और ज्यादा पाने का लालच पड़ गया भारी।
एक गांव में आदित्य नाम का लड़का अपनी एक प्राणी से झोपड़ी में अपनी पत्नी और अपने एक छोटे से बच्चे के साथ रहता था। वह रोज काम करने जाता और रोज पैसे कमा कर अपने घर में राशन लाकर रख दिया करता था उसका कोई महीने का काम नहीं था रोज मेहनत मजदूरी करता और उसी से अपना पेट भरता। अगर किसी दिन काम नहीं मिलता तो वह उदास हो जाता। और सोचने लगता कि आज अपनी पत्नी और अपने बच्चे की भूख कैसे शांत करूंगा। आज काम नहीं मिला। तो पैसे भी नहीं है पास में और बिना पैसों के तो इस दुनिया में कुछ नहीं मिलता। फिर वह उदास चेहरा लेकर अपने घर चला जाता लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे सब्र रख कर उस रात भूखे सो जाते और अगले दिन फिर से वह काम की तलाश में निकल जाता।
आदित्य के जीवन के दिन उसकी पत्नी और उसके बच्चे के साथ में ऐसे ही बीते थे जा रहे थे। लेकिन फिर भी वह खुश थे कि हम मेहनत इज्जत और इमानदार की खाते हैं भले ही हम गरीब हैं लेकिन किसी का हक मारकर नहीं मारते और मेहनत करके ही खाते हैं। 1 दिन आदित्य काम की तलाश में घर से निकला तो उसे उस दिन कोई काम नहीं मिला फिर। फिर वह उदास चेहरा लेकर रात को अपने घर चला गया और अपनी पत्नी को सारी बात बताई तो उसने कहा कोई नहीं आज हम ऐसे ही सो जाते हैं भगवान कल जरूर कुछ ना कुछ काम दिलवाएंगे। लेकिन ऐसे ही 2 दिन और बीत गए आदित्य को कोई काम नहीं मिलता और ना ही वह अपने घर कुछ ले जा पाता उसका बच्चा और उसकी पत्नी 3 दिन से भूखे थे। लेकिन आदित्य करता भी क्या वह काम की तलाश में भटकता हुआ शहर की तरफ जा रहा था। लेकिन गांव की सीमा से पहले ही एक खेत में उसे एक सन्यासी दिखे तो आदित्य ने सोचा कि क्यों ना मैं शहर जाने से पहले इनका आशीर्वाद ले लूं हो सकता है कुछ अच्छा हो जाए मेरे साथ। और हो सकता है कि इनके आशीर्वाद से मुझे कोई अच्छा सा काम मिल जाए जिससे मैं मेहनत करके कुछ पैसे कमा कर अपनी बीवी और अपने बच्चे का पेट भर सकूं। यह सब सोचता हुआ आदित्य सन्यासी के पास गया और उनके चरणों में बैठ गया और प्रणाम करके बोला की है महात्मा मेरा प्रणाम स्वीकार करें और मुझे आशीर्वाद दे कि मैं जिस काम की तलाश में मैं शहर जा रहा हूं वह काम सफल हो जाए। उसकी बात सुनकर वह सन्यासी बोले है पुत्र तुम कौन सा काम करन शहर जा रहे हो और वह ऐसा कौन सा काम है जो इस गांव में पूरा नहीं हो सकता। आदित्य ने कहा कि महात्मा आज पूरे 3 दिन हो गए मेरे पेट अन्न का एक दाना नहीं गया मुझे अपनी फिक्र नहीं है पर मेरी पत्नी और मेरा एक छोटा सा बच्चा वह भी मेरे साथ 3 दिन से भूखे हैं गांव में कोई काम नहीं मिल रहा है जिससे कि मैं काम करके कुछ पैसा कमा सकूं और उस पैसों से राशन खरीद कर उनका पेट भर सकूं गांव में तो शायद काम मिलेगा नहीं इसीलिए।मैं काम की तलाश में ही शहर जा रहा हूं उम्मीद है कि इतने बड़े शहर में कुछ ना कुछ काम जरूर मिल ही जाएगा जिससे मैं कुछ पैसे कमा कर अपनी पत्नी और अपने बच्चे का पेट भर सकूं। उसकी दयनीय कथा सुनकर उस सन्यासी ने कहा कि बेटा तुम्हें काम की तलाश में शहर जाने की जरूरत नहीं है। और ना ही अब तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा मैं तुम्हें कुछ दूंगा पर तुम्हें मुझसे वादा करना होगा कि तुम उसे गुप्त ही रखोगे किसी से बताओगे नहीं सिर्फ अपने बच्चे और पत्नी तक ही यह बात रखोगे। उसने कहा ठीक है महात्मा में ऐसा ही करूंगा जैसा आप कह रहे हैं पर वह क्या चीज है जो आप मुझे देंगे। फिर सन्यासी ने कहा कि बेटा मैं तुम्हें एक जादुई माला देता हूं उस माला से तुम जो मांगना चाहोगे वह मिल जाएगा जितना मांगोगे उतना मिल जाएगा खाने पीने का सामान सोना पैसे सब कुछ तुम्हें मिल जाएगा बस तुम उसका सदुपयोग करना उसके द्वारा गरीबों की मदद करनी है भूखों का पेट भरना लाचारों की भी मदद करनी है तो क्या तुम ऐसा कर पाओगे। सन्यासी की बात सुनकर आदित्य ने कहा महात्मा यह तो बहुत पुण्य के कार्य में इन्हें जरूर करना चाहूंगा। सन्यासी ने कहा कि ठीक है बेटा मैं तुम्हें वह माला देता हूं लेकिन उसे धारण करने के बाद तुम कुछ भी गलत काम नहीं कर सकते अपने मन में लालच नहीं ला सकते यदि तुमने जिस दिन ऐसे काम करना शुरू कर दिया उसी दिन वही माला नाग का रूप धारण करके तुम्हें डस लेगी। और तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। तो सोच समझ कर ही उस माला को धारण करना। आदित्य ने कहा महात्मा आप चिंता ना करें। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा आगे आपकी मर्जी आप है माला देना चाहते हैं तो ठीक है नहीं तो मैं शहर चला जाऊंगा फिर सन्यासी ने आदित्य को माला अपने हाथों से आदित्य के गले में पहना दी। और बताया कि अब मैंने यह माला तुम्हें अपने हाथों से पहनाई है तो यह कभी अशुद्ध नहीं होगी और ना ही किसी को दिखाई देगी तो तुम निश्चित होकर इस माला को पहने रखना। फिर अचानक वह सन्यासी गायब हो गए और आदित्य भी अपने घर खुशी-खुशी वापस आ गया। आदित्य ने जब उस माला के बारे में अपनी पत्नी को बताया तो उसे यकीन ही नहीं हुआ लेकिन जब आदित्य ने उस माला से कहा कि मुझे भरपेट भोजन चाहिए हम तीनों के लिए। तब सच में ही भोजन प्रकट हो गया और जिसको खाकर उन तीनों ने अपनी भूख को शांत करा अब आदित्य की पत्नी के मन में एक और बात आई की हमारे पास कपड़े नहीं है तो तुम इस माला से कुछ कपड़े मांग लो और आदित्य ने ऐसा ही करा फिर आदित्य की पत्नी ने कहा कि तुम पैसे भी मांग लो पैसे बिना दुनिया में कुछ नहीं होता आदित्य ने ऐसे ही करा लेकिन वह अपना भला करने के चक्कर में दूसरों का भला नहीं कर रहे थे फिर भी माला ने कुछ नहीं करा। अब आदित्य रोज काम की तलाश में जाता लेकिन आदित्य को कोई काम नहीं मिलता तो वह अपने घर आ जाता और घर आकर माला से भोजन आदि मांग लेता। धीरे-धीरे करके आदित्य के मन में लालच आता गया और उसकी पत्नी उसका साथ देती गई आदित्य ने अपनी जरूरत से भी अधिक सारी सुविधा की चीजें बंगाल बड़ा कार सोना पैसे सब कुछ मांग लिया था। अब महात्मा के कहे अनुसार 1 दिन माला ने आदित्य की रोज-रोज की ख्वाहिशों से तंग आकर नाग का रूप धारण करा और आदित्य को डस लिया जिसके कारण आदित्य मर गया। जब आदित्य की पत्नी ने देखा कि एक सांप ने उसके पति को डस लिया है तो आदित्य की पत्नी ने उस सांप पर भी वार कर दिया और वह सांप भी मर गया। जैसे ही सांप मर गया वैसे ही सारा बंगला चीज जेवर पैसा गाड़ी सब कुछ गायब हो गए और आदित्य की पत्नी पहले से भी बुरे हाल में फटे पुराने कपड़े और टूटे-फूटे झोपड़े में अपने रूप में वापस आ गई। लेकिन आदित्य की पत्नी को कुछ भी समझ में नहीं आया तभी दरवाजे पर एक सन्यासी की आवाज सुनाई दी तो आदित्य की पत्नी दौड़ी-दौड़ी दरवाजे पर गई। और सन्यासी को प्रणाम करके बोली कि पता नहीं बाबा मेरा घर ऐसा कैसे हो गया मेरे घर में कुछ भी खाने पीने को नहीं है कुछ समय पहले तो यह घर नहीं बंगला था पर पता नहीं अचानक यह सब कैसे हो गया मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। तब सन्यासी ने सारी बात आदित्य की पत्नी को बताई और कहा कि बेटी तेरे पति ने और तूने हद से ज्यादा लालच में आकर ना ही गरीबों की मदद की और तो और उस माला की शक्ति का भी दुरुपयोग करा।तेरे पति को पता था कि अगर वह ऐसा व्यवहार करेगा तो उसका अंत बुरा होगा लेकिन फिर भी वह उस बात को भूल गया और अपने लालच में डूब गया और तू भी उसे समझाने के बजाय उसके साथ उसी लालच में डूबती रही तो यह सब तो होना ही था अब इसका कोई हल नहीं है तेरा पति कभी वापस नहीं आएगा बस तू अब अपना सारा जीवन अपने ईश्वर की भक्ति में लगा दे क्योंकि वही है जो सब कुछ देता है और सब कुछ ले भी लेता है हम इंसान लालच में डूब कर यह भूल जाते हैं कि यह संसार तो सिर्फ मोह माया है हमारा सब कुछ तो हमारा ईश्वर है जहां से हम आए हैं उसी के पास हमें एक दिन जाना है और सब चीज़ का हिसाब देना है लेकिन उसने तेरे गुनाहों का फैसला और तेरे गुनाहों का हिसाब यही कर दिया लेकिन अब तू उस ईश्वर से माफी मांग और उससे वादा कर कि तू कभी भी ऐसा बुरा काम नहीं करेगी और अब तू मेहनत करके पैसे कमा और खुद भी खा और कुछ गरीबों को भी दान दे जिससे तेरा पाप कम होगा। और तेरे कष्ट मिटते चले जाएंगे। और एक बात हमेशा याद रखना कि लालच का अंत बहुत बुरा होता है। फिर वह सन्यासी वहां से अंतर्ध्यान हो गए। तो यह थी कहानी और ज्यादा पाने का लालच पड़ गया भारी। धन्यवाद।
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