सच्चे प्रेमी कभी नहीं डरते। Jeena Marna Tere Sang
यह कहानी है दो सच्चे प्रेमियों की। ऐसे प्रेमी जो प्यार करने से पहले बहुत डरते थे लेकिन जब प्यार हो गया तो बिल्कुल निडर हो गए। डर क्या होता है वह यह बिल्कुल भूल गए। गांव की कहानियों में अक्सर लड़का लड़की की पसंद की शादियां नहीं होती सच्चे प्यार करने वालों को मिलाया नहीं जाता बल्कि मारकर दफनाया जाता है। और यह कहानी भी है गांव के दो सच्चे प्रेमियों की। उन्हें अपने गांव के बारे में सब कुछ पता था और कुछ पुरानी कहानियां भी सुनी थी सच्चे प्रेमियों की जिनमें आखिर में सच्चे प्रेमियों को मारकर दफनाया गया ना कि उन्हें मिलवाया गया लेकिन फिर भी उन दोनों ने प्यार किया।
उन्हें कहानियों को सुनकर डर तो लगता था लेकिन प्यार जब हो जाता है तो हो ही जाता है ना ही डर रोक पाता और ना ही इंसान। यही हुआ राधा और गोपाल के साथ। राधा और गोपाल एक ही गांव में रहा करते थे। लेकिन एक दूसरे से ज्यादा मिलते नहीं थे। 1 दिन राधा नदी किनारे नहाने के लिए गई थी उस दिन उसे नहाने में बहुत देर हो गई थी। जब राधा नदी में नहा रही थी तभी गोपाल अचानक नदी के पास पानी पीने के लिए आया। उसे पता नहीं था कि राधा आज वहां देर से नहा रही है नहीं तो वह कभी नहीं जाता। लेकिन जैसे ही गोपाल ने देखा कि राधा नदी में नहा रही है वह निगाह झुका के बिना पानी पिए वहां से तुरंत ही चला गया।
और अगले दिन राधा का घर ढूंढ कर राधा को ढूंढ कर राधा से माफी मांगी। तब राधा ने कहा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है मेरी गलती है कि मैं देर से नहाने के लिए गई नदी तो सभी के लिए है यह कौन सा है अगर मैं नहा रही थी तो वह नदी मेरी हो गई तुम पानी पी लेते और चले जाते वैसे भी मेरा शरीर तो पानी में ही था और कुछ भी दिख भी नहीं रहा था। इस पर गोपाल ने कहा राधा शर्म तो आंखों में होती है शरीर में क्या रखा है शरीर देखो या नहीं देखो लेकिन स्थिति को जरूर देखा जाता है कि इंसान किस स्थिति में है और स्थिति ही शर्म को पैदा करती है। इसलिए मैं ऐसे ही देखकर शर्म से वहां से चला गया। और घर पर जाकर ही पानी पिया। राधा को गोपाल कि कहीं यह बातें बहुत अच्छी लगी। और उसने कहा तुम्हारे विचार बहुत अच्छे हैं मुझे तुम्हारे विचार बहुत ही पसंद आए। गोपाल ने कहा ठीक है अगर तुमने मुझे माफ कर दिया है तो मैं चला जाऊं मुझे बहुत काम करना है। इस पर राधा ने कहा ठीक है मैंने तुम्हें माफ कर दिया।
सच्चे प्रेमी कभी नहीं डरते। Jeena Marna Tere Sang
फिर गोपाल तो वहां से चला गया लेकिन राधा को ना जाने क्यों गोपाल को जाता हुआ देखकर अजीब सा लग रहा था वह चाहती थी कि गोपाल उसके पास ही रहे कहीं ना जाए उससे ही बातें करता रहे। राधा समझ नहीं रही थी कि उसे क्या हो रहा है खाते पीते सोते उठते बैठते हर वक्त उसे सिर्फ गोपाल का ही ख्याल आ रहा था गोपाल की कही बातें उसके कान में गूंज रही थी। फिर राधा से रहा नहीं गया तो राधा गोपाल के पास वहां गई जहां पर गोपाल गायों को चराता था। तब वो राधा को अचानक देखकर गोपाल घबरा गया और कहने लगा क्या हुआ सब ठीक तो है ना तुम इस तरह दौड़ी-दौड़ी मेरे पास क्यों आ रही हो। तब राधा ने कहा बेचैन हूं इसलिए तुम्हारे पास आ रही हूं यह सुनकर गोपाल चौक गया। और बोला बेचैन हो तो डॉक्टर के पास जाओ मेरे पास क्यों आ रही हो। इस पर राधा ने कहा बेचैनी तुमसे है तो इलाज भी तुम्हारे पास ही होगा। इसलिए डॉक्टर के पास जाकर क्या करना।
अब गोपाल को राधा की कही बातें समझ में नहीं आ रही थी। तब गोपाल ने कहा तुम ऐसा क्यों कह रही हो भला मैंने तुम्हें कैसे बेचैन कर दिया। तब राधा ने कहा कल जो तुम मेरे पास आए थे मुझसे जो तुमने बातें करी वह बातें में नहीं भुला पा रही हूं। और सोते बैठते उठते जागते बस तुम्हारे बारे में ही सोच रही हूं पता नहीं दिल बहुत बेचैन हो रहा है तुमसे दूर रहकर अब तुम्हारे पास आ गई तो सब कुछ अच्छा लग रहा है। यह सुनकर गोपाल की आंखें शर्म से झुक गई और गाल लाल हो गए। तब राधा ने कहा अरे यह सब सुनकर तुम्हारे गाल लाल क्यों हो गए। तुम्हारी आंखें भी झुक गई। मैंने ऐसा क्या कह दिया। एस पर गोपाल ने कहा तुमने वह सब कह दिया जो तुम्हें कहना ही नहीं चाहिए था। राधा ने कहा क्यों मुझे यह सब तुम से क्यों नहीं कहना चाहिए था। तब गोपाल ने कहा अरे बुद्धू तुम्हें प्यार हो गया है प्यार। इस पर राधा ने कहा मतलब मुझे तुमसे प्यार हो गया है।
और क्या तुम्हें मुझसे प्यार है। इस पर गोपाल ने कहा अगर मुझे तुमसे प्यार नहीं होता तो कल मैं नदी से प्यासा नहीं लौटता पानी पीकर ही जाता लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि मुझे तुमसे प्यार है इसलिए मुझे तुम्हारी इज्जत से तुम्हारी हर चीज से प्यार है मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे सामने शर्मिंदा होती इसलिए मैं वहां से चला गया। तब गोपाल ने कहा मुझे भी तुमसे प्यार है। फिर दोनों एक दूसरे के गले लग गए। और राधा और गोपाल ने तय करा कि ठीक है कल से इसी समय हम दोनों यहीं पर मिला करेंगे मन की बातें किया करेंगे और फिर अपने समय से यहां से चले जाया करेंगे। राधा ने कहा ठीक है मेरी मां मेरी गायों को चराने जाती है तो कल से मैं भी मां को मना कर दूंगी और मैं भी अपनी गाय चराने के बहाने तुमसे मिलने आ जाया करूंगी। अब दोनों ही रोज गायों के बहाने आपस में मिला करते और खूब ढेर सारी बातें किया करते।
धीरे-धीरे उनका प्यार सच्चे प्यार में बदल गया और सच्चा प्यार जिसे हो जाए उसे फिर किसी भी चीज का डर नहीं रहता मौत का भी नहीं। 1 दिन गांव के सरपंच ने उन दोनों को एक दूसरे के गले लगते देख लिया। तब तो मानो उस दिन सरपंच ने आसमान सर पर उठा लिया और दोनों के माता-पिता को भी खूब खरी-खोटी सुनाई। और राधा और गोपाल को आदेश दिया कि तुम दोनों एक दूसरे से नहीं मिलोगे और किसी एक का परिवार गांव छोड़कर चला जाए। इस पर दोनों ने कहा तुम्हें जो करना है कर लो हम ना ही एक दूसरे से मिलना बंद करेंगे और ना ही यह गांव छोड़कर जाएंगे यह गांव तुम्हारे पिताजी का नहीं है जो तुम हमसे छोड़ने के लिए कहोगे हम छोड़कर चले जाएंगे हमने यहां पर अपना खून पसीना बहाया है और सबसे बड़ी बात सारी हमने कमाई हुई अपनी सारी दौलत इसी गांव में लगाई है हम क्या भिखारी बनकर इस गांव से चले जाएं। इस पर सरपंच ने कहा ठीक है तो मैं तुम्हें ढेर सारा धन देता हूं इस गांव से चले जाओ इस गांव की इज्जत का सवाल है। इस पर दोनों ने कहा कि हमारा प्यार बिकाऊ नहीं है। और वहां से चले गए।
अब तो सरपंच का गुस्सा और सातवें आसमान पर हो गया। तब सरपंच ने कहा कि कुछ भी हो जाए अगर यह दोनों नहीं मानते तो इन दोनों को भी जान से ही मारना पड़ेगा। यह सुनकर दोनों के घर वाले घबरा गए और सोचा कि ऐसा कुछ होने से पहले हम दोनों ही अपने अपने बच्चों को संभाल लेंगे मिलने ही नहीं देंगे। लेकिन सच्चे प्रेमियों को रोकना इतना आसान नहीं वह दोनों रोज ही मिला करते दोनों के घर वाले परेशान हो गए। तब सरपंच ने कहा देख लिया मैंने तुम्हारे माता-पिता से तुम्हें संभाला नहीं जाता तो अब तो तुम्हें मौत का सामना करना ही होगा। इस पर दोनों ने कहा हम तैयार हैं अगर हमें एक साथ में मरना भी पड़े तो हम मर जाएंगे लेकिन हमारा प्यार नहीं मरेगा। इस पर मुखिया ने उन दोनों के ऊपर मिट्टी का तेल छिड़कवा दिया और खुद ने माचिस की तीली जला कर हाथ में पकड़ ली। सब की सांसे थम गई। कि अब क्या होगा क्या इन दोनों को यह सच में ही मार देगा।
तब दोनों ने कहा ठीक है अगर तुम हमें मारना ही चाहते हो तो मारो। यह हमारी खुशनसीबी होगी कि हम एक दूसरे के प्यार में और एक साथ मरेंगे। देखते ही देखते सरपंच के हाथ में लगी माचिस की तिल्ली पूरी तरह से जल गई। और सरपंच का हाथ जल गया तब सरपंच की चीख निकल गई। और वह कहने लगा मेरा हाथ जल गया कोई मरहम पट्टी लेकर आओ। इस पर राधा और गोपाल ने कहा यह तो जरा सा है इससे तुम क्यों डरते हो और वैसे भी तुम तो हमें मारना चाहते हो ना तो मारने में देरी क्यों अभी मार डालो अपनी मरहम पट्टी बाद में करते रहना। यह सुनकर सरपंच की आंखें नम हो गई और सरपंच ने कहा मैं तुम्हारे सच्चे प्यार और निडरता के आगे हार गया।
अब मैं तुम दोनों की खुशी खुशी शादी करवा दूंगा। राधा और गोपाल ने कहा तुम्हें समय पर अकल आ गई है बहुत अच्छी बात है नहीं तो हम दोनों मर जाते लेकिन अलग नहीं होते। और सच्चे प्यार करने वाले कभी मौत से भी नहीं डरते। क्योंकि वह जिस्म से नहीं एक दूसरे की रूहू से प्यार करते हैं और रूहू कभी नहीं मरती। सरपंच ने उन दोनों की खुशी खुशी शादी करवा दी और तब से उस गांव में भी अगर कोई सच्चा प्रेमी जोड़ा मिलता है तो उन दोनों की धूमधाम से शादी हो जाती थी। तो यह थी हमारी कहानी। सच्चे प्रेमी कभी नहीं डरते। Jeena Marna Tere Sang
धन्यवाद।
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