दो दोस्त कैसे बने दुश्मन। do dost kese bane dushman


यह कहानी दो ऐसे दोस्तों की है जिनकी दोस्ती बहुत ही गहरी थी। दोनों एक दूसरे के खिलाफ ना ही कुछ करते और ना ही कुछ सुनते थे बल्कि एक दूसरे के बिना भी कुछ नहीं करते थे। लेकिन कहीं ना कहीं उनके गुजरे हुए कल की कुछ बातें उनसे ऐसी जुड़ी हुई थी जिसकी वजह से उन्हें 1 दिन  उन्हें अपनी दोस्ती तोड़नी ही पड़ती। यह कहानी है जो दोस्त रमन और किशन की। दोनों दोस्त एक गांव में रहा करते थे और दोनों अपना कपड़े का व्यापार मिल बैठकर करते थे। उनका व्यापार भी काफी अच्छा चल रहा था और दोनों दोस्त भी काफी खुश थे। वह एक दूसरे के साथ रहकर ही बहुत खुश हैं उन्हें किस तीसरे की जरूरत कभी नहीं पड़ती थी चाहे व्यवसाय में अच्छे दिन हो या बुरे दिन। वे अच्छा वक्त भी साथ बिताते थे और बुरा वक्त भी साथ ही बिताते थे। लेकिन उनका गुजरा हुआ कल कहीं ना कहीं उन्हें डराता रहता था। कि कहीं उसकी वजह से हमारी दोस्ती टूट ना जाए। 

बात उस समय की है जब रमन और  किशन एक दूसरे के दोस्त नहीं थे बस एक ही गांव में रहने वाले दो व्यक्ति थे। तब दोनों व्यक्ति अपना खेती का काम करते थे जिसकी वजह से उन्हें सवेरे सवेरे खेतों में जाना होता था। एक दिन रमन और किशन दोनों ही अपने खेतों में जा रहे थे दोनों के खेत पास पास में ही थे। तब उन्होंने अपने खेत पर जाकर देखा कि रमन का चचेरा भाई और किशन की चचेरी बहन दोनों आपस में एक दूसरे को धोखा देने की बात को लेकर कुछ झगड़ा कर रहे हैं किस बात पर झगड़ा कर रहे थे यह तो नहीं पता चला लेकिन उनकी बातों से पता चला कि वह एक दूसरे का विश्वास तोड़ने की कुछ बात कर रहे थे। इस पर वह चुप रहे रमन डर गया तो वह दौड़कर किशन के पास आ गया और कहने लगा भाई यह क्या हो रहा है मेरे खेत में दोनों आपस में इस तरह जैसे झगड़ रहे हैं क्या हमें अपने बहन भाइयों को समझाना चाहिए। 

हमें तो यह भी नहीं पता कि यह सब कब से चल रहा है और यह  झगड़ा किस बात पर  कर रहे हैं। तब किशन ने कहा नहीं हमें इनकी बातें सुनी चाहिए और हमें इनके बीच में नहीं आना चाहिए। क्योंकि नहीं पता झगड़ा किस चीज का है और हम इसमें बिना वजह ही फस जाएंगे। रमन डरा हुआ था तो बोला ठीक है मैं ऐसा ही करूंगा। फिर जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी तब उन दोनों ने देखा कि रमन के चचेरे भाई ने किशन की चचेरी बहन को जोर से एक चांटा मार दिया है  और किशन की चचेरी बहन एक तालाब के पास जा रही है। और उस तलाब के करीब पहुंचते ही उसमें कूद गई। और यह सब देखकर रमन का चचेरा भाई तो वहां से भाग गया फिर रमन और किशन दोनों तालाब में कूद गए और किचन की चचेरी बहन को ढूंढने लगे पर कुछ नहीं मिला 2 घंटे बाद वह दोनों वापस आ गए तो फिर पता चला कि किशन की चचेरी बहन तो डूबने के कारण मर गई है और उसका शव पानी के ऊपर  तैर रहा है। यह सब देखकर दोनों भाई डर गए और भागकर अपने अपने घर वालों को बुला लाए तब उनके घर वालों ने पुलिस को बुलवाया। तो जिसके कारण पता चला कि रमन के चचेरे भाई की वजह से किशन की चचेरी बहन की मौत हो गई है। तो फिर रमन के चचेरे भाई को पुलिस उठाकर ले गई और उसे उम्र कैद की सजा हो गई। लेकिन रमन का चचेरा भाई छूट सकता है अगर रमन के परिवार वाले उसकी बेल करा लें और उसे  वहां से निकलवा लें तो।

 लेकिन किशन  ने यह सब करने को मना कर दिया कि तुम्हारे चचेरे भाई की वजह से मेरी चचेरी बहन की मौत हो गई है तो उसे अब अपने कर्म का फल भुगतने दो। तुम ऐसा कभी नहीं करोगे जिससे कि हम दोनों पर कोई असर पड़े। समय बीत गया वह दोनों वह बात भूल गए और  दोनों अच्छे दोस्त बन गए। पर रमन के मन में अक्सर ख्याल आता है कि उसके चचेरे भाई को छोड़ा लाए। तो उसकी चाची की तकलीफ हल हो जाएंगी क्योंकि वह उसकी चाची का एक अकेला बैठा था और कोई औलाद भी नहीं थी और किसी बीमारी के कारण और उसके चाचा की भी मृत्यु हो चुकी थी तो वह बेसहारा हो गई थी। लेकिन वह डर था कि कहीं  मैंने ऐसा कर दिया और इसकी खबर अगर किशन को हो गई तो वह मुझे कभी माफ नहीं करेगा और हम दोनों की दोस्ती टूटेगी व  व्यापार छूटेगा वह अलग। लेकिन अक्सर हर दो-तीन दिन बाद उसकी चाची उसके पास आती है रोती बिलखती और उससे मिलना तय करती कि मैं जीवन भर तुम्हारी गुलामी करूंगी तुम्हारी पूजा करूंगी तुम बस मेरे बेटे को छुड़ा लाओ। मैं सरकारी कुछ काम करना नहीं जानती और मैं पुलिस के चक्कर में भी नहीं पढ़ना चाहती क्योंकि मेरे अंदर इतनी हिम्मत अब बाकी नहीं है तुम ही मेरा यह काम कर सकते हो तो मेरे खातिर इतना सा काम कर दो। बेटा मैं भी तुम्हारी मां जैसी हूं क्या तुम एक मां की तकलीफ  दूर नहीं करोगे क्या तुम्हारी दोस्ती तुम्हारे लिए मुझसे बढ़कर है  यह सुनकर रमन की रातों की नींद हराम हो जाती और वह बस यही सोचता रहता कि अब मैं क्या करूं चाची का साथ देता हूं तो दोस्त छूट जाता है दोस्त का साथ देता हूं तो चाची रूठ जाती है मैं क्या करूं। धीरे-धीरे समय बीतता गया और अब रमन की चाची भी धीरे-धीरे बुढ़ापे की ओर बढ़ रही थी और बीमार होती जा रही थी बस दिन रात एक ही रट लगाए रहती कि मेरे बेटे को छुड़ा लो मेरे बेटे को कोई छुड़ा लाओ। मैं मरने से पहले उसे देखना चाहती हूं मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई तो मैं चैन से मर भी नहीं पाऊंगी। फिर एक दिन रमन को खबर मिली कि उसकी चाची को दिल का दौरा पड़ा है और वह दिल का दौरा उन्हें किसी सदमे की वजह से पड़ा है और सदमे की वजह और कोई नहीं उनका खुद का बेटा है उन्हें डर है कि आप कहीं अगर मैं मर गई तो मेरा बेटा जिंदगी भर जेल में रहेगा मैं ही  सबको उसकी याद दिलाती हूं मेरे मरने के बाद तो कोई उसे याद भी नहीं करेगा सब भूल जाएंगे और मैं वहीं जेल में ही 1 दिन दम तोड़ देगा। अगर मेरे बेटे ने उस लड़की को चांटा मारा था तो उसकी भी कोई वजह रही होगी पर मेरे बेटे ने उसे तालाब में तो धक्का नहीं दिया था जिस वजह से वह मर गई। इसमें जरूरी कोई राज छुपाना चाहती होगी जिसके खुलने के डर से वह तालाब में कूदकर मर गई और  मेरे बेटे को फंसा गई। फिर एक दिन चाची ने रमन को बहुत मेहनत करके अपने पास बुलाया और कहा देख बेटा मैं मानती हूं कि मेरा बेटा गुन्हेगार हैं पर तेरे दोस्त की चचेरी बहन की मौत का जिम्मेदार तो नहीं है वह जरूर ही कोई राज छुपाना चाहती होगी। और मौके की तलाश में होगी जैसे ही उसे मौका मिला तो वह तालाब में कूद गई और उसने अपनी जान दे दी और मेरे बेटे को फंसा गई। अब रमन को धीरे-धीरे करके अपनी चाची की कही बात पर यकीन होने लगा तो वह इस सच का पता लगाने के लिए अपने दोस्त से  चुप कर इस रास्ते पर आगे निकल पड़ा कि अब कुछ भी हो जाए मैं साबित करके रहूंगा कि मेरा चचेरा भाई  निर्दोष है। धीरे-धीरे समय बीतता गया और रमन को एकदम पता चला कि किशन की चचेरी बहन का चक्कर किसी और लड़की के साथ में चल रहा था मैं उसके बच्चे की मां बनने वाली थी और उसे यह बात पता चल गई थी तो वह लड़का उसे छोड़कर चला गया था और वह रमन के चचेरे भाई को उस बच्चे का पिता बनाने की जिद कर रही थी जब रमन नहीं माना और गुस्से में उसने उस पर हाथ उठा दिया तो वह मौका देखकर तालाब में कूद गई और अपनी मौत को जिम्मेदार बेवजा ही  रमन के चचेरे भाई को बना गई। फिर रमन ने धीरे-धीरे करके सबूत इकट्ठे करने शुरू कर दिए और एक दिन वह पुलिस के पास पहुंच गया और पुलिस को सारे सबूत दिखाए तो पुलिस ने कहा ठीक है हम सरकार से  बात करेंगे कि यह केस दुबारा खोला जाए और निर्दोष रमन का चचेरा भाई बेगुनाह है  यह साबित करने के लिए हमारे पास  सच्चे सबूत है। धीरे-धीरे पुलिस की मेहनत रंग लाई और रमेश के चचेरे भाई का केस दुबारा खुला और इस बार रमन के चचेरे भाई का केस  दोबारा खुला और इस बार  रमन का चचेरा भाई कोर्ट में बेगुनाह निर्दोष साबित हुआ और उसे बेवजह सजा काटने के लिए कुछ  मुआवजा भी मिला जिससे वह अपनी मां की अच्छे से सेवा कर सकता था इलाज कर सकता था। और वह मुआवजा लेकर अपनी मां के पास आ गया और मां से कहने लगा कि अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा और मैं बेगुनाह हूं।यह बात साबित तो रमन भाई  ने की है तो मैं उनका एहसान भी जिंदगी भर नहीं भूलूंगा। जब यह बात  किशन को पता  चली तो  किशन आग बबूला हो गया और रमन का जानी दुश्मन बन गया कि रमन ने ऐसा कैसे कर दिया ऐसा क्यों करा उसने मेरे साथ में मेरी दोस्ती को भी उसने तोड़ दिया ऐसा करके अब मैं उसे नहीं छोडूंगा। अब रमन और किशन जहां भी मिलते है अब दोस्ती के फूल नहीं खिलते सिर्फ और सिर्फ नफरत के अंगारे ही सुलगते थे धीरे-धीरे करके उन दोनों का व्यापार बिल्कुल खत्म हो गया |

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अब रमन के खाने के भी लाले पड़ गए थे लेकिन उसके चचेरे भाई ने उसका बहुत साथ दिया है  उसने रमन को अपने साथ रख लिया और उसे अपने साथ खेतों में लेकर आया करता वह दोनों रोज मेहनत करते रोज काम करते हैं और फसल से जो कुछ भी पैसे मिलते दोनों आधे आधे बांट लेते इस तरह रमन ने भी धीरे-धीरे करके पैसे जोड़ लिए और अपना खुद का व्यापार शुरू कर दिया लेकिन रमन और किशन की दोस्ती दुश्मनी में बदल चुकी थी जो अब दुबारा कभी दोस्ती में नहीं बदलती। धीरे-धीरे दुश्मनी इतनी बढ़ गई कि किशन रमन का चेहरा भी देखना पसंद नहीं करता था उसने सोच लिया कि वह अब रमन को इस गांव में रहने नहीं देगा उन्हें इस गांव से निकलवा कर ही  रहेगा। किशन ने सोचा अगर मैं झूठा नाटक करके रमन को इस गांव से निकाल दू  तो सब आसान हो जाएगा। किशन की बहन की शादी पर किशन ने रमन को बुलवा लिया और सब कुछ अच्छे से होकर सब को लगा कि अब यह दोनों दोबारा से दोस्त बन गए हैं पर  किशन ने घर पर रखे पैसों को खेत में जाकर गाड़ दिया और चोरी का इल्जाम रमन पर लगा दिया | पुलिस आई और रमन को पकड़ कर ले गई और रमन के परिवार को गांव वालों ने  उस गांव से ही निकाल दिया। जिसके बाद रमन के जीवन में कभी खुशियां नहीं आई कभी अच्छे दिन नहीं आए रमन भगवान से बस यही कहता कि मैंने क्या गुनाह कर दिया एक गुनहगार को बेगुनाह साबित करके क्या मैंने कोई बुरा काम किया है अगर मैंने कोई पुन्य किया है तो भगवान मुझे एक दि 1 दिन  यहां से जरूर ही निकालेगा। फिर एक दिन अचानक पुलिस को खबर मिली कि किसानों के खेत में कुछ चोरों ने अपना चुराया हुआ माल छुपा दिया है तो पुलिस वाले तुरंत ही किशन के खेत में गए और खुदाई करने लगे पुलिस वालों को चोरों का छुपाया हुआ माल तो नहीं मिला लेकिन किशन ने जो पैसे छुपा दिए थे जिनका इल्जाम चुराने का रमन के ऊपर आया था वह पैसे जब पुलिस को मिली तो पुलिस ने किशन को तुरंत ही थाने में बंद कर दिया और रमन को माफी देकर वहां से रिहा कर दिया। जिसके बाद रमन हमेशा के लिए चेहरे चला गया और कभी फिर उस गांव में वापस नहीं आया लेकिन इससे उन दोनों की दोस्ती जो टूट के दुश्मनी में बदल गई थी वह हमेशा के लिए दुश्मनी में ही बदल गई। वह दोनों फिर कभी भी दोस्त नहीं बन पाए। तो यह की कहानियां दो दोस्त की दोस्ती दुश्मनी में बदलने  की। धन्यवाद।

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