हमारा डर ही हमारे दुश्मनों को हिम्मत देता है। hamara dar hi hamare dushmanon ko himmat deta hai

 हमारा डर ही हमारे दुश्मनों को हिम्मत देता है।

एक सुनसान रोड पर एक मासूम लड़की जिसका नाम दृष्टि था वह बेसुध होकर भागी ही जा रही थी। और उसके पीछे चार-पांच लड़के भी दौड़े जा रहे थे। और वह उन्हीं लड़कों से अपना पीछा छुड़ाने के लिए इस कदर भाग रही थी कि उसे अपने कपड़ों का भी होश नहीं था। 
लेकिन वह लड़के उसके पीछे क्यों भाग रहे थे क्या राज था। दरअसल हुआ कुछ यूं था कि दृष्टि एक बहुत ही बड़े घराने की लड़की थी और वह अपने पिता के पैसों पर भी कभी-कभी एक कर लिया करती थी। और उसका एक प्रेमी भी था जिसका नाम वीर था। वीर और दृष्टि 2 साल से एक दूसरे को जानते थे और इसीलिए हम दोनों में काफी गहरा प्यार भी था। लेकिन वह कभी एक दूसरे से खुलेआम नहीं मिलते थे हमेशा चुप कर ही मिलते थे।
 और वह इसीलिए कभी-कभी गर्ल्स बार में भी जाया करती थी। जहां उसकी मौज मस्ती भी हो जाती थी और वहां अपने वीर को बुलाकर उससे मुलाकात भी कर लिया करती थी। 1 दिन हुआ कुछ यूं था कि जब दृष्टि गर्ल्स बार में अपनी सहेलियों के साथ मौज मस्ती कर रही थी। तब अचानक उसके फोन पर वीर का फोन आया और दृष्टि  ने अकेले में जाकर वीर से बात करी तो वीर ने कहा कि उसका दृष्टि से मिलने का बहुत मन हो रहा है इसलिए वह गर्ल्स बार में उससे मिलने के लिए आ रहा है।
 गर्ल्स बार यह सिर्फ बार का एक नाम था जिससे लड़के बार में ज्यादा संख्या में आए। क्योंकि उस बार में लड़के और लड़कियां दोनों ही जाते थे। साथ में मौज मस्ती करा करते थे। इसीलिए दृष्टि ने तुरंत वीर को बार में ही बुलवा लिया। कुछ देर बाद वीर भी वहां पर आ गया दृष्टि की सहेलियों को वीर और दृष्टि के बारे में पता था इसलिए वह उन दोनों को अकेला छोड़ कर दूसरी जगह चली गई। और वहां अपनी मौज मस्ती करने लगी। फिर अबीर ने दृष्टि से कहा आज मैं बहुत परेशान हूं।
 तब रस्टी ने पूछा क्या बात है तुम परेशान हो ऐसी क्या बात हो गई। तब वीर ने कहा जब मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा था तब रास्ते में कुछ गुंडों ने एक आदमी का कत्ल कर दिया और मैंने उन गुंडों का ऐसा करते देख लिया और उन्होंने मुझे देख लिया अब वह मुझे भी नहीं छोड़ेंगे। क्योंकि वह नहीं चाहेंगे कि कोई भी ऐसा गवा उनके खिलाफ बच सके जो उन्हें फांसी के फंदे तक पहुंचा सके। इसलिए मुझे डर लग रहा है कि मैं अपने आप को कैसे सुरक्षित रखूं इस पर दृष्टि ने कहा बहुत आसान है तुम पुलिस स्टेशन मेरे साथ में चलो और वहां पर उन कुंडों का चेहरा बनवा दो पुलिस उन गुंडों को ढूंढ कर लॉकअप में डाल देगी और जब तक तुम पुलिस की निगरानी में ही रहना जब तक वह गुंडे पकड़ नहीं लिए जाते।
 वीर ने कहा हां यह बात तो बहुत अच्छी सोची तुमने में परेशान था इसलिए यह बात मेरे दिमाग में तो आई  नहीं अब मैं ऐसा ही करता हूं। फिर दृष्टि और वीर दोनों बार से बाहर चले गए और पुलिस स्टेशन के लिए टैक्सी कर ली। दोनों टैक्सी करके पुलिस स्टेशन जा ही रहे थे कि रास्ते में ही टैक्सी का टायर पंचर हो गया। तब उन्हें वही उतारना पड़ा लेकिन वहां से अब पुलिस स्टेशन ज्यादा दूर नहीं था। 
इसलिए दोनों ने सोचा पैदल ही निकल जाते हैं। लेकिन उन्हें क्या पता था वह पुलिस स्टेशन पहुंच ही नहीं पाएंगे और रास्ते में फिर से परेशानी आ जाएगी। हुआ कुछ यूं कि वीर और दृष्टि जैसे ही पुलिस स्टेशन से बस थोड़ी ही दूर थे तभी दोबारा से वह गुंडे वीर को दिख गए वीर उन गुंडों को देखकर भागने लगा तभी गुंडों ने वीर से रुकने के लिए कहा उन्होंने कहा अगर वह नहीं रुका तो उसे जान से ही मार देंगे और साथ में उस लड़की को भी। उसे दृष्टि के खातिर रुकना पड़ गया।
 जब वह रुक गया तब गुंडे उसकी तरफ आ गए और कहने लगे तूने क्या सोचा था तूने हमें कत्ल करते देख लिया है तो तू आसानी से बच जाएगा तू हमसे भाग कर आ गया तो क्या तूने हम से पीछा छुड़ा लिया हमने अपना एक आदमी तेरे पीछे छोड़ रखा था जो तेरे पीछे-पीछे बार तक गया और तुझ पर निगाह रखी और तुम दोनों की सारी बातें भी सुनि जब पता चला कि तुम दोनों पुलिस स्टेशन जा रहे हो तभी हमने प्लान बनाया कि इन्हें पुलिस स्टेशन जाने ही नहीं देंगे और रास्ते में ही उन्हें मार देंगे। ऐसा सुनकर दृष्टि और वीर घबरा गए। 
तब दृष्टि में चारों तरफ देखा तो जिधर वह खड़े थे उस से दो कदम की दूरी पर ही मिट्टी थी क्योंकि वह रोड के किनारे पर खड़े थे और रोड के किनारे पर कच्ची मिट्टी होती ही है जिसमें पेड़ लगे होते हैं। तब दृष्टि चक्कर आने का बहाना करके कच्ची मिट्टी के ऊपर गिर गई और अपने दोनों हाथों में मिट्टी भर ली जैसे ही वह गुंडे दृष्टि को उठाने के लिए झुके तब दृष्टीने वह मिट्टी उन गुंडों की आंखों में डाल दी और तब मौका मिलते ही वीर और दृष्टि वहां से भाग गए।
 लेकिन उनमें से दो गुंडों की आंखों में ज्यादा मिट्टी नहीं गई थी तो इसलिए वह थोड़ी देर से ही सही लेकिन अपनी आंखें ठीक होते ही उन दोनों के पीछे भाग गए। तब उन्होंने आगे जाकर देखा कि अब तो यह आगे चलकर सिर्फ एक सीधी रोड ही जाती है कोई और रास्ता नहीं है तो निश्चित ही वह दोनों इसी रोड पर गए होंगे। तो हमारे लिए उन्हें ढूंढना और भी आसान है। तब उन्होंने सोचा अगर बाइक वगैरह मंगवाई तो बहुत टाइम हो जाएगा तो हमें अब पैदल ही दौड़ कर ही उन दोनों का पीछा करना है अगर वह दोनों बच के निकल गए तो हम मर जाएंगे पुलिस हमें पकड़कर फांसी दिलवाएगी। 
और हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। इसलिए हमें पैदल ही उनका पीछा करना पड़ेगा और उन्हें जान से मारना पड़ेगा। फिर वे दोनों गुंडे बिना एक पल की देरी किए तेजी के साथ उन दोनों को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े। उधर दौड़ते दौड़ते वीर का पैर मुड़ गया था तब दृष्टि ने उसे रोड के किनारे बैठा रखा था और यह सोच रखा था कि अब तो बहुत देर हो गई है वह गुंडे अब भटक गए होंगे अब हमें नहीं ढूंढ पाएंगे लेकिन हमें फिर भी सतर्क रहना चाहिए तो मैं ऐसा करती हूं पुलिस को बता देती हूं कि हम लोग यहां पर हैं और हम फंसे हुए हैं हमें मदद की जरूरत है और वैसे भी तुम अब चल नहीं पा रहे हो तो पुलिस आएगी तो वह तुम्हें तुम्हारे घर तक पहुंचा देगी और फिर वह मुझे मेरे घर छोड़ आएगी। और हम दोनों सुरक्षित अपने अपने घर पहुंच जाएंगे।
 ऐसा  सोचकर दृष्टि ने पुलिस को फोन करा और अपनी परेशानी और जहां पर वह फंसे हुए थे वह जगह बताइ। तब पुलिस ने कहा ठीक है हम आधे घंटे में वहां पहुंचते हैं। लेकिन उन्हें क्या पता था कि पुलिस से पहले वह गुंडे वहां पहुंच जाएंगे। सच ही कहा है किसी ने परेशानी से भागने से कोई हल नहीं मिलता परेशानी का सामना करने से परेशानी का हल भी मिलता है और परेशानी जड़ से खत्म भी होती है। लेकिन उन गुंडों के पहुंचने से पहले दृष्टि ने वीर को रोड के किनारे लगे पेड़ों के बीच में छुपा दिया। 
कि अगर कोई परेशानी आए तो फिर सुरक्षित रहे। और खुद खड़े होकर पुलिस का इंतजार करने लगी। दृष्टि को 15 मिनट रोड पर खड़े हुए हो चुके थे और पुलिस को आने में अभी भी 15 मिनट बाकी थे लेकिन फिर 5 मिनट के बाद। उन गुंडों ने दृष्टि को देख लिया। तब  उन्होंने एक दूसरे से कहा पहले लड़की को पकड़ते हैं इस लड़की को पकड़ लिया तो लड़का भी अपने आप पास में आ जाएगा फिर दोनों को जान से मार देंगे।  जैसे ही वे गुंडे दृष्टि के करीब पहुंचने वाले थे दृष्टि ने भागना शुरू कर दिया।
 तब द्रष्टि ने भागने में ही समझदारी समझी क्योंकि वह सोचने लगी कि अगर मैंने इन पर कोई भी हमला किया तब यह गैरकानूनी होगा और पुलिस इन्हीं का ही साथ देगी क्योंकि यह कह देंगे कि इसने पहले हम पर हमला किया था इसीलिए हम इसका पीछा कर रहे थे और इनके साथ साथ में भी जेल जाऊंगी और मैं ऐसा नहीं चाहती। और वे वीर की तरफ से बेफिक्र थी। क्योंकि सिर्फ उसे पता था कि वह कहां पर है गुंडों को बिल्कुल पता नहीं था कि वीर कहां है। गुंडे भी दृष्टि के पीछे बहुत तेज तेज भाग रहे थे इसलिए दृष्टि भी अपनी जान बचाने के लिए बेसुध होकर सुनसान रोड पर दौड़ी जा रही थी। उसे अपने कपड़े तक का होश नहीं था।
 इसी बीच दृष्टि का फोन बजा।उसने देखा तो पुलिस की कॉल थी। पुलिस की कॉल देखकर दृष्टि ने तुरंत फोन उठा लिया और उसने कहा। तुम कहां हो मैं यहां पर परेशानी में है तब पुलिस ने कहा आपकी बताइ जगह पर हम पहुंच गए लेकिन वहां पर तो कोई भी नहीं है तब दृष्टि ने कहा कि वहां पर आप पेड़ों के बीच देखिए एक लड़का होगा उसके पैर में चोट लगी है आप उसे अपनी निगरानी में ले लीजिए और उसी रोड पर सीधे आ जाइए कुछ मुंडे मेरे पीछे पड़े हैं और और मैं दौड़ी जा रही हूं। इस पर पुलिस ने कहा ठीक है हम तुरंत आते हैं। 
दृष्टि ने सोचा ऐसे अगर भागम भाग चलती रहेगी तब पुलिस और पीछे रहती जाएगी और गुंडों को नहीं पकड़ पाएगी इसलिए वह एक दम से पेड़ों के बीच जाकर छुप गई गुंडों ने जब दृष्टि को रोड पर नहीं देखा तब से वहीं रुक गए और दृष्टि को आस-पास ही ढूंढने लगे। गुंडों ने दृष्टि को ढूंढ लिया और दृष्टि के पास जाने लगे जैसे ही गुंडे दृष्टि के पास आए फिर से दृष्टि ने उनकी आंखों में मिट्टी डाल दी अब कैसे उन दोनों की आंखों में ज्यादा मिट्टी चली गई थी इसलिए वह। कुछ देख नहीं पा रहे थे और दृष्टि फिर रोड के उल्टी तरफ दौड़ी आ रही थी।
 कुछ देर दौड़ने के बाद दृष्टि को  रास्ते में पुलिस में गई। तब दृष्टि का थोड़ा डर दूर हुआ और वह वहीं रुक गई और फिर पुलिस से कहने लगी कि वह गुंडे पीछे उस जगह पर मिलेंगे आपको मैंने उनकी आंखों में मिट्टी डाल दी थी जिससे उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा होगा। इसलिए वह अभी भी वही होंगे। पुलिस बिना देर किए वहां जाने लगी और औरत पुलिस ने दृष्टि को अपनी निगरानी में ले लिया और फिर दृष्टि ने पूछा कि वीर कहां है तब पुलिस ने कहा अच्छा उस लड़के का नाम वीर है वह हमारी निगरानी में हमारे पुलिस स्टेशन में है। आप हमारे साथ वही  चलिए और उन गुंडों की रिपोर्ट लिखवाईए तब हम उन्हें पकड़ कर जेल में डाल पाएंगे और आप को सुरक्षित घर पहुंचा देंगे। पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद वीर और दृष्टि ने मिलकर उन गुंडों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई।
 कुछ देर में पुलिस भी उन गुंडों को लेकर आ गई। तब उन दोनों ने कहा हां यही थे और इनके साथ में कुछ गुंडे और थे। पुलिस ने कहा वह तो हम पता लगा लेंगे लेकिन अब आपका काम खत्म हुआ तो आप अब अपने घर जा सकते हैं। और फिर पुलिस अपने काम में लग गई। उन गुंडों को जेल में डाल दिया और उनसे पूछताछ करने लगी। इधर दृष्टि और वीर भी अपने घर आ गए। 
और वीर ने दृष्टि से कहा कि अगर आज तुम इतनी हिम्मत ना दिखाती तो शायद हम जिंदा नहीं होते क्योंकि मैं लड़का होकर भी उन गुंडों से डरता रहा भागता रहा और  तुमने लड़की होकर भी मुझे सुरक्षित रखा और अपनी हिम्मत और सूझबूझ से उन गुंडों को  पुलिस के हाथ पकड़वा भी दिया। सच में हमारे डर से ही हमारे दुश्मनों को हिम्मत मिलती है और हमारी हिम्मत से ही दुश्मनों को डर लगता है। तो यह थी कहानी। हमारा डर ही हमारे दुश्मनों को हिम्मत देता है।
 धन्यवाद।

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