साया का शहर: मासूमियत का अपहरण और एक हीरो की वापसी (एपिसोड 1)

 

कहानी का नाम: "साया का शहर"
एपिसोड 1: अंधेरे में मासूमियत का शिकार

शहर के अंधेरे कोनों में, जहां रौशनी की एक किरण भी दुश्वार थी, वहाँ अपराध ने अपने पैर पसारे हुए थे। लोग इस शहर को 'साया का शहर' कहते थे, क्योंकि यहां अपराधी साया बनकर चलते थे, और पुलिस भी उनसे खौफ खाती थी।

यह कहानी शुरू होती है आठ साल की मासूम बच्ची सिम्मी से, जो एक छोटे से स्कूल की पढ़ाई के बाद शाम को अपने पिता के ढाबे पर मदद करती थी। सिम्मी का हंसता-खेलता चेहरा उसकी गरीबी को छुपा लेता था। लेकिन एक शाम, जब सिम्मी घर लौट रही थी, उसका अपहरण हो गया।

अगले दिन, शहर के हर चौराहे पर उसकी तस्वीरें लगी हुई थीं। "लापता: सिम्मी," और उसके नीचे लिखा था, "कृपया सूचना दें।"

इसी बीच, शहर में एक अनजान शख्स आया। नाम था अर्जुन। लंबा, गठीला शरीर, गहरी आंखें, और चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान। अर्जुन ने अपनी पहचान छुपा रखी थी। वह पुलिस का भूतपूर्व अधिकारी था, जिसे कुछ व्यक्तिगत कारणों से अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।

अर्जुन ने अखबार में सिम्मी के अपहरण की खबर देखी। कुछ तो था इस घटना में जिसने उसे चैन से बैठने नहीं दिया। उसने ठान लिया कि वह इस मासूम बच्ची को बचाकर रहेगा।

सिम्मी को शहर के बाहरी इलाके में एक बड़े गोदाम में रखा गया था। यह गोदाम एक खतरनाक गैंग, "ब्लैक शैडो", का अड्डा था। इस गैंग का सरगना था विक्रम, जो बच्चों को किडनैप करके उन्हें तस्करी के लिए बेचता था।

अर्जुन ने अपनी जांच शुरू की। उसने विक्रम के कुछ खास लोगों का पीछा किया और यह पता लगाया कि सिम्मी को उस गोदाम में रखा गया है।

अर्जुन अकेले ही गोदाम में घुस गया। वहाँ उसे विक्रम के आदमियों से लड़ना पड़ा। उसकी फुर्ती और ताकत देखकर दुश्मन हैरान रह गए। उसने एक-एक कर सबको धराशाई कर दिया। लेकिन तभी विक्रम ने सिम्मी को मारने की धमकी दी।

विक्रम: "अगर तुमने एक कदम और आगे बढ़ाया, तो यह बच्ची जिंदा नहीं बचेगी।"
अर्जुन ने ठंडे दिमाग से काम लिया। उसने विक्रम को बातों में उलझाया और एक तीर की तरह उस पर झपट पड़ा। थोड़ी देर की लड़ाई के बाद, अर्जुन ने विक्रम को बेहोश कर दिया और सिम्मी को सुरक्षित बाहर निकाल लाया

रास्ते में, सिम्मी ने अर्जुन से पूछा, "अंकल, क्या आप सुपरहीरो हो?" अर्जुन मुस्कुराया और बोला, "नहीं, बेटा। लेकिन अगर तुम चाहो, तो मैं बन सकता हूँ।"
सिम्मी ने फिर मासूमियत से पूछा, "तो आपकी केप कहाँ है?" अर्जुन ने हंसते हुए कहा, "शायद सूखी होने के लिए रखी होगी।"

अर्जुन ने सिम्मी को उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया। माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू थे। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

अगले दिन, अर्जुन को विक्रम के आदमियों से एक गुप्त संदेश मिला:
"यह तो सिर्फ शुरुआत थी। असली खेल अभी बाकी है।"

अर्जुन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "खेल तो अब शुरू होगा।"

शहर में अब एक नाम गूंज रहा था—अर्जुन, जो न केवल एक हीरो था, बल्कि साया के शहर का नया रक्षक बन गया था।

क्या अर्जुन विक्रम के गैंग को पूरी तरह खत्म कर पाएगा? क्या सिम्मी की कहानी यहीं खत्म होगी, या इसमें और ट्विस्ट बाकी हैं? जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड!

 एपिसोड - 2 

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