माता-पिता से ज्यादा अच्छा दोस्त दुनिया में कोई नहीं। Mata pita se jyada achchha dost duniya me koi nahin


 माता-पिता से ज्यादा अच्छा दोस्त दुनिया में कोई नहीं।

यह कहानी है अरुण  की।अरुण एक पढ़ा-लिखा सुंदर 18 साल का लड़का था। वह अपने एक छोटे से बहुत ही सुंदर गांव में रहता था। उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा और खुश मिजाज था जिसके कारण वह बहुत ही जल्दी अपने दोस्त बना लिया करता था। लेकिन अरुण की इतनी उम्र होने के बाद भी वह चालाक नहीं था वह बिल्कुल सीधा सभाव का लड़का था। चालाकी छल कपट इन सब के बारे में वह बिल्कुल नहीं जानता था इन सब से तो वह कोसों दूर था। और उसके जितने भी दोस्त थे वह भी उसके साथ रहकर उसके जैसे ही बन गए थे छल कपट ना ही करना जानते थे और ना ही इसके बारे में जानते थे। लेकिन उन सब दोस्तों में अरुण का एक बेहद खास दोस्त था जिसे वह अपनी सारी बातें बताया करता था जिसका नाम विनोद था। विनोद दुरंगी स्वभाव का लड़का था वह अरुण के सामने भोला बनकर अरुण के मन की बात जान लिया करता था और अरुण के पीठ पीछे उसकी बुराई करता था। विनोद दोस्ती विश्वास रिश्ते नाते जैसी चीजों पर बिल्कुल भी विश्वास ही नहीं करता था। और वह सिर्फ एक ही चीज के पीछे भागता था वह है पैसा वह पैसे के लिए कुछ भी कर सकता था वह पैसे कमाने के लिए नए-नए तरीके निकालता रहता था। विनोद के इस स्वभाव से अरुण पूरी तरह अनजान था अरुण विनोद  के इस स्वभाव के बारे में कुछ नहीं जानता था। अरुण अपने सारे दोस्तों में से विनोद के ऊपर बहुत ही अटूट विश्वास करता था वह समझता था कि विनोद से अच्छा दोस्त अरुण के लिए कोई हो ही नहीं सकता। अरुण विनोद के साथ बहुत समय बिताया करता था जिसकी वजह से वह अपने माता-पिता को समय नहीं दे पाता था। लेकिन फिर भी अरुण के माता-पिता को अरुण से कोई परेशानी नहीं थी कोई शिकायत नहीं थी वह तो बस अरुण की खुशी चाहते थे और अरुण की खुशी तो विनोद के साथ रहने मे थी। पर अरुण के माता पिता अरुण को एक बात हमेशा समझाया करते थे कि बेटा हमें किसी पर भी अटूट विश्वास नहीं करना चाहिए  किसी पर भी आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने मतलब के लिए सामने वाले के तलवे तक चाट लेने को तैयार रहते हैं।और मतलब निकल जाने पर उसे जान से भी मार सकते हैं। ऐसे लोग छल कपट बहुत अच्छे से जानते हैं और कपटी लोगों से तो बहुत ही दूर रहना चाहिए। हम बस यही चाहते हैं कि तुम विनोद के साथ रहो लेकिन साथ में सावधानी भी जरूर रखो क्योंकि हमें आए दिन विनोद के बारे में उल्टी-सीधी खबरें सुनने को मिलती है वह तुम्हारा अच्छा दोस्त है इसलिए हम तुमसे ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे बस इतना ही कहेंगे कि अपना पूरा ध्यान रखा करो जब तुम उसके साथ रहा करो। अरुण ने अपने माता-पिता की बातें सुनकर भी अनसुनी कर दी। क्योंकि वह विनोद के चक्कर में पूरी तरह से फंस चुका था विनोद ने उसे बहुत ही अच्छे से अपनी झूठी दोस्ती के जाल में फंसा  लिया था। विनोद पैसा कमाने में इतना अंधा हो गया था कि उसे सही गलत अच्छा बुरा कुछ नहीं दिखता था। पैसा कमाने के लालच में विनोद ने ड्रग सप्लाई करने का काम करना शुरू कर दिया था। जिसके बदले विनोद को बहुत ही अच्छे पैसे बहुत ही कम मेहनत में मिल जाया करते थे। लेकिन विनोद को हमेशा पुलिस के पकड़े जाने का डर भी रहता था कि कहीं अगर किसी दिन पुलिस ने पकड़ लिया तो जिंदगी भर के लिए जेल में ही डाल देगी। फिर भी वह इस काम को करता था। लेकिन अरुण को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि विनोद पैसा कमाने के लिए इतना गलत काम करता है। 1 दिन विनोद के पास बहुत ही बड़ा ड्रग सप्लाई करने का ऑर्डर आया जिसके पैसे विनोद ने पहले ही ले लिए थे। अब बस विनोद को ड्रग्स सप्लाई करनी थी। वह ड्रग्स सप्लाई करने ही वाला था कि उसे खबर हुई कि पुलिस को उसका पता चल गया है और पुलिस उसे ढूंढ रही है। विनोद ने सोचा पैसे ले लिए हैं तो ड्रग्स सप्लाई करना ही होगा भले ही फिर मैं यह काम छोड़ दूंगा लेकिन यह काम  मैं कैसे करूं पुलिस तो मुझे ढूंढ रही है। अगर पुलिस ने मुझे पकड़ लिया तो ड्रग्स भी पकड़ी जाएगी और आर्डर पूरा नहीं होगा और मेरे लिए खतरा ही खतरा तैयार हो जाएगा। अब मैं क्या करूं कैसे करूं विनोद यही सोच रहा था कि अचानक उसे अरुण का ख्याल आया। विनोद ने सोचा कि अरुण ड्रग्स के बारे में कुछ भी नहीं जानता तो यह मेरा काम बिना सवाल जवाब किए आसानी से कर देगा। और वह बहुत भोला भी है तो क्यों ना उसके भोलेपन का फायदा उठाया जाए। फिर विनोद ने अरुण को फोन लगाया। और अरुण से कहने लगा कि अरुण एक छोटी सी परेशानी आ गई है मेरा एक  कल मेरे घर आया था तो वह अपना एक जरूरी काम का बैग भूल गया है और मुझे आज जरूरी काम से शहर जाना है तो यह काम तुम कर दोगे बस यह बैग उसे देना है मैं तुम्हें उसका फोटो भी दे दूंगा तो तुम उसे आसानी से पहचान लेना। और उसे यह बैग दे देना। अरुण ने कहा ठीक है यह तो बहुत आसान काम है मैं कर दूंगा बताओ कहां कैसे करना है तो विनोद ने कहा तुम मेरे घर आ जाओ मैं तुम्हें सब बता दूंगा। फिर अरुण विनोद के घर चला गया। विनोद ने अरुण को उस लड़के का फोटो दे दिया जिसे ड्रग्स देनी थी। और विनोद ने अरुण को बता दिया कि वह उसे कहां मिलेगा। विनोद के कहने पर अरुण घर से निकल गया फिर विनोद ने उस लड़के को फोन मिलाया और कहा मैं नहीं आ रहा हूं  तुम्हारी ड्रग्स मैंने दूसरे लड़के के हाथ भिजवाई है और उसका फोटो में अभी तुम्हें भेज रहा हूं। उधर अरुण विनोद की चाल से अनजान ड्रग्स का बैग लेकर उस लड़के के पास पहुंच गया जिसे ड्रग्स देना था वही ड्रग्स सप्लायर के इंतजार में पुलिस खड़ी थी जैसे ही अरुण ने उस लड़के को ड्रग्स का बैग दिया। वैसे ही पुलिस ने अरुण को तो पकड़ लिया लेकिन वह लड़का बाइक पर था तो वह बहुत ही चालाकी और तेजी से वहां से फरार हो गया और पुलिस उसे नहीं पकड़ पाई। लेकिन पुलिस अरुण को जीप में डालकर पुलिस स्टेशन ले गई। और उसे जेल में बंद कर दिया। फिर अरुण के माता-पिता को खबर कर दी गई कि आपका बेटा जेल में है। मां बाप को यह सुनकर बहुत दुख हुआ और वह समझ  गए कि यह सब विनोद का ही करा धरा है अब हमारा बेटा फंस गया अब हम क्या करेंगे। फिर अरुण के मां-बाप पुलिस स्टेशन गए और जैसे-तैसे पुलिस से विनती कर करके अरुण को छोड़ा लाए पर विनोद फरार हो गया।जब पुलिस को पता चला कि असली मुजरिम विनोद है तब पुलिस विनोद की खोजबीन में लग गई कुछ महीनों की कड़ी मेहनत के बाद विनोद पकड़ा गया और जेल के अंदर बंद हो गया। फिर अरुण विनोद से जेल में मिलने गया। और विनोद से  कहने लगा मैंने तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त माना था तुमसे मन की हर बात कहता था लेकिन तुम गिरे हुए इंसान निकले मुझे नहीं पता था कि तुम मेरे  सीधेपन का इतना ज्यादा इस्तेमाल करोगे कि मुझे अपनी जगह जेल में भी बंद करवा दोगे। अरे मेरे बंद होने की खबर सुनकर तो मेरे सारे दोस्तों ने मेरा साथ छोड़ दिया था लेकिन मेरे मां-बाप ने साबित कर दिया कि मां-बाप से अच्छा दोस्त तो दुनिया में कोई नहीं हो सकता उन्होंने मुझे कितनी विनती से यहां से बाहर करा तुम सोच भी नहीं सकते। क्योंकि तुम सच्चे इंसान हो ही नहीं जो इस तरह की हरकत करता है ना पैसे के लालच में सही गलत भूल जाता है वह एक झूठा इंसान होता है और कुछ नहीं। और फिर अरुण ने अपने माता-पिता से कहा कि तुम मुझे माफ कर दो मैं इस विनोद के चक्कर में तुम्हें बिल्कुल भूल ही गया था तुम्हें समय नहीं दे पाता था लेकिन अब मैं इसे जिंदगी भर नहीं देखूंगा और तुम्हारा पूरा ध्यान रखूंगा तुम्हारी पूरी सेवा करूंगा। क्योंकि अब मैं समझ गया हूं कि मां बाप से अच्छा दोस्त मां बाप से अच्छा साथी दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता। तो यह थी कहानी माता-पिता से अच्छा दोस्त दुनिया में कोई नहीं। धन्यवाद।

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