यह कहानी है एक ऐसे चोर की जिसका कोई ठिकाना नहीं था। वह कभी शहर में कभी गांव में कभी कस्बों में रह रह कर अपने दिन बिताता था वह रात कहीं दिन कहीं ऐसे रहता था। उस चोर का नाम था मंगल। मंगल एक बहुत ही खूंखार और जालिम चोर था अगर वह चोरी करने निकलता और उसे रोकने के लिए कोई भी सामने आता तो उसे जान से मार दिया करता था बिना सोचे कि वह भी इंसान है बिना यह सोचे कि वह भी किसी का रिश्तेदार पिता या पति है उसके लिए रिश्ते इंसानियत यह सब कोई मायने नहीं रखते थे। वह ज्यादातर बैंकों में और सुनारों की दुकानों में चोरी करता था ताकि वह अच्छा खासा धन चुरा सके। अगर कोई भी उस मंगल चोर के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाता था और पुलिस उसे पकड़ने के लिए जाती थी और उसे पकड़ लिया करती थी तो वह पुलिस को इतने पैसे दे दिया करता था कि पुलिस फिर दोबारा उसके की आपराधिक के लिए उसे दंडित करने के लिए उसे नहीं ढूंढती थी वह उस केस को रफा-दफा कर दिया करती थी। धीरे-धीरे करके लोगों का भरोसा टूटता ही जा रहा था।कि पुलिस भी हमारा कोई साथ देगी क्योंकि जब भी मंगल पकड़ में आता पुलिस पैसों के लालच में आकर उसे हमेशा छोड़ देती है यह नहीं सोचती कि वह चोरी तो अलग करता है और कितनों के घर भी बर्बाद कर देता है। किसी की शादी में जाकर दुल्हन के जेवर लूट लाता। तो किसी के घर में घुस कर रखा धन लूट लाता और अगर कोई बीच में उसे रोकने आता तो मैं उसे भी जान से मार देता। मंगल के अंदर बिल्कुल इंसानियत ही नहीं थी धीरे-धीरे करके वह लड़कियों को भी लड़कियां नहीं समझ रहा था वह लड़कियों को भी सिर्फ खेलने की वस्तु समझता था जिसमें मन आया उसी को उठवा लिया और मनमर्जी करी और फिर रास्ते पर छोड़ दिया। मंगल चोर की वजह से ना जाने कितनी ही लड़कियों की जिंदगी बर्बाद हो रही थी। मंगल जहां से भी गुजरता हुआ जाता वहां सिर्फ शोक की लहर दौड़ जाती खुशी का तो नामोनिशान ही नहीं मिलता था। धीरे-धीरे करके लोग मंगल से इतना डर गए कि मंगल के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज ही नहीं कराता था शिकायत दर्ज करा कर भी क्या फायदा मंगल को तो पुलिस पकड़ती ही नहीं थी। अब तो लोग सिर्फ भगवान से ही आस लगाए बैठे थे कि भगवान अब तू ही कोई चमत्कार कर और हमारा इससे पीछा छुड़ा। लोगों की आंसुओं भरी दुआ रंग लाई कुछ दिनों बाद खबर मिली कि अब वहां के थानेदार बदले जाएंगे जहां पर मंगल ज्यादा ही लूटपाट करता है। क्योंकि पुराने थानेदारों को तो मंगल ने खरीद रखा है वह पैसों के लालच में मंगल को पकड़ते ही नहीं। इसीलिए लोगों का भरोसा पुलिस उसे उठ गया है और अब वह मंगल के खिलाफ कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराते। क्या पुलिस इतनी निकम्मी हो गई है कि बेसहारा लोगों की मदद भी नहीं कर पाए। यह पुलिस के लिए बहुत शर्म की बात है कि लोग इतने परेशान हैं और पुलिस कुछ नहीं करती बल्कि उनकी परेशानी में से अपना फायदा ढूंढती है। वक्त आने पर उन सारी जगह के थानेदार बदल दिए गए जहां पर मंगल ज्यादा लूटपाट करता था मंगल जिस जगह पर सबसे ज्यादा लूटपाट करता था वहां का थानेदार बहुत ही गुस्सा खाए बैठा हुआ था मंगल से वह सिर्फ मौके की तलाश में था कि बस उसे एक मौका मिल जाए तो वह मंगल से सारा हिसाब किताब बराबर कर ले। उस थानेदार का नाम अर्जुन था। अर्जुन को बचपन में जब वह करीब 10 साल का था तब मंगल ने उसे अनाथ कर दिया था मंगल दरअसल अर्जुन के घर में चोरी करने के इरादे से ही गया था लेकिन जब घर वालों को पता पड़ी तो अर्जुन के माता पिता ने उसे रोकने की कोशिश करी।मंगल ने अपनी आदत के अनुसार अर्जुन के माता-पिता को मार दिया और अर्जुन को अनाथ बना दिया था तब से ही अर्जुन ने कसम खाई थी कि मैं अपने माता-पिता के खूनी को नहीं छोडूंगा उसे भी उसी तरह मारूंगा जैसे उसने मेरे माता-पिता को मारा है। अर्जुन के माता पिता के मरने के बाद अर्जुन के चाची चाचा ने ही अर्जुन को पाला पोसा बड़ा किया। और पुलिस की ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जिसके बाद अर्जुन एक पुलिस अधिकारी बन गया था और वहां के थाने में पहुंच गया जहां मंगल सबसे ज्यादा चोरी डकैती करता था। जब अर्जुन को पता चला कि मंगल इसी एरिया में सबसे ज्यादा चोरी डकैती करता है तो अर्जुन की पुरानी यादें ताजा हो गई और अर्जुन ने मंगल का पीछा करना शुरू कर दिया। अर्जुन मंगल को रंगे हाथ सबूतों के साथ पकड़ना चाहता था ताकि अर्जुन के पास मंगल को छोड़ने के लिए कोई मजबूरी ना बचे। और अर्जुन अपना बदला पूरा कर सकें। जल्दी अर्जुन का इंतजार खत्म हुआ अर्जुन को पता चला है कि वह किसी सुनार की दुकान में रात के 10:00 से 12:00 के बीच में चोरी करने वाला है। तो अर्जुन ने सुनार की दुकान में कैमरा लगवा दिए ताकि मंगल की वीडियो रिकॉर्ड हो सके और दुकान बाहर से बंद करवा कर अंदर अपने दो सिपाही बैठा दिए ताकि मंगल को पकड़ने में आसानी हो वह इतनी आड़ में बैठे थे कि कोई उन्हें देख नहीं सकता था लेकिन वह दोनों सिपाही मंगल को देख सकते थे। जैसे ही मंगल सुनार की दुकान में चोरी करने के लिए घुसा वैसे ही कैमरे में उसकी वीडियो रिकॉर्ड होनी शुरू हो गई जैसे ही मंगल सोने चांदी के जेवरात अपने बैग में डालने लगा और जाने लगा वैसे ही दोनों सिपाही निकले और उसे रंगे हाथ पकड़ लिया और फिर अर्जुन आया और उसे पकड़ कर थाने में ले गया मंगल ने सोचा यह कौन सी बड़ी बात है किसी ने शिकायत करती होगी तो पुलिस को तो अपना काम करना ही है वह चुपचाप बिना कुछ कहे थाने में चला गया और फिर उसने वही चाल दिखाइ जो वह और पुलिस वालों के साथ दिखाता था मतलब मंगल अर्जुन को पैसे का लालच देने लगा। पर अर्जुन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। अर्जुन ने कहा मेरा इतने से काम नहीं चलेगा तुम्हारे पास जो कुछ भी है मुझे वह सब दो। पर मंगल ने कहा मैं इतना ही दूंगा लेना है तो लो वरना मैं यहां से आसानी से जा सकता हूं। तब अर्जुन ने मंगल के पास से सारे जेवरात ले लिए और मंगल को थाने में बंद कर दिया और अपने कर्मचारियों से कहा कि आज रात ठीक 2:00 बजे मंगल के घर में जाओ और चोरी-छिपे जाकर जितना भी रुपया पैसा जेवरात मिले सब लेकर आना। किसी को पता नहीं चलना चाहिए यह काम किसने किया है फिर मैं वह सब कुछ गरीबों में बांट दूंगा जिनसे इसने वह सब कुछ छीना है। कर्मचारियों ने आर्डर मिलते ही वैसा ही किया जैसे अर्जुन ने कहा था फिर अर्जुन ने वह सब रुपया पैसा गरीबों में बांट दिया। कुछ दिन बाद मंगल के साथियों को पता चला कि इतनी बड़ी चोरी हो गई है उनके घर में तो उन्होंने पुलिस के पास जाकर रिपोर्ट लिखवाई लेकिन उससे कुछ भी नहीं हुआ ना वह धन मिला ना वह जेवरात और अखबार में यह और छप गया कि मंगल चोर के घर में भी चोरी हो गई। अर्जुन ने मंगल के खिलाफ सबूत रूम में शुरू कर दिए। अर्जुन ने वह सारी f.i.r. शिकायत इकट्ठे करी जो लोगों ने मंगल की शिकायत में लिखवाई थी। और वह वीडियो कैसेट भी अपने पास ही रख ली जिसमें मंगल चोर साफ-साफ सुनार की दुकान में चोरी करता हुआ दिखाई दे रहा था। और अर्जुन ने वह सारे सबूत कोर्ट में जज के सामने रख दिए। उसके बाद जज ने मंगल चोर को फांसी की सजा सुना दी और कुछ दिन बाद मंगल को फांसी हो गई। तब जाकर के अर्जुन का गुस्सा शांत हुआ और उसका बदला पूरा हुआ। लेकिन यह आज तक भी नहीं पता चला कि मंगल चोर के घर चोरी किसने और क्यों की थी और वह सब धन और जेवर कहां गए। तो यह थी कहानी चोर के घर भी हुई चोरी। धन्यवाद।
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