बूंद बूंद से सागर भरता है: योगेश की प्रेरक कहानी

 

बूंद बूंद से सागर भरता है: योगेश की प्रेरक कहानी

यह कहानी है योगेश जी की योगेश एक बहुत ही अच्छा पढ़ा लिखा और समझदार लड़का था वह बहुत मेहनत करता था छोटी उम्र में ही उसने अपनी जिम्मेदारियों को समझा और बहुत अच्छे से निभाया क्योंकि उसके पिताजी उसके जन्म के एक साल बाद ही गुजर चुके थे अब वह अपनी एक बूढ़ी मां और अपनी एक छोटी बहन के साथ में रहता था |

उसकी बहन का नाम मीना था मीना भी बहुत ही सुंदर होशियार लड़की थी वह भी मां को घर में कुछ भी नहीं करने देती थी और सारा घर का काम खुद ही करती थी इस तरह दोनों बहन भाई अपनी अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रहे थे और खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे मीना बड़ी हो रही थी वैसे वैसे ही योगेश की चिंता भी बढ़ रही थी कि अब मीना बड़ी हो रही है तो फिर उसकी शादी भी करनी होगी और शादी करने के लिए तो मेरे पास पैसे ही नहीं है और मैं चाहता हूं मेरी बहन ने इतने दुख उठाए हैं बचपन से लेकर अब तक तो शादी के बाद किसी अच्छी  इज्जतदार और रईस ससुराल में जाए जिससे वह पूरी जिंदगी अच्छे से गुजार पाए। लेकिन उसके लिए पैसा भी बहुत चाहिए जो मेरे पास नहीं है मैं क्या करूं क्या नहीं करूं उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। उसने सोचा कि अगर मैं दिन रात काम करने लगा तो फिर मां और बहन का ख्याल कैसे रख पाऊंगा वह पढ़ा लिखा तो था लेकिन शहर से बाहर किसी और शहर में अच्छी नौकरी करने नहीं जा सकता था क्योंकि उसे उसकी बहन की चिंता सताती रहती थी।     

  जिस शहर में वह काम करता था रहता था उस शहर में जितनी भी बड़ी कंपनियां थी किसी में भी बहुत समय से नौकरियां नहीं निकल रही थी अगर नौकरियां निकलती तो योगेश जरूर ही नौकरी को पाने के लिए मेहनत करता। अब योगेश की चिंता बढ़ती ही जा रही थी। 1 दिन अपनी नौकरी पर जाने के लिए रास्ते पर जा रहा था तभी रास्ते में ही उसे एक साधु मिले जो बहुत ही अच्छे थे और ज्ञानी थे उन्होंने देखा कि योगेश  बहुत परेशान है क्योंकि उसकी परेशानी चेहरे से साफ पता चल रही थी तब उन्होंने योगेश को रोका और पूछा बेटा तुम्हारा चेहरा बता रहा है कि तुम बहुत परेशान हो लेकिन तुम इतने परेशान क्यों हो तुम मुझे बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाऊं। यह सुनकर योगेश ने कहा नहीं बाबा आप मेरी क्या मदद करेंगे मैं तो वैसे भी तकदीर का मारा हूं और तकदीर के मारो कि कौन मदद कर सकता है तब बाबा ने कहा मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं चाहे तुम तकदीर के मारे हो या दुखों के मारे क्योंकि मैं उस विधाता का बेटा हूं  जो सारे दुख सुख का दाता है भाग्य विधाता है। यह बातें सुनकर योगेश को थोड़ा सुकून मिला और उसने सोचा बता देता हूं क्या पता कुछ मदद ही हो जाए नहीं तो मन का दुख तो हल्का हो ही जाएगा ऐसा सोचकर योगेश ने अपनी सारी समस्या साधु को बताई। 

तब साधु ने कहा देख बेटा मैं यह तो नहीं कहूंगा कि तू बहन को छोड़कर किसी दूसरे शहर में काम करने के लिए चला जा क्योंकि आजकल जवान लड़कियों पर भी निगरानी करनी जरूरी होती है लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा तू जो काम करता है उसमें से तू कोशिश कर कि ज्यादा से ज्यादा पैसे बचा सके और उन पैसों को जोड़ जोड़ कर तू बैंक में डालता चला जा और जब वह पैसे इकट्ठे हो जाएं तब तुम अपनी बहन की शादी कर देना योगेश ने कहा मैं ऐसा ही करता हूं। लेकिन कुछ अच्छा फल नहीं निकलता तब साधु ने कहा देख बेटा तेरी घर में जवान बहन है। वह घर का काम करके खाली रह जाती होगी और उसका मन भी नहीं लग पाता होगा क्योंकि वह घर में अकेले ही रहती है तो तुम उसे कोई ऐसा काम दिलवा दो। जिसे वह घर में बैठकर आसानी से कर सके इससे वह घर में सुरक्षित भी रहेगी और काम भी करेगी। ऐसे वह पैसे भी कमा लेगी और तुम उन पैसों  मैं और पैसों को जोड़ कर उसकी शादी करवा देना। ऐसा सुनकर योगेश का थोड़ा दुख दूर हुआ उसने कहा ठीक है मैं आज शाम को ही घर जाकर अपनी बहन से इस बारे में बात करूंगा। 

फिर वह नौकरी करने के लिए चला गया नौकरी से जब शाम को घर लौटा तो उसे बहन को सामने देखकर उस साधु की कही बात याद आ गई उसने पहले खाना पीना खाया फिर वह मीना से इस बारे में बात करी तब मीना ने कहा भाई मैं भी ऐसा करना चाहती हूं मैं काम करूंगी तब योगेश ने कहा ठीक है। मैं कल से ही अपनी नौकरी करने के साथ-साथ तेरे लिए भी कोई काम ढूंढता रहूंगा। ऐसा कह कर वह दोनों सोने के लिए चले गए अगली सुबह योगेश इस उम्मीद से घर से निकला कि हो सकता है आज नहीं तो कल मैं अपनी बहन के लिए कोई काम ढूंढ ही लूंगा। इसीलिए वह जब अपनी नौकरी करने जाता और जब नौकरी के बीच लंच टाइम होता तब वह आसपास की जगह पर जाकर ऐसा काम ढूंढने लगता जो उसकी बहन घर बैठे कर सके पर 5 महीने बीत गए कोई भी काम उसे नहीं मिल पाया जो उसकी बहन घर बैठकर कर सके। 

लेकिन एक दिन वह टेलर के पास गया अब टेलर ने कहा देखो मैं यह कुर्तियां काटता हूं और इन्हें सील नहीं पाता टाइम से नहीं दे पाता हूं क्योंकि मैं अकेला ही काम करता हूं इसीलिए शिकायते बहुत आती है मेरे पास मेरे ग्राहकों की तो तुम ऐसा करो अपनी बहन से पूछो की अगर वह सिलाई करना जानती है तो मैं उसे यह काम दे दूंगा उसे सिर्फ यह कटी हुई कुर्तियां ही सिलनी है तब योगेश ने कहा ठीक है मैं अपनी बहन से पूछ कर बताता हूं। घर जाकर योगेश ने सारी बात बहन से बताई तो बहन ने कहा हां भाई मुझे सिलाई आती है मां ने मुझे बचपन में सिलाई सिखाई थी। और मैं यह काम कर लूंगी। तब योगेश दर्जी के पास गया और उसे सारी बात बताई। तब दर्जी ने कहा ठीक है तुम इस समय यह कटी हुई कुर्तियां ले जाओ और अपनी बहन से सिलवा लेना। और इस काम के बदले में तुम्हारी बहन को महीने में तनख्वाह दिया करूंगा। तब योगेश वह कटी हुई कुर्तियां अपनी बहन मीना के पास ले गया और मीना ने वह कटी हुई कुर्तियां सीलि और शाम को फिर योगेश वह कुर्तियां वापस दर्जी के पास नहीं गया।

अब योगेश नौकरी के लिए और भी जल्दी निकलता पहले मीना के लिए कटे हुए कुर्ती ले कर आ जाता तब वह दुबारा नौकरी पर जाता और लंच टाइम में खाना खाने के बाद उन कुर्तियों को दरजी के पास डालकर आता वास्तव में बहुत ही मशक्कत कर रहे थे वह दोनों अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए और मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है दोनों की कड़ी मेहनत के बाद एक दिन वह समय आया कि मीना की शादी लायक अच्छे खासे पैसे इकट्ठे हो गए थे अब योगेश ने खुशी-खुशी मीना के लिए रिश्ता देखना शुरू कर दिया। योगेश को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और योगेश को बहुत ही अच्छा घर परिवार और बहुत ही अच्छे लोगों का रिश्ता मीना के लिए मिल गया तब दोनों की मर्जी के बाद ही उन दोनों की शादी तय हो गई और कुछ 2 साल बाद मीना की शादी हो गई। 

अब मीना अपने परिवार में खुश थी तब  योगेश की एक जिम्मेदारी खत्म हो गई थी कि उसे उसकी बहन की शादी करवानी थी वह उसने करवा दी थी और कुछ सालों बाद इसी तरह पैसा जोड़कर उसने अपनी भी शादी कर ली थी। और एक अच्छा घर भी बना लिया था। और उसे समझ में आ गया था कि। जो लोग कहते हैं बूंद बूंद से ही सागर भरता है वह बिल्कुल सच है। थोड़ा थोड़ा पैसा जमा करके मैंने इतना कुछ कर लिया है। और आगे भी करता रहूंगा। तो यह थी कहानी। बूंद बूंद से सागर भरता है: योगेश की प्रेरक कहानी

 धन्यवाद।


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