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    Wednesday, May 26, 2021

    तीन बुद्धिमान दोस्तों की कहानी | teen buddhimaan doston ki kahani hindi story - daily story maker

     यह कहानी है अमन रमन और नमन की। अमन रमन और नमन यह तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे। तीनों ही बहुत बुद्धिमान थी लेकिन सबसे ज्यादा बुद्धिमान अमन था। अमन जब भी कोई परेशानी में पढ़ता तो अपनी बुद्धिमानी से वह परेशानी से छुटकारा पा लेता। पर रमन और नमन अक्सर परेशानी में फंस जाया करते और अमन की मदद से परेशानी से बाहर निकलते थे। तीनों दोस्त एक ही गांव में रहते थे। 

    तीनों दोस्तों में बहुत ही प्रेम था तीनों एक दूसरे के बिना कुछ खाते नहीं थे कुछ पीते नहीं थे और ना ही कहीं जाते थे। अगर अमन बीमार होता था तो रमन और नमन भी घर पर ही रहते थे या अमन के पास जाकर उसका   अलग-अलग तरह से मनोरंजन करके उसका मन बहलाया करते। और नई नई पहेली पूछा करते जिसमें अमन कभी हारता नहीं था सारी परियों के सही जवाब दे दिया करता था।

     रमन और नमन यही सोचते थे कि हम तीनों एक साथ बचपन से इतने बड़े हो गए लेकिन अमन हमसे इतना होशियार क्यों है हम इतने होशियार क्यों नहीं। जब यह सवाल रमन और नमन अमन से पूछते तो अमन बस एक ही जवाब देता कि मैं अपनी पूरी अक्ल का इस्तेमाल करता हूं और तुम अपनी आधी अक्ल का इस्तेमाल करते हो। जिसे सुनकर रमन और नमन बहुत हंसते और कहते सही यह तो हमारी हंसी हमसे ही उड़ जा रहा है तू सच में ही बहुत बुद्धिमान है। 1 दिन गांव में प्रतियोगिता हुई कि 10 पहेलियों के सही-सही जो भी जवाब दे देगा उससे हजार रुपए इनाम मिलेंगे।

     जब यह खबर रमन और नमन को मिली तो वह दौड़े-दौड़े अमन के पास गए और बोले देख गांव में कितना अच्छा प्रतियोगिता का समय आया है और इनाम भी हजार रुपए है सिर्फ 10 सवालों के मतलब पहेलियों के सही जवाब देने हैं और हजार रुपए जीत लेने हैं। यह सुनकर अमन ने कहा मैं तो सब सवालों के पहेलियों के सही जवाब दे दूंगा तुम अपनी चिंता करो तुम्हें इस प्रतियोगिता में जरूर जाना चाहिए और अपनी बुद्धिमानी से सही जवाब देने चाहिए। जो जीते जाएगा पैसे उसके हो जाएंगे। लेकिन रमन और नमन नहीं मैंने कहा इस प्रतियोगिता को खेलने के लिए सिर्फ एक बार ही मौका मिलता है अगर हार गए तो दोबारा मौका नहीं मिलता। रमन और नमन के बार-बार चित्र करने पर अमन प्रतियोगिता की जगह पर गया और प्रतियोगिता में हिस्सा ले लिया और सारी पहेलियों के एक के बाद में एक  सोच सोच कर सही जवाब दिए और हजार रुपए जीत लिए।

     अब वह तीनों बहुत खुश थे पर सबसे ज्यादा खुश तो रमन और नमन ही थे कि उन्हें अब हजार रुपए मिल गए हैं तो वह अब मिल बांट कर इन्हें खर्च करेंगे और खूब मजे करेंगे। लेकिन अमन ने कहा हम इन पैसों को फालतू खर्च नहीं करेंगे इन्हें गरीबों में बांट देंगे। इससे गरीबों का पेट भी भर जाएगा और हम थोड़ा पुण्य भी कमा लेंगे।रमन और नमन ने कहा अगर गरीबों को खाना देने की बात है तो वह तो हम अपने घर से भी ला कर दे देंगे लेकिन यह पैसे हैं इन्हें तो हम जहां खर्च करेंगे वही खर्च हो जाएंगे। तो क्यों ना हम इन्हें अपने मजे करने के लिए खर्च करें गरम-गरम पकोड़े समोसे कचोरी जलेबी जो मन में आएगा वही खाएंगे। 

    बहुत दिनों से हमने यह सब खाया भी नहीं है। अमन ने कहा अगर तुम चाहो तो इन परसों को शेर तुम बहुत ज्यादा पैसे कर सकते हो। तब रमन और नमन ने कहा बताओ कैसे। अमन ने कहा मैं तो बता दूंगा लेकिन तुम दोनों अपनी अपनी राय बताओ कि तुम कैसे इन पैसों को ज्यादा करना चाहते हो। इस पर रमन ने कहा कि हम यह पैसे किसी ऐसे इंसान को ब्याज पर दे देंगे जिससे इतने ही पैसों की जरूरत हो और फिर ब्याज सहित वापस ले लेंगे जिससे यह पैसे  ज्यादा हो जाएंगे। फिर रमन ने कहा कि हम इन पैसों से कुछ जरूरत का सामान खरीद लेंगे और उसे थोड़ा महंगा करके भेजेंगे जिससे हमारा काम भी हो जाएगा और कुछ पैसे ज्यादा भी आ जाएंगे। 

    अमन ने कहा तुम दोनों सच में ही अपनी आती अकल इस्तेमाल करते हो तुम दोनों ने जो अपनी अपनी राय बताइए इसमें मुझे कहीं से भी इंसानों की भलाई नहीं दिखती हमें ऐसा कुछ करना चाहिए जिससे इंसानों का कुछ भला भी हो और हमें पैसे ज्यादा भी मिले हम किसान हैं हम इन पैसों का बहुत ही अच्छे से और सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन रमन और नमन को समझ नहीं आ रहा था कि अमन क्या कहना चाह रहा है। तब रमन और नमन ने कहा कि तुम हमें समझाओ हमें ऐसे बातें समझ में नहीं आ रही तुम जो कह रहे हो।  

    अमन ने कहा देखो हम किसान हैं हमारे अपने अपने खेत हैं  हमें इन पैसों से हम बीज खरीदेंगे और उसे तीन हिस्सों में बांट लेंगे इन पैसों का बहुत बीज जाएगा फिर उसे अपने अपने खेत में बो लेंगे और उसकी अच्छी देखभाल करेंगे जिससे कुछ दिनों बाद यह बीज फसल बन जाएगा और फसल से अनाज उस अनाज को हम बाजार में जाकर बेच आएंगे इससे लोगों का भला भी होगा और हमें कुछ पैसे मिल भी जाएंगे। रमन और नमन को अमन का यह सुझाव अच्छा तो लगा लेकिन उन्होंने सोचा खेत हमारे नहीं हमारे माता-पिता के हैं तो हम उनसे पहले पूछ ले तब जवाब देते हैं कि क्या करना है। 

    अमन ने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है  सोची है तुम दोनों ने ठीक है पहले तुम अपने माता-पिता से पूछो कि वह इसके लिए राजी है या नहीं जहां तक मेरा ख्याल है मां-बाप सुनकर खुश भी होंगे और राजी भी। और फिर तीनों दोस्त अपने अपने घर चले गए और घर जाकर अपने मां-बाप उसे पूछा तो मां-बाप ने खुशी-खुशी कह दिया अब तुम यह भला काम करना चाहते हो तो करो हम तुम्हें नहीं रुकेंगे कुछ मदद की जरूरत हो तो बता देना हम जरूर मदद करेंगे। अगली सुबह जब तीनों दोस्त इकट्ठा हुए तो तीनों का एक ही जवाब था कि माता-पिता खुश भी हैं और  राजी भी और यह भी कहा है कि अगर मदद की जरूरत हो तो बता देना हम मदद कर देंगे। 

    उसके बाद तीनों दोस्त बाजार गए और बाजार से अच्छा वाला गेहूं का बीज लेकर आ गए और घर लाकर उसे तीनों ने बराबर बराबर बांट लिया। बीज अच्छा खासा हिस्से में आया था तीनों के जिससे वह आराम से खेती कर सकते थे। फिर तीनों अपने अपने बीज अपने अपने खेतों में लेकर चले गए और खेतों में बोने लगे। अब रोज सुबह तीनो दोस्त एक जगह इकट्ठे होते पहले थोड़ी बातें करते फिर अपना खेती का काम शुरू करते धीरे-धीरे दिन बीतते गए। और करीब कुछ महीनों बाद ही गेहूं के बीज से फसल और फसल से अनाज तैयार हो गया। फिर तीनों दोस्तों ने अनाज को  कांटा।और उसे साफ करके गेहूं निकालने के लिए ले गए। फिर जो साफ गेहूं निकला वह बाजार बेचने के लिए ले गए। और बाजार जाकर अनाज बेचा तो उन्हें बहुत ही अच्छे पैसे मिले। फिर रमन और नमन ने कहा हम जो सुझाव दे रहे थे वह इतने भी अच्छे नहीं थे और ना ही इतने पैसे मिलते यह सुझाव अमन का बहुत अच्छा है इससे हम खेती किसानी करना भी आसानी से सीख जाएंगे। और अपने माता-पिता  के साथ खेती किसानी का खूब काम  करेंगे।जिससे वह खुश भी होंगे और हमें खूब आशीर्वाद भी देंगे। सच में अमन बहुत ज्यादा बुद्धिमान है।अमन जैसा दोस्त होना तो बहुत किस्मत की बात है। 

    तीनों दोस्तों का फिर ऐसे ही समय बीतता गया तीनों अपने माता-पिता का अपनी खेती किसानी में खूब  काम कराते अपनी पढ़ाई भी करते हैं पर एक समय ऐसा भी आया जब तीनों के माता-पिता खेती किसानी नहीं कर पाते थे बूढ़े होने के कारण वह ज्यादा मेहनत नहीं कर पाते थे। तब तीनों दोस्तों ने अपने माता-पिता से कह दिया कि अब तुम खेती-किसानी मत करा करो तुम से नहीं होता तो तुम बस घर पर रहकर आराम करा करो औरहम तुम्हारी सेवा भी करेंगे और खेती किसानी भी करेंगे हमने पैसों के लालच में जो काम करना शुरू करा था वह असल में किसानी ही थी और कुछ नहीं था उससे हमें किसानी करना भी आ गया है और आपके  साथ काम कराते कराते हम पूरा काम सीख गए हैं। 

    तो अब हमें काम करना है और तुम्हें आराम ऐसा कहकर तीनों दोस्त अपने अपने खेतों पर जाते खूब मेहनत से खेती किसानी करते खूब अच्छा अनाज उगाते और अनाज से गेहूं चावल आदि अनाज निकालकर बाजार में बेचने जाते और जो पैसे मिलते उसे बहुत अच्छे से खर्च करते। अमन की बुद्धिमानी की वजह से  रमन और नमन दोनों दोस्त लालच में पता नहीं क्या क्या सोच रहे थे वह दोस्त पैसों के लालच में ही ऐसा काम करना सीख गए थे जिससे वह अपने माता पिता की सेवा भी कर पा रहे थे और अपनी रोजी-रोटी भी चला पा रहे थे और अपना एक  अच्छा भविष्य भी बना पा रहे थे।

     हमें कभी भी पैसों के लालच में आकर कुछ भी उल्टा सीधा काम नहीं सोचना चाहिए और ना ही करना चाहिए हमें वह काम ही करना चाहिए जिसमें सब की भलाई हो और जीवन में कभी भी किसी को दुखी नहीं करना चाहिए हमेशा सबकी मदद करनी चाहिए अपने माता-पिता का खूब ख्याल रखना चाहिए।  जिस तरह इन तीनों दोस्तों ने अपने बेटे होने का फर्ज निभाया वैसे ही हमें भी अपना अपना फर्ज ईमानदारी से निभाना चाहिए। जिससे हम एक अच्छा जीवन जी सके सुकून से रह सके और एक अच्छा भविष्य बना सकें। तो यह थी तीन बुद्धिमान दोस्तों की कहानी। धन्यवाद।

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