कश्मीर की पहाड़ियों में खोया हुआ प्यार: नीलम और नील की रोमांटिक कहानी
यह कहानी है नीलम के नीलम एक पहाड़ी इलाके में रहने वाली लड़की थी। वह कश्मीर में रहा करती थी। वह कभी पहाड़ी इलाकों से निकलकर कभी भी और शहरों में नहीं गई थी इसलिए उसे कश्मीर से अलग दूसरे शहरों की जानकारी नहीं थी। 1 दिन की बात है नीलम अपने घर की बालकनी में अपने बाल सुखा रही थी। तभी उसकी नजर एक ऐसे लड़के पर पड़ी जो मानो वह उस जगह आकर खो गया हो भटक गया हो और किसी को मदद के लिए ढूंढ रहा हो। उसने देखा दूर-दूर तक कोई भी नजर नहीं आ रहा था सर्दियों के दिन थे इसलिए सब अपने अपने घर में थे लेकिन वह लड़का तो सर्दी के मारे कांप रहा था तब नीलम ने सोचा मैं इसके पास जाकर देखती हूं अगर मैं कोई मदद कर सकती हूं तो करूंगी। ऐसा सोचकर नीलम अपने कमरे में से निकल कर नीचे गई। और उस लड़के से पूछा कि मैं तुम्हें बहुत देर से ऊपर से देख रही थी तुम बहुत परेशान लग रहे हो और ठंड से भी परेशान हो। क्या बात है यहां भटक गए हो। इस पर उस लड़के ने कहा मैं यहां अपने दोस्त से मिलने आया था उसके घर का पता जिस पर्चे पर लिखा था वह पर्चा भी मुझसे खो गया है और मेरे दोस्त का नंबर तो है मेरे पास पर इस टाइम उसका नंबर नहीं मिल रहा है अब मैं क्या करूं और कहा जाऊं। यहां से बाहर जाने के रास्ते भी सारे बंद है। इस पर लड़की ने कहा हां सर्दियों में यहां पर नेटवर्क भी नहीं आते और बाहर आने-जाने के रास्ते भी बंद कर दिए जाते हैं। ताकि किसी को किसी भी तरह का खतरा ना हो क्योंकि यहां पर सर्दियों में अक्सर बर्फ पड़ती रहती है और बर्फ से सब जगह एक जैसी ही दिखती है इसीलिए। नीलम की यह बात सुनकर वह लड़का और परेशान हो गया कि चलो कोई बात नहीं रास्ते बंद हो जाते हैं तो लेकिन नेटवर्क की प्रॉब्लम से तो मेरा काम ही बिगड़ जाएगा मेरी परेशानी बढ़ जाएगी। मैं अब अपने दोस्त से कैसे बात कर पाऊंगा कैसे बता पाऊंगा कि मैं यहां पर फंसा हुआ हूं और मुझे उसकी जरूरत है। इस पर नीलम ने कहा पहले आप अपने आप पर ध्यान दो आप ठंड से किस तरह कांप रहे हो कृपया कर आप मेरे घर के अंदर आओ और यह कपड़े बदल दो क्योंकि यह बर्फ के कपड़े हो गए हैं और जल्द ही यह गीले भी हो जाएंगे इसलिए कपड़े बदलो और कुछ देर आराम करो फिर सोचो कि क्या करना है। नीलम के मुंह से ऐसी बात सुनकर लड़का घबरा सा गया और पूछने लगा कि क्यों तुम क्या घर में अकेली रहती हो।यहां पर कोई नहीं रहता तो नीलम ने कहा नहीं मेरे एक बूढ़े बाबा और में ही रहते हैं और बूढ़े बाबा भी अभी इलाज के लिए दूसरे शहर में मेरे मामा के घर गए हुए हैं क्योंकि यहां पर सर्दियों में उन्हें बहुत परेशानी होती है तो इस वक्त में अकेली ही हूं। नीलम ने कहा अब तुम सोचना समझना बंद करो और जल्दी अंदर आकर कपड़े बदल लो वरना बीमार पड़ जाओगे। नीलम के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर उस लड़के को कुछ अपनापन सा लगा और वह बिना कुछ सोचे समझे नीलम के साथ चला गया और कपड़े बदल लिए। फिर नीलम ने कहा मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं तुम इतने आग के पास बैठ जाओ इससे तुम्हें गरमाई मिलेगी और अच्छा भी महसूस होगा। कुछ देर बाद नीलम रसोई में से दो कप चाय लेकर आई और उस लड़के के पास आकर बैठ गई और कहने लगी तुम भूखे भी होगे रुको मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को भी लाती हूं। इस पर उस लड़के ने कहा नहीं मुझे भूख नहीं है मैं कुछ नहीं खाऊंगा। नीलम ने कहा नहीं तुम शरमा रहे हो इसलिए ऐसा कह रहे हो लेकिन तुम्हारे को भूख लग रही है तुम्हारा चेहरा बता रहा है। नीलम ने कहा देखो शरमाओ मत हमारे यहां पहाड़ी इलाकों में मेहमान को भी बिल्कुल अपने घर के परिवार के सदस्य की तरह ही माना जाता है इज्जत दी जाती है तो तुम भी यही सोचो कि तुम भी इसी परिवार का एक कोई हिस्सा हो इससे तुम्हें शर्म नहीं आएगी। फिर नीलम ने कहा अरे मैं तो बातों बातों में भूल ही गई मैंने तुम्हारा नाम तो पूछा ही नहीं वैसे तुम्हारा नाम क्या है। नीलम के मुंह से ऐसी बात सुनकर उस लड़के को हंसी आ गई और कहने लगा अच्छा तो तुम्हें याद आ ही गया कि मुझसे मेरा नाम भी पूछना है मुझे तो लगा कि बिना नाम बताए ही काम चल जाएगा। नीलम ने कहा मेरा मजाक मत बनाओ मैं तुम्हारी चिंता में तुम्हारा नाम पूछना भूल गई थी इसमें गलत क्या है। इस पर उस लड़के ने कहा ठीक है तुम बुरा मत मानो मैं तुम्हारा मजाक नहीं बनाऊंगा। वैसे मेरा नाम नील है। अजीब इत्तेफाक है ना तुम्हारा नाम नीलम और मेरा नाम नील बहुत मिलते-जुलते नाम है हम दोनों के। इस पर नीलम ने कहा हां यह तो है।नील ने पूछा कि क्या तुम ने शादी नहीं की। क्योंकि यहां इस तरह से सुनसान इलाके में अकेले रहना क्या खतरे से खाली लगता है तुम्हें। इस पर नीलम ने कहा नहीं मैं करना तो चाहती हूं शादी लेकिन कर नहीं पाऊंगी नील ने कहा ऐसा क्यों तुम क्यों नहीं कर पाओगी। इस पर नीलम ने कहा क्योंकि अब हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि बाबा मेरी शादी कर सके।हमारे पास जितने भी पैसे थे वह सब तो बाबा की दवाइयों में इलाज में खर्च हो गए। और अब बाबा कुछ कामकाज भी नहीं करते हैं जो कुछ पैसे हैं हमारे पास उन्ही से ही घर चल रहा है तो बताओ मैं भला शादी का सोच भी कैसे सकती हूं। इस पर निल ने कहा यह तो बहुत दुख की बात है लेकिन ऐसा किसने कहा कि पैसे बिना शादी नहीं हो सकती। नीलम ने कहा यह दुनिया हर चीज पैसों से ही देती है। अगर पैसा नहीं तो कुछ भी नहीं। इस पर नील ने कहा कि यह तो तुम सही कह रही हो लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें पैसा नहीं सिर्फ अच्छी नेक और सच्ची लड़की की ही जरूरत होती है। इस पर नीलम ने कहा होते होंगे ऐसे लोग दुनिया में लेकिन मैंने कभी ऐसे लोग नहीं देखे हैं वरना शादी नहीं हो जाती। नील ने कहा अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुमसे एक बात कहूं। जैसे तुमने मेरी एक अजनबी होते हुए भी मेरी इतनी मदद की मेरी इतनी केयर कि ऐसा मेरे लिए तो मेरा कोई सगा भी ऐसा कभी नहीं कर सकता मुझे तुम्हारा यह व्यवहार बहुत पसंद आया है और सच कहूं तो मुझे तुम्हारे साथ अपनापन सा लगने लगा है क्या तुम मुझसे शादी कर सकती हो। ऐसा सुनकर नीलम घबरा गई तब नील ने कहा देखो घबराओ मत मैं तुम्हें कुछ दिन का टाइम दे दूंगा तुम सोच लो समझ लो अगर तुम्हें ठीक लगे तो ठीक है हम शादी कर लेंगे वरना मैं हमेशा के लिए यहां से चला जाऊंगा और कभी तुम्हारे सामने भी नहीं आऊंगा। नीलम ने कहा अगर मैं सोचकर तुमसे कह भी तू हां मुझे शादी करनी है तो मेरे बाबा का कौन ध्यान रखेगा मेरे बाबा के पास कौन रहेगा। इस पर निल ने कहा देखो घबराओ मत जब तक तुम्हारे बाबा है जब तक मैं तुम्हारे साथ यही रहूंगा कहीं नहीं जाऊंगा तुम्हें छोड़कर। तुम मेरा विश्वास करो मैं उन लड़कों में से नहीं हूं जो लड़कियों को धोखा देकर उनसे शादी करके चले जाते हैं और कभी वापस नहीं आते मैं सच में तुमसे शादी करना चाहता हूं।नीलम ने कहा ठीक है एक बार बाबा से भी बात कर लूं अगर बाबा हां कह दे तब मैं शादी कर लूंगी तुमसे। इस पर निल ने कहा फिर तो हमें कुछ दिन का इंतजार ही करना पड़ेगा क्योंकि अगर फोन पर भी बात करनी है तो यहां पर नेटवर्क ही नहीं आते लेकिन नीलम ने कहा लेकिन हम बाबा को चिट्ठी लिखकर भी तो बता सकते हैं यहां पर डाकिया की व्यवस्था रहती है और बहुत ही अच्छी व्यवस्था है। नील ने कहा ठीक है तो तुम मेरा एक फोटो और मेरे बारे में जो मैं बताऊं वह सब खत में लिख दो और बाबा को भेज दो और अपनी इच्छा भी लिख देना अगर बाबा हां करेंगे तभी मैं शादी करूंगा नहीं तो नहीं करूंगा। नीलम ने ऐसा ही करा और खत अपने मामा के घर बाबा के लिए भेज दिया लेकिन वहां से बाबा का जवाब आया ठीक है बेटा तुम शादी कर लो अब मैं बेफिक्र हो गया वैसे भी तुम्हारे मामा कह रहे हैं अब मैं सफर करने लायक नहीं रहा मुझे अब तुम्हारे मामा के घर ही रहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हारी चिंता सता रही थी लेकिन अब तुम अकेली नहीं हो।इस बात कि मैं तसल्ली करता हूं तुम शादी कर लो मैं तुम्हें यहीं से ही आशीर्वाद दे दूंगा तुम सदा खुश रहो। यह जवाब सुनकर नील तो खुशी से उछल ही पड़ा और नीलम भी खुश थी। फिर नील ने कहा ठीक है अगर तुम्हारे माता-पिता नहीं है तो मेरे माता-पिता भी नहीं आएंगे हम दोनों ही शादी करेंगे। वैसे भी मेरे माता-पिता मेरे सौतेले माता पिता है मेरा ज्यादा खास ख्याल नहीं रखते मैं क्या करता हूं कब करता हूं क्यों करता हूं इन सब से उन्हें कोई मतलब ही नहीं है। हम यही शादी करेंगे और यही खुशी खुशी अपनी एक छोटी सी दुनिया बसाएंगे। नीलम ने कहा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी। फिर कुछ दिन बाद नीलम के मामा के घर से फिर एक चिट्ठी आई उसमें शादी का दिन मुहूर्त सब कुछ लिखा हुआ था और पंडित जी का नंबर भी था कि जैसे ही मौसम ठीक हो जाए तुम फोन करके इन्हें बुला लेना यह तुम्हारी शादी करवा देंगे। सब कुछ ठीक चल रहा था नील और नीलम भी खुशी-खुशी एक दूसरे के साथ रह रहे थे लेकिन एक दिन नीलम जब अपनी छत पर कपड़े सुखाने गई तब अचानक से नीलम का पैर जीने की सीढ़ियों पर से फिसल गया और नीलम गिरती हुई नीचे जमीन पर आ गिरी उस वक्त नील अपने कमरे में था जैसे ही नील ने आवाज सुनी वह नीलम के पास आया और देखते ही नीलम को घबरा गया। फिर उसने जल्दी-जल्दी पास के हॉस्पिटल में ले जाकर नीलम को भर्ती करा दिया वहां जाकर पता चला कि नीलम को कुछ महीने हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा क्योंकि उसका टांग फैक्चर हो गया है।नील घबरा गया कि अब उन दोनों की शादी कैसी होगी कुछ दिन बाद ही तो शादी का दिन और मुहूर्त सब कुछ आने वाला है। फिर नील ने सोचा कोई बात नहीं वैसे भी हम दोनों के साथ में कौन सा कोई है शादी में शामिल होने के लिए तो बिना पंडित के भी हम शादी कर लेंगे। जब नीलम ठीक हो जाएगी तब दूसरा मुहूर्त देखकर पंडित के सामने शादी कर लेंगे। कुछ दिनों बाद नीलम और निल की शादी का शुभ मुहूर्त दिन आ गया तब नील ने तय समय पर नीलम की मांग में सिंदूर भर दिया और उसे मंगलसूत्र पहना दिया तब से ही वह दोनों एक दूसरे को पत्नी पति मानने लगे। फिर कुछ दिनों बाद जब नीलम बिल्कुल ठीक होकर अस्पताल से घर वापस आ गई तब नीलम ने दोबारा मामा को चिट्ठी लिखी और दोबारा से शादी का दिन मुहूर्त और पंडित जी का नंबर चिट्ठी में लिख कर आया और तब दोबारा उन दोनों ने तय समय दिन पर पंडित जी के सामने शादी की और मामा जी को खत लिखा कि अब हमने अपनी शादी कर ली है अब हम बहुत खुश हैं। बस आप जल्दी से अपना आशीर्वाद दे दो तब वहां से एक चिट्ठी आई जिस पर दोनों का आशीर्वाद और ढेर सारी अच्छी दुआएं लिखी हुई थी। जिसको पढ़ कर वह दोनों और भी ज्यादा खुश हो गए और खुशी-खुशी अपना जीवन बिताने लगे। तो यह थी हमारी कहानी "कश्मीर की पहाड़ियों में खोया हुआ प्यार: नीलम और नील की रोमांटिक कहानी। "
धन्यवाद।
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