कहानी: "अनदेखा सच"
(एपिसोड 7: श्राप का अंतिम अध्याय)
पिछली कड़ी:
आर्या ने किले के अंदर पहली चुनौती का सामना किया। उसे एक छेद में से सांप की चेतावनी मिली, जिसने उसे यह एहसास कराया कि यह सफर आसान नहीं होने वाला। लेकिन आर्या खजाने का रहस्य सुलझाने के लिए दृढ़ थी।
अब आगे...
आर्या ने छेद के अंदर से चमकती चीज को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन सांप की मौजूदगी उसे डराने लगी। उसने अपनी टोर्च से सांप को दूर भगाने की कोशिश की। थोड़ी देर बाद, सांप पीछे हट गया, और उसने छेद से एक छोटी सुनहरी चाबी निकाली।
आर्या ने चाबी को दरवाजे के ताले में लगाया। जैसे ही दरवाजा खुला, एक तेज रोशनी बाहर निकली और एक गूंजती आवाज सुनाई दी:
"तुमने पहली चुनौती पार कर ली है। अब तुम्हें सच के सामने झुकना होगा।"
अगले कमरे में दीवार पर एक विशाल दर्पण था। दर्पण के पास एक शिलालेख पर लिखा था:
"तुम्हें अपने डर का सामना करना होगा। जो तुम देखोगी, वह तुम्हारा सत्य होगा।"
आर्या ने जैसे ही दर्पण में देखा, उसमें उसकी परछाई नहीं, बल्कि मंदिर की आत्माएं दिखाई दीं। उन आत्माओं ने कहा,
"हम इस श्राप का हिस्सा हैं। जब तक राजा का गायब खजाना नहीं मिलेगा, हमारी मुक्ति अधूरी है।"
दर्पण ने एक और रास्ता दिखाया। आर्या ने साहस जुटाकर उस रास्ते पर कदम रखा। यह एक गुप्त तहखाना था, जहां हर कदम पर अजीबो-गरीब आवाजें गूंज रही थीं।
तहखाने के बीच में एक बड़ा सा पत्थर का बक्सा रखा था। इस पर लिखा था:
"यह खजाना राजा की शक्ति और प्रजा की पीड़ा का प्रतीक है। इसे छूने से पहले सोचो, क्योंकि इसे लेने की कीमत चुकानी होगी।"
आर्या ने किताब में पढ़ा था कि यह खजाना केवल सही इरादों वाले व्यक्ति को स्वीकार करेगा। उसने बक्से के पास जाकर धीरे से उसे खोला। बक्से में सोने और जवाहरात के साथ एक पुराना राजदंड था।
जैसे ही उसने राजदंड उठाया, किले की दीवारें कांपने लगीं। आत्माओं की आवाज गूंजने लगी:
"तुमने हमें मुक्त कर दिया। अब हमारा श्राप समाप्त हो गया।"
चारों ओर प्रकाश फैल गया। राजा की कहानी, उसके धोखे और उसके श्राप की सच्चाई अब उजागर हो चुकी थी।
किले के बाहर, सुबह हो चुकी थी। बुढ़िया फिर से आर्या के सामने प्रकट हुई। उसने कहा,
"तुमने एक बहुत बड़ा काम किया है। अब इस सच्चाई को सबके सामने लाओ, ताकि ऐसी कहानियों को दोहराया न जाए।"
आर्या ने किताब और खजाने को सुरक्षित रखा। उसने एक लेखिका के तौर पर राजा की कहानी और श्रापित मंदिर की सच्चाई को उजागर किया। उसकी किताब ने लोगों का ध्यान खींचा और उसे सच्चाई के लिए सम्मान मिला।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। एक दिन, उसके पास एक रहस्यमय पत्र आया, जिसमें लिखा था:
"तुमने जो शुरू किया है, उसे खत्म करने के लिए तैयार रहो।"
श्रापित मंदिर का सच तो उजागर हो गया, लेकिन क्या यह सच में अंत था, या एक नई शुरुआत?
(कहानी समाप्त)
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