक अच्छी जगह है वहां जाकर घूम आओ। तुम्हें अकेले ही घूमने जाना है तो अकेले जाओ कोई नहीं जाएगा तुम्हारे साथ में लेकिन फालतू पैसा बर्बाद मत करो। इस पर गोपाल ने कहा हां मां मैं समझता हूं कि सिर्फ दूसरों की होड़ करना दूसरों की होड़ करते हुए कहीं खर्चीली जगह पर जाना दो-तीन दिन रुक के आना बहुत ही खर्चा हो जाता है लेकिन ऐसा तो सभी करते हैं तो हमारा भी मन करता ही है हम सिर्फ जिंदगी में एक ही बार तो जाएंगे तो क्यों मना करती हो। इस पर विमला कहती है नहीं मैंने कह दिया ना कि कोई फालतू खर्चा नहीं करेगा घूमने का मन तो हमारा भी करता है तो क्या हम रोज घूमने निकल जाए इससे तो घर का सत्यानाश हो जाएगा बचत नाम की तो कोई चीज होती है ना। बस इसी चीज पर विश्वास रखो। गोपाल और राधा बहुत दुखी हो गए विमला के मुंह से ऐसी बातें सुनकर लेकिन गोपाल ने भी ठान लिया कि मैं तो घूमने जाऊंगा ही चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े मुझे। लेकिन राधा ने समझा दिया कि देखो गोपाल सासू मां इस घर की बड़ी है वह जो भी करेंगी जो भी सोचेंगी सभी के लिए अच्छा ही होगा। सब अच्छा ही करेंगी वह अपने बच्चों के लिए बुरा तो नहीं कर सकती खर्चा होगा यह हम भी जानते हैं और कमाई तो इतनी नहीं है कि इतने ज्यादा खर्चों से कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा अरे फर्क पड़ेगा बहुत घाटा होगा और काम की छुट्टी होगी सो अलग। इस पर गोपाल ने कहा अब तुम भी मां की भाषा बोलने लगी तो कोई बात नहीं मैं अकेला जाकर क्या करूंगा जब तुम ही जाना नहीं चाहती तो इस पर गोपाल मुंह फुला कर दूसरी तरफ मुंह कर कर लेट गया। अब राधा को हंसी भी आ रही थी और गुस्सा भी आ रहा था हंसी इसलिए आ रही थी कि कोई भला इतना कंजूस कैसे हो सकता है ना ही खुद घूमने जाए और ना ही दूसरों को घूमने दे।शादी के बाद तो सभी घूमने के लिए जाते हैं लेकिन पता नहीं मां जी कैसी है और गुस्सा इसलिए आ रहा था कि मन तो उसका भी घूमने जाने के लिए हो रहा था। लेकिन सास के आगे मजबूर थी अगर सास से आगे चलेगी तो घर में नहीं रह पाएगी इसीलिए वह चुप थी। अब दिन-ब-दिन विमला की कंजूसी आसमान को छुए जा रही थी वह हर बात में कंजूसी दिखाती थी पानी तक मैं बहुत कंजूसी दिखाती थी कपड़ों को धोने के बाद उन कपड़ों का पानी ही आंगन धोने में इस्तेमाल करती और उस पानी को ही शौच आदि में भी इस्तेमाल कर लिया करती थी। यह सब बातों से घर के सब लोग तंग आ गए थे कि ऐसे बीमारियां बढ़ती है कम नहीं होती सफाई का क्या मतलब हुआ अगर तुम गंदे पानी से ही सारे सफाई के काम करो तो लेकिन विमला को तो अपनी कंजूसी और बचत के आगे कुछ दिखता ही नहीं था कहती थी हां मैं तो गलत ही करती हूं तो तुम ठीक कर दो कैसे ठीक होता है। अब इन सब के बीच में राधा को भी बहुत परेशानी हो रही थी राधा के सिर में दर्द होता और अगर वह कहती कि मां जी मुझे एक दवा मंगवा दो मैं खा लूंगी तो मेरा सिर का दर्द ठीक हो जाएगा इस पर विमला कहती जरूरत क्या है मैं घर का देसी नुस्खा बना देती हूं उसे खा ले यकीनन 2 घंटे में तुझे आराम मिल ही जाएगा इस पर राधा कहती 2 घंटे में आराम मिले ना मिले लेकिन सर दर्द से मेरा जरूर फट जाएगा सासू मां लेकिन इस पर भी वह विमला टस से मस नहीं होती थी। उस दिन तो बिल्कुल हद पार ही हो गई जब। विमला के घर राधा का भाई विमला से मिलने के लिए आया वह इतना खाता पीता भी नहीं था लेकिन विमला को तो अपनी बचत के आगे कुछ दिख ही नहीं रहा था उसने आते ही पहले तो यह देखा कि राधा का भाई क्या क्या लेकर आया है। तब तो राधा ने कुछ नहीं कहा लेकिन जब विमला ने कहा कि देखो खाना सब के लिए गिनती से ही बनता है मतलब गिनती की रोटियां बनती है और हिसाब से ही सब्जी बनती है तो तुम भी गिनती की रोटी खाना। माना सफर से आए हो भूख भी लगी होगी लेकिन खाना अगर कम पड़ जाए तो हम से मत कहना भले ही भूखे पेट सो जाना। अगले दिन ही खाना पेट भर के खाने को मिलेगा वह भी तब जब कोई एक जना उपवास रहेगा इस पर सीधा सीधा विमला का इशारा राधा पर था कि अगर कल राधा को उपवास करेगी तब उसके भाई को भरपेट खाना खाने को मिलेगा।वही इस पर राधा का भाई बहुत ही गुस्सा करने लगा लेकिन राधा ने उसे समझा दिया कि कोई बात नहीं तुम मेरा खाना खा लो इस पर राधा के भाई ने कहा नहीं दीदी आप जानती हो ना कि मैं इतना खाना नहीं खाता और बात खाने की नहीं है बात इज्जत की है। क्या मेरी इस घर में कोई इज्जत ही नहीं है मेरी तो छोड़ो तुम इस घर की बहू हो। लेकिन तुम्हारी भी इस घर में कोई इज्जत ही नहीं है। कैसे कह रही थी ना तुम्हारी सासू मां तुम्हारे लिए कि अगर तुम कल उपवास रखोगी तो मुझे पेट भर खाना खाने को मिलेगा। ऐसा कौन करवाता है और खाना तो भगवान की देन है जिसको जितनी भूख होती है वह उतना ही खाना खाता है ना भूख से ज्यादा और ना ही कम लेकिन तुम्हारी मां जी को तो बस बचत और कंजूसी के आगे कुछ दिखता ही नहीं है। राधा ने कहा हां भाई तू सही कह रहा है भाई अब तो हमें कुछ करना ही पड़ेगा राधा के भाई ने कहा हां दीदी मैं भी तुम्हारा साथ दूंगा। 1 दिन विमला की तबीयत खराब हो रही थी उसे बहुत तेज बुखार था लेकिन फिर भी वह डॉक्टर के पास नहीं जा रही थी। और घर के देसी नुस्खे अपनाने में ही लगी हुई थी देखते देखते तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई लेकिन राधा की सासू मां डॉक्टर के वहां नहीं गई लेकिन गोपाल जिद करके विमला को डॉक्टर के पास ले गया। और इलाज कराया तब तो विमला मरते-मरते बची थी लेकिन तब भी उसे अक्ल नहीं आई। वह बचत करने से पीछे नहीं हट रही थी घर में किसी की भी तबीयत खराब होती तो डॉक्टर के पास भेजने के बजाय खुद ही घरेलू इलाज करने लगती। भले ही किसी की जान पर बन आए लेकिन उसे अपनी कंजूसी और बचत से ही मतलब था बस और किसी बात से मतलब ही नहीं था तब राधा ने सोचा अब सबक सिखाएं बिना बात नहीं बनेगी। राधा और राधा के भाई ने मिलकर योजना बनाई। और राधा ने कहा भाई ऐसा करती हूं मैं कल कपड़े धोने जैसे ही घाट पर जाऊंगी तो तू भी मेरे पीछे-पीछे आ जाना। और मां जी से कह देना कि हमारे लिए खाना ना बनाएं क्योंकि आज हम बाहर घूमने के लिए जा रहे हैं और खाना भी हम बाहर ही खाएंगे तो इसलिए हमारे लिए घर पर कुछ मत बनाना राधा के भाई ने कहा यह सुनकर तुम्हारी सासू मां मुझे घर से बाहर ही नहीं जाने देगी तो राधा ने कहा तो तुम जबरदस्ती घर से बाहर आ जाना वैसे भी तू घर का मेहमान है क्या फर्क पड़ता कि वह तुझे घर से बाहर निकाले या घर में रखे इस पर राधा के भाई ने कहा ठीक है दीदी मैं तुम्हारे लिए ऐसा ही करूंगा। अगले दिन राधा घाट पर कपड़े धोने चली गई और राधा के भाई ने पीछे से राधा की सासू मां से वैसा ही कहा जैसा राधा ने उससे कहने के लिए कहा था यह सुनकर तो विमला को मानो हर्ट अटैक आते-आते बचा हो कि तुम खाना घर के बाहर खाओगे इतना महंगा खाना होता है पेट भी नहीं भरता खराब और होता है दुनिया भर की बातें वह एक साथ अपनी जुबान से निकाली जा रही थी माना कि सास भी ना ली हो और बस बोलती ही जा रही हो लेकिन इस पर राधा के भाई ने अपनी बात कही और विमला की बात सुने बिना ही वहां से चला गया अब राधा और राधा का भाई कपड़े धोने के लिए घाट पर जाकर बैठ गए और हंसने लगे अब राधा बोली कि अब तो सासू मां का पारा हाई हो रहा होगा जरूर सासू मां हमें ढूंढते हुए यहां तक आएगी। अब राधा का भाई बोला कि दीदी कि तुम क्या करवाना चाह रही हो और तुम्हारी सासू मां यहां आएगी तो तुम क्या करोगी और इसकी क्या गारंटी है कि वह आएगी तब राधा ने कहा तू नहीं जानता घर पर जो काम पड़ा है वह सासू मां कौन सा खुद करेंगी वह काम तो मैं ही करूंगी और काम करने के लिए मेरा घर पर होना जरूरी है इसलिए मुझे ढूंढने के लिए वह यहां जरूर आएगी क्योंकि तूने कहा है कि घाट पर कपड़े धोकर तब जाएंगे लेकिन वह घाट पहुंचने से पहले ही हमारे खोदे हुए गड्ढे में उसका पैर आ जाएगा और वह पैर के बल गिर जाएगी जिससे उसके पैर में मोच आ जाएगी और वह चल नहीं पाएगी। तब हमारे पास सही समय होगा उन्हें सबक सिखाने के लिए। कुछ समय बाद विमला राधा राधा चिल्लाती हुई घाट की तरफ जा ही रही थी कि राधा के खोदे हुए गड्ढे में उसका पैर आ गया और वह पैर के बल गिर गई। उधर से राधा और राधा का भाई आया विमला की आवाज सुनकर। और राधा ने कहा मां जी आप गिर कैसे गए और यहां क्या कर रही है। तब विमला ने कहा मैं तो तुझे ढूंढने के लिए यहां पर आई थी कि बाहर जाने से पहले घर का काम कर जा और घर का बना खाना ही खा। लेकिन मेरा पैर इस गड्ढे में आ गया और मैं गिर गई। अब मैं चल भी नहीं पा रही हूं मेरे पैर में दर्द हो रहा है पता नहीं क्या हो गया है। इस पर राधा ने कहा ठीक है कोई बात नहीं मेरा भाई तुम्हें घर तक ले जाएगा और घर पर जाकर मैं घरेलू इलाज से तुम्हारा पैर सही कर दूंगी तब विमला को गुस्सा आ गया और कहने लगी तू अभी भी घरेलू इलाज में विश्वास करती है अरे यह पैर की चोट है घरेलू इलाज से सही नहीं होगी मुझे डॉक्टर के पास लेकर चल राधा ने कहा मा जी जब दूसरों को चोट लगती है तब आप घरेलू उपाय ही करती है और बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़ा करने के बाद आप डॉक्टर के पास लेकर जाती हैं और अपने पर बात आई तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाने के लिए कह रही है सबके आगे बचत करती है तो अपने आगे भी बचत ही करो ना कंजूसी ही दिखाओ ना क्यों अब दर्द से रो रही हो और कह रही हो कि डॉक्टर के पास लेकर जाओ अब क्या डॉक्टर के पास जाकर खर्चा नहीं होगा। राधा के मुंह से ऐसी बातें सुनकर विमला को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने राधा से माफी मांगी। राधा तुम मुझे माफ कर दो और घर पर जाकर में बाकी सब से भी माफी मांग लूंगी कि मेरी गलती हो गई मुझे माफ कर दो मैं समझ गई हूं की बचत और कंजूसी भी एक हद तक ठीक लगती है ज्यादा यह भी घातक होती है अब मैंने माफी मांग ली है तो तुम मुझे डॉक्टर के पास ले कर चलो ताकि मैं जल्दी से ठीक हो जाओ इस पर राधा ने कहा मां जी आप नहीं भी कहते जब भी मैं तुम्हें पहले डॉक्टर के पास ही लेकर जाती लेकिन मैं तुम्हें दिखाना चाहती थी कि घरेलू उपाय कुछ नहीं कर सकते आज कल डॉक्टर का ही जमाना है जिसका काम उसी को साजे नहीं तो बिगड़ जाता है और यह चोट मेरी वजह से ही लगी है मैंने ही तुम्हें सबक सिखाने के लिए यह सब करा था ना ही हम बाहर जा रहे हैं और ना ही बाहर का खाना खा रहे हैं। इस पर विमला ने कहा अच्छा करा तुमने अगर आज तुम मुझे सबक नहीं सिखाते तो शायद मैं जिंदगी में कभी सबक सीखती ही नहीं अब आप लोग मुझे डॉक्टर के पास छोड़ दो और फिर बाहर घूमने चले जाओ बाहर ही खाना खाना जो चाहे वह करना अब मैं किसी को कुछ भी करने से नहीं रोकूंगी। और गोपाल और राधा तुम भी बाहर घूमने के लिए चले जाना अब मैं कभी किसी को कुछ नहीं कहूंगी और ना ही रोकूंगी तब राधा विमला को डॉक्टर के पास ले गई और जब विमला ठीक हो कर घर वापस चली आई। तब विमला ने कहा अब से मैं किसी का मन नहीं दिखाऊंगी। और सब खुशी-खुशी रहने लगे। तो यह थी हमारी कहानी। कंजूस सास की कंजूसी होशियार बहू ने खत्म करी।
धन्यवाद।
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